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रियल एस्टेट को बड़ी राहत देने की तैयारी में उत्तर प्रदेश सरकार

रियल एस्टेट को बड़ी राहत देने की तैयारी में उत्तर प्रदेश सरकार787

👤13-02-2020-
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर को जल्द ही बड़ी राहत देने की तैयारी की है। हाईटेक टाउनशिप योजना में 1500 एकड़ की जगह 500 एकड़ जमीन पर योजना पूरी करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। इतना ही नहीं पांच साल में योजना पूरी करने के लिए जो पूर्व में समय सीमा निर्धारित की गई थी, उसे बढ़ाकर 10 करने की तैयारी है। आवास विभाग जल्द ही इस संबंध में कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है।प्रस्ताव के मुताबिक हाईटेक टाउनशिप नीति 2003 एवं संशोधित नीति के मुताबिक न्यूनतम 1500 एकड़ जमीन की अनिवार्यता रखी गई है। उदाहरण के लिए सनसिटी मथुरा और पंचम रियकॉन प्रयागराज ऐसे हैं, जिनके द्वारा 1500 एकड़ जमीन जुटा पाना संभव नहीं है। सनसिटी गाजियाबाद को 4312.33 एकड़ क्षेत्रफल में योजना की मंजूरी दी गई है, लेकिन उनके द्वारा मात्र 857 एकड़ जमीन की व्यवस्था ही हो पाई है। ऐसे में टाउनशिप का विकास संभव नहीं है। इसलिए परियोजना का क्षेत्रफल 1500 के स्थान पर 500 एकड़ करने का प्रस्ताव है। इसी तरह परियोजना पूरी करने की अवधि पांच साल में संभव न हो पाने से इसे बढ़ाकर 10 साल करने पर सहमति बनी है।इन शर्तों के साथ मिलेगी सुविधा
आवास विभाग कुछ शर्तों के साथ यह सुविधा देगा। मसलन टाउनशिप में क्षेत्रफल व जनसंख्या के आधार पर विद्युत सब स्टेशन, पुलिस स्टेशन, फायर स्टेशन, पोस्ट आफिस, टेलीफोन एक्सचेंज आदि के लिए निशुल्क जमीन की व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही 10-10 फीसदी जमीन आर्थिक दृष्टि से दुर्बल और अल्प आय वर्ग के लाभार्थियों के लिए करते हुए मकान बनाना होगा। टाउनशिप में आने वाली ग्रामीण आबादियों के लिए विकासकर्ता द्वारा सड़क, जल निकासी, जलापूर्ति, सेनीटेशन व विद्युति आपूर्ति के लिए मुफ्त व्यवस्था करना होगा।
🕔tanveer ahmad

13-02-2020-
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर को जल्द ही बड़ी राहत देने की तैयारी की है। हाईटेक टाउनशिप योजना में 1500 एकड़ की जगह 500 एकड़ जमीन...

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जीत के बाद मंदिर से वापस लौट रहे AAP विधायक नरेश यादव के काफिले पर फायरिंग, एक कार्यकर्ता की मौत

जीत के बाद मंदिर से वापस लौट रहे AAP विधायक नरेश यादव के काफिले पर फायरिंग, एक कार्यकर्ता की मौत667

