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विदेश व्यापार का रास्ता खुलेगा:मुक्त व्यापार के लिए फिर बातचीत करेंगे भारत-यूरोपियन यूनियन, दोनों पक्षों में 8 साल बाद होगी वार्ता

विदेश व्यापार का रास्ता खुलेगा:मुक्त व्यापार के लिए फिर बातचीत करेंगे भारत-यूरोपियन यूनियन, दोनों पक्षों में 8 साल बाद होगी वार्ता731

👤09-05-2021-भारत और यूरोपियन यूनियन एक बार फिर संतुलित, महत्वाकांक्षी और व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। इसके अलावा दोनों पक्ष स्टैंडअलोन इन्वेस्टमेंट प्रोटेक्शन पैक्ट को लेकर भी मोलभाव करेंगे। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।वर्चुअल समिट के दौरान हुआ फैसलाविदेश मंत्रालय के मुताबिक, मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत का फैसला एक वर्चुअल समिट के दौरान हुआ है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपियन यूनियन के सभी 27 सदस्य देशों के प्रमुख शामिल थे। समिट के दौरान सभी का ट्रेड, इन्वेस्टमेंट और कनेक्टिविटी में सहयोग के विस्तार पर फोकस रहा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष ने स्थायी और व्यापक साझेदारी की शुरुआत की है। मंत्रालय ने इस समिट को ऐतिहासिक क्षण बताया है।कोरोना महामारी पर भी विचारों का आदान-प्रदानसमिट के दौरान सभी नेताओं ने कोरोना महामारी और स्वास्थ्य सेवा सहयोग पर भी विचारों का आदान प्रदान किया। भारत और यूरोपियन यूनियन के नेताओं के बीच हुई इस समिट की मेजबानी पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने की। काउंसिल ऑफ यूरोपियन यूनियन की प्रेसीडेंसी इस समय पुर्तगाल के पास है। यूरोपियन काउंसिल के प्रेसीडेंट चार्ल्स मिशेल ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि यूरोपियन यूनियन-भारत के बीच रणनीतिक भागीदारी को लेकर हम एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं।पीएम मोदी ने कोरोना का कारण टाली पुर्तगाल यात्राप्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को पुर्तगाल के नेताओं से मिलने के लिए पुर्तगाल की यात्रा पर जाना था। लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण बढ़ने के कारण दोनों पक्षों ने इस यात्रा को टाल दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने वर्चुअली समिट करने का फैसला किया था। 2018 में यूरोपियन यूनियन भारत से सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। 2018-19 में दोनों पक्षों के बीच 115.6 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था। इसमें भारत का 57.17 बिलियन डॉलर का निर्यात और 58.42 बिलियन डॉलर का आयात शामिल था।2000 में हुई थी शुरुआतज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि भारत और यूरोपियन यूनियन की समिट साल 2000 में शुरू हुई थी। दोनों इस बात को मानते हैं कि दुनिया की 2 लोकतांत्रिक शक्तियों के हित एक समान हैं। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के निमंत्रण पर मोदी ने वर्चुअली (ऑनलाइन) बैठक में हिस्सा लिया। ऐसी बैठक इससे पहले सिर्फ एक बार और हुई है। बैठक की मेजबानी पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने की।
🕔 एजेंसी

09-05-2021-भारत और यूरोपियन यूनियन एक बार फिर संतुलित, महत्वाकांक्षी और व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। इसके अलावा दोनों पक्ष स्टैंडअलोन इन्वेस्टमेंट...

