नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों को शासन से विकास कार्यों के लिए प्राप्त धन और स्वतह की होने वाली इनकम अभिलेखों खर्च जिम्मेदार करते बंदर बांट By राजेश कुमार2022-06-07
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07-06-2022-
उन्नाव।भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी सभी सरकारों में लूट गए धन के सहारे गुणा गणित लगा कर अपना स्थान सुरक्षित रखते हैं जिसका अगर नजारा देखना हो तो आप उन्नाव नगर पालिका परिषद में दशकों पूर्व से महत्वपूर्ण पदों पर तैनात जनपद के निवासी अधिकारी कर्मचारियों के कार्यकाल का समय कराया गया कार्य और बयां किया गया धन के विषय में प्रदेश स्तरीय विशेष टीम गठित करके दूध का दूध और पानी का पानी निकाल कर देख सकते हैं यही हाल नगर पालिका शुक्लागंज बांगरमऊ तथा समस्त नगर पंचायतों मैं भ्रष्टाचार की गंगोत्री चरम से अधिक सीमा तक वह रही है जहां पर विद्युत व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने के नाम पर तथा महलों की मार्गो के निर्माण व मरम्मत ई करण के कार्यों में साथ ही सफाई व्यवस्था और बीमारियों से लड़ने वाली दवाइयों के छिड़काव आज के लिए शासन से आने वाले धन को केवल अभिलेखीय खाना पूरी करके कागजी कोरम पूरा करके धन का बंदरबांट कैसे किया जाता है इसका बखूबी खुलासा हो जाएगा।
आपको बताते चलें कि नगर पालिका परिषद उन्नाव में एक दर्जन से अधिक जिम्मेदारी वाली कुर्सी कुर्सियों पर जनपद के निवासी ही अधिकारी और कर्मचारी बनकर जमे बैठे हुए हैं जिनको प्रदेश में आने वाली सरकार के चुने हुए जनपदीय जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त होता है क्योंकि वह लोग भ्रष्टाचार करके जो अवैध रूप से सरकारी धन को लूटते हैं उसका कुछ अंश उनकी चौखट पर भी चढ़ाकर माथा टेक आते हैं क्योंकि नगर पालिका तथा नगर पंचायतों को प्रतिवर्ष शासन से जो करोड़ों रुपए का धन आवंटित होता है तथा सतह की इनकम से जो धन अर्जित होता है वह केवल नगर वासियों के विकास के लिए व्यय करना होता है विकास में जैसे गली मोहल्लों की सड़क मार्गों को बनवाना और ध्वस्त सड़क मार्गों को ठीक करवाना गन्दा पानी और बरसाती पानी आदि की निकासी के लिए नाली नालों को बनवाना तथा प्रतिवर्ष नाली नालों की सिल्ट निकलवा कर उसे उठवा कर फिकवाना तथा प्रत्येक गली मोहल्ले की सड़को की सफाई करवाना और कचड़े को उठवा कर फिकवाना गली मोहल्ले में प्रकाश ब्वस्था करना तथा रख रखाव करना मोहल्ला वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना आदि ब्वस्थाए सामिल है।
जबकि प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए शासन से प्राप्त होता ही है साथ ही नगर पालिका परिषदो ,नगर पंचायतों की अपनी स्वयं की भी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की इनकम होती है जैसे नगर क्षेत्रों से संचालित होने वाले वाहन अड्डाओ को प्रतिवर्ष खुले आम जनता के सामने लिल्लामी करना बोली के माध्यम जिसमें प्रति वाहनों से वसूलने का शुल्क भी निर्धारित होता है साथ ही सवारियो को अड्डे पर देय सुविधाएं भी निर्धारित होती है और वाहनों में सवारियों को बैठने की सीमा भी निर्धारित किया जाता हैं वही फुटपात पर दुकान लगाने वालो से प्रति दिन शुल्क की वसूली नगर में संचालित होने वाले रिक्शाओ, ऑटो रिक्शा, ई रिक्शाओ से प्रति दिन शुल्क वसूलकर रूट का निर्धारित करना होता है और प्रचार प्रसार के लिए होडिंग, बैनर,पोस्टर, तथा नगर में लगने वाले मोबाइल टावरों से प्रतिमाह देय शुल्क निर्धारित कर वसूलना नगर क्षेत्र में संचालित सामुदायिक शौचालय आदि को भी वार्षिक भुगतान की दर से नीलामी के माध्यम से दिया जाता है जहां पर शौचालय आने वाले लोगों से वसूली शुल्क भी निर्धारित होता है जबकि नगर वासियों को देय सुविधाओ के बदले वार्षिक हाउस टैक्स व वाटर टैक्स भी निर्धारित करके वसूला जाता है साथ ही कमर्शियल भवनों ,प्रष्ठानो, होटलों,अस्पतालों नर्सिंग होम गेस्ट हाउसों आदि का टैक्स अलग दर से निर्धारित करके वसूलना होता है जबकि नगर पालिकाओं नगर पंचायतों के द्वारा सरकारी भूमि आदि पर दुकानें बनवाकर किराए पर देना होता है लेकिन ढाई दशक से कोई भी लिल्लमी नही की गई है क्योंकि नगर पालिकाओं नगर पंचायतों के अध्यक्षों अधिकारियों कर्मचारियों तथा सत्तादलो के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के साथ जुगलबंदी करके यह कई करोड़ रुपए केवल लूटा जा रहा है साथ ही जो भी कार्य कराया जाता है उसपर विभागीय सूत्रों अनुसार 50 प्रतिशत कमीशन वसूला जाता हैं जिससे घटिया सामग्री प्रयोग करके कराया जाता है जो कुछ समय बाद ही ध्वस्त होने लगता है और 70 प्रतिशत धन को मात्र अभिलेखों में खर्च होना दर्शा कर बंदर बांट कर लिया जाता है जिसके विषय में जनता को जानकारी ही नहीं हो पाती है साथ नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों की सरकारी भूमि व तालाबों पोखरों आदि को भू माफियाओं से जुगलबंदी करके पटवाकर अवैध रूप से प्लाटिंग करके बिचवाया जा रहा है।लेकिन प्रदेश सरकार जमीनी हकीकत देखती नही है क्योंकि प्रदेश सरकार तक जमीनी हकीकत का आईना दिखाने वाले ही हिस्सेदार बने हुए है और समाचार पत्रों के माध्यम जमीनी हकीकत आइना दिखाया जाता हैं तो उन पर विश्वास नहीं करते हैं क्योंकि जिम्मेदार लोग भ्रमित कर देते है जो वह दिखाते और बताते है वही सरकार के लिए ब्रम्हवक्य होता है क्योंकि लुटते तो गरीब मध्यमवर्गीय लोगों होते सहूलियतों से वंचित यही लोग होते फिर इनपर क्या फर्क पड़ेगा।
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