स्वास्थ्य कार्यकर्ता (पुरूष) के 660 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर लखनऊ हाईकोर्ट ने लगाई रोक By tanveer ahmad2022-07-27

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27-07-2022-


अंबेडकरनगर। महानिदेशक (प्रशिक्षण), चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उ0प्र0 द्वारा स्वास्थ्य कार्यकर्ता (पुरुष) के 660 पदों पर प्रशिक्षण हेतु 26 मई 2022 को विज्ञापन जारी किया गया था, जिसमें अभ्यार्थियों से 10 जून से 10 जुलाई के मध्य आवेदन लिए गए थे। शासन द्वारा जारी नोटिफिकेशन दिनांक 24 मई 2022 में मेरिट लिस्ट जारी करने की तिथि 25 जुलाई 2022 निर्धारित की गई थी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के इन 660 पदों पर प्रशिक्षण कराने के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में रिट याचिका संख्या-ए/4095/2022 दीपक कुमार व 26 अन्य के द्वारा  दाखिल की गई थी। सीनियर अधिवक्ता संदीप दीक्षित जी के द्वारा संविदा एम0पी0डब्ल्यू0 (पु0) का पक्ष न्यायालय में रखा गया, जिस पर विद्वान न्यायाधीश आलोक माथुर जी के द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया। माननीय उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी संख्या-01 अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ,उ0 प्र0 शासन को प्रति-शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए। संगठन के प्रदेश संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि यह प्रकरण उत्तर प्रदेश विधानसभा याचिका समिति (2017-18) से भी आच्छादित है। जिसमें समय-समय पर माननीय याचिका समिति एवं शासन स्तर पर बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। समिति के सदस्यों ने शासन के पूर्वाग्रहपूर्ण कार्रवाई के दृष्टिगत संपूर्ण मामले में न्याय दिए जाने की दृष्टि से माननीय विधानसभा अध्यक्ष/सभापति याचिका समिति से इस मामले को मुख्य सचिव को संदर्भित करने का अनुरोध किया है, जिससे गुण अवगुण के आधार पर इस मामले का निराकरण मुख्य सचिव के द्वारा किया जा सके। तत्पश्चात् समिति अपना अंतिम निर्णय सुना सके। समिति के सदस्यों के अनुरोध पर विधानसभा अध्यक्ष/सभापति याचिका समिति द्वारा निर्णय को आरक्षित करते हुए निम्नलिखित तथ्यों/निष्कर्षों के साथ पत्रावली मुख्य सचिव महोदय के पास भेजी गयी। उक्त प्रकरण के संबंध में माननीय विधानसभा याचिका समिति द्वारा दिनांक 17-12-2020 से 05-01-2022 के मध्य लगातार 07 बैठकें आयोजित कर प्रदेशव्यापी समस्या पर विचार किया गया, जिसमें समिति के माननीय सदस्यों ने एकमत से इन संविदा कार्मिकों को ट्रेनिंग कराकर रिक्त पदों पर समायोजित कराए जाने की अपेक्षा शासन से की। समिति ने पाया कि दिनांक 14-11 -2019 की बैठक में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव द्वारा ट्रेनिंग कराए जाने हेतु समिति को आश्वस्त किया गया था। महानिदेशक, परिवार कल्याण की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी पत्रांक संख्या-प0क0/15/ई-3/ संविदा एम0पी0डब्लू0/2019/5202 दिनांक-24 दिसम्बर 2019 अपनी सुस्पष्ट संस्तुति देते हुए ट्रेनिंग कराए जाने का आदेश दिया है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी आदेश दिए गए हैं। तथ्यों के दृष्टिगत आदेशों के अनुपालन हेतु समिति द्वारा कई बार अपेक्षा की गई किंतु इसका अनुपालन नहीं करते हुए शासन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवज्ञा की जा रही है। समिति ने मुख्य सचिव को प्रकरण सन्दर्भित करते हुए लिखा कि समिति की अनुशंसा एवं माननीय न्यायालय के आदेश के बाद भी शासन द्वारा आदेशों का क्रियान्वयन न कर शासन द्वारा असंवैधानिक कार्रवाई की जा रही है। संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी सैयद मुर्तजा ने बताया कि वर्ष 2012-13 में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से लगभग 3500 संविदा एम.पी.डब्ल्यू.