सती प्रसंग का किया मार्मिक वर्णन। By tanveer ahmad2024-12-23
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23-12-2024-
महराजगंज। क्षेत्र के केवटली स्थित बीआरसी के बगल आयोजक नन्द लाल मोदनवाल के यहाँ चल रहे श्री राम कथा में अयोध्या से पधारे कथा व्यास निर्मल शरण जी महाराज ने सती प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब भगवान ने सासारिक कथा सुनाई थी तो शिव शकर ने घोर तपस्या में लीन होकर उसे सुना था। जबकि सती पूरे ध्यान पूर्वक यह नहीं सुन सकी जिस कारण उसके जीवन में भ्रम की स्थिति कई बार रही जबकि शिव शकर इस ज्ञान के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञाता हो गए थे। एक बार जब शिव शकर सती के साथ जंगल में भ्रमण के लिए जा रहे थे तो रास्ते में उन्होंने रोते हुए श्रीराम मिले क्योंकि रावण माता सीता का हरण करके ले गया था और श्रीराम पेड़-पौधों व जंगल में उसे ढूढते फिर रहे थे और विलाप कर रहे थे। शिव शकर ने उन्हे पहचान लिया और हाथ जोड़कर खड़े हो गए। सत्ती ने उन्हे नहीं पहचाना तो सत्ती शिव शकर को कहने लगी कि आप इस साधारण मानव के सामने क्यूं खड़े है जो रो रहा है तो शिव शकर ने कहा कि ये साधारण मानव नहीं है बल्कि मेरे भगवान है इसलिए मैं इनकी पूजा में खड़ा हूं तो सती ने कहा कि यह नहीं हो सकता और कहा कि यह तो साधारण मानव है यदि यह भगवान होते तो इन्हे रोने की क्या जरूरत थी और सीता को स्वंय ही खोज लेते तो शकर भगवान ने कहा कि चाहे आप इन्हे परख कर देख ले ये ही भगवान श्रीराम है। जब श्रीराम आगे निकल गए तो सती ने सीता का रूप धारण कर लिया और श्रीराम के आगे आ गई और श्रीराम को कहने लगी कि मैं ही आपकी सीता हूं तो भगवान श्रीराम ने उन्हे पहचान लिया तो सत्ती को पछतावा हुआ। तब जाकर उसे श्रीराम जी के बारे में पत्ता चला जब श्रीराम की परीक्षा लेकर सत्ती शिव शकर के पास पहुची तो शिव शकर ने सोचा कि मैं सीता को मा के समान समझता हू और सती जोकि मेरी पत्नी है उसने सीता का रूप धारण किया था इसलिए मैं कैसे इसके साथ एक पति के रूप में रह सकता हॅू इसलिए शिव शकर ने सत्ती का कृतज्ञ कर दिया।कथा समापन के बाद आरती व प्रसाद का वितरण किया गया इस दौरान कथा आयोजन समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया।कथा का संचालन शुभम सिंह काशी ने किया। इस मौके पर आचार्य अरुण कुमार दुबे,खजांची लाल मोदनवाल,भोला प्रसाद सेठ, राजेश निगम,शोभनाथ जायसवाल सहित सैकड़ो श्रद्धालु रहे।
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