प्रदेश की भाजपा सरकार में बढ़ा पत्रकारों पर जुल्म By shahzan abbas naqvi2019-08-30
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30-08-2019-राज्यपाल से की पत्रकारों सुरक्षा और उनपर हुए अत्याचार पर न्याय की मांगगौतमबुद्ध नगर। जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तब से यूपी पुलिस का अत्याचार आमजनता पर तो बढ़ा है साथ ही आए दिन पत्रकारों पर भी पुलिस का अत्याचार भी बढ़ गया है। पत्रकार अगर पुलिस द्वारा किया जा रहा अत्याचार को उजागर करता है तो पुलिस उसके खिलाफ फर्जी मुकदमें में फंसाकर जेल भेज देती है। ऐसी घटनाएं प्रदेश आए दिन हो रहीं है। इस पर न तो पुलिस विभाग का आलाअधिकारी ध्यान दे रहें है और ना ही प्रदेश की सरकार कोई कार्रवाई कर रही है। इसी कारण प्रदेश में पुलिस का अत्याचार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने यूपी के राज्यपाल से पत्रकारों की सुरक्षा और उनपर हुए अत्याचार पर न्याय की मांग सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीन, हाईकोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीन, प्रधानमंत्री, राष्टï्रपति, गृहमंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मुख्य सचिव से की है। उन्होने बताया कि सरकार के चौथा स्तम्भ माने जाने वाले मीडियाकर्मियों की कलम पर रोक लगाने के लिए पत्रकारों पर गैंगस्टर तक की कार्यवाही प्रदेश के पुलिसकर्मियों व प्रशासन द्वारा की जा रही है जिसका उदाहरण नोएडा और लखनऊ के पत्रकारों के साथ जिला गौतमबुद्ध नगर की पुलिस व प्रशासन ने फर्जी तौर पर गैंगस्टर अधिनयम में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके कार्यवाही की गई है। उन्होने बताया कि गौतमबुद्ध नगर जिले के बीटा- 2 थाने की पुलिस ने पांच पत्रकारों को अनुचित प्रकार से लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा से गिरफ्तार किया था। तथा विधिविरुद्ध प्रकार से गिरफ्तार पत्रकारों के ऑफिस में नोएडा पुलिस ने तोडफ़ोड़ कर सीसीटीवी नोंच डाले और डीवीआर उठा ले गए जो कि स्वय में एक गंभीर अपराध है। वही दूसरी ओर गिरफ्तार किए गए पत्रकारों पर पुलिस ने मनमाने प्रकार से गैंगस्टर के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया और आधारहीन आरोप लगाया कि गिरफ्तार किए गए फर्जी पत्रकार हैं। पुलिस ने आरोप लगाया कि वह अफसरों को ब्लैकमेल करते थे। लेकिन पुलिस जिन अफसरों को ब्लैकमेल करने की बात की है उनमें से किसी ने भी इन पत्रकारों के खिलाफ न तो कोई शिकायत की और न ही किसी थाने में कोई एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होने कहा कि पुलिस के पास भी कोई सुबूत नहीं थे और न ही प्रेस वार्ता में पुलिस व प्रशासन ने मीडिया के सामने रखा जिसकी वजह से मीडिया जगत में पत्रकारों पर गैंगस्टर लगाने जैसी कार्रवाई करने पर हलचल मची हुई है। उन्होने कहा कि इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय द्वारा जांच कराकर कार्रवाई करने का कष्टï करें।
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