आवारा पशुओं से किसान त्रस्त,किसानों फसल हो रही चौपट By असद हुसैन, इसराक अहमद2022-01-31

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31-01-2022-


बाजार शुक्ल अमेठी। आइए रूबरू होते हैं अमेठी के विधानसभा जगदीशपुर के ब्लॉक बाजार शुक्ल क्षेत्र के लोगों की जुबानी सड़कों पर आवारा घूमते पशुओं के चलते कई हादसे हो चुके हैं। कई लोगों की जान जा चुकी है और घायल भी कम नहीं हुए हैं। क्षेत्र में छुट्टा पशु बड़ी समस्या बन रहे हैं। एक तरफ तो उनके जरिए किसानों की फसल का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ सांड लोगों की जान का खतरा बन रहे हैं। योगी राज में न फसलें सुरक्षित हैं न किसी की जान। नए मुख्य सचिव का कार्यभार संभालते ही दुर्गा शंकर मिश्र ने गोवंश को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए अभियान चलाने के सख्त निर्देश पशुपालन विभाग के अफसरों और सभी जिलों के डीएम को दिए।रात-रात भर किसान देते हैं पहरा ग्राम सभा अहमदपुर नेवाजगढ़ निवासी किसान राज कपूर से बात की तो दर्द साझा किया गांव का हाल ये है कि किसान रात भर टॉर्च लेकर पहरा देते हैं।  गांव में चार-पांच लोगों ने आपस में तय करके दिन के हिसाब से पहरेदारी की ड्यूटी लगा रखी है। वह बताते हैं कि पिछले चार-पांच साल में यह समस्या ज्यादा बढ़ी है।
सरकार ने पशुओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। गोशालाओं में चारा नहीं दे पा रहे। वहां गायें मर रही हैं। किसान तो रात-रात भर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। उसमें जानवर उन पर हमला कर दे रहे हैं। गरीब किसानों के लिए तारबंदी की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए। आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार किसान को मजबूर कर रही है कि वे अपनी खेती उद्योगपतियों के हवाले कर दें।बढ़ गया तारबंदी का खर्च ग्राम सभा मवैया रहतगगढ़ निवासी मवैया कृष्ण गोपाल सरोज बताते हैं कि अब बिना तारबंदी के किसान अपनी फसल को नहीं बचा सकते। खेती की लागत में ये तारबंदी का खर्च और बढ़ गया है। तार 80 से 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। एक बीघे की तारबंदी का खर्च 2500 रुपये आता है। इसके अलावा बल्ली या लोहे के एंगल लगाने होते हैं। उसका खर्च 1000 रुपये हो गया। ऐसे में 3500 रुपये प्रति बीघा के हिसाब से यदि किसी के पास 10 बीघा खेती है तो 35000 रुपये का ये खर्च अलग से करना है। गरीब किसान तो ये कर ही नहीं सकता। रात भर पहरेदारी के सिवाय कोई और चारा नहीं है।समस्या क्यों बढ़ी‌ इस बारे में सामान्य धारणा यही है कि प्रदेश सरकार ने अवैध कटान बंद करने के नाम पर ज्यादातर को रोक दिया लेकिन इस पर खुलकर कोई नहीं बोलना चाहता। वहीं एक पक्ष ये भी है कि संख्या लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह है कि अब बैलों से खेती बंद हो चुकी है। यही वजह है कि सांडों की संख्या बढ़ रही है। इस बारे में किसानों का कहना है कि वजह चाहे जो हो लेकिन सरकार को इनके रखरखाव की बेहतर व्यवस्था तो करनी ही चाहिए। मुख्य सचिव के आदेश के अनुसार हर ग्राम पंचायत को 10 गोवंश के संरक्षण का टारगेट का दिया गया है। साथ ही सभी मंडलायुक्त और डीएम को कहा गया मुख्य सचिव के सख्त आदेश बताते हैं कि यह मुद्दा कितना अहम है बरहाल समय रहते समाधान न हुआ चुनाव में मुद्दा बनते देखा जा देखा जा सकता है।

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