एक सप्ताह से चल रही थी सियासी संग्राम खत्म करने की प्रक्रिया, ऐसे चला पूरा घटनाक्रम By एजेंसी2020-08-11
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11-08-2020-जयपुर। राजस्थान के सियासी संग्राम को खत्म करने की प्रक्रिया करीब एक सप्ताह पहले ही शुरू हो गई थी। कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर चार अगस्त को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) द्वारा सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ राजद्रोह के केस में (अंतिम रिपोर्ट) एफआर लगाने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आलाकमान के माफ करने पर बागी विधायकों को गले लगाने की बात कहने के साथ ही समझौते की पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई थी। सीएम गहलोत ने लगातार तीन दिन तक मीडिया में और अपने खेमे के विधायकों की बैठक में कहा कि यदि आलाकमान पायलट सहित अन्य बागी विधायकों को माफ कर देगा तो मैं आगे बढ़कर गले लगाऊंगा। गहलोत के साथ ही पार्टी महासचिव अविनाश पांडे ने भी पिछले सप्ताह से अपने सुर बदल लिए थे। इस घटनाक्रम को देखते हुए चार अगस्त से ही माना जाने लगा था कि कांग्रेस के दोनों खेमों में समझौता होगा। हालांकि गहलोत खेमें कुछ नेता अंतिम दौर तक यह प्रयास करते रहे कि समझौता नहीं हो, इसके लिए उन्होंने कुछ केंद्रीय नेताओं का भी सहारा लिया, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इन नेताओं की बात को अधिक तवज्जो नहीं दी।\r\nऐसे चला पूरा घटनाक्रम\r\nजुलाई के पहले सप्ताह में पायलट खेमे के विधायकों ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला। आठ जुलाई से दोनों खेमों की तरफ से बयानबाजी शुरू हुई। 10 जुलाई को एसओजी ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया। 12 जुलाई को एसओजी ने भरत मालानी व अशोक सिंह को विधायक खरीद-फरोख्त मामले में गिरफ्तार किया। 16 जुलाई के सोशल मीडिया पर तीन ऑडियो वॉयरल हुए, जिनमें कथित रूप से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पायलट के विश्वस्त विधायक भंवरलाल शर्मा व विश्वेंद्र सिंह के साथ ही मध्यस्थ संजय जैन की आवाज होने की बात कही गई। मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर इनके खिलाफ राजद्रोह व विधायक खरीद-फरोख्त का मामला दर्ज किया। 17 जुलाई को एसओजी की टीममानेसर की उस होटल में गई, जिसमें पायलट खेमे के विधायक ठहरे हुए थे, लेकिन हरियाणा पुलिस व होटल के गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। एसओजी ने इन नेताओं को नोटिस जारी किए। चार अगस्त को एसओजी ने मामला खत्म करते हुए एफआर लगा दी।
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