मॉनसून के इंतजार में सूखने लगी धान की फसल, आसमान की ओर टकटए बैठे किसान By असद हुसैन, इसराक अहमद2022-07-18
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18-07-2022-
बाजार शुक्ल अमेठी। मॉनसून की बेरुखी के चलते धान की फसल सूखने लगी है। परेशान किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बारिश की उम्मीद में दिन गुजार रहे हैं। उनके मन में बस एक ही बात है कि कब मेघ बरसे और खेती की गाड़ी पटरी पर आए।
माॅनसून की बेरुखी ने किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। खासतौर से उन किसानों के लिए जिन्होंने अपने संसाधन की मदद से धान की रोपाई कर दी है। अब बारिश न होने के कारण फसल सूख रही है।दूसरी तरफ बारिश की आस में रोपाई न करने वाले किसानों का बेहन खेत में ही खराब हो रहे हैं। हर तरफ से हो रहे नुकसान के बीच अब भी किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठें है, कि कब मेघ बरसे और खेती की गाड़ी फिर से पटरी पर आ सके। हालांकि अब तक हुई देरी का फसल की उपज पर असर पड़ना तय है।
किसानों पर भारी पड़ रही मानसून की बेरुखी
प्रति बीघा धान की फसल में करीब साढ़े पांच से छह हजार रुपये की लागत आ रही है। एक बीघा खेत में धान की रोपाई करने के लिए डीजल इंजन से 150-200 रुपये प्रति घंटे की दर से कुल पांच घंटे तक पानी भरना पड़ रहा है। खेत में पानी भरने की लागत करीब 1000 रुपये आ रही है।मजदूरों से एक बीघे धान की रोपाई की लागत करीब 1200 रुपये है। ट्रैक्टर से एक बीघे खेत की जुताई पर भी लगभग 800 का खर्च आ रहा है। धान की नर्सरी तैयार करने में करीब 400 से 500 रुपये खर्च आता है। रोपाई के बाद खाद प्रति बीघा डीएपी बीस किलो पर 600 रुपया, यूरिया प्रति बीघा पंद्रह किलो पर 150 रुपया और खर पतवार नाशक दवा पर करीब 200 रुपये खर्च होते हैं।
क्या बोले किसान
किसान शिव प्रसाद विश्वकर्मा रामेश्वर लोधी दुर्गा प्रसाद शर्मा प्रेमचंद दीवान चंद आदि ने बताया कि 10 बीघे खेत में अच्छी वैरायटी के धान की रोपाई 15 जून को करवाया था। उम्मीद थी बारिश होगी। लेकिन तब से अब तीन बार संसाधन से सिंचाई करनी पड़ी। फिर भी फसल पीली ही दिख रही है। प्रति बीघे में करीब छह हजार रुपये की लागत आई है। किसी तरह से रोपाई कराने के बाद सिंचाई कराना लागत को और बढ़ा रहा है। दिन में तेज धूप से पानी भी उबल जा रहा हैं।
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