👤19-06-2022-
जीवीके ,, ईएमआरआई कंपनी ने आकस्मिक सेवा स्वास्थ्य योजना को जम कर रहा है लूट,,समय से एंबुलेंसओ का मेंटेनेंस ना होने के कारण सैकड़ों एंबुलेंस हुई कबाड
फर्जी केसों को अभिलेखों में दर्ज कर प्रदेश के राजस्व में करोड़ों रुपए का जीवीके ईएमआरआई कंपनी ने की लूट जांच में हो रहा लगातार खुलासा जारी
प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक को जिला अस्पताल में दर्जनों कबाड़ बनी 108 ,,102 एंबुलेंस नहीं आई नजर
उन्नाव।जिस नगरी का राजा अंधा गूंगा बहीरा हो तो उसके मंत्री संतरी,अधिकारी निजी स्वार्थ के चलते डकैतों लुटेरों से जुगलबंदी करके राज्य को तथा राज्य के खजाने को लूटने का ही कार्य करेंगे । जिसका जीता जागता उदाहरण हैं प्रदेशवासियों को बीमारी और दुर्घटनाओं में घायल लोगो व गर्भवती महिलाओं बच्चों को सही समय पर उपचार मिले इस लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 108 एंबुलेंस बीमार,घायलों के लिए तथा 102 एंबुलेंस चच्चा और बच्चा के लिए सेवा योजना संचालित की थी जिसको संचालन के लिए एक निजी कंपनी जीवीके फाउंडेशन से अनुबंध किया बताया जाता है कि प्रति मरीज के लिए 45 सौ रुपए का भुगतान किया जाता हैं जिसमे चालक और प्राथमिक उपचार जो टीम (ईएमटी) तैनात होती है उनके भुगतान के साथ डीजल और एंबुलेंस का मेंटीनेंस आदि भी सामिल है जिसमें कंपनी द्वारा जबरदस्त घोटाला किया जा रहा था फर्जी मरीजों केशो को दर्ज करके लूटना मेंटीनेंस ना करवाना जिसकी शिकायत मिलने पर सपा शासन में अंतिम समय दस करोड़ रूपए का भुगतान रोक कर सीबीआई जांच के लिए मांग की गई थी लेकिन सत्ता बदलाव के कारण जांच की मांग को रद्दी की टोकरी में डालकर दफन कर दिया गया और भुगतान भी जारी कर दिया गया था और सभी जिम्मेदार अधिकारियों मंत्री संतरी मुंह फेरकर बैठ गए जिससे हजारों की संख्या में एंबुलेंस कबाड़ में तब्दील हो गई विधानसभा में फर्जी घोटाले की आवाज उठाने पर जांच शुरू हुई तो घोटाला उजागर होने लगा वही प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक जनपद जिला अस्पताल निरीक्षण के लिए आए थे करीब एक घंटे से अधिक समय भी बिताया था परंतु उन्हें जिला अस्पताल परिसर में कबाड़ बनी खड़ी एक दर्जन से अधिक 108 102 एंबुलेंस नहीं दिखाई पड़ी साथ ही जनपद से भी समय सांसद चुने गए थे स्वयं सांसद निधि से जिला अस्पताल को एंबुलेंस दी थी वह भी कबाड़ बन कर खड़ी हो चुकी है फिर भी डिप्टी सीएम तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक को नहीं नजर आई इससे तो यही लगता है कि जो पुरानी कहावत कही गई है जिस नगरी का राजा ही अंधा हो तो उसके मंत्री संतरी अधिकारी कर्मचारी तो जनता को ही लूटेंगे और प्रदेश सरकार के खजाने को भी जमकर लूट रहे हैं।
आपको बताते चलें कि भाजपा के रामराज्य में डिप्टी सीएम//स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक की कार्यशैली को लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया सोशल मीडिया बहुत ही कार्यशैली की सराहना करते हुए जमकर तारीफ कर रही है वहीं यदि जनपद उन्नाव की बात करें जहां पर सर्वप्रथम बृजेश पाठक बहुजन समाज पार्टी से सांसद चुने गए थे जिन्होंने अपनी सांसद निधि से जनपद वासियों के हित के लिए एक एंबुलेंस दी थी सत्ता परिवर्तन होने के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार आई और समाजवादी पार्टी सरकार में युवा अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने जिन्होंने प्रदेश से लेकर जनपद तक की सभी वर्गों के लिए आकस्मिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 108 एंबुलेंस तथा 102 एंबुलेंस महिलाओं और बच्चों के लिए संचालित कराई जिसके तहत जनपद को 108 एंबुलेंस की 30 गाड़ियां तथा 102 एंबुलेंस की 43 गाड़ियां प्रदान हुई जो जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि के लिए तैनाती हुई जिसके संचालन के लिए एक निजी संस्था