जल प्रदूषण,भूगर्भ प्रदूषण,वायु प्रदूषण से परेशान शहरी, ग्रामीणों ने सांसद विधायको और अधिकारियों से लगा चुके है गुहार By राजेश कुमार2022-04-22

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22-04-2022-


उन्नाव ।औद्योगिक जल प्रदूषण के चलते स्थानीय लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। किसी के लिवर में प्रॉब्लम है तो किसी को त्वचा संबंधी समस्या सिर्फ इतना ही नहीं कैंसर जैसे गंभीर रोगों के शिकार होकर मौतों का आकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हवा में मौत घुल चुकी है। जी हां हम बात कर रहे हैं आर्सेनिक की, जो जनपद के पानी से लेकर हवा तक सब में है।
दरअसल कारखानों से निकलने वाला धुआं हो या गंदा पानी। दोनों ही वातावरण को गंभीर तौर पर प्रदूषित करते जा रहे है। जानकारी के मुताबिक लोगों में आर्सेनिक की वजह से बीमारियां बढ़ रही हैं। रही बात जनपद की तो यहां आर्सेनिक की मात्रा खतरे के निशान को पार कर चुकी है।


बताते चले कि यहां तक कि इस क्षेत्र के आस-पास निकलने वाले राहगीरों को दुर्गंध के चलते काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन प्रशासन हो या स्थानीय नेता दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं। कीमत के आगे कीमती जिंदगियां घुट-घुटकर दम तोड़ रही हैं। विकलांगता और सांस से जुड़ी तमाम बीमारियां लोगों को काल के गाल की ओर धकेलती जा रही है।अब तक क्या हुई है कार्यवाही केवल मात्र निरीक्षण निरीक्षण किया जाता है और केवल अगले की गौरव तैयार करके खानी पूरी खानापूर्ति कर दी जाती है जबकि जमीनी हकीकत किसी को नजर नहीं आती है यह बात दीगर है कि कुछ छोटी मोटी कमियां मिलती हैं वह आदेश निर्देश देकर सुधारने की चेतावनी दे दी जाती है परंतु समस्या जैसी की तैसी बनी रहती है जो आ जाओ और गंभीर हो गई है जबकि वास्तव में वातावरण को प्रदूषित करने वाले और भूगर्भ को जहरीला बनाने वाले उद्योगपतियो के संचालक क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों कर्मचारियों के साथ अवैध धन की सांठगांठ करके खेल में बदलाव जरूर कर दिया है कि जो 24 घंटे खुलेआम इंसानी जीवन के साथ खिलवाड़ करते थे अब वह रात का सहारा लेने लगे हैं जो रात के 10:00 बजे से लेकर सुबह 5:00 बजे तक ही अपना खेल खेलते हैं

साल 2012 में सदर तहसील क्षेत्र के जल और वायु प्रदूषण से परेशान ग्रामीणों ने तत्कालीन कांग्रेसी सांसद को अपनी इस समस्या से अवगत कराया था। लेकिन महज आश्वासन के बाद उनकी उम्मीदों को ठंडे बस्ते में फेंक दिया गया। जो आज और अधिक समस्या बढ़ चुकी है जहरीले पानी पर कई चैनलों की ओर से कई रिपोर्टस चमकाई गईं, लेकिन कैमरे की फ्लैश लाइट जब तक जलती रही तब तक लोग इसे गंभीरता से लेते रहे। लाइट बुझते ही यहां की मासूम जिदगियां फिर अंधेरे में चली गईं। मुद्दा भी बिक गया, समस्या भी कीमती बोलियों की ऊंची आवाजों के सामने गूंगी हो गई।
क्यों बेआवाज हो गए आंदोलन
तत्कालीन कांग्रेस पार्टी से सांसद की ओर से औद्योगिक जल प्रदूषण से उन्नाव को बचाव अभियान चलाया गया। पर उसका क्या असर रहा वो आज भी उन्नाव सदर के गांवों की बद्हाली बयां कर रही है। कहीं न कहीं महज दिखावा बनकर रह गया वो आंदोलन, वो वादा, वो आश्वासन। हालांकि कांग्रेस पार्टी से विजई जनप्रतिनिधि ने ये कहा भी था कि वे इस गंभीर समस्या से वाकिफ है और सुधारने की कोशिश कर रही हैं। पर समस्या सुधरी नहीं और भी बिगड़ गई है। एक बार फिर राजनीति पर विश्वास अंधे कुएं में डाल दिया गया।आर्सेनिक पर सवाल, समस्या उसी के खेमे में जाते हैं जिसके पास क्षेत्रीय या फिर जिले की जिम्मेवारी होती है। पर सवाल उठते ही जांच का हवाला देते हुए आवाज को शांत कराने की कोशिश की जाती है। नेता जी के कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही मुद्दा फिर से दूसरे के पाले में चला जाता है। 2012 आया तो कई आश्वासन दिये गये। अब 2017 और 2019 में तथा फिर 2022 में उठे अब 2024 के लिए तैयारी में आने वाला है। स्थ‍िति जस की तस है। यदि लापरवाही कुछ इसी तरह रही तो वो दिन दूर नहीं जब शहर कब्र होगा।


इनसेट


सैंपल में क्रोम का स्तर 15 गुना अधिक मिला था


औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित उद्योगों में जमकर मनमानी की जा रही है। उद्योग बिना शोधन के हानिकारक पानी खुले में बहा रहे हैं। यूपीपीसीबी की जांच में इसका खुलासा हुआ है। यूपीपीसीबी द्वारा सीईटीपी और ड्रेन से लिये गए सैंपल में क्रोम का स्तर 15 गुना अधिक मिला है। जिसके बाद सीईटीपी से जुड़ी 41और 11 अन्य उद्योगों को नोटिस जारी की गई है।लेकिन धनालोभ के चलते जांच और कार्यवाही केवल औपचारिकता पूर्ण अभिलेखीय कागजी कोरम बनकर रह गई
उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने बंथर व दही चौकी स्थित कामन इन्फ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी), औद्योगिक क्षेत्र स्थित पानी का उत्प्रवाह करने वाली इकाई और लोनी व सिटी ड्रेन के पानी के नमूने लिये थे। जांच रिपोर्ट में पानी में क्रोमियम की मात्रा 15 गुना अधिक मिली है। प्रदूषण विभाग कर अनुसार ड्रेन में बहाए जाने वाले पानी मे क्रोमियम की मात्रा दो मिली प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। जांच में क्रोमियम की मात्रा 30 मिली लीटर तक मिली।

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