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 असम: लॉकडाउन में हादसे

असम: लॉकडाउन में हादसे654

👤12-06-2020-असम के तिनसुकिया जिले के एक तेल कुएं में लगी आग उस पूरे इलाके के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है। आग इतनी भयंकर है कि दस किलोमीटर दूर से इसकी लपटें देखी जा सकती हैं। विशाल हरा-भरा इलाका काले धुएं से भर गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस पर काबू पाने में कम से कम चार हफ्ते लगेंगे। याद रहे, यह कोई आकस्मिक हादसा नहीं है। 27 मई को इसी तेल कुएं में एक विस्फोट हुआ था जिसके बाद से वहां गैस लीक हो रही थी। इससे न सिर्फ यहां के लोगों का बल्कि वन्य जीवों का भी जीना हराम हो गया था। आसमान से तेल की बारिश सी हो रही थी, जिससे जल स्रोत प्रदूषित हो रहे थे। मरी डॉल्फिनें नदी में उतराई दिख रही थीं।

अब 15 दिन बाद इसकी परिणति समूचा तेल कुआं ही धधक उठने के रूप में हुई है। आगे कम से कम एक महीने और जलने वाली यह आग यहां के पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाएगी, कहा नहीं जा सकता। मगर हाल के दिनों में जनमानस को उद्वेलित करने वाला यह कोई अकेला औद्योगिक हादसा नहीं है। बमुश्किल हफ्ता भर पहले गुजरात के भरूच शहर में एक केमिकल फैक्ट्री का बॉयलर फट जाने से आठ मजदूर मारे गए और 57 लोग बुरी तरह घायल हुए। उससे पहले मई में ही विशाखापत्तनम की एक पॉलिमर कंपनी से रिसी जहरीली गैस के असर में जिस तरह लोग बेहोश होते, लुढ़कते दिखने लगे, उसे भुलाना मुश्किल है। जांच-पड़ताल में इन तमाम हादसों के पीछे अलग-अलग वजहें खोजी जा सकती हैं, लेकिन एक बात इनमें साझा है कि ये हादसे ऐसे समय में हुए जब देश कोरोना वायरस और लॉकडाउन का सामना कर रहा है। तमाम कल-कारखाने पहले लॉकडाउन की वजह से तुरत-फुरत बंद करने पड़े, फिर मजदूरों के गांव चले जाने से आधे-तिहाई स्टाफ के साथ उन्हें खोलना पड़ रहा है। ध्यान रहे, मजदूर शब्द से एकबारगी जिन ईंट ढोते या बोझा उठाते श्रमिकों की तस्वीर मन में उभरती है, उससे इस वर्कफोर्स के कौशल का अंदाजा नहीं मिलता। औद्योगिक काम संभालने वाले ज्यादातर मजदूर किसी खास काम में माहिर होते हैं। उन्हें तत्काल रिप्लेस करना किसी भी मैनेजमेंट के बूते से बाहर है।

ताजा ट्रेंड कंपनियों में कम से कम कर्मचारी रखने का है। नतीजा यह कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते मजदूरों के पलायन से बने शून्य को भरना सारे ही उद्यमों के प्रबंधन के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है। सारे काम इस जटिलता का आकलन करने के बाद ही शुरू किए जाने चाहिए, वरना आने वाले दिनों में कुछ और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का साक्षी होना पड़ सकता है। कुछ दिन पहले मुंबई के चेंबूर इलाके में गैस लीक की खबरों से लोगों में फैला आतंक इसी आशंका की एक बानगी है। वक्त का तकाजा है कि कंपनियों का प्रबंधन और सरकारें हर तरह के सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के साथ ही मजदूरों को गांव से वापस लाने की गंभीर कोशिशें शुरू करें।

🕔 एजेंसी

12-06-2020-असम के तिनसुकिया जिले के एक तेल कुएं में लगी आग उस पूरे इलाके के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है। आग इतनी भयंकर है कि दस किलोमीटर दूर से इसकी लपटें देखी जा सकती हैं।...

