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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए कंसल्टेंट रखेगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए कंसल्टेंट रखेगी योगी सरकार689

👤21-06-2020-लखनऊ । उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन (10 खरब) डॉलर का आकार देने की रणनीति तैयार करने के मकसद से योगी सरकार ने कंसल्टेंट नियुक्त करने का फैसला किया है। इसके लिए यूपी के नियोजन विभाग ने रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) डॉक्यूमेंट तैयार कर उसके आधार पर ई-टेंडर के जरिए बिड आमंत्रित किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2025 तक पांच ट्रिलियन (50 खरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में उत्तर प्रदेश जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य की अहम भूमिका होगी। प्रधानमंत्री ने इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर का आकार देने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि 2025 तक अपनी अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर का आकार देकर प्रधानमंत्री के सपने में उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाए। हालांकि यह लक्ष्य बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। कंसल्टेंट चयन के लिए तैयार किये गए आरएफपी के मुताबिक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सूबे की अर्थव्यवस्था को पांच गुना बनाने का दुरूह कार्य करना होगा। वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार 0.23 ट्रिलियन डॉलर (15.8 लाख करोड़ रुपये) था। उत्तर प्रदेश की आर्थक वृद्धि दर सात प्रतिशत और देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी आठ फीसद है। पांच वर्षों में सूबे की अर्थव्यवस्था को पांच गुना आकार देने के लिए आर्थक वृद्धि दर के साथ निवेश दर को भी तीव्र गति देनी होगी। कंसल्टेंट को देश के तीन शीर्ष राज्यों और दुनिया के उन तीन देशों में लागू किये गए ढांचागत, संस्थागत, आर्थक और सुशासन संबंधी सुधारों और उनके नतीजों की तुलना करनी होगी जिनकी उत्तर प्रदेश से समानता है। आरएफपी की शर्तों को लेकर कंसल्टेंट्स की जिज्ञासाओं के समाधान के लिए 29 जून को योजना भवन में प्री-बिड कांफ्रेंस होगी। फाइनेंशियल बिड खोलने की तारीख अभी तय नहीं है।
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

21-06-2020-लखनऊ । उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन (10 खरब) डॉलर का आकार देने की रणनीति तैयार करने के मकसद से योगी सरकार ने कंसल्टेंट नियुक्त करने का फैसला...

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 112 के पांच कर्मचारी समेत 22 लोगों में कोरोना, अयोध्‍या में म‍िले छह पॉज‍िट‍िव

