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कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं

कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं334

👤06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में कोरोना के एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं हैं।  आपको बता दें कि  सोमवार सुबह चार हजार के पार पहुंच गई। वहीं, 100 से अधिक लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। भारत में कोरोना पीड़ितों की तादाद तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है, लेकिन 17 राज्यों के सिर्फ दो फीसदी से थोड़े ज्यादा 73 मरीज गंभीर स्थिति के कारण आईसीयू में हैं और करीब 32 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली में आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 9 से 12 फीसदी है और तीन से सात फीसदी तक वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे हैं। आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जो 60 मौतें कोरोना से हुई थी, उसमें से महज आठ वेंटिलेटर पर थे। एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या कम होने को लेकर कई अवधारणाएं हैं, लेकिन इन पर मुहर लगना बाकी है। मिश्रा के मुताबिक, कोरोना का जो वायरस है, वह आरएनए वायरस है। भारत में डेंगू का बेहद प्रसार रहा है। जीका, मलेरिया से काफी लोग कभी न कभी चपेट में आए हैं और इनकी दवाओं के कारण हमारे अंदर ऐसे एंटीबॉडी हैं, जो इस वायरस का बेहतर मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं। बीसीजी टीकाकरण के कारण भी भारतीयों की प्रतिरोधक क्षमता दूसरे देशों की तुलना में अच्छी है। भारत में बुजुर्गों की संख्या स्पेन, इटली या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम हैं, इस कारण भी भारत में गंभीर स्थिति वाले मरीजों की संख्या कम है। बुजुर्गों में डायबिटीज, हृदय, किडनी-लीवर की गंभीर समस्याएं ज्यादा होती हैं, लिहाजा उन देशों में ज्यादा मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीयों में शाकाहार के ज्यादा प्रचलन और हल्दी जैसे कई औषधीय मसालों के कारण संक्रमणरोधी क्षमता ज्यादा है। जबकि विदेशियों की मांसाहार पर निर्भरता और ज्यादा सुरक्षित वातावरण के कारण किसी भी परजीवी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। हमारे यहां वायरस कुछ म्यूटेशन देखा गया है, यानी कभी वह ज्यादा आक्रामक और कभी कम सक्रिय रहता है और भारत में यह वायरस कम सक्रियता दिखा रहा है। लेडी हार्डिंग कॉलेज एवं हॉस्पिटल के निदेशक एनएन माथुर का कहना है कि इटली और स्पेन के मुकाबले भारत में आईसीयू में भर्ती या वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या नगण्य है। भारत में महामारी अभी सामुदायिक संक्रमण स्तर पर नहीं है और देश में तमाम तरह के वायरस का लंबा इतिहास होने के कारण संभवतः हमारा शरीर इससे लड़ने में ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण अभी की तादाद के हिसाब से तो पर्याप्त हैं, लेकिन आंकड़ों में तेजी से इजाफा होगा तो संकट पैदा हो सकता है।\r\nदिल्ली में पांच मरीज वेंटिलेटर पर : 
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के लगभग 80 फीसदी मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं या उन्हें गंभीर समस्या नहीं होती। वहीं 20 फीसदी मरीजों को ज्यादा लक्षण दिखते हैं। इनमें से 3 से 5 फीसदी को ही आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं 2 से 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में 445 कोरोना के मरीज अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 11 आईसीयू में हैं और 5 वेंटिलेटर पर हैं। \r\nएक लाख आबादी पर कितने वेंटिलेटर : 
अमेरिका-48 
जर्मनी-34
फ्रांस-12
इटली-12.5
स्पेन-09
ब्रिटेन-07
भारत-3.69
(स्रोत-फार्च्यून)\r\nकहां कितने वेंटिलेटर : 
भारत-48 हजार
जर्मनी-25 हजार
अमेरिका-1.60 लाख
ब्रिटेन-09 हजार
फ्रांस- 05 हजार\r\n- 9.60 लाख वेंटिलेटर की मांग यूरोप और अमेरिका में
- 02 कंपनियां बना रहीं भारत में वेंटिलेटर
- 1.50 लाख कीमत सामान्य वेंटिलेटर की
🕔tanveer ahmad

06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में...

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कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं

कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं410

👤06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में कोरोना के एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं हैं।  आपको बता दें कि  सोमवार सुबह चार हजार के पार पहुंच गई। वहीं, 100 से अधिक लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। भारत में कोरोना पीड़ितों की तादाद तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है, लेकिन 17 राज्यों के सिर्फ दो फीसदी से थोड़े ज्यादा 73 मरीज गंभीर स्थिति के कारण आईसीयू में हैं और करीब 32 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली में आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 9 से 12 फीसदी है और तीन से सात फीसदी तक वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे हैं। आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जो 60 मौतें कोरोना से हुई थी, उसमें से महज आठ वेंटिलेटर पर थे। एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या कम होने को लेकर कई अवधारणाएं हैं, लेकिन इन पर मुहर लगना बाकी है। मिश्रा के मुताबिक, कोरोना का जो वायरस है, वह आरएनए वायरस है। भारत में डेंगू का बेहद प्रसार रहा है। जीका, मलेरिया से काफी लोग कभी न कभी चपेट में आए हैं और इनकी दवाओं के कारण हमारे अंदर ऐसे एंटीबॉडी हैं, जो इस वायरस का बेहतर मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं। बीसीजी टीकाकरण के कारण भी भारतीयों की प्रतिरोधक क्षमता दूसरे देशों की तुलना में अच्छी है। भारत में बुजुर्गों की संख्या स्पेन, इटली या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम हैं, इस कारण भी भारत में गंभीर स्थिति वाले मरीजों की संख्या कम है। बुजुर्गों में डायबिटीज, हृदय, किडनी-लीवर की गंभीर समस्याएं ज्यादा होती हैं, लिहाजा उन देशों में ज्यादा मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीयों में शाकाहार के ज्यादा प्रचलन और हल्दी जैसे कई औषधीय मसालों के कारण संक्रमणरोधी क्षमता ज्यादा है। जबकि विदेशियों की मांसाहार पर निर्भरता और ज्यादा सुरक्षित वातावरण के कारण किसी भी परजीवी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। हमारे यहां वायरस कुछ म्यूटेशन देखा गया है, यानी कभी वह ज्यादा आक्रामक और कभी कम सक्रिय रहता है और भारत में यह वायरस कम सक्रियता दिखा रहा है। लेडी हार्डिंग कॉलेज एवं हॉस्पिटल के निदेशक एनएन माथुर का कहना है कि इटली और स्पेन के मुकाबले भारत में आईसीयू में भर्ती या वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या नगण्य है। भारत में महामारी अभी सामुदायिक संक्रमण स्तर पर नहीं है और देश में तमाम तरह के वायरस का लंबा इतिहास होने के कारण संभवतः हमारा शरीर इससे लड़ने में ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण अभी की तादाद के हिसाब से तो पर्याप्त हैं, लेकिन आंकड़ों में तेजी से इजाफा होगा तो संकट पैदा हो सकता है।\r\nदिल्ली में पांच मरीज वेंटिलेटर पर : 
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के लगभग 80 फीसदी मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं या उन्हें गंभीर समस्या नहीं होती। वहीं 20 फीसदी मरीजों को ज्यादा लक्षण दिखते हैं। इनमें से 3 से 5 फीसदी को ही आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं 2 से 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में 445 कोरोना के मरीज अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 11 आईसीयू में हैं और 5 वेंटिलेटर पर हैं। \r\nएक लाख आबादी पर कितने वेंटिलेटर : 
अमेरिका-48 
जर्मनी-34
फ्रांस-12
इटली-12.5
स्पेन-09
ब्रिटेन-07
भारत-3.69
(स्रोत-फार्च्यून)\r\nकहां कितने वेंटिलेटर : 
भारत-48 हजार
जर्मनी-25 हजार
अमेरिका-1.60 लाख
ब्रिटेन-09 हजार
फ्रांस- 05 हजार\r\n- 9.60 लाख वेंटिलेटर की मांग यूरोप और अमेरिका में
- 02 कंपनियां बना रहीं भारत में वेंटिलेटर
- 1.50 लाख कीमत सामान्य वेंटिलेटर की
🕔tanveer ahmad

06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में...

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कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं

कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं139

👤06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में कोरोना के एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं हैं।  आपको बता दें कि  सोमवार सुबह चार हजार के पार पहुंच गई। वहीं, 100 से अधिक लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। भारत में कोरोना पीड़ितों की तादाद तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है, लेकिन 17 राज्यों के सिर्फ दो फीसदी से थोड़े ज्यादा 73 मरीज गंभीर स्थिति के कारण आईसीयू में हैं और करीब 32 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली में आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 9 से 12 फीसदी है और तीन से सात फीसदी तक वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे हैं। आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जो 60 मौतें कोरोना से हुई थी, उसमें से महज आठ वेंटिलेटर पर थे। एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या कम होने को लेकर कई अवधारणाएं हैं, लेकिन इन पर मुहर लगना बाकी है। मिश्रा के मुताबिक, कोरोना का जो वायरस है, वह आरएनए वायरस है। भारत में डेंगू का बेहद प्रसार रहा है। जीका, मलेरिया से काफी लोग कभी न कभी चपेट में आए हैं और इनकी दवाओं के कारण हमारे अंदर ऐसे एंटीबॉडी हैं, जो इस वायरस का बेहतर मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं। बीसीजी टीकाकरण के कारण भी भारतीयों की प्रतिरोधक क्षमता दूसरे देशों की तुलना में अच्छी है। भारत में बुजुर्गों की संख्या स्पेन, इटली या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम हैं, इस कारण भी भारत में गंभीर स्थिति वाले मरीजों की संख्या कम है। बुजुर्गों में डायबिटीज, हृदय, किडनी-लीवर की गंभीर समस्याएं ज्यादा होती हैं, लिहाजा उन देशों में ज्यादा मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीयों में शाकाहार के ज्यादा प्रचलन और हल्दी जैसे कई औषधीय मसालों के कारण संक्रमणरोधी क्षमता ज्यादा है। जबकि विदेशियों की मांसाहार पर निर्भरता और ज्यादा सुरक्षित वातावरण के कारण किसी भी परजीवी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। हमारे यहां वायरस कुछ म्यूटेशन देखा गया है, यानी कभी वह ज्यादा आक्रामक और कभी कम सक्रिय रहता है और भारत में यह वायरस कम सक्रियता दिखा रहा है। लेडी हार्डिंग कॉलेज एवं हॉस्पिटल के निदेशक एनएन माथुर का कहना है कि इटली और स्पेन के मुकाबले भारत में आईसीयू में भर्ती या वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या नगण्य है। भारत में महामारी अभी सामुदायिक संक्रमण स्तर पर नहीं है और देश में तमाम तरह के वायरस का लंबा इतिहास होने के कारण संभवतः हमारा शरीर इससे लड़ने में ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण अभी की तादाद के हिसाब से तो पर्याप्त हैं, लेकिन आंकड़ों में तेजी से इजाफा होगा तो संकट पैदा हो सकता है।\r\nदिल्ली में पांच मरीज वेंटिलेटर पर : 
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के लगभग 80 फीसदी मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं या उन्हें गंभीर समस्या नहीं होती। वहीं 20 फीसदी मरीजों को ज्यादा लक्षण दिखते हैं। इनमें से 3 से 5 फीसदी को ही आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं 2 से 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में 445 कोरोना के मरीज अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 11 आईसीयू में हैं और 5 वेंटिलेटर पर हैं। \r\nएक लाख आबादी पर कितने वेंटिलेटर : 
अमेरिका-48 
जर्मनी-34
फ्रांस-12
इटली-12.5
स्पेन-09
ब्रिटेन-07
भारत-3.69
(स्रोत-फार्च्यून)\r\nकहां कितने वेंटिलेटर : 
भारत-48 हजार
जर्मनी-25 हजार
अमेरिका-1.60 लाख
ब्रिटेन-09 हजार
फ्रांस- 05 हजार\r\n- 9.60 लाख वेंटिलेटर की मांग यूरोप और अमेरिका में
- 02 कंपनियां बना रहीं भारत में वेंटिलेटर
- 1.50 लाख कीमत सामान्य वेंटिलेटर की
🕔tanveer ahmad

06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में...

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कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं195

👤06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में कोरोना के एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं हैं।  आपको बता दें कि  सोमवार सुबह चार हजार के पार पहुंच गई। वहीं, 100 से अधिक लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। भारत में कोरोना पीड़ितों की तादाद तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है, लेकिन 17 राज्यों के सिर्फ दो फीसदी से थोड़े ज्यादा 73 मरीज गंभीर स्थिति के कारण आईसीयू में हैं और करीब 32 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली में आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 9 से 12 फीसदी है और तीन से सात फीसदी तक वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे हैं। आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जो 60 मौतें कोरोना से हुई थी, उसमें से महज आठ वेंटिलेटर पर थे। एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या कम होने को लेकर कई अवधारणाएं हैं, लेकिन इन पर मुहर लगना बाकी है। मिश्रा के मुताबिक, कोरोना का जो वायरस है, वह आरएनए वायरस है। भारत में डेंगू का बेहद प्रसार रहा है। जीका, मलेरिया से काफी लोग कभी न कभी चपेट में आए हैं और इनकी दवाओं के कारण हमारे अंदर ऐसे एंटीबॉडी हैं, जो इस वायरस का बेहतर मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं। बीसीजी टीकाकरण के कारण भी भारतीयों की प्रतिरोधक क्षमता दूसरे देशों की तुलना में अच्छी है। भारत में बुजुर्गों की संख्या स्पेन, इटली या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम हैं, इस कारण भी भारत में गंभीर स्थिति वाले मरीजों की संख्या कम है। बुजुर्गों में डायबिटीज, हृदय, किडनी-लीवर की गंभीर समस्याएं ज्यादा होती हैं, लिहाजा उन देशों में ज्यादा मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीयों में शाकाहार के ज्यादा प्रचलन और हल्दी जैसे कई औषधीय मसालों के कारण संक्रमणरोधी क्षमता ज्यादा है। जबकि विदेशियों की मांसाहार पर निर्भरता और ज्यादा सुरक्षित वातावरण के कारण किसी भी परजीवी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। हमारे यहां वायरस कुछ म्यूटेशन देखा गया है, यानी कभी वह ज्यादा आक्रामक और कभी कम सक्रिय रहता है और भारत में यह वायरस कम सक्रियता दिखा रहा है। लेडी हार्डिंग कॉलेज एवं हॉस्पिटल के निदेशक एनएन माथुर का कहना है कि इटली और स्पेन के मुकाबले भारत में आईसीयू में भर्ती या वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या नगण्य है। भारत में महामारी अभी सामुदायिक संक्रमण स्तर पर नहीं है और देश में तमाम तरह के वायरस का लंबा इतिहास होने के कारण संभवतः हमारा शरीर इससे लड़ने में ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण अभी की तादाद के हिसाब से तो पर्याप्त हैं, लेकिन आंकड़ों में तेजी से इजाफा होगा तो संकट पैदा हो सकता है।\r\nदिल्ली में पांच मरीज वेंटिलेटर पर : 
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के लगभग 80 फीसदी मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं या उन्हें गंभीर समस्या नहीं होती। वहीं 20 फीसदी मरीजों को ज्यादा लक्षण दिखते हैं। इनमें से 3 से 5 फीसदी को ही आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं 2 से 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में 445 कोरोना के मरीज अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 11 आईसीयू में हैं और 5 वेंटिलेटर पर हैं। \r\nएक लाख आबादी पर कितने वेंटिलेटर : 
अमेरिका-48 
जर्मनी-34
फ्रांस-12
इटली-12.5
स्पेन-09
ब्रिटेन-07
भारत-3.69
(स्रोत-फार्च्यून)\r\nकहां कितने वेंटिलेटर : 
भारत-48 हजार
जर्मनी-25 हजार
अमेरिका-1.60 लाख
ब्रिटेन-09 हजार
फ्रांस- 05 हजार\r\n- 9.60 लाख वेंटिलेटर की मांग यूरोप और अमेरिका में
- 02 कंपनियां बना रहीं भारत में वेंटिलेटर
- 1.50 लाख कीमत सामान्य वेंटिलेटर की
🕔tanveer ahmad