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मप्र में राज्यसभा चुनाव से पहले सिंधिया पर सवाल, ट्विटर बायो पर सफाई से सियासत गर्म

मप्र में राज्यसभा चुनाव से पहले सिंधिया पर सवाल, ट्विटर बायो पर सफाई से सियासत गर्म706

👤06-06-2020-भोपाल।  कांग्रेस छोड़कर करीब तीन माह पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर बायो पर सवाल उठाए जाने और सिंधिया की सफाई के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। सोशल मीडिया पर तेजी से यह बात वायरल हुई कि नाराजगी के चलते सिंधिया ने अपने ट्विटर बायो से भाजपा शब्द हटा दिया है। सिंधिया 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हैं और उसके पहले इस घटना से सिंधिया समर्थकों में उबाल आ गया है। सिंधिया के ट्विटर अकाउंट के बायो को लेकर दो दिन से सोशल मीडिया पर सूचना पोस्ट की जा रही थीं कि उन्होंने अपने बायो में से भाजपा को हटा लिया है। शनिवार को अपने एक समर्थक के ट्वीट को री-ट्वीट कर उन्होंने सफाई में कहा कि सोशल मीडिया और मीडिया में चल रही खबरें पूरी तरह से निराधार हैं। समर्थक के ट्वीट में यह भी कहा गया है कि सिंधिया ने अपने अकाउंट बायो में कोई परिवर्तन नहीं किया है। पहले जो क्रिकेट प्रेमी और जनसेवक था, वही आज भी है। सिंधिया के साथ ही भाजपा में शामिल होने वाले वरिष्ठ नेता पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि सिंधिया के ट्विटर अकाउंट के बायो को बदले जाने की खबरें पूरी तरह निराधार हैं। कांग्रेस छोड़ने से पहले सिंधिया ने अपने अकाउंट के बायो में खुद को क्रिकेट प्रेमी और जनसेवक लिखा था। भाजपा में शामिल होने के बाद सिर्फ अपने प्रोफाइल पिक्चर में बदलाव किया था। इसके अलावा कोई और परिवर्तन नहीं किया, इसलिए जब कोई बदलाव ही नहीं हुआ तो फिर परिवर्तन का सवाल ही कहां है।\r\nसिंधिया की भाजपा से नाराजगी की अफवाह\r\nसिंधिया समर्थकों का कहना है कि शरारती तत्वों ने साजिश के तहत सोशल मीडिया पर यह बात तेजी से फैलाई कि भाजपा से नाराजगी के चलते सिंधिया ने अपने ट्विटर बायो से भाजपा को हटा दिया। सिंधिया का कहना है कि बायो में जो चीजें थीं वही आज भी हैं। सिर्फ तस्वीर में बदलाव हुआ है। पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि ये वे लोग हैं जो सिंधिया की लोकप्रियता से डरते हैं। सिंधिया के ट्विटर हैंडल की शुरूआत में दो महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की गई हैं-लोक सेवक और क्रिकेट उत्साही। प्रोफाइल तस्वीर में उस समय को दर्शाया गया है जब वह भाजपा में शामिल हुए थे, जिसमें वह मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं, गर्दन के चारों ओर \'कमल\' की निशानी के साथ \'गमछा\' पहने हुए हैं।\r\nकवर प्रोफाइल पिक्चर में वह अपने समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करते हुए एक कार में नजर आ रहे हैं। 11 मार्च को भाजपा में शामिल होने के बाद सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल पर सिर्फ तस्वीर ही बदली। उन्होंने अपने बायो में भाजपा शब्द नहीं जोड़ा था। इसलिए उसे हटाए जाने का सवाल ही नहीं है। इतना ही नहीं सिंधिया अपनी पार्टी की जानकारी भी री-ट्वीट कर रहे हैं। उन्होंने आगामी उपचुनाव में सभी 24 सीटें भाजपा के जीतने का दावा भी किया था। 
🕔 एजेंसी

06-06-2020-भोपाल।  कांग्रेस छोड़कर करीब तीन माह पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर बायो पर सवाल उठाए जाने और सिंधिया की सफाई के बाद...