112 के पांच कर्मचारी समेत 22 लोगों में कोरोना, अयोध्‍या में म‍िले छह पॉज‍िट‍िव83

👤20-06-2020-लखनऊ। त्तर प्रदेश में कोरोना को प्रकोप जारी है। राजधानी में शनिवार को यूपी 112 हेल्पलाइन सेवा के पांच कर्मचारी समेत 22 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। बता दें, शुक्रवार को केजीएमयू के एक चिकित्सक और एक पीएसी जवान समेत 23 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई। ऐसे में राजधानी में कुल मरीजों की संख्या 749 हो गई है। वहीं, अयोध्या में शन‍िवार को छह लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। अब एक्टिव कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है। तीन मरीज एक ही परिवार के कंदरपुर कटरा अयोध्या धाम के हैं। दो मरीज एक ही परिवार के पूरा ब्लाक के सरायरासी गांव के। एक मया ब्लॉक के नकटवारा गांव का।सभी मरीजों को आइसोलेट व गांव  मोहल्ले को सील करने की तैयारी शुरू।  क्रवार को लखनऊ में संक्रमित मरीजों में पांच महिलाएं और 18 पुरुष शामिल हैं। संक्रमितों में ठाकुरगंज का एक, मौलवीगंज का एक, रेलवे कॉलोनी का एक, आलमबाग का दो, विराट खंड के दो, विकासखंड का एक, पार्क रोड का एक, कमता चिनहट में तीन, अवध विहार में दो, रहीमाबाद में एक, विवेकखंड में एक, विधायकपुरम में एक, पीएसी जवान एक, इंदिरानगर में एक, मीना मार्केट में एक, तेलीबाग में एक, शाहमीना रोड का एक रोगी पाए गए हैं। उधर, केजीएमयू के कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे जूनियर डॉक्टर में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। वह क्वारंटाइन पीरियड में चल रहे थे। उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। वहीं, अब शहर में कुल 32 कंटेनमेंट जोन हो गए हैं।\r\nनौ हजार लोगों का जुटाया स्वास्थ्य ब्योरा\r\nसीएमओ की टीम ने 1929 घरों का भ्रमण किया। इस दौरान 9184 लोगों का स्वास्थ्य ब्योरा जुटाया। वहीं, 466 संदिग्ध लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। सैंपल के लिए तीन सदस्यीय 22 टीमें लगाई गई हैं। कोरोना की लड़ाई के लिए तीन सौ डेंटल डॉक्टर तैयार नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन ने डेंटल टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें प्रदेश के करीब 300 डॉक्टरों को जोड़ा गया है। इन डॉक्टरों को कोविड की ट्रेनिंग दी जाएगी। शुक्रवार से केजीएमयू में प्रशिक्षण शुरू हो गया है। कार्यक्रम में कुलपित प्रो. एमएलबी भट्ट, टास्क फोर्स के नोडल ऑफिसर डॉ. कपिल देव शर्मा मौजूद रहे।
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

20-06-2020-लखनऊ। त्तर प्रदेश में कोरोना को प्रकोप जारी है। राजधानी में शनिवार को यूपी 112 हेल्पलाइन सेवा के पांच कर्मचारी समेत 22 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। बता दें, शुक्रवार...

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अनलॉक के दौरान भी कहीं भीड़ एकत्र न हो, लगातार पेट्रोलिंग करे पुलिस : सीएम योगी

अनलॉक के दौरान भी कहीं भीड़ एकत्र न हो, लगातार पेट्रोलिंग करे पुलिस : सीएम योगी658

👤20-06-2020-लखनऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रसार पर नियंत्रण इस समय सीएम योगी आदित्यनाथ का मुख्य लक्ष्य है। तमाम अंकुश के बाद भी प्रसार पर नियंत्रण अपेक्षा के अनुरूप न होने पर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टीम-11 के साथ लगातार समीक्षा कर नई योजना बनाते हैं। कोरोना संक्रमण जितनी तेजी से पैर पसार रहा है, वह सरकार के लिए चुनौती भी बढ़ाता जा रहा है। रैंडम टेस्टिंग के साथ ही अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जोर सर्विलांस सिस्टम को अधिक से अधिक मजबूत करने पर है। इस काम में उन्होंने एक लाख निगरानी समितियों को लगाने के निर्देश दिए हैं।सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर टीम-11 के साथ समीक्षा बैठक में अनलॉक व्यवस्था पर कहा कि सर्विलांस व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए निगरानी समितियों की संख्या में वृद्धि की जाए। उन्होंने कहा कि एनसीआर के जिलों में कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए एक बेहतर कार्ययोजना बनाकर उसे लागू करें। सर्विलांस व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए निगरानी समितियों की संख्या में वृद्धि की जाए। यदि एक लाख निगरानी समितियां बना दी जाएं तो सर्विलांस व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है। कोविड-19 के संक्रमण की चेन को तोड़ने में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा। यह जिम्मा स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को सौंपा गया है।
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

20-06-2020-लखनऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रसार पर नियंत्रण इस समय सीएम योगी आदित्यनाथ का मुख्य लक्ष्य है। तमाम अंकुश के बाद भी प्रसार पर नियंत्रण अपेक्षा के अनुरूप...