06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में...

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कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी खबर, भारत में एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं982

👤06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में कोरोना के एक फीसदी मरीज भी वेंटिलेटर पर नहीं हैं।  आपको बता दें कि  सोमवार सुबह चार हजार के पार पहुंच गई। वहीं, 100 से अधिक लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है। भारत में कोरोना पीड़ितों की तादाद तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है, लेकिन 17 राज्यों के सिर्फ दो फीसदी से थोड़े ज्यादा 73 मरीज गंभीर स्थिति के कारण आईसीयू में हैं और करीब 32 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली में आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 9 से 12 फीसदी है और तीन से सात फीसदी तक वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे हैं। आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जो 60 मौतें कोरोना से हुई थी, उसमें से महज आठ वेंटिलेटर पर थे। एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा ने कहा कि भारत में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या कम होने को लेकर कई अवधारणाएं हैं, लेकिन इन पर मुहर लगना बाकी है। मिश्रा के मुताबिक, कोरोना का जो वायरस है, वह आरएनए वायरस है। भारत में डेंगू का बेहद प्रसार रहा है। जीका, मलेरिया से काफी लोग कभी न कभी चपेट में आए हैं और इनकी दवाओं के कारण हमारे अंदर ऐसे एंटीबॉडी हैं, जो इस वायरस का बेहतर मुकाबला कर पाने में सक्षम हैं। बीसीजी टीकाकरण के कारण भी भारतीयों की प्रतिरोधक क्षमता दूसरे देशों की तुलना में अच्छी है। भारत में बुजुर्गों की संख्या स्पेन, इटली या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम हैं, इस कारण भी भारत में गंभीर स्थिति वाले मरीजों की संख्या कम है। बुजुर्गों में डायबिटीज, हृदय, किडनी-लीवर की गंभीर समस्याएं ज्यादा होती हैं, लिहाजा उन देशों में ज्यादा मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीयों में शाकाहार के ज्यादा प्रचलन और हल्दी जैसे कई औषधीय मसालों के कारण संक्रमणरोधी क्षमता ज्यादा है। जबकि विदेशियों की मांसाहार पर निर्भरता और ज्यादा सुरक्षित वातावरण के कारण किसी भी परजीवी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। हमारे यहां वायरस कुछ म्यूटेशन देखा गया है, यानी कभी वह ज्यादा आक्रामक और कभी कम सक्रिय रहता है और भारत में यह वायरस कम सक्रियता दिखा रहा है। लेडी हार्डिंग कॉलेज एवं हॉस्पिटल के निदेशक एनएन माथुर का कहना है कि इटली और स्पेन के मुकाबले भारत में आईसीयू में भर्ती या वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या नगण्य है। भारत में महामारी अभी सामुदायिक संक्रमण स्तर पर नहीं है और देश में तमाम तरह के वायरस का लंबा इतिहास होने के कारण संभवतः हमारा शरीर इससे लड़ने में ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण अभी की तादाद के हिसाब से तो पर्याप्त हैं, लेकिन आंकड़ों में तेजी से इजाफा होगा तो संकट पैदा हो सकता है।\r\nदिल्ली में पांच मरीज वेंटिलेटर पर : 
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के लगभग 80 फीसदी मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं या उन्हें गंभीर समस्या नहीं होती। वहीं 20 फीसदी मरीजों को ज्यादा लक्षण दिखते हैं। इनमें से 3 से 5 फीसदी को ही आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं 2 से 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। दिल्ली में 445 कोरोना के मरीज अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 11 आईसीयू में हैं और 5 वेंटिलेटर पर हैं। \r\nएक लाख आबादी पर कितने वेंटिलेटर : 
अमेरिका-48 
जर्मनी-34
फ्रांस-12
इटली-12.5
स्पेन-09
ब्रिटेन-07
भारत-3.69
(स्रोत-फार्च्यून)\r\nकहां कितने वेंटिलेटर : 
भारत-48 हजार
जर्मनी-25 हजार
अमेरिका-1.60 लाख
ब्रिटेन-09 हजार
फ्रांस- 05 हजार\r\n- 9.60 लाख वेंटिलेटर की मांग यूरोप और अमेरिका में
- 02 कंपनियां बना रहीं भारत में वेंटिलेटर
- 1.50 लाख कीमत सामान्य वेंटिलेटर की
🕔tanveer ahmad

06-04-2020-
कोरोना के मरीजों की बढ़ती तादाद इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में भले ही वेंटिलेटर की जरूरतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में स्थिति नियंत्रण में है। देश में...