👤12-02-2020-
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले महरौली के विधायक नरेश यादव के काफिले पर फायरिंग की घटना सामने आई है। न्यूज एजेँसी एएनआई के मुताबिक, इस फायरिंग में पार्टी के एक कार्यकर्ता की मौत भी हो गई है जबकि एक घायल बताया जा रहा है। गोलीबारी की यह घटना उस समय हुई जब नरेश यादव चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मंदिर से दर्शन कर वापस लौट रहे थे। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस हमलावरों को पकड़ने में जुटी गई है। इस मामले में पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर ली है और सभी एंगल से इसकी जांच कर रही है। बता दें कि आम आदमी पार्टी ने नरेश यादव को महरौली विधानसभा से उम्मीदवार घोषित किया था। मंगलवार को आए चुनाव परिणाम में नरेश यादव ने बंपर जीत हासिल की है। नरेश कुमार यादव को 62301 वोट मिले। जबकि इस बीजेपी ने इस सीट से कुसुम खत्री को मैदान में उतारी थी लेकिन उनको जीत हासिल नहीं हुई। कुसुम के खाते में 44085 वोट मिले हैं। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार एए महेंदर चौधरी 6936 वोटों के साथ चौथे नंबर पर रहे हैं। विधायक के काफिले पर हमले की खबर के बाद आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मेहरौली विधायक नरेश यादव के क़ाफ़िले पर हमला अशोक मान की सरेआम हत्या ये है दिल्ली में क़ानून का राज, मंदिर से दर्शन करके लौट रहे थे नरेश यादव। चुनाव में AAP के सभी दिग्गजों को मिली जीतचुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी के सभी दिग्गजों को जीत हासिल हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत सभी मंत्री चुनाव जीत गए। भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष बिजेंद्र गुप्ता ने भी रोहणी सीट पर जीत हासिल की। विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और उपाध्यक्ष राखी बिडलान भी अपना चुनाव जीत गई। वीआईपी सीटों के मामले में दिल्ली में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट पर बीस हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत गए। उनकी सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, राजेंद्र पाल गौतम, कैलाश गहलौत, इमरान हुसैन और गोपाल राय भी चुनाव जीत गए। वि
🕔 एजेंसी

12-02-2020-
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले महरौली के विधायक नरेश यादव के काफिले पर फायरिंग की घटना सामने आई है। न्यूज एजेँसी एएनआई के मुताबिक, इस फायरिंग में पार्टी...

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यह पुराने वाले अरविंद केजरीवाल नहीं हैं