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यूपी में प्रवासी श्रमिकों का साथी बनेगा आभा एप, अपना हुनर दर्ज करा सीख सकेंगे उद्यमिता के नुस्खे

यूपी में प्रवासी श्रमिकों का साथी बनेगा आभा एप, अपना हुनर दर्ज करा सीख सकेंगे उद्यमिता के नुस्खे207

👤19-06-2020-
लखनऊ । कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाने में सहायता देने के लिए व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विभाग ने आभा (आत्मनिर्भर भारत) एप तैयार किया है। इस मोबाइल एप को जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों लांच कराने की योजना है। योगी सरकार ने यह भी तय किया है कि श्रमिकों को योग्यता के अनुसार रोजगार देने के लिए उनकी कॅरियर काउंसिलिंग भी कराई जाएगी। इसके लिए हर जिले में हेल्प डेस्क और मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित होगी। वहीं प्रदेश में वापस लौटे सात लाख प्रवासी कामगारों का स्किल मैपिंग डाटा सेवायोजन पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विभाग द्वारा तैयार किए गए आभा (आत्मनिर्भर भारत) एप के जरिए प्रवासी श्रमिकों का कौशल अंकन हो सकेगा। प्रवासी श्रमिक इस एप पर अपने हुनर की जानकारी अपलोड कर सकेंगे। इसके माध्यम से वे कौशल प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण भी करा सकेंगे। कौशल प्रशिक्षण के लिए 10 सेक्टरों के 50 ट्रेड चिन्हित किए गए हैं। प्रवासी श्रमिक अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किन्ही तीन ट्रेड/पाठ्यक्रमों में कौशल प्रशिक्षण का विकल्प दे सकेंगे। उद्यमिता और पूंजी के सदुपयोग के नुस्खे सिखाने वाले वीडियो भी इस एप पर उपलब्ध है। इनके जरिए छोटी पूंजी से शुरू किए जाने वाले विभिन्न स्वरोजगारपरक व्यवसायों के बारे में बताया गया है। पूंजी की व्यवस्था करने के लिए मुद्रा ऋण सरीखी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई है। श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रम विभाग की ओर से संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी भी इस एप के जरिए मुहैया कराई गई है। योजनाओं के तहत उपलब्ध सुविधाओं और उनका लाभ पाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी भी दी गई है।

🕔tanveer ahmad

19-06-2020-
लखनऊ । कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाने में सहायता देने के लिए व्यावसायिक शिक्षा...

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बरेली से गिरफ्तार अल-कायदा एजेंट ने उगले कई राज, दो साथियों के बारे में भी दी अहम जानकारियां

बरेली से गिरफ्तार अल-कायदा एजेंट ने उगले कई राज, दो साथियों के बारे में भी दी अहम जानकारियां110

👤19-06-2020-लखनऊ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक को शुक्रवार शाम पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की है। शुरुआती पूछताछ में उसने अपने दो साथियों के बारे में अहम जानकारियां दी हैं। इनामुल के सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़े कुछ संदिग्धों के बारे में भी छानबीन शुरू की गई है। सोशल मीडिया के जरिए जेहादी विचारधारा से प्रभावित होकर अल कायदा के संपर्क में आए इनामुल की गतिविधियां संदिग्ध पाकर एटीएस ने उसे गिरफ्तार किया है। सूत्रों के अनुसार हल्द्वानी (उत्तराखंड) पुलिस ने वर्ष 2014 में मुहम्मद इनामुल हक को मूर्ति तोड़ने के एक मामले में गिरफ्तार किया था। 12वीं फेल इनामुल अच्छी अंग्रेजी बोलता है। उसके मोबाइल फोन से हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद वायरल हुई कुछ तस्वीरें भी मिली हैं। इनमें एक तस्वीर कमलेश तिवारी के शव की भी है। एटीएस उसके मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच कराने की तैयारी भी कर रही है। इनामुल के सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़े कुछ संदिग्धों के बारे में भी छानबीन शुरू की गई है। एटीएस ने बरेली में रह रहे इनामुल को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लखनऊ कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने शुक्रवार सुबह से उसकी 10 दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की थी। एटीएस ने शुक्रवार शाम करीब चार बजे उसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ का सिलसिला शुरू किया है। फिलहाल उसके मोबाइल से हाथ लगी जानकारियां के आधार पर उससे सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि एटीएस उसे बरेली ले जाकर भी छानबीन कर सकती है। इनामुल बरेली में मु.शोएब उर्फ अबु मुहम्मद अल हिंदी के फर्जी नाम से रह रहा था। अल-कायदा से जुड़ा इनामुल दूसरे युवकों को जेहाद के लिए उकसाने की गतिविधियों मेें शामिल था। सोशल मीडिया के जरिए जेहादी विचारधारा से प्रभावित होकर अल कायदा के संपर्क में आए इनामुल की गतिविधियां संदिग्ध पाकर एटीएस ने उसे गिरफ्तार किया है।
🕔tanveer ahmad