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कोरोना: महाराष्ट्र में मरीजों का आंकड़ा 700 के करीब, पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में एक भी मामला नहीं

कोरोना: महाराष्ट्र में मरीजों का आंकड़ा 700 के करीब, पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में एक भी मामला नहीं890

👤06-04-2020-
देश में कोरोनावायरस के मामले 3,500 से आगे बढ़ गए हैं। रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या 3,577 हो गई। इस आंकड़े में 3,219 सक्रिय मामले और 274 मरीज शामिल हैं जिन्हें ठीक किया गया है। कोविद -19 से अब तक 109 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे अधिक मामले तमिलनाडु और महाराष्ट्र में देखने को मिल रहे हैं।  तमिलनाडु में रविवार को कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ। तमिलनाडु की स्वास्थ्य सचिव बीला राजेश के मुताबिक राज्य में कुल 86 मामले नए सामने आए हैं। जिसमें से 85 मामले निजामुद्दीन मरकज जमात से संबंधित पाए गए हैं। जिसके बाद राज्य कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 571 हो गई है, जिसमें तब्लीगी जमातक के 522 मामले हैं।महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित 13 लोगों की रविवार को मौत होने के साथ इस महामारी से राज्य में मृतकों की संख्या बढ़ कर 45 हो गई, वहीं देश के कई राज्यों में इस गंभीर बीमारी से संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ा है। महाराष्ट्र के पुणे में रविवार को कोविड-19 के 21 और मरीज सामने आए। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शहर में 17 मामले मिले जबकि तीन मामले पिंपरी चिंचवाड़ में आए। राज्य में कुल 690 मामले हैं। बता दें कि कोरोना के मामले देश में लगातार तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी कोराना पॉजिटिव की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार की शाम तक कोरोना के पिछले 24 घंटे के दौरान 505 नए केस आए हैं। इसके बाद देश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 3,577 हो गई है जबकि मरने वालों की कुल संख्या अब 83 हो गई है।दुनियाभर में अब तक तकरीबन 70 हजार की मौतकोरोना वायरस ने दुनियाभर में तकरीबन 70 हजार लोगों की जान ले ली है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक दुनियाभर में 69,419 लोगों की मौत वायरस के चलते हुई है। इसमें सबसे अधिक इटली में 15887, स्पेन में 12641 मौतें हुई हैं। वहीं, कोरोना वायरस के गढ़ रहे चीन में अब हालात पहले के मुकाबले काफी बेहतर होने लगे हैं।भारत में कहां कितने मामले-महाराष्ट्र690 कोविड -19 मामलों के साथ, महाराष्ट्र ने देश में कोरोनो वायरस के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में अब तक 45 मौतें दर्ज की गई हैं जबकि 42 मरीजों की मौत हुई है।तमिलनाडुदक्षिणी राज्य में देश में कोविड -19 के मामलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है, जो अब 571 पर है। तमिलनाडु में 8 रिकवरी और 5 कोविड -19 से मौत हुई है।दिल्लीदेश में कोरोनो वायरस मामलों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या के साथ राष्ट्रीय राजधानी में 503 लोगों ने कोरोना वायरस के पॉजिटिव टेस्ट हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 7 लोगों की संक्रमण से मौत हो गई है जबकि 18 लोगों ने रिकवरी की है।तेलंगानाराज्य से अब तक कोरोनोवायरस के 321 सकारात्मक मामले सामने आए हैं। 34 लोगों ने वायरस से रिकवरी की है जबकि सात लोगों की मौत कोविद -19 से हुई है।केरल314 कोरोना वायरस मामलों के साथ, केरल देश का पांचवा सबसे अधिक कोरोनो वायरस प्रभावित राज्य है। स्वास्थ्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कोविड -19 के कारण केरल में दो मौतें हुई हैं, जबकि 55 लोग सफलतापूर्वक ठीक हो चुके हैं।राजस्थान राजस्थान में कोरोनावायरस के मामले सोमवार को 253 पहुंच गए।  21 मरीज संक्रमण से उबर चुके हैं।उत्तर प्रदेशराज्य में कोविड -19 से 227 लोग संक्रमित हुए हैं। उत्तर प्रदेश में कोरोनो वायरस से 19 लोगों की मौत हो गई है।आंध्र प्रदेशराज्य ने अपने कोविद -19 मामलों में अचानक वृद्धि दिखी है। राज्य में 226 पॉजिटिव कोविद -19 मरीज सामने आए हैं और एक की रिकवरी का मामला है। वहीं तीन लोगों की मौत हो गई है।मध्य प्रदेशराज्य में कोरोना वायरस के 165 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। यहां कोविड -19 से 9 लोगों की मौत हो गई है।कर्नाटकराज्य में 151 कोविड -19 मामले सामने आए हैं और चार मौतें दर्ज की गई हैं। 12 लोगों को ठीक कर छुट्टी दे दी गई है।गुजरातप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में अब तक 122 कोरोनो वायरस मामले और 18 रिकवरी दर्ज की गई हैं। राज्य में संक्रमण से 12 लोगों की मौत हो गई है।जम्मू और कश्मीरजम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में कोविड -19 रोगियों की संख्या 106 हो गई है। संक्रमण से दो लोगों की मौत हो गई है जबकि चार ठीक हो गए।
🕔 एजेंसी