जीवीके ईएमआरआई से अनुबंध किया गया जोकि इस कंपनी को चालक के साथ-साथ ईएमटी और प्राथमिक उपचार के लिए प्रति एम्बुलेंशो में बीपी मशीन पल्स ऑक्सीमीटर सेक्शन डिवाइस थर्मामीटर ऑक्सीजन सालेंडार तथा टाइप टू यानी फोर टेबल आक्सीजन सलेंडर स्टेथास्कोप के साथ दो फायर सिलेंडर वर्किंग अवस्था में होना चाहिए और जरूरी मेडिसिन भी कंपनी ही उपलब्ध कराना सामिल है साथ ही एम्बुलेंशों को 50 हजार किलोमीटर चलने के बाद टायर ट्यूब बदलना 10 से 15 हजार किलोमीटर चलने पर सर्विस करवाना बीमा फिटनेस करवाना सामिल है जो प्रति सेवादार के भुगतान में जुड़ा होता है इस लिए जीवीके कंपनी ने फर्जी केशो के माध्यम करोड़ों और अरबों रुपए का जमकर घोटाला किया शिकायत मिलने पर सपा शासन में कई करोड़ रुपए का भुगतान रोकते हुए ( एफआईआर) दर्ज करा दी थी और स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक जनपद के जिला अधिकारी तथा सीएमओ को लिखित आदेश जारी किया की 108 और 102 एंबुलेंस का संचालन स्वयं कराकर कराएं और उनकी निगरानी करें लेकिन जब तक यह कार्यवाही अमल में आती उस समय सत्ता परिवर्तन हो गया और भाजपा की पूर्ण बहुमत से प्रदेश में सरकार बनी जिसको कर्मठ एवं इमानदार छवि के योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने जिन्होंने मंत्रिमंडल से कर्तव्य निष्ठा ईमानदारी से कार्य करने की इच्छा जाहिर की उसी बीच 108 तथा 102 एंबुलेंस संचालक कंपनी जी वीके कंपनी एंबुलेंस संचालन से इनकार किया और सरकार से बताया की 250 करोड़ों रुपए हमारा रूपा है जब तक वह भुगतान नहीं होगा हम आगे नहीं संचालन कर सकते हैं जिस पर जब भाजपा सरकार ने निगम आने की तो 60 प्रतिशत का भुगतान करके संचालन करने का आदेश जारी कर दिया जबकि एंबुलेंस संचालन संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ने फर्जी केशो को अभिलेखों में अंकित करके भुगतान लेने का अभियान लगातार जारी रखा जिसका खुला फर्जी केस बाड़ा होता जा रहा हैं साथ कंपनी द्वारा किसी भी एंबुलेंस का ना ही बीमा कराया गया ना ही फिटनेस करवाई गई और समय से ना ही सर्विस मेंटीनेंस कराया गया और ना ही किसी भी एंबुलेंसओ के टायर बदलवाए गए जिससे दर्जनों 108 व 102 एंबुलेंस कबाड़ हो गई है जो जिला अस्पताल परिसर में कचड़े के ढेरो में खड़ी है बही ब्रजेश पाठक द्वारा संसद निधि से दी गई एंबुलेंस खड़ी है।
आप लोगों को बताते चलें कि पिछले माह कानपुर जाते समय डिप्टी सीएम//स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक औपचारिकता निभाते हुए पहले तो विकासखंड नवाबगंज क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया और सीधा कानपुर चले गए कानपुर से वापसी में जिला अस्पताल पहुंचकर एक से डेढ़ घंटे तक अस्पताल में मौजूद रहे परंतु जिला अस्पताल में एलियन मिटाएं एक भी नजर नहीं आई जबकि जिला अस्पताल परिसर में ही 1 दर्जन से अधिक 108 वह 102 एंबुलेंस ओं के साथ स्वयं की निधि के द्वारा दी गई एंबुलेंस भी कचरे के ढेर में कबाड़ बनी खड़ी हुई चिल्लाती रही जबकि क्षेत्र में ही निजी अस्पतालों तथा अल्ट्रासाउंड सैंटरो पैथोलॉजी यों आदि के विरोध फर्जीवाड़े लगातार एक महीने से सुर्ख़ियों में होने के बावजूद भी नजर नहीं आए जो सबसे अधिक पैथोलॉजी अल्ट्रासाउंड सेंटर जांच केंद्र समाचार पत्रों में सुर्खियों में बना रहा उस पर पूरी तरह से मेहरबानी सोती हुई दिखी जबकि सूत्र बताते हैं जाति धर्म का गठबंधन होने के लिए के बाद पूरी जांच को बीच में ही अवरुद्ध कर दिया गया है इसी तरीके से यदि आंकड़ा लगाया जाए उत्तर प्रदेश में 75 जनपद है और प्रत्येक जनपद में जीवीके कंपनी कितना है केशो में फर्जीवाड़ा कर चुकी है तथा कितनी एंबुलेंस को कबाड़ा कर चुकी है यह किसी और का धन नहीं बल्कि गरीब मासूम बेबस मध्यमवर्गीय जनता के राजस्व से खरीदी हुई यह संपत्ति है किंतु निगरानी करने वाले जब स्वयं लुटेरे डकैतों का रूप ले चुके हो तो फिर कौन करेगा रखवाली ??
