सीएमओ, सीएमएस पुरुष,सीएमएस महिला,की लाचारी से निजी अस्पतालों,नर्सिंग होमो,और दलालो की बल्ले बल्ले,, बीमारों के परिजन रहे लूट By राजेश कुमार2022-06-25

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25-06-2022-


अवैध धन के लालच में द्लालो के चंगुल में फंसे जिला अस्पताल के चिकित्सक, फार्मासिस्ट वार्ड बॉय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी स्टाफ नर्स

वर्चस्व को लेकर निजी अस्पतालों के दलालों के बीच आए दिन होती है मारपीट जिला अस्पताल परिसर चौकी पुलिस बनी रहती है मुंक दर्शक

गत दिवस रात में दो अस्पतालों के दलालों के बीच हुई जमकर मारपीट मौके पर पहुंची पुलिस एक अस्पताल के दलालों को पकड़ा सौदेबाजी के बाद किया बरी

 
उन्नाव।पुरुष एवं महिला जिला अस्पताल निजी लालची लुटेरे अस्पतालों और नर्सिंग होमो के दलालों के हाथों तैनात चिकित्सकों व कर्मचारियों ने ठेके पर दे रखा है जो नगर क्षेत्र के शातिर अपराधियों के गुर्गे है ऐसा सूत्र बताते है कि जिनके आतंक के सामने किसी हिम्मत नही की विरोध कर सके जिनकी दलाली की रकम में जिला अस्पताल में स्थित चौकी पुलिस और तैनात चिकित्सक व कर्मचारियों स्टाप नर्सों का भी हिस्सा लगता है जिसको लेकर आए दिन वर्चस्व कायम रखने के लिए आपस में दलाल मारपीट करते रहते है जैसा कि गत दिवस देर रात जिला अस्पताल गेट के सामने दो निजी अस्पतालों के दलालों बीच घंटो सड़क पर जमकर मारपीट होती रही मौके पर पहुंची पुलिस तो एक दलाल पक्ष भाग खड़ा हुआ और दूसरे दूसरे पक्ष को पुलिस चौकी तक ले गई और मामला ले देकर रफा-दफा कर दिया जिससे इन दलालों के लगातार हौसले बुलंद होते जा रहे हैं जबकि इस पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक से लेकर जिला अधिकारी तक की कठोर कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं फिर भी या जिम्मेदार जिला अस्पताल के चिकित्सक व कर्मचारी तथा अस्पताल परिसर में बनी चौकी पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है इसका जवाब तो जिले के आला अधिकारी भी दे सकते हैं।

ज्ञात हो कि जिला अस्पताल के पुरुष एवं महिला चिकित्सकों और स्टाप नर्सों तथा अन्य कर्मचारियों की सांठगांठ जुगलबंदी से निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमो की महिला, पुरूप व एंबुलेंस दलालों ठिकाना कहे या लुटेरे के लिए सुरक्षित स्थान बन चुका है जिसके चलते नगर क्षेत्र में निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम का उत्पादन कुकुरमुत्ता की तरह हो रहा है जहां पर धन बली ठेके पर चिकित्सकों को बुलाकर ग्रामीण क्षेत्रों तथा अशिक्षित लोगों को अपने झांसे में फंसा कर निजी अस्पतालों तक ले जाते हैं और उनके खून पसीने की कमाई को लूटने का षड्यंत्र रखकर जमकर शोषण करते रहते हैं जिससे उनके जीवन पर खतरा मंडराया करता है यह सब केवल इसलिए होता है क्योंकि जिला अस्पताल में पुरुष विभाग हो या महिला विभाग यहां पर तैनात चिकित्सकों से लेकर स्टाफ नर्स फार्मासीज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सभी अवैध धन के भूखे हैं और इन्हीं से जुगलबंदी करके इन दलालों के चंगुल में भोले भाले मासूमों की जिंदगी सौंप देते हैं क्योंकि यहां पर तैनात सरकारी सभी चिकित्सक कर्मचारी आदि सभी अपने कर्तव्य और निष्ठा इमानदारी को कब्र में दफन कर केवल दूसरों की संपत्ति लूट कर उस पर मौज मस्ती करने का संपूर्ण विश्वास कर चुके हैं इसीलिए इस पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लग रहा है क्योंकि प्रदेश मंत्री से लेकर जिले के आला अधिकारी तक की केवल आदेश और निर्देश ही जारी करते हैं और किसी भी सरकारी चिकित्सकों और कर्मचारियो पर कभी भी दंडात्मक कठोर कार्रवाई कभी करते नहीं हैं आदेश निर्देश एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं इसी लिए यह जिम्मेदार अपनी मदमस्ती में खोए रहते हैं जिसके गत दिवस देर रात जिला अस्पताल के निकट और दूसरा शहर मोहल्ला कब्बा खेड़ा स्थित निजी अस्पतालों के दलाल केवल वर्चस्व के चलते एक मरीज को ले जाने के चक्कर में आपस में भिड़ गए जिला अस्पताल गेट के सामने दोनों अस्पतालों के दलाल भिड़ गए गाली गाली गलौज करते हुए जमकर घंटों मारपीट की इसकी जानकारी होते ही जिला अस्पताल की पुलिस चौकी के कुछ खाती धारी जब पहुंचे तो एक पथ के दलाल भाग निकले दूसरे अस्पताल के दलालों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और लेकर के चौकी पहुंच गई जहां पर कई घंटे तक चली सौदेबाजी के बीच जब सौदा पट गया को अवैध धन की वसूली कर उन्हें भी बाइज्जत बरी कर दिया जिसके चलते निजी अस्पतालों के दलालों के हौसले पूरी तरह से बुलंद बने हुए हैं और किसी भी दलाल पर अंकुश नहीं लग रहा है यह केवल खेल स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यशैली के चलते फल फूल रहा है क्योंकि मेडिकल एक्ट के तहत नगर क्षेत्र में मात्र 20% ही निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम भी संचालित नहीं है फिर भी हजारों की संख्या में यह निजी अस्पताल नर्सिंग होम कुकुर मुद्दों की तरीके से प्रतिदिन लगातार बढ़ते जा रहे हैं विभागीय सूत्र बताते हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में सैनाथ जिम्मेदार अधिकारी को इन निजी अस्पतालों से मोटी रकम का एक हिस्सा आता है जिसके चलते आंख पर काली पट्टी बांधकर बात करते रहते हैं और जिला अस्पताल में भी महिला पुरुष दलाल पूरी तरह से सक्रिय रहते हैं जिन्हें इन निजी अस्पतालों से 30% से लेकर 50% तक भुगतान मिलता है साथ ही सरकारी चिकित्सक व स्थापना तथा अन्य कर्मचारियों जिनके द्वारा आंखों में गरीब मजबूर बेबस मध्यमवर्गीय बीमार मरीजों को सौंपा जाता है उन्हें भी निजी अस्पताल संचालक कमीशन पहुंचाते हैं बात करें हम निजी अस्पताल और नसों की एक नजर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से लेकर खेड़ा बाईपास तक की ही कई सैकड़ा निजी अस्पताल और नर्सिंग होम संचालित है।

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