यह पुराने वाले अरविंद केजरीवाल नहीं हैं90

👤12-02-2020-
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी खासियत थी अरविंद केजरीवाल का बदला हुआ रूप। यह वह केजरीवाल नहीं थे, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं। 2013-15 के केजरीवाल बेहद झल्लाने वाले, भावुक और कभी भी किसी पर बरस पड़ने वाले थे। केजरीवाल इस चुनाव में संभल कर चलने वाले, सोच विचार कर फैसले लेने वाले और अनावश्यक टिप्पणियों से बचने वाले दिखे। वह अगर पहले वाले होते, तो अमित शाह के यह कहने पर कि केजरीवाल शाहीन बाग क्यों नहीं जाते, फौरन प्रतिक्रिया दे देते और उन्हें उसका वैसा ही चुनावी खमियाजा भुगतना पड़ता जैसा कि पंजाब चुनाव या उसके पहले देखने को मिला था।इस चुनाव में सबसे अहम बात यही थी कि केजरीवाल ने कैसे अपने को बदला। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद केजरीवाल ऐसी विजय रथ पर सवार थे, जिससे नीचे देखना उन्हें गंवारा नहीं था। उन्हें लगने लगा था कि वे नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकते हैं और देश उनमें मोदी का विकल्प देख रहा है। यह अकारण नहीं है कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय केजरीवाल की टीम ने गुजरात जाकर मोदी के विकास के मॉडल की हवा निकालने की कोशिश की। ये भी अकारण नहीं है कि केजरीवाल ने दिल्ली छोड़ बनारस से चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2015 में जब मोदी अपराजेय लग रहे थे, तब दिल्ली में 70 में से 67 सीटें जीतकर मोदी के गुब्बारे में सुई चुभोने का काम किया था। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने हर मुद्दे पर मोदी पर हमले शुरू किए। केजरीवाल की बातें लोगों को पसंद नहीं आईं। उनकी यह हठधर्मिता पार्टी को बहुत भारी पड़ी।एमसीडी की हार से उन्होंने सबक सीखा और मोदी पर हमले बंद कर दिए। नतीजा सबके सामने है। हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि लोकसभा में आप बुरी तरह हारी थी। लेकिन उसी समय सीएसडीएस का एक सर्वे दिल्ली के बारे में आया था। उसके मुताबिक आप भले ही तीसरे नंबर पर थी, पर दिल्ली के वोटरों ने साफ कहा था कि विधानसभा में उनकी पहली पसंद आप और केजरीवाल ही होंगे। आज सर्वे की बात सच साबित हुई। यानी केजरीवाल की चुप्पी काम आई। वे जो दादरी में अखलाक की हत्या पर दौड़कर उसके घर गए थे, वही केजरीवाल शाहीन बाग में बैठी महिलाओं के समर्थन में नहीं उतरे। एमसीडी और लोकसभा की हार के बाद केजरीवाल यह समझ गए कि हिंदू-मुसलमान के सवाल पर अगर वह भाजपा से उलझे, तो फिर वह ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाएंगे, जिससे निकलना नामुमकिन होगा। लिहाजा केजरीवाल अमित शाह के उकसाने के बाद भी शाहीन बाग नहीं गए। उलटे वह हनुमान चालीसा पढ़ते पाए गए। यह 2020 के केजरीवाल थे, जिन्होंने मोदी के समक्ष हार मान ली और इसलिए पूरे चुनाव में एक बार भी मोदी पर निजी टिप्पणी नहीं की। इस चुनाव में एक और सबक है कि राष्ट्रवाद के नाम पर नफरत की राजनीति की ज्यादा उम्र नहीं होती है। भाजपा इस मुगालते में थी कि शाहीन बाग और नागरिकता कानून का सवाल उठाकर, तीन तलाक कानून लागू कर, अनुच्छेद 370 में बदलाव कर और राम मंदिर निर्माण की बात कर आसानी से हिंदू वोटरों को लुभा लेगी, तो ऐसा होने वाला नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक, 70 फीसदी लोग यह मानते थे कि नागरिकता कानून पर आंदोलन सही नहीं है, लेकिन सिर्फ एक फीसदी लोगों ने इस आधार पर वोट दिया। एक्सिस माई इंडिया के इस सर्वे का यह नतीजा आंख खोलने वाला है। यानी भाजपा को यह सोचना चाहिए कि लोकसभा में बंपर जीत के बाद भी राज्यों में भाजपा मनमुताबिक नतीजे नहीं ला पाई यानी भाजपा को हिंदू वोट बैंक का फायदा तो मिल रहा है, पर अगर रोजमर्रा के मामलों पर सरकार यदि प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो रोटी, कपड़ा और मकान भाजपा को सत्ता से दूर भी कर *सकते हैं। आप ने पिछले पांच साल में दिल्ली में काम किया है। बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार ने बुनियादी काम किए हैं और न केवल काम किए हैं, बल्कि सोशल मीडिया और मीडिया के जरिये काम करने वाली सरकार की इमेज भी बनाई है। यह बात खास है कि सरकार के प्रदर्शन को हिंदू वोट बैंक से जोड़ने की आप की कोशिश नई है। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले यह प्रयोग नरेन्द्र मोदी ने 2014 में किया था। तब मोदी ने गुजरात में विकास का मॉडल और हिंदू वोट को एक कर दिया था। लोगों को इस नए प्रयोग ने सम्मोहित किया था। उसी राह पर अब केजरीवाल चल रहे हैं। देखना यह होगा कि दिल्ली के संदेश को भाजपा कितना ग्रहण करती है। अगर आगे भी वह दिल्ली वाली गलती करती रहेगी, तो मुश्किल होगी। जनता को रामभक्त पसंद हो सकते हैं, लेकिन वह गोली मारो. के साथ नहीं रहेगी।
🕔 एजेंसी

12-02-2020-
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी खासियत थी अरविंद केजरीवाल का बदला हुआ रूप। यह वह केजरीवाल नहीं थे, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं। 2013-15 के केजरीवाल बेहद झल्लाने...

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यह पुराने वाले अरविंद केजरीवाल नहीं हैं