इनसेट
सपा शासन काल में स्थित 108,102 एंबुलेंस आकस्मिक सेवा सुविधा
प्रदेश सरकार के सहयोग से जीवीके ईएमआरआई द्वारा संचालित 102-108 एंबुलेंस सेवा प्रदेश में 1.5 करोड़ से ऊपर लाभार्थियों को सेवाएं दे चुकी है। यह हेल्थ के क्षेत्र में इमरजेंसी सेवाओं और जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रसव के लिए हॉस्पिटल ले जाने के लिए शुरू की गई है।
2012 में हुई थी शुरुआत
जीवीके ईएमआरआई के चीफ ऑपरेटिंग अफसर संजय खोसला के मुताबिक, इस सेवा की शुरुआत 14 सितंबर 2012 को सीएम ने झंडी दिखा कर की थी। वर्तमान में 108 सेवा के तहत पूरे प्रदेश में 1488 एंबुलेंस संचालित हो रही हैं। इमरजेंसी में मरीजों को सेवा देने के मामले में अब 5762455 लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है।
आ चुके हैं इतने मामले
सड़क दुर्घटना के 484098, पेट दर्द के 368882, सांस में तकलीफ के 164692, हार्ट के 120308, डायबिटीज के 5732, प्रसव के 3292549 और इमरजेंसी के 1326194 मामले शामिल हैं। इनके अलावा 108 एंबुलेंस से अब तक 16324 बच्चों का सुरक्षित जन्म कराया जा चुका है। कुल मिलाकर घटनास्थल पर 69930 केस आ चुके हैं।
102 सेवा ने किया एक करोड़ का आंकड़ा पार
- इस सेवा से अब तक 1,01,70,819 लाभार्थियों को लाभ दिया जा चुका है।
- वर्तमान में इस सेवा से 2268 एंबुलेंस जुड़ी हैं, 200 नई एंबुलेंस प्रस्तावित हैं।
- आंकड़ों में घर से अस्पताल जाने वालों की संख्या 4654231, अस्पताल से घर जाने वालों की संख्या 5340416 और आईएफटी के तहत 1766172 संख्या हैं।
जब ये हो दिक्कत , तब लें 108 एंबुलेंस सेवा का लाभ
- दिल का दौरा, तेज पेट दर्द।
- किसी भी प्रकार की दुर्घटना, जानवरों के काटने, बेहोश होने पर।
- अपराध होने की स्थिति में पुलिस और एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ने पर।
- आग लगने पर पुलिस और एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ने पर।
- अन्य किसी प्रकार की इमर्जेंसी पर।
जब ये हो समस्या, तब लें 102 एंबुलेंस सेवा का लाभ
- 102 एंबुलेंस सेवा में गर्भवती महिला को घर से नजदीक सरकारी अस्पताल लाने और घर छोड़ने में।
- बेहतर इलाज के लिए गर्भवती महिला और शिशु को जिला अस्पताल ले जाने में।
- बच्चे के जन्म के बाद जच्चा-बच्चा को फ्री घर तक छोड़ने की स्थिति में।
- एक साल तक के बच्चे को किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर अस्पताल ले जाने के लिए।
बेवजह न करें काल
102,108 सेवा को लेकर कॉल सेंटर ऑपरेटिंग ऑफिसर सर्वजीत सिंह के मुताबिक बेवजह लोगों को काल नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 108 सेवा पर एक दिन में 39684 कॉल दर्ज की जाती है। इनमें 23685 कॉल अनावश्यक होती है। 6432 कॉल इमर्जेंसी की होती हैं, जिनमें 6265 लोगों को सेवाएं दी जाती हैं। इसी तरह 102 सेवा पर प्रतिदिन 41420 काल दर्ज की जाती है। जिनमें 23592 काल अनावश्यक होती है। इनमें इमर्जेंसी काल 16765 होती है, 16300 लोगों को सेवाएं दी जाती हैं।
यूपी के 600 गांवोंं से एक भी कॉल दर्ज नहीं
