मातृ दिवस पर हर माँ के चरणों में नमन, वंदन व अभिनंदन :विष्णु सिकरवार By विष्णु सिकरवार 2023-05-14
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14-05-2023-
आगरा। पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। माँ का पूरा जीवन अपने बच्चों के प्रति प्यार, दुलार, समर्पण और त्याग अनमोल होता है। मां को सम्मान देने के लिए पूरी दुनिया में हर साल माताओं के प्रति अपने आदर और सम्मान को व्यक्त करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। मातृत्व दिवस के शुभ अवसर पर सभी को मातृत्व दिवस की ह्रदय से हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए सुप्रसिद्ध एवं लोकप्रिय वरिष्ठ समाजसेवी पत्रकार विष्णु सिकरवार ने मातृ दिवस पर हर माँ के चरणों में नमन, वंदन व अभिनंदन व्यक्त करते हुए बताया कि मदर्स डे’ मनाने का मूल कारण समस्त माताओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है। मां भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है। उसके बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। मां सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक भावना है। इसका वर्णन शब्दों में करना नामुमकिन है। मां वो है जो न कि सिर्फ हमे जन्म देती है बल्कि हमे जीना भी सिखाती है। खुद भूखी सो जाए पर अपने बच्चो को भूखा नहीं रहने देती। उसे खुद कितनी भी तकलीफ हो वो जताती नहीं और ऐसे मे भी सिर्फ अपने बच्चो की ही सलामती की दुआ करती है। मां की ममता साग़र से भी गहरी है। मां का प्यार निस्वार्थ होता है,जो हम अपने पूरे जीवन में किसी और से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसीलिए लोग कहते हैं -
"माँ का महत्व दुनियां में कभी कम नहीं हो सकता, माँ जैसा पुरे संसार में कुछ नहीं हो सकता, माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला हैं, माँ जीवन कि कड़वाहट में अमृत का प्याला है। माँ पृथ्वी हैं, जगत हैं, धुरी हैं, माँ बिना इस सृष्ठी की कल्पना अधूरी हैं, मां की दुआएं लेते रहना इन्ही दुआओं से दुनिया से टक्कर लेने की हिम्मत रहती है।
श्री सिकरवार ने बताया कि मां ही हमारी सबसे पहली गुरु होती है। एक मां ही होती है जो सभी की जगह ले सकती है। लेकिन उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता है। मां अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा और उनकी देखभाल करती है। इसलिए मां को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। दुनिया में हर शब्द का अर्थ समझा और समझाया जा सकता है, लेकिन मां शब्द का अर्थ समझना और समझाना दोनों ही लगभग नामुमकिन है। संसार में मां एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरा ब्रम्हांड समाजाए इसलिए मां शब्द का अर्थ समझाना इसलिए नामुमकिन है, क्योंकि मां के प्यार को मां के बलिदान को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता। इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। मां के दिल में जितना प्यार अपने बच्चों के लिए होता है। अगर मां के सभी बच्चे कोशिश भी करें तो उसका कुछ अंश भी अदा नहीं कर सकते। क्युकी मां वह शख्स होती है जो 9 माह तक अपने बच्चे को कोख में रखकर जन्म देती है। उसके बाद उसका लालन-पालन करती है। कुछ भी हो जाए लेकिन एक मां का अपने बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है। वह खुद से भी ज्यादा अपने बच्चों के सुख सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। मां अपनी संतान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है। इसलिए मां के प्यार, त्याग और तपस्या का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता हैं। माँ का सभी के जीवन में योगदान अतुलनीय योगदान होता है। मातृ दिवस पर हर माँ के चरणों में नमन, वंदन व अभिनंदन करते हैं हम।
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