19-06-2020-लखनऊ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक को शुक्रवार शाम पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की है। शुरुआती पूछताछ...

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 योगी राज में गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड बकाया भुगतान

योगी राज में गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड बकाया भुगतान653

👤19-06-2020-लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में हर वर्ग की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों का लम्बे समय से बकाया का रिकॉर्ड भुगतान किया है। सीएम योगी ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में गन्ना किसानों के खाते में 418 करोड़ों रुपये की धनराशि ऑनलाइन ट्रांसफर की। इसके साथ ही पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान किसानों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का गन्ना मूल्य भुगतान का उत्तर प्रदेश ने नया रिकॉर्ड भी बनाया। अन्नदाताओं की पाई- पाई चुकाने का संकल्प दोहराने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब गन्ना किसानों का कुल बकाया 15000 करोड़ रुपये रह गया है। इसका भुगतान हम अगले कुछ महीनों में कर देंगे। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रूबरू मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों के परिश्रम और उद्यमिता की सराहना करते हुए कहा की उन्हें सुरक्षा, संरक्षण और खुशनुमा माहौल देने के साथ सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के प्रति प्रतिबद्ध है। अन्नदाताओं ने \'जहां चाह वहां राह\' की कहावत को चरितार्थ करते हुए उत्तर प्रदेश को गन्ना और चीनी उत्पादन में अव्वल बनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार को गन्ना किसानों का आशीर्वाद मिलता रहा है। दोनों सरकारों ने संकटकाल में जूझते हुए भी गन्ना किसानों की समस्याओं के समाधान का रास्ता निकाला है। कोरोना काल से पहले ही जब देश की 25 फीसद चीनी मिलें बंद हो गई थीं तो ऐसी विषम परिस्थितियों में भी उत्तर प्रदेश में सभी चीनी मिलें चलती रही। मार्च के पहले हफ्ते में जब सैनिटाइजर का संकट खड़ा हुआ तो प्रदेश की चीनी मिलों के सहयोग से इसका रिकॉर्ड उत्पादन कर हमने देश के 28 राज्यों के अलावा विदेश में भी मुहैया कराया।
🕔tanveer ahmad

19-06-2020-लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में हर वर्ग की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों का लम्बे समय से बकाया का रिकॉर्ड भुगतान किया है। सीएम योगी...

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कानपुर में तीन साल से सलाखों के पीछे तन्हाई की सजा काट रहा है बंदर

