जैविक खाद बनाने के हुनर से मजबूत की आर्थिक स्थित By शाहिद सिद्दीकी 2023-01-20
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20-01-2023-
रुदौली। अयोध्या- सरकार की राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना गरीब एवं विधवा महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। सरकार के इस मिशन से जुड़कर एक विधवा महिला ने अपना ही नहीं बल्कि गांव की दो दर्जन से अधिक महिलाओं को जागरूक कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान किया। जमुनियामऊ की रहने वाली विधवा महिला किरन देवी के पति का देहांत 2012 में हो गया था दो बेटियों पालन पोषण के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी भी इन पर आ गई थी। उन्होंने कम पूंजी में भैंस पालन एवं जैविक खाद बनाने का कारोबार शुरू किया और खुद को आत्मनिर्भर बनाया। यही नहीं किरन देवी ने गांव की दो दर्जन से अधिक गरीब एवं असहाय महिलाओं को अपने इस कार्य से जोड़ा। उनके इस परिश्रम और लगन की सराहना ब्लॉक से लेकर जिले तक के अधिकारियों ने की है।
रुदौल विकास खण्ड के जमुनियामऊ गांव में रहने वाली किरन देवी ने पति की मृत्यु के बाद अपनी दो बेटियों के साथ मुफलिसी का जीवन जीने को विवश हो गई। इन्हे जैविक खाद बनाने में महारत हासिल थी। वह हिम्मत नहीं हारी और जैविक खाद बनाना शुरू किया परंतु आर्थिक तंगी के कारण उनका यह व्यवसाय परवान नहीं चढ़ सका। टूटे-फूटे मकान में गुजर बसर करने वाली किरण देवी के हौसलों को उस वक्त पंख लग गए कि जब उन्हें वर्ष 2020 में बीएमएम जितेंद्र पांडेय व प्रज्ञा पांडेय ने भारत सरकार की राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ा और स्वयं सहायता समूह का गठन करने के लिए प्रेरित भी किया। किरन देवी बताती हैं कि कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह के नाम से गांव की 10 महिलाओं को शामिल कर आर्थिक बचत पर कार्य शुरू किया इसके बाद शासन की ओर से वर्ष 2021 में एक लाख 25000 की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई, जिसे सभी महिलाओं में बांटकर 30 हजार रुपये की सहायता से अपना भैंस पालन और एस.आर. आई.विधि से जैविक खाद बनाने का व्यवसाय शुरू किया किरन बताती हैं कि बड़े पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी 200 लीटर पानी में गाय के गोबर, व गोमूत्र से जैविक खाद तो बनाते ही हैं साथ ही रेण की पत्ती, धतूरे, और बकैन को उबालकर कीटनाशक दवा भी बनाते हैं।
इनके इस व्यवसाय को कोई ब्रांड तो नहीं मिल सका परन्तु गांव व आसपास के लोग इनकी जैविक विधि से गेहूं,धान, मटर, चना, बैगन, गोभी,की खेती कर रहे हैं। जिसका लाभ यह हुआ कि अब इन्हें परिवार का पालन पोषण करने के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने व सहयोग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इनकी प्रेरणा से ही समूह की अन्य महिलाओं के साथ-साथ गांव की दो दर्जन गरीब असहाय महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, और अब इन्हें इनके इस कारोबार में 10 से 12 हजार प्रति माह आय प्राप्त हो रही है।
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