यह पुराने वाले अरविंद केजरीवाल नहीं हैं765

👤12-02-2020-
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी खासियत थी अरविंद केजरीवाल का बदला हुआ रूप। यह वह केजरीवाल नहीं थे, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं। 2013-15 के केजरीवाल बेहद झल्लाने वाले, भावुक और कभी भी किसी पर बरस पड़ने वाले थे। केजरीवाल इस चुनाव में संभल कर चलने वाले, सोच विचार कर फैसले लेने वाले और अनावश्यक टिप्पणियों से बचने वाले दिखे। वह अगर पहले वाले होते, तो अमित शाह के यह कहने पर कि केजरीवाल शाहीन बाग क्यों नहीं जाते, फौरन प्रतिक्रिया दे देते और उन्हें उसका वैसा ही चुनावी खमियाजा भुगतना पड़ता जैसा कि पंजाब चुनाव या उसके पहले देखने को मिला था।इस चुनाव में सबसे अहम बात यही थी कि केजरीवाल ने कैसे अपने को बदला। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद केजरीवाल ऐसी विजय रथ पर सवार थे, जिससे नीचे देखना उन्हें गंवारा नहीं था। उन्हें लगने लगा था कि वे नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकते हैं और देश उनमें मोदी का विकल्प देख रहा है। यह अकारण नहीं है कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय केजरीवाल की टीम ने गुजरात जाकर मोदी के विकास के मॉडल की हवा निकालने की कोशिश की। ये भी अकारण नहीं है कि केजरीवाल ने दिल्ली छोड़ बनारस से चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2015 में जब मोदी अपराजेय लग रहे थे, तब दिल्ली में 70 में से 67 सीटें जीतकर मोदी के गुब्बारे में सुई चुभोने का काम किया था। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने हर मुद्दे पर मोदी पर हमले शुरू किए। केजरीवाल की बातें लोगों को पसंद नहीं आईं। उनकी यह हठधर्मिता पार्टी को बहुत भारी पड़ी।एमसीडी की हार से उन्होंने सबक सीखा और मोदी पर हमले बंद कर दिए। नतीजा सबके सामने है। हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि लोकसभा में आप बुरी तरह हारी थी। लेकिन उसी समय सीएसडीएस का एक सर्वे दिल्ली के बारे में आया था। उसके मुताबिक आप भले ही तीसरे नंबर पर थी, पर दिल्ली के वोटरों ने साफ कहा था कि विधानसभा में उनकी पहली पसंद आप और केजरीवाल ही होंगे। आज सर्वे की बात सच साबित हुई। यानी केजरीवाल की चुप्पी काम आई। वे जो दादरी में अखलाक की हत्या पर दौड़कर उसके घर गए थे, वही केजरीवाल शाहीन बाग में बैठी महिलाओं के समर्थन में नहीं उतरे। एमसीडी और लोकसभा की हार के बाद केजरीवाल यह समझ गए कि हिंदू-मुसलमान के सवाल पर अगर वह भाजपा से उलझे, तो फिर वह ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाएंगे, जिससे निकलना नामुमकिन होगा। लिहाजा केजरीवाल अमित शाह के उकसाने के बाद भी शाहीन बाग नहीं गए। उलटे वह हनुमान चालीसा पढ़ते पाए गए। यह 2020 के केजरीवाल थे, जिन्होंने मोदी के समक्ष हार मान ली और इसलिए पूरे चुनाव में एक बार भी मोदी पर निजी टिप्पणी नहीं की। इस चुनाव में एक और सबक है कि राष्ट्रवाद के नाम पर नफरत की राजनीति की ज्यादा उम्र नहीं होती है। भाजपा इस मुगालते में थी कि शाहीन बाग और नागरिकता कानून का सवाल उठाकर, तीन तलाक कानून लागू कर, अनुच्छेद 370 में बदलाव कर और राम मंदिर निर्माण की बात कर आसानी से हिंदू वोटरों को लुभा लेगी, तो ऐसा होने वाला नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक, 70 फीसदी लोग यह मानते थे कि नागरिकता कानून पर आंदोलन सही नहीं है, लेकिन सिर्फ एक फीसदी लोगों ने इस आधार पर वोट दिया। एक्सिस माई इंडिया के इस सर्वे का यह नतीजा आंख खोलने वाला है। यानी भाजपा को यह सोचना चाहिए कि लोकसभा में बंपर जीत के बाद भी राज्यों में भाजपा मनमुताबिक नतीजे नहीं ला पाई यानी भाजपा को हिंदू वोट बैंक का फायदा तो मिल रहा है, पर अगर रोजमर्रा के मामलों पर सरकार यदि प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो रोटी, कपड़ा और मकान भाजपा को सत्ता से दूर भी कर *सकते हैं। आप ने पिछले पांच साल में दिल्ली में काम किया है। बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार ने बुनियादी काम किए हैं और न केवल काम किए हैं, बल्कि सोशल मीडिया और मीडिया के जरिये काम करने वाली सरकार की इमेज भी बनाई है। यह बात खास है कि सरकार के प्रदर्शन को हिंदू वोट बैंक से जोड़ने की आप की कोशिश नई है। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले यह प्रयोग नरेन्द्र मोदी ने 2014 में किया था। तब मोदी ने गुजरात में विकास का मॉडल और हिंदू वोट को एक कर दिया था। लोगों को इस नए प्रयोग ने सम्मोहित किया था। उसी राह पर अब केजरीवाल चल रहे हैं। देखना यह होगा कि दिल्ली के संदेश को भाजपा कितना ग्रहण करती है। अगर आगे भी वह दिल्ली वाली गलती करती रहेगी, तो मुश्किल होगी। जनता को रामभक्त पसंद हो सकते हैं, लेकिन वह गोली मारो. के साथ नहीं रहेगी।
🕔 एजेंसी