कानपुर में तीन साल से सलाखों के पीछे तन्हाई की सजा काट रहा है बंदर315

👤18-06-2020-
तन्हाई की सजा काट रहा है। इस बंदर को तीन साल से बाड़े से बाहर नहीं निकाला गया है और सलाखों के पीछे ही रखकर उसे शाकाहारी खाना दिया जाता है। यह सजा घोषित तो नहीं है लेकिन यह तय है कि जब तक उसके स्वभाव में परिवर्तन नहीं आता, उसे तन्हाई की सजा काटनी पड़ेगी। यहां कर्मचारी उसकी विशेष निगरानी करते हैं और उसे सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।\r\n\r\n\r\nजानें-क्या है कलुआ की कहानी\r\n\r\n\r\n\r\n\r\nकरीब तीन साल पहले मिर्जापुर से इस बंदर को कानपुर वन्य प्राणि उद्यान लाया गया था। यह बंदर वहां के एक तांत्रिक के साथ रहता था। चूंकि तांत्रिक मांस व मदिरा का शौकीन था और बंदर को भी वही खिलाता था, इसलिए वह भी मांस और शराब का लती हो गया। इस बीच तांत्रिक की मौत हो गई। शराब और मांस मिलना बंद होने से बंदर आक्रामक हो गया। लोगों पर हमला करने लगा। चिडिय़ाघर के पशु चिकित्सकों के अनुसार बंदर इस कदर शराब के प्रति लालायित था कि शराब की दुकानों में घुस जाता था। शराब लेकर जा रहे लोगों पर हमला कर बोतल छीन लेता था। उन्हें काट लेता था। मिर्जापुर में एक तरह उसका आतंक था और तीन सौ से अधिक लोगों को काट चुका था। कानपुर से टीम गई थी और ट्रैंकुलाइज कर उसे पकड़कर लाई थी। मांस और शराब न मिलने के कारण अभी भी उसमें आक्रामकता है। चिडिय़ाघर के पशु चिकित्सक मो. नासिर ने बताया कि इस बंदर का कानपुर में \'मिर्जा लाल मुंह वाला नाम रखा गया है। वहां इसे कलुआ कहते थे। कानपुर लाने के बाद उसे यहां अलग बाड़े में रखकर शाकाहारी खाना दिया लेकिन उसके स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया है। वह अभी भी आक्रामक है और किसी को भी देखकर हमलावर हो उठता है। इसीलिए उसे बाड़े में बंद रखा जाता है। जब तक उसका स्वभाव सही नहीं हो जाता, वह बाड़े में ही रहेगा। वहीं सहायक निदेशक अरविंद कुमार सिंह का कहना है, बंदर को शाकाहारी भोजन दिया जा रहा है। उसके स्वभाव के बारे में एक साल पहले शासन को पत्र लिखा गया था।\r\n
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

18-06-2020-
तन्हाई की सजा काट रहा है। इस बंदर को तीन साल से बाड़े से बाहर नहीं निकाला गया है और सलाखों के पीछे ही रखकर उसे शाकाहारी खाना दिया जाता है। यह सजा घोषित तो नहीं है लेकिन यह...

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हाई कोर्ट ने कोरोना से निपटने के लिए यूपी सरकार के कदमों की सराहना की पर पर्याप्त नहीं माना

हाई कोर्ट ने कोरोना से निपटने के लिए यूपी सरकार के कदमों की सराहना की पर पर्याप्त नहीं माना802

