आपका मत आगे पांच वर्षो तक तय करेगा विकास की राह नही तो......... By अनुराग/रणजीत सिंह2023-04-23

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23-04-2023-


नगर निकाय चुनाव तिथि निर्धारित होते ही धनबली बाहुबली सत्ता भोगी खून चूसने वाले पिपासु उतरे सड़कों

मौका परस्त धनबली बाहुबली घर घर दलितों शुद्रओ के विशेष वर्ग के चरणों में टेक रहे माथा

राजनीति कोई जनसेवा नही व्यापार है धनबल और जुमले बाजी कर कुर्सी हथियाना,,पांच वर्षो तक खर्च धन को दस गुना बनाना है 

उन्नाव। नगर निकाय के चुनाव आते ही पूजीववादी डकैत लुटेरे तरह तरह के रंगबिरंगे शियर नगर वासियों और कस्बों वासियों को मूर्ख समझकर अपने आप को सेवक बताकर विकास के दावा करके घर घर पहुंचकर पैर छूते घूम रहे हैं जो जीत हासिल करते ही यही सेवक विकास की डंका बजाने वाले लोग किसी खटमल डेंगू वायरस चिकिन्मुनिया फैलाने वाले मच्छरों तथा खून चूसने वाले निशाचरी रूप धारण कर लेते हैं इस लिए सावधानी बहुत जरूरी है आप जाति वाद धर्म वाद और नेताओं के बहकावे में ना आए इसलिए सोचिए समझिए विचार करें क्योंकि जातिवाद धर्मवाद तात्कालिक लाभ सभी के लिए पांच वर्षो तक नासूर बन जायेंगे।

आप लोगों को बताते चलें कि जनपद में तीन नगर पालिका और पंद्रह नगर पंचायत के अध्यक्ष पद और सभासद पदों के लिए चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ धारा 144 भी लागू है यह चुनाव आप सभी नगर पालिका वासियों तथा नगर पंचायत वासियों के लिए बहुत ही महत्व पूर्ण आगे पांच वर्षो का विकास  सुरक्षा और आपके द्वारा कमाए गए धन की बरकत को सजाने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे क्योंकि पिछले कई पांच वर्षो के दौरान चुने हुए लोगों के दावों वादों को देख चुके है जो केवल आप लोगों से हाउस टैक्स वाटर टैक्स के साथ अन्य प्रकार के टैक्सो की वसूली की जाती हैं साथ ही आप सभी के लिए आने जाने के टैक्सी वाहन अड्डों से संचालित वाहनों से गुंडा टैक्स वसूली होती है आप लोग अपने परिवार के लिए रोजी रोटी कमाने के लिए ठेला खूंचा सब्जी फल फ्रूट व अन्य व्यापार सड़क किनारे तथा फुटपट पर दुकान लगाकर कमाना का कार्य करते हैं वह भी सकून से नही करने दिया जाता है क्योंकि धनबली बाहुबली के सामने घुटने टेक देते है केवल कानून नियम का पालन करने का पाठ पढ़ाने के लिए आप लोग ही शिकार बनते हैं इस लिए तात्कालिक स्वार्थ और जातिवाद धर्मवाद भूलकर असली जनसेवक की पहचान करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप सभी लोगों की है क्योंकि शहरो कस्बों की नाली नालियां नालों में बजबजाती गली कूचे में फैली गंदगी और ध्वस्त सड़के तथा सड़कों पर फैले अंधियारों से सहज अपने विकास की पहचान कर सकते हैं वही गंदगी से फैलने वाली जानलेवा बीमारियो की चपेट में कौन आता है आप और आपके परिजन क्योंकि धनबलियों बाहुबलियों राजनेताओं और अधिकारियो के निवास स्थानों से लेकर सौ दो सौ मीटर दूरी तक साफ सफाई व्यवस्था चकाचौंध होती और साथ में आप सभी लोगों के निवास स्थानों के आसपास सफाई के लिए तैनात सफाई कर्मी इन्ही के घरों में लगे रहते है क्योंकि जिस तरह से चुनाव का दौर आते ही धनबली बाहुबली और अधिक जनता का खून चूस कर और अधिक धनवान बनने के लिए मैदान में तरह तरह के रंगबिरंगे शियर और खून पिपाशु निशाचर घर घर पहुंचकर पैर छूते घूम रहे हैं जिनसे सावधान रहें और एक सवाल जरूर कर कि अभी पिछले पांच वर्षों से कहा थे कभी नजर क्यों नही आए कितने लोगों की सेवा और जन सेवा का क्या कार्य किया है जरा सोचिए और समझिए विचार करें।


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राजसुख उठाना हो तो जातिवाद धर्मवाद की राजनीति हावी,,जिम्मेदार बैठे घुटनों में फिर क्या

आदर्श आचार संहिता और धारा 144 लागू हो तो जिला निर्वाचन अधिकारी और जिला अधिकारी की कर्तव्य निष्ठा बनती है कि देश के संविधान गत लागू नियम कानून के तहत आमजन मानस से लेकर सभी पार्टियों के नेताओं तथा चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों से पालन करवाना यदि कोई भी व्यक्ति या नेता तथा प्रत्याशी उलंघन करता है तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही करनी चाहिए लेकिन जिम्मेदार सभी अधिकारी सत्तादल के नेताओं और प्रत्याशियों के घुटनों में बैठे हुए नजर आ रहे जिस तरह से आदर्श आचार संहिता और धारा 144 की अर्थी निकाल कर लग्जरी लंबे वाहनों के काफिले और कई सैकड़ा लोगों के साथ सड़कों पर उतर कर प्रचार प्रसार करते नजर आ रहे हैं तो ऐसे में क्या निष्पक्ष चुनाव होने की गुंजाई नही नजर आ रही हैं और सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ने की भी चिंगारी भड़क सकती हैं क्योंकि बीते 2014 से लेकर अभी तक राजनीति की रोटियां जातिवाद और धर्मवाद की आग लगा कर ही राज सुख भोगा जा रहा हैं।


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राजनीति कोई सेवा नही एक दूर दृष्टि का व्यापार है 

लोगों का मानना है कि राजनीति और नेतागिरी करना और जनप्रतिनिधि बनने के लिए यह कोई समाज सेवा का कार्य नही है यह एक दूर दृष्टि का व्यापार है जिसमें जितना अधिक धन व्यय करेंगे उतना ही अधिक लाभ उठाएंगे केवल धन खर्च के साथ एक दो माह केवल आपको लोगों के पैर छूते रहे और दिमाग से मूर्ख बनाते रहे फिर क्या पांच वर्षो तक अपने पैर छुवाते रहो खर्च हुए धन को चार गुना अधिक बनाते रहे कोई कुछ नही कर पायेगा।


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किस तरह से आदर्श आचार संहिता की निकाली जाती अर्थी

निर्वाचन आयोग के द्वारा मेयर,पार्षद,पालिका अध्यक्ष,सभासद,और नगर पंचायतों के अध्यक्ष ,सभासद पदों के चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों को प्रचार प्रसार के लिए धन खर्च करने के लिए एक निर्धारित धन राशि होती हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियो की कर्तव्य हिनीता के कारण यह प्रत्याशी निर्धारित धन राशि से 20 गुना अधिक धन खर्च करके जीत हासिल करते है जिसके बाद वह सभी लोग पांच वर्षो तक विकास के लिए जारी होने वाले धन राशि को लुटते रहते हैं।

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