पीसीडीएफ के सैकड़ों कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत By tanveer ahmad2019-10-24
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24-10-2019-हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फ़ेडरेशन (पीसीडीएफ) के सैकड़ों कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी देने के सहायक श्रम आयुक्त, लखनऊ के आदेश को बरकरार रखते हुए, पीसीडीएफ की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ग्रेच्युटी प्रदान किये जाने के मामलों में ग्रेच्युटी अधिनियम पर स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना या अन्य किसी नियम का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने पीसीडीएफ की ओर से सहायक श्रम आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए, पारित किया है। सहायक श्रम आयुक्त ने सैकड़ों कर्मचारियों के प्रार्थना पत्रों पर अलग-अलग आदेश पारित करते हुए, पीसीडीएफ को ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश दिये थे।दरअसल 24 सितंबर 2015 को पीसीडीएफ की ओर से स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (वीआरएस) लाई गई जिसमें कहा गया कि वीआरएस लेने वाले सभी कर्मचारियों को पीसीडीएफ की ग्रेच्युटी योजना के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा। 30 सितंबर 2015 को इसे स्पष्ट करते हुए, कहा गया कि साढे तीन लाख रुपये से अधिक ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान नहीं किया जाएगा। जिसके बाद तमाम कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया व फरवरी 2016 तक साढे तीन लाख रुपये की ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान उन्हें प्राप्त हो गया। बाद में कर्मचारियों की ओर से ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कुल साढे छह लाख रुपये के ग्रेच्युटी के भुगतान की मांग की गई।कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 14 को उद्धत करते हुए कहा कि ग्रेच्युटी अधिनियम की उक्त धारा यह स्पष्ट करती है कि कोई भी करार या को-ऑपरेटिव सोसायटीज एक्ट अथवा कोई अन्य नियम ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत भुगतान करने के आड़े नहीं आ सकता। वहीं कोर्ट ने पीसीडीएफ द्वारा दिये वितीय संकट की दलील को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान करने का उसका दायित्व है, वह यह कहकर नहीं बच सकता कि उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है।
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