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प्रवासियों की ट्रेन को राज्य में घुसने नहीं दे रही बंगाल सरकार, अमित शाह ने ममता को लिखा पत्र

प्रवासियों की ट्रेन को राज्य में घुसने नहीं दे रही बंगाल सरकार, अमित शाह ने ममता को लिखा पत्र25

👤09-05-2020-
नई दिल्ली/कोलकाता।केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनातनी देखने को मिलती रहती है।अब प्रवासी मजदूरों को लेकर दोनों आमने-सामने आ गए हैं। आज गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से घर पहुंचने में ममता सरकार केंद्र की मदद नहीं कर रही है।इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा है।उन्होंने कहा है कि बंगाल सरकार ट्रेन को राज्य में प्रवेश नहीं करने दे रही हैं।

शाह ने लगाई ममता बनर्जी को फटकार
एक तरफ जहां कई राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनों का संचालन कर रही हैं, वहीं बंगाल सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। इसे लेकर शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। इस पत्र में शाह ने कहा, \'प्रवासियों को घर पहुंचने में मदद करने के लिए राज्य सरकार का सहयोग नहीं मिल रहा है। बंगाल सरकार राज्य में प्रवासियों को ट्रेन तक नहीं पहुंचने दे रही है। पश्चिम बंगाल तक ट्रेनों को नहीं आने देना प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है। यह उनके लिए और अधिक कठिनाई पैदा करेगा।\'केंद्र सरकार द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न स्थानों तक के लिए प्रवासी मजदूरों के परिवहन की सुविधा के लिए चलाई जा रही \'श्रमिक स्पेशल\' ट्रेनों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र की मदद से दो लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके राज्य पहुंचाया गया है। पत्र में शाह ने कहा पश्चिम बंगाल में मौजूद प्रवासी मजदूर भी घर पहुंचने के लिए उत्सुक हैं और केंद्र सरकार भी ट्रेन सेवाओं की सुविधा प्रदान कर रही है। लेकिन हमें पश्चिम बंगाल से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार ट्रेन को बंगाल पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है। यह बंगाल में फंसे मजदूरों के साथ अन्याय है। इससे उनके लिए और मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।बंगाल के प्रवासी कामगारों को वापस की अपील: अधीर रंजन चौधरीगृह मंत्री अमित शाह के पत्र के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया है कि मैंने गुरुवार(7 मई) को गृह मंत्री अमित शाह के साथ चर्चा की थी। उन्होंने मुझे बताया कि वह बंगाल सरकार से लगातार पूछ रहे हैं कि उन्हें प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए कितने ट्रेनों की जरूरत है, लेकिन दो दिन पहले तक राज्य सरकार ने कोई सूची नहीं दी भेजी थी।उन्होंने आगे कहा कि मुझे आज पता चला कि राज्य सरकार ने 8 ट्रेनों की मांग की है। मैं राज्य सरकार और अमित शाह से अपील करता हूं कि वे बंगाल के फंसे हुए प्रवासी कामगारों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
🕔 एजेंसी

09-05-2020-
नई दिल्ली/कोलकाता।केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनातनी देखने को मिलती रहती है।अब प्रवासी मजदूरों को लेकर दोनों आमने-सामने आ गए हैं। आज गृह...

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दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग में सपोर्ट के लिए घर आए थे कपिल सिब्बल, मैंने घुसने नहीं दिया: रंजन गोगोई

दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग में सपोर्ट के लिए घर आए थे कपिल सिब्बल, मैंने घुसने नहीं दिया: रंजन गोगोई156

