उत्तर प्रदेश में कामगारों और श्रमिकों को रोजगार देने के लिए बना आयोग By tanveer ahmad2020-06-16
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16-06-2020-लखनऊ। कोरोना आपदा काल से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के बीच कामगारों और श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग गठित करने का निर्णय लिया है। प्रशासकीय रूप में गठित यह आयोग एक उच्च स्तरीय संस्था होगी जिसका उद्देश्य सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित कर प्रदेश के प्रवासी और निवासी कामगारों व श्रमिकों को उनकी क्षमता के अनुरूप रोजगार मुहैया कराना है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आयोग के गठन समेत कुल 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने कामगारों और श्रमिकों के व्यापक हित में आयोग का गठन किया है। मुख्यमंत्री ने इस आयोग के गठन का निर्देश दिया था। मंगलवार को इसका शासनादेश भी जारी हो गया। सरकार के प्रवक्ता व एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री आयोग के अध्यक्ष होंगे। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री इसके संयोजक होंगे। आयोग के दो उपाध्यक्ष होंगे जिनमें एक औद्योगिक विकास मंत्री तथा दूसरे सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री होंगे। कृषि मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन आयोग के सदस्य होंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) आयोग के सदस्य सचिव होंगे। मुख्यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक व श्रमिक संगठनों तथा उद्योगों के विकास और श्रमिक हितों में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि भी आयोग के सदस्य होंगे। आयोग में अध्यक्ष की ओर से नामित विशेष आमंत्रित सदस्य भी होंगे। आयोग के गैर सरकारी सदस्यों में से महत्वपूर्ण औद्योगिक संगठनों के तीन और श्रमिक संगठनों का एक प्रतिनिधि मुख्यमंत्री की ओर से नामित किए जाएंगे जिनका कार्यकाल दो साल का होगा। मुख्यमंत्री की मंजूरी से उनके कार्यकाल को बढ़ाया जा सकेगा या उन्हेंं समय से पहले हटाया जा सकेगा।
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