यूपी में अंगूठा टेक नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने पर हो रहा विचार By (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)2020-12-23
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23-12-2020-
लखनऊ । ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार और विकास कार्यों में शिक्षितोंं को सहभागी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। ऐसा होगा तो किसी अंगूठा टेक व्यक्ति का प्रधान, ब्लॉक प्रमुख अथवा जिला पंचायत अध्यक्ष व प्रतिनिधि बन पाना संभव नहीं होगा। इस बारे में हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा जैसे राज्यों की पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है। इन राज्यों में ग्राम पंचायत सदस्य व प्रधान से लेकर क्षेत्रीय व जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव लड़ने वालों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य है। यहां अलग-अलग पदों के लिए कक्षा आठ से लेकर इंटरमीडिएट परीक्षा तक पास होना जरूरी है।सूत्रों का कहना है कि पंचायतों की बदली व्यवस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शिक्षित होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने के कारण वार्षिक विकास योजना तैयार कराने व विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने में मुश्किलें आती हैं। वित्तीय खातों के संचालन में असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं। यही वजह है कि अनपढ़ ग्राम प्रधान होने के कारण पंचायत सचिवों के भरोसे ही सभी व्यवस्थाएं चलती हैं। ऐसे हालात में वित्तीय अनियमितताओं की संभावना बनी रहती है। पंचायत प्रतिनिधियों का पढ़ा लिखा होना अनिवार्य किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक वातावरण तैयार करने में भी सहायता मिलेगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के चंद दिन ही शेष बचे है। 26 दिसंबर को ग्राम प्रधानों का कार्यभार सहायक विकास अधिकारियों के हवाले कर दिया जाएगा। उधर, सरकार ने पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। कोरोना संक्रमण के चलते पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो पा रहे हैं। मार्च 2021 में पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया आरंभ कराने की संभावना जताई जा रही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में दो बच्चों से अधिक संतान वालों को लड़ने से रोका जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार इस प्रकार का फैसला ले सकती है। सूत्र बताते है कि ऐसा निर्णय होने की संभावना अभी बनी हुई है।
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