सत्संग के बिना मनुष्य विवेकवान नही बन सकता By tanveer ahmad2024-03-04
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04-03-2024-
मिल्कीपुर-अयोध्या। क्षेत्र के अलीपुर खजूरी पूरे गंगापाल तिवारी में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए वृंदा धाम से पधारे परम पूज्य कथा व्यास आचार्य मनमोहन तिवारी ने श्रोताओं को भागवत पुराण कथा का रसपान कराया,उन्होंने भागवत कथा के तृतीय दिवस ध्रुव चरित्र सृष्टि क्रम का वर्णन की कथा करते हुए कहा कि ध्रुव जी महाराज अपने परिवार को त्याग कर भगवान श्रीहरि विष्णु जी को को पाने के लिए जंगल में तपस्या के लिए निकल पड़े नारद ऋषि ने छोटे से 5 वर्षीय बालक ध्रुव को तपस्या के लिए निकलने पर देखकर बहुत ही द्रवित हो गए और जाकर रास्ते में ध्रुव जी को दर्शन देकर कहा बेटा कहां जा रहे हो ध्रुव जी महाराज ने कहा कि मैं भगवान को पानी के लिए एवं उनके दर्शन के लिए निकला हूं नारद जी ने कहा कि बेटा अभी तुम बहुत छोटे हो जंगल में बहुत ही जंतु व राक्षस लोग टहलते रहते हैं घर को लौट जाओ लेकिन ध्रुव जी नहीं माने तो नारद जी ने कहा कि इस प्रकार से बिना गुरु के भगवान का दर्शन वह आराधना अधूरी रहती है नारद जी के भजन सुनकर ध्रुव जी महाराज ने कहा कि आप ही मेरे गुरु बन जाइए यह बात सुनकर नारद जी ने कहा कि बेटा हम ही तुम्हें रास्ता बता रहे हैं और तुम मुझसे कह रहे हो तो आप ही गुरु बन जाइए, नारद जी को ध्रुव जी के वचन को सुनकर दया आ गई और उन्होंने ध्रुव जी को गुरु मंत्र दिया और कहा कि तुम्हें ऊॅ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करने से भगवान हरि विष्णु जी के दर्शन प्राप्त होंगे नारद जी की बात मानकर ध्रुव जी महाराज ने जंगल में जाकर गंडक नदी के किनारे स्नान ध्यान कर एक बट वृक्ष के नीचे तपस्या में लीन हो गए, पहले दिन स्वल्पाहार किया फिर जल पिया तीसरे दिन पत्ते खाए फिर निराहार रहकर भगवान श्री हरि की तपस्या में लीन होकर हो गए और पांचवें दिन ऊ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए अपने स्वास् को खींच लिया जिससे सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया लोगों की सांस थमने लगी देवताओं ने भगवान हरि विष्णु के पास जाकर कहा कि भगवान हम लोगो की सांसे थम रही है प्राण निकल जाएंगे भगवान हरि विष्णु ने कहा कि मेरा एक छोटा सा भक्त तपस्या में लीन है मुझे उसके पास जाना है भगवान हरि विष्णु जी अपने नन्हे से भक्त ध्रुव जी के पास पहुंचे और कहा बेटा उठो आंखें खोलो मैं आ गया हूं लेकिन ध्रुव जी महाराज तपस्या में लेने थे भगवान ने अपने नेत्रों से उनके नेत्रों में प्रकाश डाला और ध्रुव जी की आंखें खुल गई देखा तो सामने साक्षात श्री हरि विष्णु जी खड़े हैं कहा बेटा मैं तुम्हारे तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं कोई वरदान मुझसे मांगो धुर्व ने कहा कि भगवान जिसको आप साक्षात दर्शन दे रहे हैं उसको किसी वरदान की क्या आवश्यकता है मैं तो धन्य हो गया हूं भगवान हरि ने ध्रुव जी को अपनी गोदी में बिठा लिया। इस प्रकार भगवान जब भी आपका भक्त आपको याद करें तब तब आप उनको दर्शन देकर कष्ट को दूर करने का प्रयास करें आचार्य जी ने कहा कि भक्त ध्रुव के तरह से सभी मानव प्राणियों को भगवान की आराधना करनी चाहिए भगवान भाव के भूखे होते हैं जब भी आप भगवान को सोते जागते उठते बैठते नाम का जब करेंगे भगवान आपको दर्शन देकर आप सभी के कष्ट का निवारण करेंगे । कथा ब्यास महाराज जी ने कथा रस का पान कराते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का एक-एक शब्द अमृत के समान है।मनुष्य इसे पानकर अपने को धन्य बना सकता है। सत्संग को जो मनुष्य तन और मन लगाकर सुनते हैं उनका पूरा जीवन बदल जाता है। सत्संग में आने से विचार बुद्ध कर्म और आचरण बदलता है। धीरे-धीरे सत्संग से पूरा जीवन बदल जाता है। आस्था और विश्वास ईश्वर को प्राप्ति करने के सरल साधन है। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम होना जरूरी है। मनुष्य के मन में विकार व घृणा आती है। भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है ।तो श्री हरिजी उसपर अनुग्रह करते हैं।उसे दर्शन देते हैं। व्यास जी ने ध्रुव जी की कथा के साथ-साथ सृष्टि क्रम का वर्णन की कथा पुनर्जन्मोपाख्यान की कथा का भी विस्तार से वर्णन किया। बड़े ही भक्ति भाव से श्रोताओं ने श्रोताओं ने कथा का रसपान किया।
मुख्य यजमान अशोक कुमार तिवारी व उनके धर्मपत्नी नीलम तिवारी ने आरती पूजन किया ग्रामीण क्षेत्र से आये भक्तों राजेंद्र देव त्रिपाठी,विजय कुमार तिवारी,अजय कुमार तिवारी,शिवाजी तिवारी,राघव तिवारी,पद्मनाभम तिवारी,सचिन तिवारी,मुकुंद तिवारी, राजकुमार तिवारी ज्ञान प्रकाश तिवारी सहदेव तिवारी इंद्रपाल तिवारी,शारदा प्रसाद पांडे,श्यामनाथ तिवारी, वेद प्रकाश तिवारी,रामदेव पान्डेय सहित बच्चों एवं मातृ शक्तियों ने कथा का श्रवण किया और प्रसाद ग्रहण किया।
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