उन्होंने बताया कि 2012 से इस सेवा के शुरू होने के बाद अभी तक यूपी के तकरीबन 600 गांवों से एक भी काल नहीं दर्ज हुई है।
इसी तरह लखनऊ जनपद के 31 गांव ऐसे हैं, जिनसे एक भी कॉल नहीं आई है। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस सेवा को संचालित करने वाले युवकों को स्मार्टफोन के साथ ही एप भी दिए गए हैं। जिनकी मदद से वे ऑन स्पॉट से रिपोर्टिंग करते हैं। कॉल दर्ज होने के बाद शहरी इलाकों में 20 मिनट और ग्रामीण इलाकों में 30 मिनट के अंदर एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।
इनसेट
भाजपा शासनकाल में 108 और 102 तथा वेंटीलेटर एडवांस जीवन रक्षा एंबुलेंस की कार्य प्रगति
अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए वेंटिलेटर एडवांस जीवन रक्षक उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार ने 14 अप्रैल 2017 को प्रदेश में इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं हरी झंडी दिखाकर एंबुलेंस के साथ सेवा का शुभारंभ किया था। इसके बाद जरूरत को देखते हुए 2019 में एंबुलेंस बढ़ाई गईं। वर्तमान में इस सेवा के तहत प्रदेश में कुल ढाई सौ एंबुलेंस संचालित हो रही हैं। हर जिले में न्यूनतम 2 एंबुलेंस हैं, जबकि अधिक आबादी वाले जिलों में इनकी संख्या अधिक भी है।
गोल्डन आवर में एंबुलेंस ने बचाई कई जानें
राजेश वाघमारे के अनुसार इस सेवा का संचालन शुरू होने से 31 मार्च 2020 तक प्रदेश में लाभार्थियों का आंकड़ा 1,83,484 पहुंच चुका है। इसमें सड़क दुर्घटना के 35,109, हार्ट अटैक व कार्डियोवैस्कुलर के 19,264, सांस रोग से संबंधित 21,400, प्रसव से संबंधित 15,651, बेहोशी के 5,941, एक माह तक के बच्चों के 12,910, मारपीट के 4,876, जहर खाने या आकस्मिक विषाक्तता के 4,275 और अन्य आपातकालीन स्थितियों के 6,058 शामिल हैं।
इतना ही नहीं 801 मामलों में एंबुलेंस कर्मचारियों ने एंबुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव भी कराया है। उन्होंने बताया कि जीवीके इएमआरआई संस्था उत्तर प्रदेश में 102 एंबुलेंस सेवा और 108 एंबुलेंस सेवा का भी संचालन कर रही है।
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सपा शासनकाल में ही फर्जी केस आंकड़े खुलकर सामने आए थे हुई थी बड़ी कार्यवाही
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सरकार के प्रोजेक्ट 108 और 102 एंबुलेंस सेवा के संचालन में धांधली सामने आने के बाद शासन ने सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है. एजेंसी द्वारा दायर रिपोर्ट की क्रॉस चेकिंग में पाया गया कि एजेंसी ने एक्सेल शीट में फर्जी मरीजों की एंट्री कर करोड़ों रुपयों का भुगतान लिया था
इस इस लिए एनएचएम निदेशक ने सेवा प्रदाता एजेंसी जीवीके ईएमआरआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए था प्रदेश में लंबे समय से 108 और 102 एंबुलेंस संचालन का जिम्मा जीवीके ईएमआरआई कंपनी के पास है. वर्ष 2012 में शुरू हुई 108 एंबुलेंस सेवा के बेड़े में कुल 1488 वाहन, वर्ष 2014 में शुरू हुई 102 एंबुलेंस सेवा में 2270 वाहन दिए गए थे।
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