12-02-2020-
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी खासियत थी अरविंद केजरीवाल का बदला हुआ रूप। यह वह केजरीवाल नहीं थे, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं। 2013-15 के केजरीवाल बेहद झल्लाने...

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दो ग्राम से हल्की ज्वैलरी पर हालमार्क अनिवार्य नहीं

दो ग्राम से हल्की ज्वैलरी पर हालमार्क अनिवार्य नहीं751

👤12-02-2020-
हालमार्क को लेकर संशय दूर हो गया है। इसकी अनिवार्यता को लेकर गजट जारी हो गया है जो 15 जनवरी 2021 से लागू हो जाएगा। इस तारीख के बाद से केवल तीन कैरेट की ज्वैलरी को ही मान्यता मिलेगी यानी 14, 18 और 22 कैरेट। दो ग्राम से हल्की ज्वैलरी और 24 कैरेट सोने को हालमार्क से बाहर रखा गया है। खास बात है कि हालमार्क को जीएसटी से जोड़ दिया गया है। भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारियों को सराफा व्यापारी का स्टॉक रजिस्टर और जीएसटी रिटर्न जांचने के अधिकार दिए गए हैं। इससे ये पता चलेगा कि व्यापारी ने कुल कितनी हालमार्क ज्वैलरी बेची। हालमार्क सेंटर में आने वाले आभूषणों का लेखा-जोखा ऑनलाइन किया जाएगा। बाद में इसका मिलान व्यापारी के स्टॉक रजिस्टर और हालमार्क सेंटर के बहीखाते से ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए हालमार्क सेंटर हर महीने हालामर्किंग डाटा बीआईएस को भेजेंगे। कोई भी व्यापारी अपने नजदीकी सेंटर से सालभर में कराई गई कुल हालमार्किंग का डाटा ले सकेगा। समय-समय पर बीआईएस अधिकारी सराफा दुकानों में जाएंगे और ग्राहक बनकर सैंपल के लिए ज्वैलरी खरीदेंगी, इसकी जांच भी की जाएगी। अगर छोटा-मोटा हेरफेर पाया गया तो ज्वैलर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। अगर हालमार्क में हेरफेर का मामला बड़ा पाया गया तो उस सराफा फर्म का बीआईएस लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। ऐसे मामलों में व्यापारी को पुराना स्टाक बेचने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा। फिर दुकान हमेशा को बंद करा दी जाएगी। ज्वैलरी में इरीडियम, रूथेनियम, कैडमियम आदि पाया गया तो हालमार्क सेंटर ज्वैलरी को रिजेक्ट कर देंगे। ऐसी मिलावटी ज्वैलरी को बेचना प्रतिबंधित होगा।

🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
हालमार्क को लेकर संशय दूर हो गया है। इसकी अनिवार्यता को लेकर गजट जारी हो गया है जो 15 जनवरी 2021 से लागू हो जाएगा। इस तारीख के बाद से केवल तीन कैरेट की ज्वैलरी को ही मान्यता मिलेगी...

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वैलेंटाइंस डे ऑफर: इंडिगो कराएगी 999 रुपये में हवाई सफर