👤18-06-2020-प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोविड-19 से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है लेकिन, उन्हें पर्याप्त नहीं माना। कोर्ट ने कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्थित जांच कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हम हमेशा कोरोना संक्रमण के भय में रह रहे हैं। बाहर निकला कौन सा व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है, उसका पता लगाना जरूरी है। मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना जरूरी है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों व क्वारंटाइन सेंटरों की सुविधाओं की निगरानी के लिए दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं, जिन पर अमल करने के लिए 25 जून को ब्लूप्रिंट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सहायक सालीसिटर जनरल से आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च) से जांच मशीनें वार्डों में स्थापित करने के संबंध में जानकारी लेने को कहा है। इससे पहले कोर्ट ने सरकार से टेस्टिंग में खर्च की जानकारी मांगी थी। इस पर अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि एक व्यक्ति की जांच में ढाई हजार रुपये खर्च आएगा।\r\nप्रयागराज में घर-घर हो जांच : कोर्ट ने कोविड-19 की जांच के लिए प्रदेश में प्रयागराज जिले को सैंपल के रूप में लेने को कहा है। प्रयागराज के हर वार्ड में स्थित प्रत्येक घर से एक व्यक्ति की जांच करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि परिवार का जो सदस्य काम से बाहर निकलता है, उसकी जांच की जाए। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पूरे परिवार को घर या सेंटर पर क्वारंटाइन किया जाए। बाहर से प्रयागराज आने वाले हर व्यक्ति की भी जांच की जाए। साथ ही 15 दिन बाद दोबारा जांच हो। इसके एक महीने बाद पुन: जांच की जाए। इसके लिए वार्डवार सूची तैयार की जाए।\r\nपीड़ितों का चल रहा है इलाज : सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेशभर में अभी तक 94,63,756 घरों में जांच हुई है, जबकि 4,82,71,852 लोगों की टेस्टिंग की गई है। बताया कि प्रदेश में कोरोना पीड़ितों के बेहतर इलाज व टेस्टिंग के लिए 1865 अस्पतालों को चिह्नित किया गया है। इनमें 17.6 लाख मजदूरों का टेस्ट किया गया, जिनमें 3,950 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। उनका इलाज चल रहा है।\r\nएक व्यक्ति के इलाज का खर्च उठाएं : कोर्ट ने कहा कि सरकारी या प्राइवेट कंपनी से वेतन ले रहे लोग अपनी जांच के साथ आर्थिक रूप से कमजोर एक व्यक्ति की जांच का खर्च उठाएं। व्यापारी व उद्योगपति सरकार को आर्थिक सहायता दें। सरकार उन्हें टैक्स में छूट दे।
🕔tanveer ahmad

18-06-2020-प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोविड-19 से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है लेकिन, उन्हें पर्याप्त नहीं माना। कोर्ट ने कोविड-19 को नियंत्रित...

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यूपी के बरेली में रह रहे अल-कायदा एजेंट को एटीएस ने पकड़ा, जेहाद के लिए उकसा रहा था आरोपित

यूपी के बरेली में रह रहे अल-कायदा एजेंट को एटीएस ने पकड़ा, जेहाद के लिए उकसा रहा था आरोपित601

👤18-06-2020-
लखनऊ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक को बरेली से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। मूल रूप से हल्द्वानी (उत्तराखंड) निवासी इनामुल लंबे समय से बरेली में नाम बदलकर रह रहा था। बरेली में वह मु.शोएब उर्फ अबु मुहम्मद अल हिंदी के नाम से रह रहा था। अल-कायदा से जुड़ा इनामुल दूसरे युवकों को जेहाद के लिए उकसाने व आतंकी संगठन से जोड़ने की गतिविधियों में लिप्त था। उसके विरुद्ध थाना लखनऊ एटीएस में यूएपी अधिनियम समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपित को लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। एटीएस की अर्जी पर कोर्ट ने उसकी 10 दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की है। एटीएस शुक्रवार सुबह उसे कस्टडी रिमांड पर लेकर नए सिरे से पूछताछ शुरू करेगी। एडीजी एटीएस डीके ठाकुर ने बताया कि आरोपित इनामुल बरेली की डॉ.रियाज कालोनी, कटघर में किराये पर रह रहा था। वह सोशल मीडिया के जरिए जेहादी विचारधार से प्रभावित हुआ था और अल-कायदा के संपर्क में आ गया था। सोशल मीडिया पर निगरानी के दौरान एटीएस को उसके बारे में अहम जानकारियां हाथ लगी थीं, जिसके बाद उसकी गतिविधियों पर नजर रखी गई। पुख्ता जानकारियां जुटाने के बाद इनामुल को गिरफ्तार किया गया है। अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक मुरादाबाद, बुलंदशहर, शाहजहांपुर समेत अन्य जिलों के युवकों को जेहाद के लिए उकसाने का काम कर रहा था। मुहम्मद इनामुल हक युवकों को आतंकी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित करने की बातें कर रहा था। उसके मोबाइल से अल-कायदा द्वारा प्रकाशित साहित्य भी बरामद हुआ है। उसके सोशल मीडिया अकाउंट खंगाले जा रहे हैं। मुहम्मद इनामुल हक के संपर्क में आए युवकों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है। आरोपित के कब्जे से एक मोबाइल फोन व दो सिम बरामद हुए हैं।

🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

18-06-2020-
लखनऊ। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने प्रतिबंधित संगठन अल-कायदा के एजेंट मुहम्मद इनामुल हक को बरेली से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। मूल रूप से हल्द्वानी (उत्तराखंड)...

