नये भारत में हमारे संस्थान किस प्रकार से तैयार हों और इसमें हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए, By tanveer ahmad2024-12-04

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04-12-2024-
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की 92 वर्ष की यात्रा इस दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूण- मुख्यमंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नये भारत में हमारे संस्थान किस प्रकार से तैयार हों और इसमें हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की 92 वर्ष की यात्रा इस दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आजाद भारत में अच्छे लोगों के हाथों में देश की बागडोर सौंप कर देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने तथा आने वाली पीढ़ी के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करने के भाव के साथ वर्ष 1932 में महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। जिस समय दिग्विजयनाथ महाराज ने इस संस्थान का बीज रोपित किया उस समय संसाधन सीमित थे। देश गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा हुआ था। देश की आजादी के लिए संघर्ष चल रहा था। साथ ही, इस बात का दृढ़ विश्वास भी था कि हमारा देश बहुत दिनों तक गुलाम नहीं रहेगा। यह शीघ्र आजाद होगा।
मुख्यमंत्री आज जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके पूर्व, मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष  नरेन्द्र सिंह तोमर ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह का शुभारम्भ किया, शोभायात्रा की सलामी ली तथा प्रदर्शनी का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षण संस्थान की 92 वर्षांे की यात्रा, परिषद और उससे जुड़ी संस्थाओं के सामने उनके समग्र मूल्यांकन का अवसर है। यह संस्था से जुड़े हम सभी के लिए भी इस बात के मूल्यांकन का अवसर है कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किस प्रकार होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का यह उद्घाटन पर्व, शोभा यात्रा से प्रारम्भ होगा। शोभा यात्रा के माध्यम से संस्थान के विकास की एक लघु झांकी प्रस्तुत की जाएगी। इस अवसर पर अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएं होंगी और आगामी 10 दिसम्बर को आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में प्रतियोगी विद्यार्थियों को सम्मानित किया जायेगा। योग्यता छात्रवृत्ति प्रत्येक कक्षा के छात्रों को उपलब्ध करायी जाती है। जिन प्रतिभागियों ने इस वर्ष सम्मान प्राप्त किया है, उन्हें अगले वर्ष अधिक मेहनत के साथ और अच्छा स्थान प्राप्त करने के बारे में विचार करना होगा। इस अवसर के माध्यम से आप मूल्यांकन कर सकते हैं कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाने के लिए जीवन में हमें चुनौतियों का सामना किस भाव के साथ करना है। टीमवर्क तथा एकाग्र भाव के साथ कठिन परिश्रम आपको सफलता दिलायेगा। आज का दिन हम सबके लिए अनुशासन का पर्व भी है। जीवन, सर्वांगीण विकास के पथ पर तब तक आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक आप स्वयं अनुशासित न हो। यह कार्यक्रम भावी भारत के निर्माण में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की भूमिका को प्रस्तुत करने का एक अवसर भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है। पूरी दुनिया में भारत के प्रति एक विश्वास बना है। यह इसलिए हुआ कि देश अब एक नए भारत के रूप में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। दुनिया उसी का अनुसरण करती है, जो चुनौतियों के अनुरूप अपने आप को तैयार करने का जज्बा रखता है। जो स्वयं खड़ा नहीं हो सकता, वह दूसरों को खड़ा होने की प्रेरणा भी नहीं दे सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत मानवता की रक्षा के लिए विश्वास का प्रतीक बनकर उभरा है। पहले दिशा तथा लक्ष्य के सम्बन्ध में देश के सामने असमंजस की स्थिति होती थी। आज हम कह सकते हैं कि दुनिया का धु्रवीकरण उधर होगा जिधर भारत है। आज भारत के बगैर दुनिया के किसी भी धु्रवीकरण की कल्पना नहीं की सकती है। उन्होंने कहा कि जी 20 समिट के माध्यम से भारत एक बड़े आयोजक के रूप में स्वयं को प्रस्तुत कर चुका है। इसकी अपेक्षा 140 करोड़ देशवासियों को थी। आने वाले समय में देश को विकसित बनाने के लिए सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार रहना होगा। सभी को जिम्मेदारी से बचने के बजाए, जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार होना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत आज दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने आगामी 25 वर्षों के यात्रा का रोड मैप दुनिया के सामने रखा है। जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूर्ण करेगा, उस शताब्दी महोत्सव वर्ष में हम विकसित भारत में होंगे। विकसित भारत में हम सबकी तथा प्रत्येक संस्थान की क्या भूमिका होनी चाहिए, इस पर विचार करना होगा। व्यक्ति तथा संस्थान आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी और स्वाभिमानी बनने के साथ-साथ देश की विकास यात्रा में सहभागी बने, इसके लिए हमें स्वयं को तैयार करना होगा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सस्थापकों ने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। सभी विद्यार्थियों का भी इस यात्रा में भरपूर योगदान होना चाहिए। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने सभी का स्वागत किया और विशिष्ट अतिथि प्रो0 राजीव कुमार ने नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण सहित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद एवं विभिन्न शिक्षण संस्थानों के पदाधिकारी तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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