दो दिवसी निरीक्षण पर प्रदेश सरकार के 3 मंत्री आए थे दौड़े पर,जल शक्ति संसाधन मंत्री अपनी जिम्मेदारी से रहे विमुख By राजेश कुमार2022-05-09

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09-05-2022-


उन्नाव।प्रदेश में मानक से बहुत अधिक जल दोहन और हरियाली को बहुत अधिक नष्ट होने के कारण भूगर्भ जलस्तर बहुत तेजी नीचे खिसकता जा रहा था उसी समय कुछ सभ्रांत लोगो ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित में जल संचय के लिए याचिका दाखिल किया था फिर क्या उच्च न्यायलय के निर्देशों पर 2007 में रही बसपा पार्टी की सरकार को सभी पुराने तालाबों पोखरों आदि को संरक्षित करने के आदेश हुए थे जिस पर बहुजन समाज पार्टी की प्रदेश मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने नगर क्षेत्र से लेकर ग्राम पंचायतों नगर पंचायतों सभी को अतिरिक्त में धन आवंटित करके सभी तालाबों को सुंदरीकरण के रूप में विकसित करने का आदेश जारी किया था जिसके तहत जनपद में भी हजारों की संख्या में तालाबों को सुरक्षित रखने के लिए सुंदरीकरण हेतु कार्य कराए गए किंतु जिम्मेदार अधिकारियों कि भ्रष्ट कार्यशैली के चलते तालाबों का जिस तरीके से सुंदरीकरण कराया गया और जिस नियत से तालाबों को संरक्षण करने की योजना बनाई गई थी वह बिल्कुल मानक विहीन तरीके से कराए गए और तालाबों में कभी भी वर्षा ऋतु में होने वाली बारिश का पानी नहीं हो पा रहा था परंतु किसी ने भी इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया और योजना जहां की तहां धरी की धरी रह गई उसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ तो मौजूदा सरकार ने कभी भी जल संचय की ओर गंभीरता नहीं दिखाई उसके बाद भी 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ उसके बाद भी सरकार मौन साध कर बैठी रही और पुनः 2022 में भी सरकार पुनः बहुमत में प्रदेश सरकार में काबिज हो गई और आज भी जल संचय के लिए जिस तरह से उच्च न्यायालय ने सभी पुरानी तालाबों को सुरक्षित रखने तथा जल संचय के लिए आदेश जारी किया था तो प्रदेश सरकार को धत्ता बताते हुए जनपति नेता व अधिकारी सभी मिलकर भू माफियाओं से जुगलबंदी के साथ तहसील प्रशासन अपने कंधे से कंधा मिलाकर सभी पुराने तालाबों को काबिल करा दिया और प्लाटिंग के माध्यम से दे दिए गए जिसमें सभी ने अपने अपने हिस्से की रकम लेकर मालामाल हो गए और लगातार भूगर्भ जल स्तर नीचे की ओर गिरता ही जा रहा है जबकि इसको लेकर प्रदेश सरकार ने सभी पुराने तालाब पोखर आदि के फोटो तथा क्षेत्रफल सहित सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश जारी किया था लेकिन आज भी तहसील प्रशासन तथा क्षेत्रीय लेखपाल गांधीजी के तीन बंदरों की भांति मौन साध कर बैठे हुए क्योंकि इन सभी पर कोई भी दंडात्मक कठोर कार्रवाई तो होती नहीं है जब कभी किसी जिम्मेदार अधिकारी व नेता मंत्री संत्री आदि को का ध्यान इधर जाता है तो केवल फटकार के साथ आदेश निर्देश सुना दिए जाते हैं इसीलिए हौसला बुलंद होकर अपनी मनमानी कार्यशैली को अपनाते हुए मत मस्त रहते हैं।



आप लोगो को बताते चलें कि अभी दो दिवसी दौड़े पर तीन प्रदेश सरकार के मंत्री आए थे जिसमे एक मंत्री जी वह भी थे जिनके कंधों पर जल शक्ति संसाधन विभाग की भी जिम्मेदारी है लेकिन गिरते भूगर्भ जलस्तर को लेकर निरीक्षण करना भूल गए क्योंकि यदि गौर करते तो पुराने तालाब शहर और ग्रामीणों का निरीक्षण जरूर करते हैं क्योंकि सक्रिय भूमाफिया सभी पुराने तालाबों को पाटकर अवैध रूप से कब्जा करके प्लाटिंग कर दे चुके हैं जिससे वर्षा ऋतु काजल भूगर्भ में संचय नहीं हो पा रहा है और लगातार भूगर्भ जल स्तर नीचे की ओर खिसक ताजा रहा है जबकि 2007 में और 2012 से 2017 तक 76 करोड़ रूपए खर्च करके सुंदरीकरण और उन में पानी उपलब्ध कराने पर खर्च हो चुके हैं।
जबकि भूगर्भ जलस्तर सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर जिले में हजारों तालाब खोदे गए। इनमें कुछ को मॉडल तालाब बनाया गया तो कुछ का जीर्णोद्धार कराया गया लेकिन इन्हें पानी से लबालब करने की कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई। हाल ये है कि न तो ये किसानों के काम आ रहे हैं और न मवेशियों के। मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है। नहरों में भी पानी नहीं है।वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2009-10 तक मनरेगा के तहत जिले में 2862 नए तालाबों का निर्माण कराया गया था। फिर 2010-11 में जिले की सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक तालाब को मॉडल तालाब बनाने पर 55 करोड़ रुपये खर्च किए गए।2011-12 में भी 150 नए तालाब खोदे गए। वित्तीय वर्ष 2015-16 में मॉडल तालाबों में से ही 702 तालाबों का जीर्णोद्धार 21 करोड़ रुपये से कराया गया। इतना खर्च होने के बाद भी जलस्तर में सुधार की कवायद काम न आई। तालाबों में बूंद तक नजर नहीं आ रही है।
नहरें, माइनरें भी सूखीं
गंजमुरादाबाद क्षेत्र की एकमात्र शारदा नहर में भी पानी नहीं है। इसके कारण पास की माइनरें भी सूखी हैं। क्षेत्र में बोई गई जायद की फसलों तरबूज, खरबूजा समेत मूंद, उर्द आदि की अगैती फ सलों की सिंचाई प्रभावित हो रही है। साथ ही पानी के अभाव में पशु, पक्षी बेहाल हैं। मुर्तजानगर नहर में भी इस समय धूल उड़ रही है। नवाबगंज से गुजरी नहर में पानी नहीं है। औरास, हसनगंज, असोहा, मौरावां में भी नहरें, माइनरें सूखी हैं।मनरेगा से तालाब निर्माण और जीर्णोद्धार कराया गया था। तालाबों में पानी भरवाने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को दी गई है। रोस्टर के अनुसार जब नहर, माइनर में पानी आएगा, उससे विभाग तालाबों में पानी भरवाएगा।

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