👤22-03-2020-
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जब से राज्यसभा सांसद बने हैं, तब से ही सुर्खियों में बने हुए हैं। राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ लेने के बाद पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल पर एक बड़ा आरोप लगाया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में रंजन गोगोई ने आरोप लगाया कि साल 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसके बाद वह तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट का समर्थन मांगने उनके आवास गए थे। हालांकि, उन्होंने दिग्गज वकील कपिल सिब्बल को घर में घुसने नहीं दिया था। टीवी चैनल टाइमस नाऊ से बातचीत में राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई से जब कपिल सिब्बल को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, \'व्यक्तिगत रूप पर मैं कपिल सिब्बल पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, मगर मुझे नहीं पता कि मैंने सही किया या गलत, मगर मैं यह जरूर बताना चाहूंगा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस (सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चार जजों की 18 जनवरी, 2018 की प्रेस कॉन्फ्रेंस) के बाद वो मेरे आवास पर आए थे। वह तत्ककालीन पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट का समर्थन मांगने आए थे। मैंने उन्हें अपने घर में आने ही नहीं दिया था। इसके बाद पत्रकार कहती हैं कि यह बड़ा खुलासा है, तो इस पर रंजन गोगोई ने कहा कि मैं उस वक्त चीफ जज नहीं था। मैं सुप्रीम कोर्ट में तीसरे नंबर का जज था और मेरा आवास 10, तीस जनवरी मार्ग। बता दें कि 12 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे देश को चौंका दिया था। इस प्रेस क़ॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले जज थे- जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई। इसके बाद पत्रकार ने पूछा कि कपिल सिब्बल ने आपको क्या कहा, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें घर में घुसने ही नहीं दिया गया। क्या आपको उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर कहा कि वह दीपक मिश्रा के प्रस्ताव पर आपका सपोर्ट मांग रहे हैं? तो इस पर रंजन गोगोई कहते हैं कि उन्हें घर में एंट्री ही नहीं मिली। जब उनसे पत्रकार पूछती हैं, जब उन्होंने कपिल सिब्बल को घर में घुसने ही नहीं दिया और न उनसे बात ही नहीं हो पाई तो उन्हें पता कैसे चला कि वह क्या कहनेआए थे? इस पर पूर्व रंजन गोगोई ने कहा, \'क्योंकि शाम में ही एक फोन आया था और मुझसे कहा गया था कि वह इस मुद्दे पर बात करने के लिए मेरे यहां आएंगे। मैंने फोन करने वाले व्यक्ति से कह दिया था कि उन्हें मेरे घर में किसी तरह एंट्री नहीं दीजिए।\'कपिल सिब्बल ने रंजन गोगोई को लेकर क्या कहा था
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर कहा था कि गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे। कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया था, \'न्यायमूर्ति एच आर खन्ना अपनी ईमानदारी, सरकार के सामने खड़े होने और कानून का शासन बरकरार रखने के लिए याद किए जाते हैं। न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे।\'दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके सेवानिवृत्त होने से पहले उन्हीं की अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया था।
🕔 एजेंसी

22-03-2020-
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जब से राज्यसभा सांसद बने हैं, तब से ही सुर्खियों में बने हुए हैं। राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ लेने के बाद पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगी...

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हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा

हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा151

👤18-01-2020-
उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित किया है। इस घटना की जांच के लिए न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुर्कर की अध्यक्षता में यह आयोग गठित किया है। न्यायालय ने कहा कि यह जांच आयोग उन परिस्थितियों की जांच करेगा जिसमे चारों की मृत्यु हुयी और यह भी पता करेगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि ऐसा लगता है कि इस दौरान कोई अपराध हुआ है तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित की जाएगी।पीठ ने जांच आयोग की पहली कार्य शर्त के बारे में कहा कि यह हैदराबाद में छह दिसंबर, 2019 को चार व्यक्तियों -मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलु, जोलु शिवा और जोल्लू नवीन की मृत्यु से संबंधित कथित घटना की जांच करेगा, जिन्हें एक युवा महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और घटना के वक्त वे पुलिस हिरासत में थे।इसी तरह, आयोग की दूसरी कार्य शर्त के बारे मे न्यायालय ने कहा कि वह उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिसकी वजह से इन चार व्यक्तियों की मृत्यु हुई और यह पता लगाएगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है और यदि हां तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेगा। शीर्ष अदालत का यह आदेश हाल ही में न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आयोग के लिए पारिश्रमिक भी निर्धारित किया है। इसके तहत आयोग के अध्यक्ष को प्रति बैठक डेढ़ लाख रुपए और इसके सदस्यों को एक एक लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि जांच के अध्यक्ष और सदस्यों को शीर्ष अदालत के 12 दिसंबर, 2019 के आदेश के अनुसार अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस आयोग में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोन्दूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को इस मामले में पहली सुनवाई की तारीख से छह महीने में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी है। 
🕔 एजेंसी

18-01-2020-
उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय...

