मायावती के तत्कालीन सचिव समेत दो को अदालत से समन By tanveer ahmad2019-09-03

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03-09-2019-विशेष एडीजे संदीप गुप्ता ने धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे अनिल संत व यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम, लखनऊ के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक आनंद संत को समन जारी किया है। जबकि भ्रष्टाचार के एक दूसरे मामले में भी आनंद संत के साथ ही उप्र समाज कल्याण निर्माण निगम, लखनऊ के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल गुप्ता व देवेंद्र नाथ वर्मा को भी 17 सितंबर के लिए समन जारी किया है। 11 अप्रैल़, 2019 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने इस मामले में इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468 व 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में संज्ञान लिया था। साथ ही इन सबके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए शासन को अभियोजन स्वीकृति का पत्र भी जारी किया था। विशेष अदालत ने यह आदेश सुनील गुप्ता की रिवीजन अर्जी व उनके एक परिवाद को मंजूर करते हुए दिया था। साथ ही निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया था। अदालत ने सुनील गुप्ता को भी यह आदेश दिया था कि वो अभियोजन स्वीकृति के लिए जारी नोटिस की पैरवी अविलंब करें। इधर, 90 दिन की तय मियाद के बाद इस मामले में अभियुक्तों के पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की मंजूरी नहीं मिल सकी। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के प्रकाश में इन सभी अभियुक्तों को समन जारी करने का आदेश दिया है।भ्रष्टाचार का पहला मामला
सात फरवरी, 2013 को निचली अदालत ने सुनील कुमार गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी थी। उन्होंने इस अर्जी में अनिल, आनंद व अजय के खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। उनका आरोप था कि समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड, लखनऊ में मुख्य महाप्रबंधक पद पर आनंद संत की नियुक्ति पूरी तरह असंवैधानिक है। जो भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव अनिल संत ने इस कार्य में अपने पद का दुरुपयोग किया था। उन्होंने निर्धारित योग्यता नहीं होने के बावजूद विभागीय नियमावली में हेरफेर करके अपने छोटे भाई आनंद संत की प्रो्न्तित इस पद पर करा दी। भ्रष्टाचार का दूसरा मामला
सुनील ने निचली अदालत से यह अर्जी खारिज होने के बाद जरिए रिवीजन अर्जी इसे सत्र अदालत में चुनौती दी। भ्रष्टाचार का दूसरा मामला सुनील ने इसके साथ ही सत्र अदालत में एक परिवाद भी दाखिल किया था। जिसमें आनंद संत के साथ ही अजय कुमार श्रीवास्तव, हीरालाल गुप्ता व देवेंद्र नाथ वर्मा तथा गिरीश वल्लभ मिश्रा के खिलाफ भी धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाने की मांग की थी। उनका आरोप है कि वर्ष 2002 से 2012 के मध्य इन विपक्षीगणों ने बगैर शासनादेश व वित्त नियमों को दरकिनार कर 2176़14 करोड़ का टेंडर अपने चहेतों को जारी किया था। फिलहाल इस मामले में हाईकोर्ट से अजय कुमार श्रीवास्तव व गिरीश वल्लभ मिश्रा को राहत प्राप्त है।

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