नापाक साजिश के बाद से बंद है लखनऊ से नजफ की सीधी उड़ान By (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)2021-02-13
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13-02-2021-लखनऊ। शिया धर्म की धुरी बने दो शहरों भारत के लखनऊ और इराक के नजफ को सीधे जोडऩे के लिए शुरू हुई अमन की कोशिश को एक नापाक साजिश ने ब्रेक लगा रखा है। दो साल पहले प्रेम के प्रतीक वैलेंटाइन डे पर एक तरफ जहां लखनऊ से तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नजफ को सीधी उड़ान को रही झंडी दिखायी। वहीं कुछ देर बाद पुलवामा में आतंकी हमला हो गया। भारत ने इस आतंकी हमले का जवाब बालाकोट की एयर स्ट्राइक से दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय विमानों को अपना आकाश मार्ग साझा करने पर ही रोक लगा दी। दरअसल वर्ष 2004 में लखनऊ के धर्म गुरुओं से नजफ में पहले इमाम हजरत अली के रौजे और सूफी अब्दुल कादिर जिलानी की मजार की जियारत के लिए लखनऊ से सीधी विमान सेवा शुरू करने की मांग तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को की दी। हालांकि इस पर बात नहीं बनी। जिस कारण शहरवासियों को नजफ के लिए दिल्ली होकर जाना पड़ता था। जिस कारण उनको दोनों तरफ का टिकट लेने पर यह 35 से 38 हजार रुपये के बीच पड़ता था। शिया धर्म के अनुयायियों ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (तब गृहमंत्री) से लखनऊ से नजफ की विमान सेवा शुरू करने की मांग की। उनके विशेष प्रयासों से लखनऊ से नजफ के लिए एयर इंडिया के ए-320 एयरबस की शुरुआत 14 फरवरी 2019 को लखनऊ से हो गई थी। पहले ही दिन 162 इकोनोमिकल सीटों वाले विमान में 136 जायरीन नजफ को रवाना हुए। लेकिन फिर न हुई शुरूफरवरी में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद बंद हुए पाकिस्तानी वायुमार्ग को खोलने की बात वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जुलाई 2019 में की थी। हालांकि रूट फिर भी खुला। इधर मार्च से कोरोना के कारण भारत ने इंटरनेशनल विमानों पर रोक लगा दी थी। अब जबकि दुबई, शारजाह, सऊदी अरब की विमान सेवाएं शुरू हो गई हैं। शहरवासी नजफ की उड़ान शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।इसलिए है खासशिया समुदाय के पहले इमाम हजरत अली का रौजा नजफ में है। जहां जियारत के लिए हर साल हजारों लोग नजफ जाते हैं। इस्लामी माह के रजब, मुहर्रम, चेहल्लुम और शाबान पर सबसे अधिक जायरीन इराक जाते हैं। रजब माह की 13 तारीख को हजरत अली की यौमे पैदाइश होती है। जबकि चेहल्लुम माह में नजफ से कर्बला तक की 80 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा होती है। जिसे जायरीन तीन दिनों में पूरी करते हैं।
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