भू माफियाओं का आतंक, नक्शा बदलकर दशकों पुराने तालाब पर किया कब्जा, लोगों ने पूछा- कैसे होगा जल संचय By राजेश कुमार2022-04-21
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21-04-2022-
उन्नाव।भू माफियाओं का आतंक, नक्शा बदलकर दशकों पुराने तालाब पर किया कब्जा, लोगों ने पूछा- कैसे होगा जल संचय
सुरेन्द्र ने हाईकोर्ट (High Court) में वाद दायर कर विभाग को चुनौती दी है।वहीं पुराना नक्सा पेश किए जाने पर विभाग के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं, जब कि 2005 का नक्शा राजस्व और सर्वे विभाग ने ही तैयार किया
भू माफियाओं का आतंक, नक्शा बदलकर दशकों पुराने तालाब पर किया कब्जा, लोगों ने पूछा- कैसे होगा जल संचय भू माफियाओं ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर नक्से से तालाब को ही गायब कर दिया भूमाफियाओं का आतंक जारी है. आरोप है कि भू माफियाओं ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर नक्से से तालाब को ही गायब कर दिया. अब इसे लेकर हाई कोर्ट (High Court) में याचिका दायर की गई है. खबर के मुताबिक जमीन पर कब्जे के साथ ही अब भू माफिया (Land Mafia) तालाब पर भी कब्जा जमा रहे हैं. दशकों से बने तालाब को दबंगों ने पाट दिया. आरोप है कि वह उस पर निर्माण कार्य कराने की फिराक में है. प्रशासनिक अधिकारियों की नजर भी इन भू माफियाओं पर नहीं पड़ रही है।लेखपाल की मिलीभगत की वजह से अवैध कब्जेदारी और ग्राम समाज की जमीन पर भी कब्जा किया जा रहा है. बता दें कि गंगाघाट के मझरा पीपर खेड़ा एहतमाली ग्राम सभा में मरहला चौराहे के पास दशकों से भारी भरकम तालाब (Old Pond) हुआ करता था. राजस्व और सर्वे विभाग ने ऐसा नक्से का खेल खेला कि नक्शा बदलकर (Map Change) तालाब ही गायब कर दिया. पालिका क्षेत्र में जगह आने पर वहां कूड़ा डंप कर दिया गया. ऐसे में अब यह चिंता सताने लगी है कि जल संचय कैसे होगा।हाई कोर्ट से न्याय की गुहार
लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुराना तालाब लाने की गुहार लगाई है. राजधानी मार्ग आर्य नगर के रहने वाले सुरेंद्र मिश्रा के अनुसार भूमि संख्या 4 नान जेड ए में तालाब और सरकारी जमीन दर्ज है. जबकि भूमि नंबर पांच भूमिधरी है, जो पच्चीस बीघे का रकवा है. मरहला चौराहे पर ग्राम समाज की जमीन पर करीब सौ साल से अधिक पुराना तालाब था. इस जगह आस पास के लोग शादी, विवाह के मंडप किया करते थे।साथ ही तालाब में सिंघाड़े की फसल भी हुआ करती थी. तालाब का पानी साफ होने की वजह से पशु पक्षी भी इसका पानी पीते थे. विभाग ने ऐसा खेल खेला कि साल 2005 का नक्सा बदल कर 2016 में दूसरा नक्सा पेश किया. नए नक्शे में तालाब ही गायब कर दिया. इस तालाब की जमीन नगर पालिका गंगाघाट क्षेत्र में शामिल हो गई. वहीं नगर पालिका भी पार्क बनाने पर आमादा हो गई. वहां पर शहरभर का निकल हुआ कूड़ा डंप कर दिया गया. कूड़े की बदबू की वजह से आसपास के लोग काफी परेशान हैं।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को चुनौती
सुरेन्द्र ने हाईकोर्ट में वाद दायर कर विभाग को चुनौती दी है. वहीं पुराना नक्शा पेश किए जाने पर विभाग के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं, जब कि 2005 का नक्शा राजस्व और सर्वे विभाग ने ही तैयार किया था. उसी को गलत बताकर विभाग अब खुद फंस गया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि ताल तलैया पोखर को किसी भी हालत में खत्म नहीं किया जा सकता, क्योंकि यही जल संचय के साधन हैं।अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शहर से तालाब ही खत्म कर दिया है. हालात इस कदर खराब हैं कि भू माफियाओं ने स्टेडियम के पास पुलिया की जमीन को भी नहीं बख्सा है. उस पर भी माफियाओं ने अपना कब्जा जमा लिया है. उस जगह पर मकान बना दिए गए हैं. इसके बावजूद भी प्रशासन मूकदर्शक बनकर देखता रहा. अब तालाब पर कब्जे के बाद जल संचय पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि करीब पांच लाख की आबादी वाले शहर में ड्रेनेज सिस्टम तक नहीं है। यानि शहर में सीवर लाइन नहीं है। लोगों ने टैंक बनवा रखे हैं। नाली और नाले हैं भी वह भी सफाई न होने व अवैध कब्जों के कारण जाम पड़े हैं। रोजमर्रा घरों से निकलने वाले वेस्ट वाटर को व्यवस्थित ढंग से शहर के बाहर तक पहुंचाने के लिए शहर में पर्याप्त इंतजाम तक नहीं हैं। शहर का वेस्ट वाटर जिन तालाबों में जाता भी था उन्हें कब्जेदारों ने पाट दिए हैं और यह काम अभी भी तेजी से चल रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा शहरियों को जलभराव के रूप में झेलना पड़ता है। आलम यह है कि गलियां तो गलियां लोगों के घरों में भी पानी भर जाता है। बारिश के दिनों तो स्थिति और ज्यादा खराब होती दिख रही है।शहर में जलनिकासी की व्यवस्था 50 वर्ष पहले बनाई गई ड्रेनेज सिस्टम पर चल रही है। पहले शहर की आबादी कम थी। शहर में 50 तालाब थे। इसलिए उन्नाव को तालाबों का शहर भी कहा जाता था। मोहल्लों का पानी आसपास बने तालाबों में जाता था। कल्याणी व आसपास के मोहल्लों का पानी कल्याणी तालाब, गांधीनगर, आदर्शनगर आदि का सत्ती तालाब सहित क्वेटा तालाब व अन्य में जाता था। आबादी बढ़ी तो भूमाफिया की नजरें तालाबों पर पड़ीं। सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से धीरे-धीरे तालाब पाटकर घर बनने शुरू हो गए। वर्तमान में अधिकतर तालाब पाटे जा चुके हैं। वर्षोें पुरानी ड्रेनेज की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। जिसके चलते शहर में जलनिकासी की समस्या खड़ी हो गई है। नई बस रही शिवनगर, बन्धूहार, कब्बाखेड़ा, जुराखनखेड़ा, इंद्रानगर आदि बस्तियों में भी जलनिकासी की कोई सुचारु व्यवस्था नहीं है। जिससे बारिश तो दूर गर्मी व ठंड में भी गलियों में जलभराव की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है। जनप्रतिनिधि भी जलनिकासी की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कोई ठोस प्रबन्ध नहीं कर रहे हैं। जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
नालों पर बना लिए घर व सजा लीं दुकानें नालों की सफाई में अतिक्रमण आगे आ जाता है। शहर में करीब 17 बड़े व 52 मध्यम व छोटे नाले हैं। इनके सहारे शहर के 29 वार्डों की जलनिकासी की व्यवस्था बनी हुई है। बताया जाता है कि कब्जे के चक्कर में लोगों ने अधिकतर नालों पर अतिक्रमण कर रखा है। नालों को पाटने में दुकानदार के अलावा आम लोग भी पीछे नहीं हैं। मोतीनगर, अताउल्ला, एबीनगर, टाइप टू कालोनी, नुरुद्दीनगर, अनवार नगर, कृष्णानगर बड़े नाले में गिने जाते हैं, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इन नालों को नहीं बख्शा। दुकानदारों ने अपनी दुकानें आगे बढ़ाकर नालों पर ही सजा लीं वहीं लोगों ने भी अपने घरों को नालों पर बनवा लिया।
अतिक्रमित तालाबों की सूची
1- अताउल्लाह से संपर्कित शाहगंज पुरानी स्टेट बैंक का तालाब
2- टाइप-2 कालोनी एबी नगर शहर कोतवाली के पीछे का तालाब।
3- जेल ड्रेन से संपर्कित केवटा तालाब
4- रेलवे लाइन के किनारे सत्ती तालाब
5- तालिब सराय का तालाब
6- बसतनिया तालाब नरेंद्र नगर, कलक्टरगंज फाटक के पीछे
7- पक्का तालाब मोतीनगर
8- अब्बासबाग कासिम हुसैन जैदी की मिलकियत का तालाब
9- कल्याणी देवी का तालाब
10- शीतला माता मंदिर तालाब
क्या कहा था जिम्मेदार
तालाबों पर कब्जा करने वालों पर होगी कार्रवाई
डीएम विजय किरन आनंद ने कहा था कि अतिक्रमित तालाबों की सूची मांगी गई है। जांच कराई जाएगी। तालाबों पर कब्जा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। हर हाल में कार्रवाई होगी। लेकिन जबतक कार्यवाही अमल में आती तो जिलाधिकारी का स्थानातरण हो गया था और उसी समय से पूरा प्रकरण ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था और भू माफियाओं के हौसले बुलंद होकर अवैध कब्जा करके प्लाटिंग कर करोड़ों रुपए गरीबों की रकम बटोर रहे हैं।
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