वैलेंटाइंस डे ऑफर: इंडिगो कराएगी 999 रुपये में हवाई सफर 376

👤12-02-2020-
एयर एशिया के बाद अब निजी विमान सेवा इंडिगो (IndiGo) ने मंगलवार को चार दिन की विशेष वैलेंटाइन सेल की घोषणा की। इसके तहत ग्राहक 999 रुपये की शुरुआती कीमत पर देश के भीतर हवाई सफर कर सकेंगे। कंपनी ने बयान में कहा कि इंडिगो 11 से 14 फरवरी तक चलने वाली इस सेल में रियायती दरों पर दस लाख सीटों की पेशकश कर रही है। इस पेशकश के तहत , टिकट बुक करने पर एक मार्च से 30 सितंबर तक यात्रा की जा सकती है। इंडिगो के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी विलियम बोल्टर ने कहा, हमें आज से 14 फरवरी तक चलने वाली विशेष बिक्री की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।इंडिगो की सेल में कैशबैक का फायदा भी लिया जा सकता है। ये इस तरह है…इंडसइंड बैंक के क्रेडिट कार्ड के जरिए ईएमआई पर टिकट बुक करने पर 12 फीसदी यानी 5000 रुपये तक का अतिरिक्त कैशबैकHDFC Bank के PayZapp से टिकट बुकिंग पर 15 फीसदी का कैशबैक मिल रहा है, जो मैक्सिमम 1000 रुपये तक होगा. हालांकि शर्त यह है कि मिनिमम बुकिंग अमाउंट 4000 रुपये होना चाहिए।फेडरल बैंक के डेबिट कार्ड से टिकट बुकिंग पर 10 फीसदी कैशबैक मिल रहा है, जो मैक्सिमम 1500 रुपये तक होगा. हालांकि इसके लिए मिनिमम बुकिंग अमाउंट 10000 रुपये होना चाहिए।
🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
एयर एशिया के बाद अब निजी विमान सेवा इंडिगो (IndiGo) ने मंगलवार को चार दिन की विशेष वैलेंटाइन सेल की घोषणा की। इसके तहत ग्राहक 999 रुपये की शुरुआती कीमत पर देश के भीतर हवाई सफर कर...

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 दिल्ली का एक लाख का इनामी बदमाश मुरादाबाद से गिरफ्तार

दिल्ली का एक लाख का इनामी बदमाश मुरादाबाद से गिरफ्तार878

👤12-02-2020-
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एसओएस यूनिट ने एक लाख रुपये के इनामी कुख्यात गैंगेस्टर महावीर उर्फ पवन पंडित को मुरादाबाद के पाकबड़ा इलाके से गिरफ्तार किया है। उसके उपर दिल्ली, हरियाणा व यूपी में लूटपाट, डकैती व हत्या का प्रयास सहित करीब 18 आपराधिक वारदातों को शामिल होने का आरोप है। पुलिस अब उससे पूछताछ कर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि फरार होने के दौरान तो उसने किसी आपराधिक वारदातों को अंजाम नहीं दिया। वहीं उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य बदमाशों की तलाश में छापेमारी कर रही है। खास यह कि इस पूरी कार्रवाई की पाकबड़ा पुलिस को हवा भी नहीं लगी।महावीर उर्फ पवन पंडित की बवाना इलाके में आर्म्स एक्ट और सोनीपत के सदर इलाके में दर्ज हत्या और हत्या का प्रयास मामले में तलाश थी। उसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने एक लाख रुपये का ईनाम घोषित कर रखा था। दरअसल उसपर कई मामलों में शामिल होने और बदमाशों के गिरोह के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम देने का आरोप है। वह पिछले कुछ समय से फरार चल रहा था। सोनीपत की वारदात को लेकर उसकी तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही थी।इस बीच यह पता चला कि वह फरार होने के बाद पुलिस से बचने के लिए उत्तरांचल व यूपी के कुछ इलाकों में अपने नेटवर्क के जरिए छिपता था। उसकी तलाश में जुटी क्राइम ब्रांच की एसओएस यूनिट एक टीम लगी हुई थी। उसकी गतिविधियों पर पुलिस की नजर थी। इस बीच यह सूचना मिली कि वह यूपी के मुरादाबाद में है। सूचना के आधार पर पुलिस की एक टीम ने छापेमारी कर उसे मंगलवार को पाकबड़ा से धर दबोचा।
🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एसओएस यूनिट ने एक लाख रुपये के इनामी कुख्यात गैंगेस्टर महावीर उर्फ पवन पंडित को मुरादाबाद के पाकबड़ा इलाके से गिरफ्तार किया है। उसके...

