भाजपा को संजीवनी, सपा-कांग्रेस रणनीति बनाने में जुटीं By tanveer ahmad2019-11-10
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10-11-2019-अयोध्या विवाद में फैसला आने के बाद सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। सियासी जानकार इसे जहां भाजपा के लिए एक बार फिर फायदे का सौदा करार दे रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस के लिए संघर्ष की राजनीति के दिन अभी खत्म होते नहीं दिख रहे। कुछ ऐसी ही हालत मुस्लिम मतों के लिए हाथ-पैर मारने की कवायद में जुटी बहुजन समाज पार्टी की भी है। वैसे पूरे अयोध्या प्रकरण को राजनीतिक नफा- नुकसान के नजरिए से देखा जाए तो भाजपा के लिए यह मुद्दा एक बार फिर संजीवनी बन सकता है। इसका फायदा उसे आने वाले दिनों में मिल सकता है। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी इस मुद्दे से मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने में सफलता पाई लेकिन कांग्रेस लगातार इससे नुकसान में ही रही।\r\nभाजपा को फिर फायदे की उम्मीद
जानकारों की मानें तो भाजपा के लिए एक बार फिर नफे की जमीन तैयार होती नज़र आ रही है। भाजपा इसी मुद्दे के भरोसे शून्य से शिखर तक पहुंची और केंद्र व उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। यह बात दीगर है कि वक्त के साथ उसके एजेंडे में राममंदिर मुद्दा मुखर रूप से शामिल नहीं रहा लेकिन संघ व उसके आनुषंगिक संगठन इसे जरूर मुद्दा बनाए रहे और पार्टी इसे पर सधी रणनीति अपनाए रही। अब इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर वर्ष 2022 में सत्ता तक पहुंचने की कोशिश करे तो हैरत नहीं।\r\nसपा फैसले के बाद ऊहापोह में
भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी ही ऐसा दल रहा जिसे अयोध्या मुद्दे ने संजीवनी दी। भाजपा के आयोध्या आंदोलन के मुखर विरोध के चलते समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा मुलायम सिंह की पार्टी को चार बार सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला। फैसले के बाद अब कयास लगाया जाने लगा है कि सपा को एक बार नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी। मौजूदा वक्त में सपा पहले वर्ष 2017 में कांग्रेस और वर्ष 2019 में बसपा से गठबंधन के बाद खुद को अकेले लड़ने के लिए तैयार कर रही थी। फैसले से उसके इस प्रयास को झटका लग सकता है।\r\nअब तक नुकसान में रही कांग्रेस को दिखी नई उम्मीद\r\nसंयोग देखिए। ठीक 30 साल पहले आज ही के दिन 9 नवंबर 1989 को कांग्रेस ने अयोध्या में शिलान्यास कराया था और केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार का यह फैसला यूपी में कांग्रेस की विदाई का सबब बना। पूरे 30 साल से पार्टी देश के सबसे बड़े राज्य में हाशिए पर है और मौजूदा समय में भी चौथे नंबर की पार्टी है। इस प्रकरण में लगातार घाटे में रही कांग्रेस को फैसले से उम्मीद नज़र आ रही है कि अनुच्छेद - 370 के बाद अब राममंदिर मुद्दा भी भाजपा की झोली से दूर हो जाएगा। भावनाओं के ज्वार में सियासी लाभ उठाने की पहले जैसी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाएंगी और स्थानीय मुद्दों के साथ रोजगार जैसे मुद्दे प्रभावी होंगे।
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