व्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच टकराव बढ़ा, प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई को लेकर अकेले पड़े ट्रंप By एजेंसी2020-06-07
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07-06-2020-वाशिंगटन। अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हिंसक प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-थलग पड़ गए हैं। इस मामले को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच तनाव बढ़ गया है। इस सैन्य कार्रवाई के खिलाफ अमेरिकी रक्षा विभाग के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर ने इस्तीफा के बाद इसे लेकर ट्रंप प्रशासन में दो फाड़ हो गई है। व्हाइट हाउस के समक्ष ताजा प्रदर्शनों ने एक बार फिर इसे हवा दी है। इस उम्मीद से कि एक बार फिर ट्रंप सैन्य कार्रवाई का स्टैंड ले सकते हैं।\r\nट्रंप के कार्यकाल में दो बार बढ़ा तनाव \r\nव्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच यह संघर्ष सामान्य नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में यह दूसरा मौका है, जब पेंटागन और व्हाइट हाउस के बीच टकराव उत्पन्न हुआ है। ट्रंप के कार्यकाल में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब रक्षा विभाग के शीर्ष पदों पर बैठे लोग इस्तीफे के लिए बाध्य हुए हैं। इस घटना से जाहिर तौर पर अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठा को आधात पहुंचा है। इस सैन्य कार्रवाई के खिलाफ अमेरिकी रक्षा विभाग के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर ने इस्तीफा के बाद इसे लेकर ट्रंप प्रशासन में दो फाड़ हो गई है। \r\nराजनीतिक उपकरण बनने का खतरा \r\nनिश्चित रूप से संविधान के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को संघीय सैनिकों के उपयोग की असीम शक्ति है, लेकिन देश के अंदर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना के इस्तेमाल पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसे लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। कई हलके में राष्ट्रपति के इस दृष्टिकोण को लेकर नाराजगी और बेचैनी देखने को मिल रही है। आलाचकों का कहना है अमेरिकी सेना का राजनीतिक उपकरण के रूप प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। ट्रंप की यह कार्रवाई इसके लिए प्रेरित कर रही है। अमेरिकी जनता का सेना के प्रति अगाध आस्था है। सेना को सुदृढ़ बनाने में देश वासियों का बड़ा योगदान है, क्योकि सेना के लिए एक बड़ा बजट सुनिश्चित किया जाता है। आलोचकों का कहना है कि यह इस भावना के खिलाफ बड़ा धक्का है।
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