06-04-2020-
देश में कोरोनावायरस के मामले 3,500 से आगे बढ़ गए हैं। रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या 3,577 हो गई। इस आंकड़े में 3,219 सक्रिय मामले और 274 मरीज...

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यूपी में कोरोना के 16 नए मामले आए सामने, मरीजों का आंकड़ा 300 के करीब

यूपी में कोरोना के 16 नए मामले आए सामने, मरीजों का आंकड़ा 300 के करीब262

👤06-04-2020-
सबसे ज्यादा मरीज नोएडा में
अब तक कोरोना के जो मरीज पाए गए हैं उनमें सर्वाधिक 58 नोएडा के हैं। आगरा के 49, मेरठ के 33, लखनऊ के 15, गाजियाबाद के 23, लखीमपुर खीरी के चार ,कानपुर के सात, पीलीभीत के दो, मुरादाबाद का एक, वाराणसी के सात, शामली के 14, सहारनपुर के 15, जौनपुर के तीन, बागपत के दो, बरेली के छह, बुलंदशहर के तीन, बस्ती के पांच, हापुड़ के तीन, गाजीपुर के पांच, आजमगढ़ के तीन, फिरोजाबाद के चार, हरदोई का एक, प्रतापगढ़ के तीन, शाहजहांपुर का एक, बांदा के दो, महाराजगंज के छह, हाथरस के चार, मिर्जापुर के दो, सीतापुर में छह रायबरेली के दो और प्रयागराज, औरैया व बाराबंकी का एक-एक मरीज शामिल है।4796 की रिपोर्ट आई निगेटिव, 179 की आना बाकी 
यूपी में अभी तक कुल 5255 संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए लैब भेजे जा चुके हैं और इसमें से 4796 की रिपोर्ट निगेटिव आई है यानी इनमें कोरोना वायरस नहीं पाया गया। वही 179 की रिपोर्ट आना अभी बाकी है।  विदेश यात्रा से  लौटे 19334 आज हुए चिन्हित  यूपी में अभी तक चीन सहित विभिन्न देशों की यात्रा कर लौटे 61537 लोगों को चिन्हित किया जा चुका है। रविवार को ऐसे 19334 लोग चिन्हित किए गए।
🕔 एजेंसी

06-04-2020-
सबसे ज्यादा मरीज नोएडा में
अब तक कोरोना के जो मरीज पाए गए हैं उनमें सर्वाधिक 58 नोएडा के हैं। आगरा के 49, मेरठ के 33, लखनऊ के 15, गाजियाबाद के 23, लखीमपुर खीरी के चार ,कानपुर के सात,...

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कोरोना संकट: सीतापुर में 10 बांग्लादेशियों में सात मिले पॉजिटिव

कोरोना संकट: सीतापुर में 10 बांग्लादेशियों में सात मिले पॉजिटिव203

👤06-04-2020-
जिले में एक माह से मौजूद 10 बांग्लादेशी जमाती में से सात कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनके साथ तब्लीगी जमात का महाराष्ट्र का निवासी भी संक्रमित है। कुल आठ लोगों की मेडिकल रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। 
खैराबाद कस्बे को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। यहां पर मौजूद कोरंटाइन सेंटर से सभी आठ लोगों को लखनऊ ट्रामा सेंटर भेजे जाने की तैयारी शुरू हो गई है।  
जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में सात बांग्लादेश निवासी जमाती की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनके साथ दिल्ली मरकज से सीतापुर आए महाराष्ट्र निवासी तब्लीगी जमाती को भी संक्रमण हुआ है। कुल आठ लोगों के कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके बाद खैराबाद कस्बे को पूरी तरह से लॉक कर दिया गया है। आवाजाही पर पाबंदी लागू कर दी गई है। सभी संक्रमितों को लखनऊ ट्रामा सेंटर में ले जाने की तैयारी की जा रही है।

🕔 एजेंसी

06-04-2020-
जिले में एक माह से मौजूद 10 बांग्लादेशी जमाती में से सात कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनके साथ तब्लीगी जमात का महाराष्ट्र का निवासी भी संक्रमित है। कुल आठ लोगों की मेडिकल रिपोर्ट...

