मुख्य सूचना आयुक्त भावेश कुमार सिंह ने जन सूचना अधिकारी के प्रार्थना को किया खारिज By tanveer ahmad2023-07-09
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09-07-2023-
सिद्धार्थनगर मुख्यालय के भीमापार निवासी सामाजिक कार्यकर्ता देवेश मणि त्रिपाठी द्वारा जिला नगरीय विकास अभिकरण से वर्ष 2018 में दो आवेदन के प्रेषित कर सूचना की माग की गई थी। आवेदक द्वारा प्रेषित आवेदन के समय जन सूचना अधिकारी के पद पर सतेंद्र कुमार त्रिपाठी पदस्थ थे तदोपरांत उक्त पद पर चंद्र भान वर्मा ने कार्यभार ग्रहण किया उनके द्वारा भी समय से सूचना प्राप्त नही कराई गई। आवेदक द्वार राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील कर सूचना दिलाए जाने तथा जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया। राज्य सूचना आयुक्त सुबास सिंह द्वारा प्रकरण की विस्तृत सुनवाई कर चंद्र भान वर्मा के विरुद्ध दिनांक 17.02.2021 को रु0 25000 - 25000 का अर्थदंड तथा दिनांक 24.11.2021 को विभागीय कार्यवाही तथा रु0 2000 - 2000की क्षतिपूर्ति के आदेश दिए गए। जिससे क्षुब्ध होकर चंद्र भान वर्मा द्वारा उच्च न्यायालय में रिट प्रस्तुत कर आयोग द्वारा पारित आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया। उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सूचना आयोग को याची के पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करने के आदेश पारित किए गए। आयोग द्वारा याची चंद्रभान वर्मा के दोनो प्रकरणों में अलग अलग प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर सुनवाई हेतु प्रकरण राज्य सूचना आयुक्त रचना पाल के समक्ष सूचीवध किया गया। आयुक्त रचना पाल द्वारा उक्त दोनों प्रकरण में दो तिथियों को सुनवाई की गई तत्पश्चात देवेश मणि त्रिपाठी के वादों की सुनवाई करने में असमर्थता जाहिर की गई जिस पर संबंधित पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्रों को मुख्य राज्य सूचना आयुक्त भावेश कुमार सिंह द्वारा अपने सुनवाई कक्ष में स्थांतरित कर सुनवाई शुरू की गई। सबंधित पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र भावेश कुमार सिंह द्वारा कुल सात सुनवाई तिथि नियत कर विस्तृत सुनवाई की गई। जिसकी सुनवाई में वादी देवेश मणि त्रिपाठी द्वारा अपना पक्ष स्वयं प्रस्तुत किया गया जबकि चंद्रभान वर्मा के तरफ से उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार श्रीवास्तव व अन्य ने प्रस्तुत किया। मुख्य राज्य सूचना आयुक्त द्वारा जन सूचना अधिकारी पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्को को अस्वीकार कर चंद्र भान वर्मा के दोनो पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र को खारिज कर राज्य सूचना आयुक्त सुबास चंद्र सिंह द्वारा पूर्व में पारित आदेश को कायम रखते हुए दोनो प्रकरणों में अधिरोपित अर्थ दंड रुपए पच्चीस पच्चीस हजार दोनो प्रकरणों में विभागीय कार्यवाही किए जाने के आदेश पारित किए गए।
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