कानपुर के अफसर बेफिक्र और पूरा शहर प्रदूषण से बेहाल By tanveer ahmad2019-11-01
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01-11-2019-पूरा शहर वायु प्रदूषण से बेहाल है और अफसर बेफिक्र हैं। किसी ने इस तरफ ध्यान तक देना मुनासिब नहीं समझा। जगह-जगह खुदाई और खस्ताहाल सड़कों से उड़ती धूल हर दिन प्रदूषण बढ़ा रही है। नगर निगम के कर्मचारी कूड़ा घरों से कूड़ा उठाने की बजाय उसे जला दे रहे हैं। हालत यह है कि धुए के गुबार ने शहर को ढक रखा है। सुबह-शाम सांस लेना मुश्किल हो रहा है। गुरुवार को वायु प्रदूषण के मानचित्र में शहर डार्क रेड जोन में चला गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शहर में पीएम-2.5 का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया। अन्य गैसों ने भी इस प्रदूषण को खतरनाक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मौसम भी प्रतिकूल रहने से शहर को प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिल सकी। सुबह 11 बजे तक के आंकड़ों के आधार पर शहर का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 435 रहा।
दीपावली से ठीक एक दिन पहले वायु प्रदूषण बढ़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह छह दिन बाद भी जारी है। इसके कम होने की कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही है। पिछले छह दिवसों के बाद पहली बार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के आधार पर कानपुर का नाम एक्यूआई लिस्ट में जारी किया है। प्रदूषण अधिक है लेकिन सीपीसीबी के प्रदूषण मापने वाले सर्वर या तो फेल हैं या ऑनलाइन इसकी मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है। यह स्थिति दीपावली से पहले बनी हुई है।
शहर का बुरा हाल : यूपीपीसीबी के शाम छह बजे के आंकड़े बताते हैं कि पीएम-2.5 की मात्रा पिछले 24 घंटों में अधिकतम 424 तक पहुंची। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। इसी तरह ओजोन का स्तर अधिकतम 78.4 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा। सल्फर डाईऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 40.2 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। नाइट्रोजन डाईऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 86.45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। नाइट्रस ऑक्साइड की अधिकतम मात्रा भी 94.2 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पर पहुंच गई। यह सभी अपने मानकों से कई गुना अधिक हैं। धूल-धुएं के कणों के साथ इंसान और जानवरों के अलावा वनस्पति के लिए भी बेहद खतरनाम मानी जाने वाली गैसों का स्तर भी सभी सीमाएं लांघ गया है।
खुदाई है प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण : शहर में जल निगम और केस्को के स्तर से की जा रही बेतरतीब खुदाई प्रदूषण बढ़ा रही है। इन विभागों के अलावा स्थानीय प्रशासन ने भी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके इस प्रदूषण को रोकने की कोई कोशिश नहीं की है। दिन भर चल रही खुदाई के कारण धूल-धुएं के बारीक कण यानी पीएम-2.5 ही नहीं पीएम-10 स्तर के कण भी हवा में लगातार तैर रहे हैं। यह सांस के माध्यम से लोगों के फेफड़ों तक पहुंच रहे हैं। धीरे-धीरे यह शहरवासियों को बड़े खतरे में डाल सकते हैं। दीपावली के लिए पीएम 2.5 का स्तर 1166 पहुंचा था लेकिन तब आतिशबाजी एक वजह थी। पर अब खुदाई के कारण धूल के कण बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। धुएं के कण भी अधिक हैं।
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