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कोरोना लॉकडाउन : लखनऊ में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले 23 पर केस दर्ज

कोरोना लॉकडाउन : लखनऊ में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले 23 पर केस दर्ज823

👤05-04-2020-
कोरोना वायरस पर सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। वाट्सएप, फेसबुक और टिकटॉक के माध्यम से भ्रम फैलाने में 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। शनिवार को पुलिस आयुक्त और डीएम अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में कोरोना से बचाव के लिए धर्मगुरुओं और बुद्धीजिवियों के साथ बैठक हुई।  बैठक में मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी स्वामी मुक्तिनाथानंद,मौलाना यूसुफ अब्बास, मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ,मनमोहन सिंह, आशु गोयल, दिवाकर त्रिपाठी, गुरुद्वारा समिति के पदाधिकारीगण, अमरनाथ मिश्र समेत कई लोग शामिल हुए।  
🕔 एजेंसी

05-04-2020-
कोरोना वायरस पर सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। वाट्सएप, फेसबुक और टिकटॉक के माध्यम से भ्रम फैलाने में 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा...

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कोरोना लॉकडाउन : खेतों में सड़ रही सब्जियां, किसानों ने आत्महत्या की चेतावनी दी

कोरोना लॉकडाउन : खेतों में सड़ रही सब्जियां, किसानों ने आत्महत्या की चेतावनी दी730

