कृषि क्षेत्र में तीन बड़े कानूनी सुधारों की घोषणा, किसानों की निश्चित आमदनी और हितों पर सरकार का जोर By tanveer ahmad2020-05-15
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15-05-2020-
नई दिल्ली। तात्कालिक लाभ की गुंजाइश जरूर कम है लेकिन कोरोना काल में सरकार ने कृषि क्षेत्र और किसानों को पुरानी बेडि़यों से मुक्त कर खुला आकाश दे दिया है। सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन, एपीएमसी एक्ट और एग्रीकल्चर प्रोड्यूस प्राइस एंड क्वालिटी एश्योरेंस जैसे तीन बड़े सुधारों को हरी झंडी देकर न सिर्फ अऩ्नदाता की झोली भरने की राह बना दी बल्कि बल्कि भारत को दुनिया का प्रमुख खाद्यान्न आपूर्ति का केंद्र बना सकता है। दरअसल यह ऐसा फैसला है जो चुनौती को अवसर का काल बना सकता है। अभी तक किसान राज्यों के एग्रीकल्चरल प्रोड्यूश मार्केटिंग कमेटी एक्ट (APMC Act) के दायरे में आते थे। उसी कानून के तहत किसान अपनी उपज निश्चित मंडी के लाइसेंसधारी आढ़ती को बेचने के लिए बाध्य़ होता रहा है। कृषि उपज के अंतरराज्यीय कारोबार करने की छूट मिल गई है। जबकि इस तरह का प्रतिबंध किसी और उत्पाद पर नहीं लगाया गया है। सरकार ने किसानों को इससे मुक्त करने की घोषणा की है। कृषि क्षेत्र के लिए दूसरा कानूनी सुधार आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में किया गया है। इस कानून की प्रतिबंधित सूची से अनाज, कृषि खाद्य सामग्री, तिलहन, खाद्य तेल, दालें, प्याज औ आलू को बाहर कर दिया गया है। इससे इस क्षेत्र में जहां निवेश बढ़ेगा वहीं किसानों को उनकी उपज का बेहतर प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त होगा। आर्थिक पैकेज की घोषणा के क्रम में तीसरे दिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि और उससे संबद्ध विभिन्न क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रावधान किए हैं। राहत पैकेज में कृषि क्षेत्र के साथ पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, खाद्य प्रसंस्करण, जड़ी-बूटी, शहद उत्पादन और आपरेशन ग्रीन की कमजोर कडि़यों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया है। राहत पैकेज में कृषि क्षेत्र के लिए लगभग 1.65 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की। कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार की लंबे समय से अटकी गाड़ी को एक झटके में पटरी पर ला दिया है। इससे किसान अब \'कभी भी और कहीं भी\' अपनी उपज बेफिक्र होकर ले जाने और बेचने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा। सरकार इसके लिए एक केंद्रीय कानून लाएगी।
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