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न एयर फंड द्वारा एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85% लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिये कठोर कानून लाया जाये और नियमो का पालन किया जाये। साथ ही 90% भारतीय अपने शहर की हवा को साफ देखना चाहते हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य और पर्यावरण का खतरा माना है। क्लीन एयर फंड के कार्यकारी निदेशक जेन बर्स्टन ने कहा, ‘दुनिया भर के लोग अपनी सरकार से साफ हवा की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन जैसे ही खत्म होगा और आर्थिक गतिविधी शुरु होगी, लोग फिर से खराब हवा में सांस नहीं लेना चाहते।’ क्लीन एयर फंड ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक विशेष स्वास्थ्य और पर्यावरण नीति बनाने, कोरोना संकट से निपटने के लिये जारी आर्थिक पैकेड में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय पर फोकस करने, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए शहर की सड़कों को अनुकूल बनाने, और लॉकडाउन के दौरान अनुभव किये साफ हवा और नीले आकाश को जारी रखने के लिये नीति बनाने की मांग की है। जेन बर्सटन ने आगे जोड़ा, “हवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कार्रवाई अभी संभव और लोकप्रिय है और इससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी मदद मिलेगी। सरकारों को साफ हवा के लिये मिल रहे इस व्यापक सार्वजनिक समर्थन का इस्तेमाल करना चाहिए और हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पोस्ट-कोविड रिकवरी पैकेज का उपयोग करना चाहिए।” लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है,  उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, 60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 'बहुत अच्छा, 30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।  रिपोर्ट हमारे प्रमुख क्षेत्रों में सार्वजनिक दृष्टिकोण को सारांशित करती है और उन प्रमुख कदमों पर प्रकाश डालती है जो सरकारों को COVID 19 से वापसी के बाद स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए आवश्यक होगी। इसमें भारत, पोलैंड, नाइजीरिया, ग्रेट ब्रिटेन और बुल्गारिया में हमारे मतदान के परिणाम शामिल हैं - और सरकारों को COVID -19 से पुनर्निर्माण की योजनाओं के साथ ही स्वच्छ हवा की रणनीति बनाने के लिए सिफारिशें करता है। पूरे भारत में सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि: लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है  उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 'बहुत अच्छा 30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ‘एक उचित राशि ‘

न एयर फंड द्वारा एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85% लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिये कठोर कानून लाया जाये और नियमो का पालन किया जाये। साथ ही 90% भारतीय अपने शहर की हवा को साफ देखना चाहते हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य और पर्यावरण का खतरा माना है। क्लीन एयर फंड के कार्यकारी निदेशक जेन बर्स्टन ने कहा, ‘दुनिया भर के लोग अपनी सरकार से साफ हवा की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन जैसे ही खत्म होगा और आर्थिक गतिविधी शुरु होगी, लोग फिर से खराब हवा में सांस नहीं लेना चाहते।’ क्लीन एयर फंड ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक विशेष स्वास्थ्य और पर्यावरण नीति बनाने, कोरोना संकट से निपटने के लिये जारी आर्थिक पैकेड में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय पर फोकस करने, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए शहर की सड़कों को अनुकूल बनाने, और लॉकडाउन के दौरान अनुभव किये साफ हवा और नीले आकाश को जारी रखने के लिये नीति बनाने की मांग की है। जेन बर्सटन ने आगे जोड़ा, “हवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कार्रवाई अभी संभव और लोकप्रिय है और इससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी मदद मिलेगी। सरकारों को साफ हवा के लिये मिल रहे इस व्यापक सार्वजनिक समर्थन का इस्तेमाल करना चाहिए और हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पोस्ट-कोविड रिकवरी पैकेज का उपयोग करना चाहिए।” लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है,  उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, 60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 'बहुत अच्छा, 30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।  रिपोर्ट हमारे प्रमुख क्षेत्रों में सार्वजनिक दृष्टिकोण को सारांशित करती है और उन प्रमुख कदमों पर प्रकाश डालती है जो सरकारों को COVID 19 से वापसी के बाद स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए आवश्यक होगी। इसमें भारत, पोलैंड, नाइजीरिया, ग्रेट ब्रिटेन और बुल्गारिया में हमारे मतदान के परिणाम शामिल हैं - और सरकारों को COVID -19 से पुनर्निर्माण की योजनाओं के साथ ही स्वच्छ हवा की रणनीति बनाने के लिए सिफारिशें करता है। पूरे भारत में सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि: लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है  उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है 'बहुत अच्छा 30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ‘एक उचित राशि ‘764