👤04-04-2020-
कोरोना लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर किया लेकिन सबसे ज्यादा मार सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ी है। बाजार में सब्जियां जा नहीं पा रही है और बिचौलिये कम दाम दे रहे हैं। यहां तक की सब्जियां खेतों में सड़ रही हैं। यूपी-बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के अलावा एनसीआर सब जगह यही हाल है। बेहाल किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। रांची में तो 10 गांव के दर्जनों किसानों ने सरकार को पत्र लिखकर आत्महत्या करने की चेतावनी तक दे डाली है। झारखंड : गांव तक नहीं आ रहे व्यापारी, माल हो रहा बर्बाद
राज्य में बाजार नहीं मिलने के कारण सब्जी उत्पादक किसान तबाह हैं। 10 गांव के किसानों ने सहकारिता पदाधिकारी को पत्र लिखकर आत्महत्या की चेतावनी दी है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि व्यापारियों को गांव तक नहीं आने देने से उनका माल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा है। पहले किसान अपने उत्पाद उड़ीसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ भेजते थे। प्रतिदिन करीब 70 से 80 टन सब्जियां इन राज्यों में भेजी जाती थीं। लेकिन अभी किसानों को सब्जी लेकर दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति नहीं है। साथ ही जो स्थानीय बाजार हैं  वे भी बंद कर दिए गए हैं। सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि वे किसानों की समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार : सब्जी उत्पादकों की टूटी कमर
बिहार में सब्जी उत्पादकों की कमर टूट गई है। खेतों में फसल तैयार है लेकिन सब्जियां बाहर नहीं जाने से खेतों में सूख जा रही हैं। स्थानीय स्तर पर खपत भी कम हो रही है। सारण के किसान ठाकुर भगत व लक्ष्मण साह कहते हैं- स्थानीय स्तर पर किसी तरह थोड़ी-बहुत खपत हो रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को सीधे नुकसान हो रहा है। सत्यनारायण सिंह कहते हैं- सरकार को सब्जी उत्पादकों के लिए कुछ उपाय करना चाहिए ताकि हम बर्बादी से बचें। भोजपुर के स्थानीय मंडियों में सब्जियां आ रही हैं पर बाहर में सप्लाई चेन पर ब्रेक लग जाने से उचित कीमत नहीं मिल पा रही  है। यहां की सब्जियां रेफ्रिजरेटर वैन से राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी भेजी जाती हैं। अभी ऐसा नहीं हो पा रहा है।दिल्ली की मंडियों में नहीं जा रही मेरठ की सब्जी
मेरठ जिले में 22 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर सब्जी का उत्पादन होता है। लॉकडाउन होने के बाद जिले की मंडियों में किसान सब्जियां लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन खुदरा ग्राहकों पर रोक से सब्जी कम बिक रही। वहीं, दिल्ली के आजादपुर मंडी में सब्जियों का जाना बिल्कुल बंद है। इससे सब्जी उत्पादकों को नुकसान हो रहा है। सहारनपुर के डेढ़ सौ से ज्यादा गांव में लौकी, तोरी, कद्दू, टमाटर, खीरा, भिंडी, गोभी आदि की खेती होती है। देहरादून-हरिद्वार नजदीक होने के चलते ज्यादातर सब्जी इन्हीं शहरों में जाती है। बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में किसानों का यही हाल है।उत्तराखंड : छोटे सब्जी उत्पादकों को ढुलाई में आ रही दिक्कत
देहरादून हरिद्वार के आसपास के कुछ किसानों को सब्जी निकालने के लिए मजदूर और ढोने के लिए वाहन नहीं मिल पा रहे। खेतों से पूरी सब्जियां नहीं उठ रही हैं। सहसपुर के मटर उत्पादक भूदेव मुताबिक मटर पर्याप्त है, लेकिन डिमांड कम है। दून मंडी इंस्पेक्टर अजय डबराल ने कहा- किसानों को सब्जी तुड़ाई के साथ ही ढुलान में मजदूर नहीं मिलने की शिकायतें मिल रही हैं। यूएसनगर में अधिकतर किसान जनपद की सीमा से लगे यूपी बॉर्डर से भी सब्जी लेकर आते हैं,लेकिन पास नहीं होने के कारण किसान सब्जी लेकर मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण उनकी सब्जियां खराब हो रही है।गाजियाबाद : फसल खतों में हो रही बर्बाद
गाजियाबाद में खेतों में सब्जियों की फसल खराब हो रही है। सब्जी की कटाई और समय से बाजार तक नहीं पहुंचने से किसानों के सामने आर्थिक तंगी आ गई है। मोदीनगर तहसील क्षेत्र के किसानों का कहना है लॉकडाउन के कारण लोग ट्रैक्टर और मालवाहक वाहन लेकर आने को तैयार नहीं है। ऐसे में सब्जियों की काफी फसल बर्बाद हो रही है। किसानों को नुकसान हो रहा है। क्षेत्र में करीब 25 गांवों में छोटे-बड़े किसान आलू, बैगन, मिर्च, गोभी, लौकी उपजाते है। मोदीनगर, मेरठ और साहिबाबाद की मंडी में सब्जियों की आपूर्ति होती है। भोजपुर के किसान कृष्णपाल एवं किरनपाल का कहना है कि कोरोना बंदी में टैक्टर वाले आने को तैयार नहीं हैं। वाराणसी : सड़कों पर फेंकना पड़ा लाखों का फल-सब्जी
वाराणसी में स्थित पूर्वांचल की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी पहड़िया में यह बेहाली साफ देखी जा सकती है। लाखों रुपये के फल रखे रखे सड़ने के कारण सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है। कई फल औऱ सब्जी तो मवेशियों के पेट भरने लायक भी नहीं रह गए हैं। यहां से माल न सिर्फ पूर्वांचल के जिलों में जाता है बल्कि बिहार बंगाल से लेकर असम तक के कारोबारी यहां आकर माल खरीदते रहे हैं। इन्हीं व्यापारियों के भरोसे विभिन्न राज्यों से फल और सब्जी ट्रकों में भरकर यहां आता रहा है। शुक्रवार को मण्डी में एक ट्रक संतरा व एक ट्रक नीबू की आवक हुई। लेकिन खरीदार नहीं पहुंचे। मण्डी में तीन डीसीएम अनानास पहले से पड़ा था। इसकी बिक्री नहीं होने से माल पूरी तरह पककर सड़ गए। अन्य सामान को बचाने के लिए सड़े अनानास को सड़क पर फेंकना मजबूरी बन गया। कारोबारियो के अनुसार लगभग सात लाख रुपये का माल खराब हो गया है।लखनऊ : नहीं बिकी तो जानवरों को खिला दी सब्जियां
बीते महीने ओले-बारिश से फसल आधी रह गई फिर लॉकडाउन ने मंडियों के रास्ते बंद कर दिए।  गोरखपुर, बनारस, कानपुर और लखनऊ के किसानों के लिए यह लॉकडाउन मुसीबत का सबब बन गया है। बरेली तरफ के किसान जरूर कुछ अपनी सब्जियां उत्तराखंड भेज पा रहे हैं। किसान औने-पौने दामों पर आढ़तियों को सब्जियां बेचने पर मजबूर हैं। राजपुर गांव के किसान अदालत गौड़ ने खेत में उगाए बैगन और पालक काटकर जानवरों को खिला दिए। गौड़ के साथ तमाम किसानों के खेतों में कच्चा केला, मटर, भिंडी, लौकी आदि तैयार हैं लेकिन मंडी तक वे पहुंचा नहीं सकते। देवरिया में भी रामपुर, कमधेनवा और कोन्हवलिया के सब्जी किसान पालक और गोभी काटकर पशुओं को खिला रहे हैं। खामपार के भोला ने कहा दो एकड़ में तैयार लौकी, गोभी और हरी मिर्च खरीदने एक हफ्ते से कोई व्यापारी नहीं आया। इन किसानों का कहना है-पिछले 10 दिन में शायद ही कोई किसान होगा, जिसने बाजार जाकर सब्जी बेचने की कोशिश की हो और पिटा न हो। आगरा में सस्ते दाम पर बेचने को मजबूर किसान
आगरा में 100 से ज्यादा गांवों में लौकी, शिमला मिर्च, धनिया, टमाटर, बैंगन, काशीफल, हरी मिर्च, मैथी, पालक आदि सब्जियां होती हैं। लेकिन इस समय माल की सप्लाई नहीं हो पा रही। लोकल बिक्री पर ही निर्भरता। माल सस्ता बेचना पड़ रहा। जो लौकी आठ से दस रुपये में दिल्ली जाती है। उसे लोकल में पांच रुपये में बेच कर खत्म करना पड़ रहा। इसी प्रकार शिमला मिर्च के भी 20-30 रुपये किलो की जगह काफी कम दाम मिल रहे।
🕔 एजेंसी

04-04-2020-
कोरोना लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर किया लेकिन सबसे ज्यादा मार सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ी है। बाजार में सब्जियां जा नहीं पा रही है और बिचौलिये...

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