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जे पी नड्डा का 20 जनवरी को निर्विरोध भाजपा अध्यक्ष चुना जाना तय

जे पी नड्डा का 20 जनवरी को निर्विरोध भाजपा अध्यक्ष चुना जाना तय676

👤18-01-2020-
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा का 20 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाना तय माना जा रहा है। पार्टी ने शुक्रवार (17 जनवरी) को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव की तारीख की घोषणा की। संगठन के भीतर होने वाली चुनाव प्रक्रिया के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता राधा मोहन सिंह ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन पत्र 20 जनवरी को भरा जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर अगले दिन मतदान होगा।पार्टी सूत्रों ने कहा कि संगठन की परंपरा के अनुसार दशकों तक संगठन का अनुभव रखने वाले नड्डा को निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। सोमवार (20 जनवरी) को नड्डा के समर्थन में नामांकन करने के लिए भाजपा मुख्यालय पर केंद्रीय मंत्रियों समेत पार्टी के उच्च नेताओं का जमावड़ा होने की उम्मीद है।मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद भाजपा ने उनका उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी क्योंकि पार्टी में “एक व्यक्ति एक पद” का नियम है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि पार्टी की 36 राज्य और केंद्र शासित इकाईयों में से 21 में पार्टी की आतंरिक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।भाजपा का संविधान कहता है कि कुल राज्य और केंद्र शासित इकाइयों में से कम से कम आधे में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जा सकता है। नड्डा को पिछले साल जुलाई में कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से यह संकेत मिला था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। नड्डा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी समर्थन प्राप्त है। 
🕔 एजेंसी

18-01-2020-
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा का 20 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाना तय माना जा रहा है। पार्टी ने शुक्रवार (17 जनवरी) को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव...

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'MP गजब है': जन्म से पहले ही थाने में दर्ज हो गई FIR

'MP गजब है': जन्म से पहले ही थाने में दर्ज हो गई FIR923

👤17-12-2019-
\'एमपी अजब है, सबसे गजब है\' -यह स्लोगन तो लगभग एक दशक पहले बना था, मगर वास्तव में मध्यप्रदेश तो कई दशकों से अजब-गजब रहा है और आज भी है। इसका नमूना है नीमच जिले का एक घटनाक्रम। यहां आरोपी का जन्म बाद में होता है और उसके खिलाफ मामला पहले ही दर्ज हो जाता है। बात जावद तहसील क्षेत्र के उम्मेदपुरा गांव की है। यहां के कय्यूम खान ने मार्च 1991 में एक भूखंड (प्लॉट) खरीदा था, इस भूखंड को खरीदते समय दस्तावेज के टंकण (टाइपिंग) में गड़बड़ी हुई और जमीन को लेकर विवाद हो गया। इस पर हारुन मोहम्मद ने कय्यूम और उसके साथ दो अन्य लोगों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। हारुन की रिपोर्ट में पिता कय्यूम के साथ इम्तियाज और इमरान को भी आरोपी बनाया गया। इम्तियाज को पिछले दिनों पता चला कि वर्ष 1992 में दर्ज हुए एक मामले में उसका भी नाम है तो वह यह जानकार हैरान हो गया। इम्तियाज का कहना है कि उसका जन्म 15 मई, 1993 को हुआ, जबकि जमीन का सौदा मार्च, 1991 में हुआ था। थाने में शिकायत दर्ज हुई। जब एफआईआर दर्ज हुई, उस समय उसका जन्म ही नहीं हुआ था। इम्तियाज का कहना है कि उसके भाई इमरान को भी आरोपी बनाया गया है। उस समय इमरान की उम्र महज दो साल थी। इमरान का जन्म वर्ष 199० में हुआ और पुलिस ने मामला वर्ष 1992 में दर्ज किया। इस तरह इम्तियाज को दुनिया में आने से पहले ही आरोपी बना दिया गया और इमरान को दो साल की उम्र में आरोपी बना दिया। इम्तियाज सारे घटनाक्रम और अपनी व भाई की उम्र से पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सगर को अवगत कराया।  पुलिस अधीक्षक सगर ने आईएएनएस को बताया कि यह जमीन संबंधी मामला है, जन्म हेाने से पहले ही प्रकरण दर्ज किए जाने की बात सामने आई है। एफआईआर दर्ज कराते समय तथ्यों को क्या छुपाया गया, इस बात की जांच की जा रही है। इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं, जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। 
🕔 एजेंसी