👤18-06-2020-न एयर फंड द्वारा एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85% लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिये कठोर कानून लाया जाये और नियमो का पालन किया जाये। साथ ही 90% भारतीय अपने शहर की हवा को साफ देखना चाहते हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य और पर्यावरण का खतरा माना है। क्लीन एयर फंड के कार्यकारी निदेशक जेन बर्स्टन ने कहा, ‘दुनिया भर के लोग अपनी सरकार से साफ हवा की मांग कर रहे हैं। लॉकडाउन जैसे ही खत्म होगा और आर्थिक गतिविधी शुरु होगी, लोग फिर से खराब हवा में सांस नहीं लेना चाहते।’ क्लीन एयर फंड ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक विशेष स्वास्थ्य और पर्यावरण नीति बनाने, कोरोना संकट से निपटने के लिये जारी आर्थिक पैकेड में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय पर फोकस करने, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए शहर की सड़कों को अनुकूल बनाने, और लॉकडाउन के दौरान अनुभव किये साफ हवा और नीले आकाश को जारी रखने के लिये नीति बनाने की मांग की है। जेन बर्सटन ने आगे जोड़ा, “हवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कार्रवाई अभी संभव और लोकप्रिय है और इससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी मदद मिलेगी। सरकारों को साफ हवा के लिये मिल रहे इस व्यापक सार्वजनिक समर्थन का इस्तेमाल करना चाहिए और हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पोस्ट-कोविड रिकवरी पैकेज का उपयोग करना चाहिए।” लगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है,  उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, 60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है \'बहुत अच्छा, 30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। \r\nरिपोर्ट हमारे प्रमुख क्षेत्रों में सार्वजनिक दृष्टिकोण को सारांशित करती है और उन प्रमुख कदमों पर प्रकाश डालती है जो सरकारों को COVID 19 से वापसी के बाद स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए आवश्यक होगी। इसमें भारत, पोलैंड, नाइजीरिया, ग्रेट ब्रिटेन और बुल्गारिया में हमारे मतदान के परिणाम शामिल हैं - और सरकारों को COVID -19 से पुनर्निर्माण की योजनाओं के साथ ही स्वच्छ हवा की रणनीति बनाने के लिए सिफारिशें करता है।\r\nपूरे भारत में सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि:\r\nलगभग सभी भारतीय सोचते हैं कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है\r\n उत्तरदाताओं का 94% लगता है कि वायु प्रदूषण उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है\r\n60% को लगता है कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है \'बहुत अच्छा\r\n30% सोचते हैं कि यह उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ‘एक उचित राशि ‘
🕔tanveer ahmad

18-06-2020-न एयर फंड द्वारा एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85% लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिये कठोर कानून लाया जाये और नियमो का पालन किया जाये। साथ ही 90% भारतीय अपने...

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