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रामपुर में मिले शाही खजाने में हिस्सा पाने को नवाब के वंशज बनकर पहुंचे कोर्ट

रामपुर में मिले शाही खजाने में हिस्सा पाने को नवाब के वंशज बनकर पहुंचे कोर्ट757

👤12-02-2020-
नवाब खानदान की खरबों की जायदाद में हिस्सा पाने के लिए कई और लोग भी सामने आए हैं। दावा किया है कि वे नवाब के वंशज हैं। हालांकि, कोर्ट से उन्हें मायूसी हाथ लगी है। अब वे हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।नवाब खानदान की अरबों की संपत्ति के हिस्सेदारों में नवाब रजा अली खां के बेटे-बेटियां और नाती-पोते शामिल हैं, लेकिन अब इनके अलावा और भी दावेदार सामने आ रहे हैं। ये लोग नवाब रजा अली खान के भाई और बहनों के नाती पोते हैं। इनमें एक दावेदार नवाब रजा अली खां की बहन कुलसुम बेगम उर्फ नन्ही बेगम के पोते साहबजादा सलमान अली खान भी शामिल हैं। नवाब की बहन कुलसुम बेगम उर्फ नन्ही बेगम के पोते साहबजादा सलमान अली खान का कहना है कि शरीयत के हिसाब से उनका भी हिस्सा बनता है।रामपुर के मर्जर एग्रीमेंट में भी उनकी दादी का नाम शामिल है। उनके चाचा सैयद स्वाले मियां ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। उसमें उनके पिता सैयद जाफर अली खां का नाम भी शामिल रहा। इस अर्जी में पहले से चल रहे बंटवारे के मुकदमे में उन्हें भी शामिल करने का आग्रह किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पांच माह पहले जो फैसला सुनाया है, उसमें उनकी अर्जी निस्तारित करते हुए कहा कि वह अपना हक जताने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर कर सकते हैं। अब सलमान के पिता और चाचा की मौत हो चुकी है। इसलिए उन्होंने खुद जिला जज की कोर्ट में भी प्रार्थना पत्र दिया। इसमें सलमान खान के साथ ही उनकी बहन समन अली खान, शहरुत अली खान, मां शहजादी मेहरुन निशा बेगम और चाचा स्वर्गीय स्वाले अली खान की बेटी सायरा अली खान और शहवार अली खान भी शामिल हैं।नवाब के भाई के पोते और पोती भी आगे आए
नवाब रजा अली खान के भाई जाफर अली खां उर्फ मझले साहब के पोते अली और पोती अतिया व राना की ओर से भी कोर्ट में अर्जी लगाई गई। नवाब रजा अली खां की एक और बहन सफदर मियां की बेटी हिना सफदर ने भी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया, जिसे जिला जज ने खारिज कर दिया।16 दावेदारों में ही बंटेगी संपत्ति
नवेद मियां के अधिवक्ता संदीप सक्सेना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बंटवारे के लिए हिस्सेदारों के नाम घोषित कर दिए हैं। सूची में 18 नाम हैं, जिनमें दो की मौत हो चुकी है। 16 बचे हैं, उनमें ही संपत्ति बंटेगी। इसलिए जिला जज ने नए दावेदारों के प्रार्थना पत्र खारिज किए हैं। आखिरी नवाब रजा अली खां की संपत्ति का बंटवारा हो रहा है, जो उनकी औलाद के बीच होगा, जबकि नए दावेदार खुद को नवाब रजा अली खां के पिता नवाब हामिद अली खां के वारिस बताकर हिस्सा मांग रहे हैं।
🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
नवाब खानदान की खरबों की जायदाद में हिस्सा पाने के लिए कई और लोग भी सामने आए हैं। दावा किया है कि वे नवाब के वंशज हैं। हालांकि, कोर्ट से उन्हें मायूसी हाथ लगी है। अब वे हाईकोर्ट...

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यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए आज से आवेदन

यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए आज से आवेदन758

👤12-02-2020-
 यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 05 मार्च है जबकि विलम्ब शुल्क के साथ आवेदन 11 मार्च तक जमा किए जा सकेंगे। प्रवेश परीक्षा 8 अप्रैल को होगी। यह जानकारी मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में संकायाध्यक्ष व बीएड प्रदेश समन्वयक प्रो अमिता कनौजिया ने दी। इस मौके पर कुलपति प्रो आलोक कुमार राय भी उपस्थित थे। 
प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय को छठी बार दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी गई है। परीक्षा के आयोजन के लिए पांच कमेटियों का गठन किया गया है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की वजह से एक टेक्निकल कमेटी भी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि बीएड की प्रवेश प्रक्रिया 30 जून तक पूरी कर ली जाएगी। 01 जुलाई से नया सत्र शुरू हो जाएगा। 
 दो लाख सीटों पर होंगे आवेदन
प्रो अमिता कनौजिया ने बताया कि बीएड की दो लाख सीटों पर आवेदन मांगे गए हैं। पिछले साल 6 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा के लिए 15 शहरों में 1216 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। इस बार आवेदन आने के बाद ही परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण किया जाएगा।ईडब्लूएस के लिए 10% आरक्षण
प्रो कनौजिया ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए ईडब्लूएस कोटे के तहत दस प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। इन पर सरकार के दिए गए निर्देशों के तहत दाखिले लिए जाएंगे। सरकार चाहेगी तो बीएड की सीटें बढ़ा भी सकती है।                                                               आवेदन शुल्क 
सामान्य, ओबीसी और दूसरे राज्य के अभ्यर्थी -   1500 रुपये
लेट फीस                                                500 रुपये
एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थी                          750 रुपये
लेट फीस                                                 250 रुपयेइन तिथियों का रखें ध्यान
आवेदन शुरू होने की तिथि        12 फरवरी
आवेदन की अंतिम तिथि        5 मार्च
लेट फीस के साथ आवेदन        11 मार्च                                 
बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा        8 अप्रैल
नतीजे                11 मई तक
काउंसलिंग की शुरुआत        1 जून से
नए सत्र की शुरुआत            1 जुलाई से
सीधे दाखिले का आखिरी मौका    10 जुलाई तक
🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
 यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 05 मार्च है जबकि विलम्ब शुल्क के साथ आवेदन 11 मार्च...

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उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए आज से आवेदन शुरू

उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए आज से आवेदन शुरू345

👤12-02-2020-
यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 05 मार्च है जबकि विलम्ब शुल्क के साथ आवेदन 11 मार्च तक जमा किए जा सकेंगे। प्रवेश परीक्षा 8 अप्रैल को होगी। यह जानकारी मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में संकायाध्यक्ष व बीएड प्रदेश समन्वयक प्रो अमिता कनौजिया ने दी। इस मौके पर कुलपति प्रो आलोक कुमार राय भी उपस्थित थे।  प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय को छठी बार दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी गई है। परीक्षा के आयोजन के लिए पांच कमेटियों का गठन किया गया है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की वजह से एक टेक्निकल कमेटी भी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि बीएड की प्रवेश प्रक्रिया 30 जून तक पूरी कर ली जाएगी। 01 जुलाई से नया सत्र शुरू हो जाएगा। दो लाख सीटों पर होंगे आवेदन
प्रो अमिता कनौजिया ने बताया कि बीएड की दो लाख सीटों पर आवेदन मांगे गए हैं। पिछले साल 6 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा के लिए 15 शहरों में 1216 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। इस बार आवेदन आने के बाद ही परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण किया जाएगा। ईडब्लूएस के लिए 10% आरक्षण
प्रो कनौजिया ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए ईडब्लूएस कोटे के तहत दस प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। इन पर सरकार के दिए गए निर्देशों के तहत दाखिले लिए जाएंगे। सरकार चाहेगी तो बीएड की सीटें बढ़ा भी सकती है।                                                               आवेदन शुल्क 
सामान्य, ओबीसी और दूसरे राज्य के अभ्यर्थी -   1500 रुपये
लेट फीस                                                500 रुपये
एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थी                          750 रुपये
लेट फीस                                                 250 रुपयेइन तिथियों का रखें ध्यान
आवेदन शुरू होने की तिथि        12 फरवरी
आवेदन की अंतिम तिथि        5 मार्च
लेट फीस के साथ आवेदन        11 मार्च                                 
बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा        8 अप्रैल
नतीजे                11 मई तक
काउंसलिंग की शुरुआत        1 जून से
नए सत्र की शुरुआत            1 जुलाई से
सीधे दाखिले का आखिरी मौका    10 जुलाई तक
🕔tanveer ahmad

12-02-2020-
यूपी में बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 05 मार्च है जबकि विलम्ब शुल्क के साथ आवेदन 11 मार्च...

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