17-12-2019-
\'एमपी अजब है, सबसे गजब है\' -यह स्लोगन तो लगभग एक दशक पहले बना था, मगर वास्तव में मध्यप्रदेश तो कई दशकों से अजब-गजब रहा है और आज भी है। इसका नमूना है नीमच जिले का एक घटनाक्रम।...

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कर्नाटक: सिद्धरमैया और एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज

कर्नाटक: सिद्धरमैया और एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज50

👤30-11-2019-पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों सिद्धरमैया और एचडी कुमारस्वामी के साथ ही बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार, उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मियों तथा कांग्रेस और जद (एस) के कुछ नेताओं के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। यह मामला लोकसभा चुनावों के दौरान की गई आयकर छापेमारी का विरोध करने के लिए दर्ज किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिकार्जुन ए. की शिकायत पर शहर की एक अदालत ने हाल ही में कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस को आपराधिक षड्यंत्र रचने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश करने सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। मामला कांग्रेस और जद (एस) नेताओं के आवास पर मारे गए आयकर छापे के विरोध में यहां आयकर कार्यालय के पास तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी समेत अन्य नेताओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित है। आरोप है कि कुमारस्वामी ने छापेमारी की जानकारी होने के बाद लोगों को संभावित कार्रवाई की सूचना दी थी। जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर, डीके शिवकुमार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव, तत्कालीन पुलिस उपायुक्त राहुल कुमार और डी देवराजू के अलावा सभी निर्वाचन अधिकारी भी शामिल हैं। 
🕔 एजेंसी

30-11-2019-पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों सिद्धरमैया और एचडी कुमारस्वामी के साथ ही बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार, उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मियों तथा कांग्रेस और...

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रक्षा मंत्री बोले- भारत और चीन इतने समझदार कि सीमा पर तनाव कम कर सकें

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👤16-11-2019-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सीमा के मुद्दे पर भारत एवं चीन की अवधारणा में अंतर के बावजूद दोनों देशों की सेना इतनी समझदार हैं कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम कर सकें। उन्होंने साथ ही कहा कि बुम ला दर्रा के निकट एलएसी पर कोई तनाव नहीं है। राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा पर बुम ला की अग्रिम चौकी का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने हर तरह के हालात में बहुत परिपक्वता दिखाने के लिए भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने कहा, मुझे यहां जवानों से बात करने का मौका मिला। मुझे अपने जवानों से यह जानकर बहुत खुशी हुई कि भारत-चीन की इस सीमा पर, जो कि एलएसी है, हम बहुत समझदारी से काम कर रहे हैं और चीन की पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) भी समझदारी से काम कर रही है। बुम ला दर्रा के निकट इस एलएसी में यहां कोई तनाव नहीं है। रक्षा मंत्री ने परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार जोगिंदर सिंह के स्मारक के भी दर्शन किए।  सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 के युद्ध के समय अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए बलिदान दिया था।किसानों के खातिर आरसीईपी से अलग रहे प्रधानमंत्री:राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और खासतौर से पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए आरसीईपी से बाहर रहने का फैसला लिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल हो गया होता तो किसानों, कामगारों और उद्योगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव होगा। 
🕔 एजेंसी

16-11-2019-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सीमा के मुद्दे पर भारत एवं चीन की अवधारणा में अंतर के बावजूद दोनों देशों की सेना इतनी समझदार हैं कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा...

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