जल संरक्षण, जल संचयन करके ही भावी पीढ़ी को शुद्ध जल की आपूर्ति संभव-डॉ0 महेन्द्र सिंह By (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)2021-07-16
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16-07-2021-उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि जल प्रकृति का अनमोल धरोहर है। भावी पीढ़ी को सुरक्षित जल उपलब्ध कराने के लिए जल का संरक्षण, संचयन तथा अन्धाधुन्ध दोहन के प्रति आम जनता में जागरूकता उत्पन्न करना जरूरी है। उन्होंने कहा है कि जल का विवेकपूर्ण उपयोग करके ही गिरते भूजल स्तर को बचाया जा सकता है। उन्होंने आम जन मानस से अपील किया है कि 16 से 22 जुलाई तक संचालित किये जा रहे भूजल सप्ताह के दौरान जल संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरायें।डॉ0 महेन्द्र सिंह आज अपने सरकारी आवास 5-ए मॉल एवेन्यू से वेबिनार के माध्यम से 16 से 22 जुलाई तक चलने वाले भूजल सप्ताह का शुभारम्भ कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि लम्बे समय तक भूजल के प्रबंधन के लिए सभी विभागों को मिलकर सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सरकारी एवं अर्धसरकारी भवनों, स्कूलों एवं शिक्षण संस्थाओं में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना अनिवार्य रूप से करनी होगी। उन्होंने कहा कि वर्षा की एक-एक बूंद बहुमूल्य है और इसको संचित कर उपयोग में लाने के लिए यह प्रणाली काफी कारगर एवं उपयोगी है। उन्होंने कहा कि भूजल सप्ताह को सफल बनाने के लिए आम जन मानस के साथ ही सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि भूजल प्रबंधन मंे सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा अटल भूजल योजना प्रदेश में लागू की गयी है। इस योजना के माध्यम से जनपद स्तर के समस्त कार्यदायी विभागों जैसे लघु सिंचाई, कृषि, सिंचाई, वन, ग्राम्य विकास विभाग आपस में तालमेल करके जल संरक्षण की दिशा में संवेदनशीलता के साथ कार्य करे तभी यह महत्वाकांक्षी योजना सफल होगी। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल विभाग के अधिकारी भूजल सप्ताह को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करें तथा जन जागरूकता के लिए विभाग द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए पूरी कोशिश करें। वेबिनार में जल षक्ति मंत्री ने कहा कि प्रदेष के दीर्घकालिक भूजल प्रबन्धन हेतु न केवल सभी विभागों को मिलकर जल संचयन एवम् सम्बर्द्धन के प्रयास करने होगें।साथ ही षासकीय/अर्द्धषासकीय भवनों/स्कूल-कालेजों के भवनों पर रुफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना भी अनिवार्य रुप से करानी होगी, जिससे कि वर्षा की एक-एक बॅंूद का संचय करते हुए प्रधानमंत्री जी के जल षक्ति अभियान को सफल बनाने में मदद मिल सके।ज्ञातव्य है कि 22 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा जल शक्ति अभियान का शुभारम्भ किया गया था। मंत्री ने कहा कि भूजल प्रबन्धन में सुधार हेतु भारत सरकार के सहयोग से अटल भूजल योजना के रूप में एक महत्वाकांक्षी परियोजना लागू की गयी है। इस योजना के माध्यम जनपद स्तर के समस्त कार्यदायी विभागों जैसे कि लघु सिंचाई, कृशि विभाग, सिंचाई विभाग, वन विभाग तथा ग्राम्य विकास विभाग द्वारा आपसी समन्वय से जल संरक्षण की दिषा में व्यापक कार्य किये जाएंगें। इस योजना कोगैर-सरकारी संगठनों का भी सहयोग लेकरजन-सहभागिता के द्वारा पूरा किया जाना है।जल शक्ति मंत्री ने इस बात परविषेश बल दिया कि जल संचयन एवं संरक्षण के कार्यों में वृहद स्तर पर भूजल जन जागरूकता उत्पन्न करने के लिए सामाजिक सहभागिता के सिद्धान्त को प्रदेश में अपनाये जाने की आवश्यकता है। ‘भूजल सप्ताह‘ के अवसर पर भूजल संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व को जन-मानस तक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जाये,जिससे कि आम जनता भूजल के महत्व को समझे और स्वयं आगे आकर भूजल संचयन एवं इसके संरक्षण के उपायों को अपनाए।उन्होंने कहा कि यदिहम सभी संकल्प लें कि अपनी दिनचर्या में पानी का दुरूपयोग रोकेंगे, भूगर्भ जल के अन्धाधुन्ध दोहन को नियंत्रित करेंगे तथा भावी जल निधि के रूप में बारिश के पानी को संचित कर भूजल स्रोतों को बचायेंगे,तो आने वाली पीढ़ी को भूजल संकट से बचा सकते हैं।
जल शक्ति मंत्री ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के दौरानकहा कि बुन्देलखण्ड एवं पष्चिमी उत्तर प्रदेष के भूजल संकट के स्थाई समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा अटल भूजल योजना लागू की गई है। इस योजना में ग्राम पंचायत स्तर पर वाटर सिक्योरिटी प्लान को विकसित करते हुए उसके क्रियान्वयन से क्षेत्र के भूजल प्रबन्धन में व्यापक सुधार हो सकेगा, इसमें जन सहभागिता भी एक आवष्यक अंग है। ग्राम पंचायतो के ग्राम प्रधानों तथा कृशकों से इस तरह से आनलाइन संवाद स्थापित करते हुए न सिर्फ परियोजना से होने वाले लाभों से उनको भिज्ञ कराया गया बल्कि जल संचयन के क्षेत्र में उनके अनुभव को भी साझा किया गया।
डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि यदि कोई भी देष जल संचयन, जल संरक्षण, संचित/संरक्षित जल का विवेकपूर्ण उपयोग तथा उपयोग में लाये गये जल का फिर से उपयोग कर लें, तो वह देष जल समृद्ध देष बन सकता है। हम सब को मिलकर यह संकल्प लेना होगा कि प्रधानमंत्री के जल संचयन के अभियान को एक जन आन्दोलन बनाते हुए प्रकृति की इस अनमोल धरोहर के संवर्धन के प्रयास किये जाए। इस बेबिनार में विषेश सचिव, नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति राजेष पाण्डेय व निदेषक, भूगर्भ जल विभाग, वी0केे0 उपाध्याय अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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