सुविधाएं न इमदाद फिर भी छा रही भेंवई की बेटियां By tanveer ahmad2019-09-01
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01-09-2019-तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो।
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो।।न कोई सरकारी सुविधा न ही कुशल प्रशिक्षण। फिर भी इन्हीं लाईनों को मूल मंत्र मानकर अमेठी जिले के भादर विकास खंड के भेंवई पूरे शुक्लान गांव की बेटियां अपने दम पर देश दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं। घरों की डयोढ़ी को लांघकर ये बेटियां पूरी दुनिया में छा जाने को बेताब हैं। इनके सफर की सटीक शुरुआत भी हो चुकी है। सुधा सिंह से लेकर नेहा सिंह जैसी धाविकाएं देने वाली आसल की मिट्टी से निकलकर कई नायाब कोहिनूर अपनी छटा बिखेर रहे हैं। बुधवार को लखनऊ के महानगर स्थित 35वीं वाहिनी पीएसी क्रीड़ा संकुल में भेंवई की बेटी फूलन पाल ने देश के सभी राज्यों के साथ ही एशिया के कई देशों की एथलेटिक्स को पछाड़ते हुए दस हजार मीटर रेस में स्वर्ण पदक हासिल किया। फूलन ने यह कारनामा 59वीं राष्ट्रीय राज्य स्तरीय सीनियर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कर दिखाया। गांव पहुंचने पर फूलन का जोरदार स्वागत किया गया। अब फूलन की निगाहें दोहा में होने वाली विश्व चैंपियनशिप पर हैं। फूलन की तरह ही उनकी बहन अंतिमा पाल भी उड़न परी बनने की राह पर है। अंतिमा की उम्र अभी सोलह वर्ष से भी कम है। अंतिमा अपने आयु वर्ग में अब तक पांच बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीत चुकी है।पूरा परिवार ही एथलीट
भेंवई के पूरे शुक्लान गांव के पाल परिवार के सभी बच्चे एथलीट हैं। पूनम के भाई अभिषेक पाल कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। अभी हाल में ही में ग्लोबल कंपनी द्वारा जर्मनी में आयोजित प्रतियोगिता में अभिषेक ने स्वर्ण पदक जीता था। इसके अतिरिक्त भाई राहुल पाल ने पिछले रविवार को महाराष्ट्र मैराथन में रजत पदक जीता था। एक अन्य भाई उपेंद्र पाल, प्रवेश पाल व संदीप पाल भी लगातार विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक जीत रहे।चाचा कोच और ट्रेनर
इन सबकी सफलता के पीछे इनके चाचा कमलेश पाल उर्फ गांधी का हाथ है। कमलेश पाल को पहले खुद खिलाड़ी बनने का जुनून था। दुर्घटनावश वे सफल नहीं हुए तो पूरी ऊर्जा परिवार के बच्चों पर लगा रहे। उन्होंने बताया कि जो भी कमाता हूं, इन्हीं बच्चों पर खर्च करता हूं। इनके साथ गांव के अन्य बच्चों को भी ट्रेनिंग देता हूं। मेरा सपना है कि मेरे गांव के बच्चे ओलंपिक में स्वर्ण लाएं।नहीं मिली कोई इमदाद
अपने प्रदर्शन से जिले और प्रदेश के साथ देश का नाम रोशन कर रहे इन खिलाड़ियों को किसी स्तर से कोई मदद नहीं मिली है। इस संबंध में जिला क्रीड़ाधिकारी विमला सिंह कहती हैं कि अगर खिलाड़ी स्टेडियम आ सकें तो उनको पूरा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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