थोड़ा सा आयोडीन, है कितना आवश्यक पर प्रशिक्षण संपन्न By मोहम्मद फहीम2022-01-27

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27-01-2022-


सोहावल अयोध्या
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के तत्वावधान में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र मसौधा के गृहविज्ञान अनुभाग की ओर से  नारी योजनान्तर्गत आयोडीन की महत्ता व जागरूकता पर आंगनवाडी कार्यकत्रियों की दो दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण का आयोजन गृह वैज्ञानिक डा. अर्चना सिंह  द्वारा किया गया।
हमारे स्वस्थ जीवन के लिए आयोडीन अत्यंत महत्वपूर्ण सूक्ष्म तत्व है जिसकी थोड़ी सी मात्रा ही शरीर के लिए अति आवश्यक है।  इसकी प्रतिदिन की आवश्यकता  150 माइक्रोग्राम होती है,  इसकी कमी व अधिकता से शरीर में विकार पैदा होते हैं। आयोडीन शरीर में थायराइड नामक रसायन  बनाने के लिए आवश्यक  होता है। थायराइड शरीर के समग्र विकास को नियंत्रित करता है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए हमारा रसोईघर पर्याप्त होता है।  यह बात प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए  मुख्य अतिथि   शहरी क्षेत्र की बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती मीनाक्षी पांडे ने बताई। केंद्र के अध्यक्ष डॉ शशिकांत यादव ने  अपने  संबोधन में आयोडीन युक्त नमक  खाने की सलाह दी  वह अपने शरीर के प्रति ध्यान देने  पर जोर दिया।  केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर डी डी सिंह  ने थायरायड हार्मोन के बारे में विस्तृत जानकारी दी वो  शरीर में इसकी  उपयोगिता के बारे में बताया। झुनझुनवाला पीजी कॉलेज के  सहायक अध्यापक डॉ अंकेश पांडे ने बताया  कि आयोडीन शरीर निर्माण से लेकर  सुचारू रूप से संचालन के लिए अति आवश्यक पोषक तत्व है शरीर में पाई जाने वाली  थायराइड ग्रंथि के  सामान्य रूप से कार्य करने के लिए एवं थायरोक्सिन हार्मोन की निर्माण प्रक्रिया करने का प्रमुख घटक है। डॉ सिंह ने अपने वक्तव्य में बताया कि थायरॉइड ही शरीर में सॉंस लेने और हृदय गति से लेकर शरीर के वजन और मांसपेशियों की शक्ति, सब कुछ बेहतर कार्य करने के लिए  यह आयोडीन पर आधारित है। जब आयोडीन का स्तर बहुत कम होता है, तो नींद आने लगती है। मरीज ध्यान लगाकर काम नहीं कर पाता है। जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द के साथ अवसाद की समस्या हो जाती है।  वयस्कों को आमतौर पर प्रति दिन 150 माइक्रोग्राम (एमसीजी) आयोडीन व गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रति दिन 200 एमसीजी की आवश्यकता होती है। हमारे शरीर में आयोडीन का निर्माण नहीं होता, यानी हमें आहार के रूप में ही इसे शरीर में पहुंचाना होता है। आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि का आकार असाधारण रूप से बढ़ जाता है।’ अन्य खाद्य पदार्थों के साथ आयोडीन युक्त नमक इसका विकल्प है।आलू के छिलकों में भी आयोडीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसीलिए रसायनमुक्त आलू की खेती करके आलू का सेवन छिलके सहित करें।
डेयरी प्रॉडक्ट्स में भी आयोडिन की मात्रा अधिक होती है। दूध, दही और चीज़ का सेवन कर आप अपनी आयोडिन की रोजाना की आवश्यकता पूरी कर सकते हैं। काले और लाल किशमिश का सेवन करें। इनके अलावा मछली, अंडे, मेवे, मीट, ब्रेड और समुद्री शैवाल, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्रचुर मात्रा में आयोडीन होता है। तकनीकी सत्र में झुनझुनवाला पीजी कॉलेज की सहायक प्राध्यापिका तज़ीन फातमा ने आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियां पर प्रकाश डाला व बताया कि यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो आयोडीन की कमी से हार्ट संबंधी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं जैसे- हृदय का बढ़ा हुआ आकार और हार्ट फेल होना। वहीं इसकी कमी से महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती हैं, जैसे-अवसाद और बांझपन। आयोडीन की कमी वाली महिलाओं के गर्भ धारण की संभावना 46 फीसदी कम होती है। गर्भवती महिलाओं में थायराइड हार्मोन की कमी का असर बच्चे पर पड़ता है। नवजात जन्म से कमजोर होगा। वहीं गर्भपात, मृत बच्चों का जन्म और जन्म से ही होने वाली असामान्यताओं का जोखिम बढ़ जाता है। प्रशिक्षण के दूसरे दिन  डॉक्टर अर्चना सिंह व तज़ीन फातमा  के द्वारा  कार्यकत्रियों के सहयोग से आयोडीन युक्त व्यंजन  का प्रदर्शन किया गया, जिसमें  भसीड़ व कच्चे केले से  निर्मित  कोफ्ता, पकौड़ी,  सब्जियां व  कढ़ी  बनाई गई।   जिससे सभी अपने घर व अपने क्षेत्रों में अपनाए व ज्यादा से ज्यादा इसका प्रचार प्रसार करें। जिससे थायराइड की समस्या  को कम से कम किया जा सके। प्रदर्शन में मिट्टी की कढ़ाई का प्रयोग किया गया, ताकि जस्ता की कढ़ाई का प्रयोग बंद कर लोहे या मिट्टी की कढ़ाई का प्रचलन पूर्व की भांति करना शुरू हो जाय। सभी कार्यकत्रियों को  केंद्र पर स्थापित पोषण वाटिका  का  भ्रमण करवाया गया जिससे कार्यकत्रियॉ अपने केंद्र, क्षेत्र व घरों पर  पोषण वाटिका बनाकर  ताजी व रसायन मुक्त सब्जियां ग्रहण कर स्वस्थ और खुशहाल रह सके। प्रशिक्षणार्थियों को 2 - 2 पुर्वान्चल पत्रिका का वितरण किया गया। प्रशिक्षण का समापन  बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री दिनेश कुमार के द्वारा किया गया। इन्होंने  कार्यकर्ताओं को  सीखने व अपनाने के लिए प्रेरित किया जिससे वे अपने क्षेत्र में  महिलाओं को जागरूक कर सके। इस प्रशिक्षण में मसौधा विकास खंड की  दयावती, पुष्पा, माला रानी व  प्रमिशा समेत 25  कार्यकत्रियों ने भाग लिया व तजीन, मीनाक्षी, अंकेश व  मिश्रा का  विशेष योगदान रहा।  डॉ. सिंह द्वारा संचालन व सभी आए हुए मेहमानों  का  धन्यवाद ज्ञापन किया गया ।

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