(पु.) कार्मिक प्रदेश के 40 जिलों में रखे गए थे। यह कार्मिक लंबे समय से अपने प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा जारी मेमोरेंडम में  विभागीय रिक्त पदों अथवा पदों का सृजन कर इन संविदा कार्मिकों की निरंतरता बनाए रखे जाने का सुझाव दिया गया था। वर्तमान समय में प्रशिक्षण के अभाव में स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के लगभग 7500 नियमित तथा भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत के तहत  लगभग 11500 संविदा के पद रिक्त हैं इस तरह कुल मिलाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता (पु.) के नियमित और संविदा के 19000 पद रिक्त हैं। इन पदों पर 01 वर्षीय विभागीय प्रशिक्षण प्राविधानित है जो निजी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है। विभागीय उपेक्षा से त्रस्त न्याय पाने की दृष्टि से इन संविदा कार्मिकों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 45 वाद दायर किए गए, जिनमें माननीय न्यायालय द्वारा इन कार्मिकों को सेवा में लिए जाने एवं निर्धारित मानदेय दिए जाने के अंतरिम आदेश पारित किए गए हैं। शासन द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया जिसके चलते अपर मुख्य सचिव महोदय के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही प्रचलित है, जिसमें न्यायालय द्वारा इंप्लीडमेंट ऑर्डर पारित किया गया जिससे घबडाकर शासन द्वारा विशेष अपील फाइल की गई परंतु अवमाननावाद में न्यायमूर्ति महोदय ने 08 फरवरी 2022 तक अंतरिम आदेश का पालन करने अथवा न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया था जिसके विरुद्ध शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल अपील फाइल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए दोनों पक्षों को उच्च न्यायालय में रिट संख्या-59726/एस0एस0/2015 अंकित पाठक व अन्य बनाम सरकार में सुनवाई कराने के आदेश दिए थे। उच्च न्यायालय खंडपीठ इलाहाबाद द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2022 को एक बार पुन: प्रार्थीगणों के पक्ष में निम्नलिखित अंतरिम आदेश पारित किए गए। संगठन के सदस्य मो0 आसिफ अंसारी ने बताया कि शासन द्वारा एक बार पुन: माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए 17 मई 2022 को अनुचित तरीके से कैबिनेट में नियमावली संशोधित कराने का प्रयास किया गया जिसे कैबिनेट द्वारा नकार दिया गया। तत्पश्चात् शासन के उच्चाधिकारी द्वारा विभागीय मंत्री को गुमराहकर गलत तरीके से नोट सीट पर अनुमति/सहमति प्राप्त की गई कहना गलत न होगा इसके पूर्व भी इन्हीं उच्चाधिकारी द्वारा पूर्व स्वास्थ्य मंत्री को भी उक्त प्रकरण में गुमराह किया जा चुका है। यह जांच का विषय है और इस तरह शासन द्वारा 'स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला पुरुष प्रशिक्षण विनिमय अनुदेश 24 मई 2022 को पारित करा दिया गया। मदांध सरकार द्वारा उक्त प्रशिक्षण विनिमय अनुदेश के क्रम में 660 पदों पर 26 मई 2022 को नियमित पदों पर प्रशिक्षण कराने का विज्ञापन प्रकाशित कराया गया था जिस पर माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ द्वारा 22 जुलाई 2022 को रोक लगाई जा चुकी है। वर्ष 1989 के उपरांत पिछले 33 वर्षों से इन महत्वपूर्ण पदों पर प्रशिक्षण नहीं कराया गया, जबकि कोविड-19 के भीषण प्रकोप के समय इन कार्मिकों की नितांत आवश्यकता महसूस की गई  उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जी के द्वारा मानव संपदा की कमी को दूर करने के लिए इंटर/ग्रेजुएट पास युवाओं को 3 सप्ताह का प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य विभाग में इन पदों पर भर्ती करने के निर्देश/सुझाव दिए गए परंतु प्रदेश सरकार के अधिकारियों के क्रियाकलाप से ऐसा प्रतीत होता है कि वह इन महत्वपूर्ण पदों पर प्रशिक्षण कराने के लिए गंभीर नहीं है। यही कारण है कि अधिकारियों ने नियम कानून को ताक पर रखकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता (पुरुष) के नियमित और संविदा पदों पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला की नियुक्ति का प्रस्ताव वर्ष 2019 से पारित कर रखा है। यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के महत्वपूर्ण पदों को खत्म करने की गंभीर साजिश है। यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों जैसे-मलेरिया, फाइलेरिया, टी. बी., कुष्ठ रोग, हैजा, हेपिटाइटिस बी.,सी. तथा कोविड-19 जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने घर-घर जाकर मरीजों के ट्रैकिंग करके उनकी ब्लड स्लाइड बनाने तथा संक्रमित व्यक्ति को ग्रामीण स्तर पर उपचार उपलब्ध कराने जैसे कार्यों का संपादन करते हैं। संपूर्ण प्रकरण से स्पष्ट है कि शासन की उपेक्षा पूर्ण कार्रवाई के चलते  समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ प्रदेश की जनता को नहीं मिल पा रहा है।


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