खैराबाद का सबसे प्राचीनतम स्कूल नियाजिया जूनियर हाई स्कूल By सरकार आलम2021-06-06

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06-06-2021-



नियाजिया जूनियर हाईस्कूल (मदरसा नियाजिया स्कूल) के नाम से मशहूर है। मोहल्ला मियां सराय स्टेशन रोड पर स्थित है। इसकी स्थापना सन 1901 ईसवी मुताबिक, 1317 हिजरी में स्वर्गवासी मुंशी नियाज अहमद फारुकी द्वारा हुई या खैराबाद का प्राचीन स्कूल है। इस स्कूल में 3 वर्ष पूर्व डी0जे0 कॉलेज की स्थापना हुई थी। मुंशी नियाज अहमद पत्थर वाले के नाम से प्रसिद्ध थे। स्कूल के लिए ईद का भट्टा लगवाया गया था। आपके मकान में भी बेस कीमत तराशे हुए पत्थरों द्वारा जालियों का प्रयोग हुआ है। इसलिए पत्थर वाले मुंशी के नाम से मशहूर हुए नियाजिया स्कूल भी लाल बड़ी ईटों द्वारा खैराबाद की ऐतिहासिक इमारतों में है।
प्रारम्भ में इस स्कूल में उर्दू ,फारसी, अरबी की शिक्षा दी जाती थी। बाद में दीनी तालीम के अलावा प्राइमरी स्तर की शिक्षा दी जाती थी। कुछ दिनों बाद या शिक्षा बंद हो गई तथा स्कूल नदवातुल उलमा लखनऊ के सुपुर्द कर दिया गया। सन् 1954 ईस्वी में यहां के बुद्धिजीवी वर्ग के सहयोग से दोबारा इसमें जूनियर हाई स्कूल खोला गया, जिसकी स्थाई मान्यता सन 1965 ईस्वी में हुई। 2 साल तक इसमें व्यक्तिगत हाई स्कूल की परीक्षा दिलाई गई। इसके बाद अब तक जूनियर हाईस्कूल तक की शिक्षा की व्यवस्था है।
शुरुआती दौर में इस मदरसे में योग व अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति हुई। काफी दूर तक या मदरसा मशहूर हुआ। बिहार, बंगाल, आसाम व विदेशों (अफ्रीका) के तालिब इल्मों ने इस मदरसे में तालीम हासिल की जिनके भोजन रहन-सहन का इंतजाम कमेटी द्वारा किया जाता था या मदरसा वक्फ बोर्ड द्वारा रजिस्टर्ड था। योग्य वा कुशल शिक्षकों की नियुक्ति हुई। (मौलवी हकीम अब्दुल बशीर खान साहब, मौलवी अदीब साहब, मौलवी काजी इलियास साहब, मौलवी छोटे खां) आदि ने मदरसे की ख्याती को बड़ाया बुजुर्ग उस्ताद भी रहे। लोगों का कहना है कि इस मदरसे में जिन्नातों के बच्चे भी तालीम हासिल करते थे या किस्सा काफी प्रसिद्ध है कि 1 दिन काजी इलियास आप उस्ताद ने अपना धुला हुआ तहमद एक तालिब इल्म को दिया कि इसे धूप में फैला दो। उस बच्चे ने बैठे-बैठे हाथ लंबा करके दीवार पर डाल दिया या देखकर काजी साहब घबरा गए। उस बच्चे से अजीजी से कहा कि आप यहां से चले जाएं। कहीं अनजाने में हमसे कोई गुस्ताखी ना हो जाए। बच्चा चला गया कुछ दिनों बाद जब गर्मियों की छुट्टी में घर जा रहे थे तो वहां रास्ते से लापता हो गए। काफी तलाश करने के बाद भी आज तक उनका कोई पता ना चल सका।
नियाजिया स्कूल में सन 1953-54 ईसवी में स्वर्गवासी सुल्तान हुसैन प्राइमरी के हेड मास्टर नियुक्त हुए। उनके देहांत के बाद अब्दुल अजीज उनके बाद फजल अहमद फारुकी मूतवल्ली व मौलाना सैयद नजमुल हसन, रिजवी हेड मास्टर हुए। जूनियर हाई स्कूल खुलने के बाद जनाब फजल अहमद, फारूकी सदर व मोहम्मद हुसैन प्रबंधक हुए।

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