बिजली का बढ़ा बिल अक्तूबर से, उपभोक्ताओं पर सितम, कंपनियों पर करम By tanveer ahmad2019-09-05
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05-09-2019-नई बिजली दरों के लागू होने के बाद आपकी जेब पर इसका असर अक्तूबर में पड़ेगा। अक्तूबर में जो बिल आएगा उसमें बढ़ी हुई दरों के अनुसार बिलिंग होगी। प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने बताया कि एक सप्ताह में नोटिफिकेशन जारी कर दी जाती है। उसी दिन से नई दरें लागू मानी जाती हैं। उपभोक्ताओं को अगले महीने बिल मिलता है तब उन्हें भुगतान करना होता है। वहीं, उपभोक्ता परिषद का दावा है कि टैरिफ आदेशों में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के 13337 करोड़ निकल रहे हैं। यह रकम उपभोक्ताओं को लौटाने के आदेश देने चाहिए थे।उपभोक्ताओं पर सितम, बिजली कंपनियों पर करमनए बिजली टैरिफ में उपभोक्ताओं पर भले ही भारी बोझ डाल दिया गया है लेकिन बिजली कंपनियों के लिए यह फायदेमंद साबित होगा। नए टैरिफ आदेशों से बिजली कंपनियों को लगभग 278 करोड़ रुपये से अधिक के फायदे का अनुमान रखा गया है। आयोग के टैरिफ आदेशों के बाद यूपी पॉवर कारपोरेशन को लगभग
3872 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। पावर कॉर्पोरेशन ने 2019-20 के लिए आयोग में 75,199.92 करोड़ रुपये का एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यक ता) प्रस्ताव दिया था।नियामक आयोग ने 69,488.78 करोड़ रुपये का एआरआर अनुमोदित किया है। कॉर्पोरेशन ने राज्य सरकार की ओर से 9120 करोड़ रुपये की सब्सिडी
मिलने की जानकारी दी थी जबकि आयोग ने इसे 9104 करोड़ रुपये ही माना है। कुल 2.93 करोड़ बिजली उपभोक्ताप्रदेश में कु ल 2.934 करोड़ बिजली उभोक्ता हैं। इनमें सबसे अधिक 2.61 करोड़ घरेलू श्रेणी के हैं। पावर कारपोरेशन लागत कम करे तभी मिलेगी सस्ती बिजलीलोगों को बिजली सस्ती मुहैया कराना है तो यूपी पावर कारपोरेशन को अपनी लागत में कमी करनी पड़ेगी। पीक आवर्स में कम राजस्व देने वालों क्षेत्रों में बिजली
आपूर्ति की बाध्यता को कम करना होगा और महंगी बिजली सप्लाई करने वाले पावरप्लांट से हुए समझौतों को रद किया जाना चाहिए। पूर्व इंजीनियर अखिल कुमार
श्रीवास्तव का कहना है कि जब बिजली महंगी खरीदी जाएगी तो उसके लिए भुगतान भी करना ही होगा और यह बोझ उपभोक्ताओं पर ही आएगा। इसलिए लागत पर नियंत्रण जरूरी है।वृद्धि लोगों के लिए बड़ा झटका: अखिलेशसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है, आर्थिक मंदी के इस दौर में बिजली दरों में वृद्धि किया जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। प्रदेश के पौने तीन करोड़ उपभोक्ताओं के साथ यह अन्याय से कम नहीं है। अखिलेश ने कहा है कि एक तरफ घटती आय, मांग और बढ़ती लागत की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है। ऐसे में प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं। ग्रामीण श्रेणी के उपभोक्ताओं को पहले से 15 फीसद अधिक बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा। यूपी पावर कार्पोरेशन की विफलता को ढंकने के लिए ही कोयले की कीमत में बढ़ोत्तरी और बिजली के उत्पादन लागत में वृद्धि का बहाना बनाया जा रहा है।
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