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ईरान ने कहा, अमेरिका में लड़ाई करने का साहस नहीं है

ईरान ने कहा, अमेरिका में लड़ाई करने का साहस नहीं है390

👤06-01-2020-
ईरान के सेना प्रमुख ने रविवार (5 जनवरी) को कहा कि अमेरिका में लड़ाई शुरू करने का \'\'साहस\" ही नहीं है। ईरान की सरकारी संवाद समिति आईआरएनए ने मेजर जनरल अब्दुलरहमान मौसावी के हवाले से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिकियों ने 52 स्थलों पर हमला करने की जो धमकी दी है, उनमें वह लड़ाई शुरू करने का साहस है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान में 52 स्थलों को निशाना बनाने की धमकी दी थी, जिसके संदर्भ में मौसावी ने यह बयान दिया।ट्रम्प की चेतावनी, अमेरिका 52 ईरानी स्थलों को बनाएगा निशाना
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान अमेरिकी जवानों या सम्पत्ति पर हमला करता है तो अमेरिका 52 ईरानी स्थलों को निशाना बनाएगा और उन पर बहुत तेजी से और जोरदार हमला करेगा। ट्रम्प ने इराक में एक शीर्ष ईरानी जनरल को निशाना बनाकर शुक्रवार (3 जनवरी) को ड्रोन हमला किए जाने का बचाव करते हुए ट्वीट किया कि 52 अंक उन लोगों की संख्या को दर्शाता है, जिन्हें एक साल से अधिक समय तक तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 1979 में बंधक बनाकर रखा गया था।ट्रम्प ने ट्वीट किया कि इनमें से कुछ स्थल \'\'बहुत उच्च स्तर के और ईरान एवं ईरानी संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन स्थलों और ईरान पर बहुत तेजी से एवं जोरदार तरीके से हमला किया जाएगा। अमेरिका को अब और खतरा नहीं चाहिए। अमेरिका द्वारा शुक्रवार (3 जनवरी) को इराक में किए गए ड्रोन हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।
🕔 एजेंसी

06-01-2020-
ईरान के सेना प्रमुख ने रविवार (5 जनवरी) को कहा कि अमेरिका में लड़ाई शुरू करने का \'\'साहस\" ही नहीं है। ईरान की सरकारी संवाद समिति आईआरएनए ने मेजर जनरल अब्दुलरहमान मौसावी के...

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'हमारी सेना को निकाला तो लगा देंगे कठोर प्रतिबंध': डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के बाद इराक को धमकाया

'हमारी सेना को निकाला तो लगा देंगे कठोर प्रतिबंध': डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के बाद इराक को धमकाया115

👤06-01-2020-
ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका, ईरान और इराक में तनातनी जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इराक को धमकाया है। अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्‍या के बाद बाद तनातनी के बीच अमेरिकी सेना वापस भेजने के इराक की संसद के फैसले को लेकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को भी चेताया कि अगर वह तेहरान अमेरिका पर अटैक करता है तो हम उसका जोरदार पलटवार करेंगे। इराक को धमकाते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर इराक ने अमेरिकी सेनाओं को वापस जाने के लिए बाध्‍य किया तो हम उसके खिलाफ इतने कठोर प्रतिबंध लगाएंगे जिसका उसने अब तक कभी सामना नहीं किया होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को भी चेतावनी दी और कहा कि अगर तेहरान ने सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए हमला किया तो हम उसका बहुत \'जोरदार पलटवार\' करेंगे। बता दें कि इराक में बगदाद के ग्रीन जोन इलाके को निशाना बना कर अमेरिकी दूतावास के पास रविवार को रॉकेट से ताजा हमला हुआ है। इस इलाके में राजनयिकों के परिसर तथा सरकारी इमारते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कई कत्यूशा रॉकेट अमेरिकी दूतावास के पास गिरे। इराक के सूत्रों के मुताबिक़ इस हमले में एक परिवार के भी घायल होने की रिपोर्ट है।

🕔 एजेंसी

06-01-2020-
ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका, ईरान और इराक में तनातनी जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इराक को धमकाया है। अमेरिकी हवाई हमले में...

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अमेरिकी ड्रोन हमला: पाकिस्तान ने कहा, किसी के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे

अमेरिकी ड्रोन हमला: पाकिस्तान ने कहा, किसी के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे555

👤06-01-2020-
इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उपजे तनाव के बीच अफगानिस्तान के बाद अब पाकिस्तान ने रविवार (5 जनवरी) को कहा कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ करने की अनुमति नहीं देगा। एआरवाई न्यूज ने सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर की ओर से जारी बयान में कहा गया है, \'\'किसी के भी खिलाफ हम अपनी धरती का इस्तेमाल किये जाने की अनुमति नहीं देंगे।\" प्रधानमंत्री इमरान खान का हवाला देते हुए मेजर जनरल ने कहा, \'\'पाक किसी का और किसी के लिए पक्षकार नहीं बनेगा लेकिन वह शांति के लिए सहयोगी बनेगा।\" दो दिन पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार (3 जनवरी) को कहा था कि अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच 2014 में हुए सुरक्षा समझौते के अनुसार अफगान किसी देश के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल किये जाने की अनुमति नहीं देगा। इसके बाद पाक सैन्य प्रवक्ता का यह बयान आया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा ईरान से लगती है, जिसने इराक में अमेरिकी हमले में शीर्ष सैन्य कमांडर के मारे जाने का बदला लेने का संकल्प लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि उन्होंने देश में 52 संभावित स्थानों की पहचान की है। ट्रंप ने कहा कि सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अगर ईरान अगर उनके देश पर हमला करता है तो उनका देश अबतक का सबसे भीषण हमला इस इस्लामिक देश पर करेगा। एक सवाल के उत्तर में गफूर ने क्षेत्र में जारी \'\'तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि ईरान के जनरल के मारे जाने के बाद क्षेत्रीय स्थिति में बदलाव आया है और पाकिस्तान शांति व्यवस्था में मदद करने में अपनी भूमिका निभाएगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने शुक्रवार (3 जनवरी) की सुबह बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से निकलते काफिले पर हमला किया था, जिससे इसमें ईरान के कुद्स बल के प्रमुख कासिम सुलेमानी मारे गए थे। इस हमले में इराक के सबसे तातकवर अर्द्धसैनिक बल हशद अल साबी के उप प्रमुख की भी मौत हो गयी। सुलेमानी के मारे जाने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है।

🕔 एजेंसी

06-01-2020-
इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उपजे तनाव के बीच अफगानिस्तान के बाद अब पाकिस्तान ने रविवार (5 जनवरी) को कहा...

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अमेरिकी ड्रोन हमला: पाकिस्तान ने कहा, किसी के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे

अमेरिकी ड्रोन हमला: पाकिस्तान ने कहा, किसी के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे968

👤06-01-2020-
इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उपजे तनाव के बीच अफगानिस्तान के बाद अब पाकिस्तान ने रविवार (5 जनवरी) को कहा कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ करने की अनुमति नहीं देगा। एआरवाई न्यूज ने सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर की ओर से जारी बयान में कहा गया है, \'\'किसी के भी खिलाफ हम अपनी धरती का इस्तेमाल किये जाने की अनुमति नहीं देंगे।\" प्रधानमंत्री इमरान खान का हवाला देते हुए मेजर जनरल ने कहा, \'\'पाक किसी का और किसी के लिए पक्षकार नहीं बनेगा लेकिन वह शांति के लिए सहयोगी बनेगा।\" दो दिन पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार (3 जनवरी) को कहा था कि अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच 2014 में हुए सुरक्षा समझौते के अनुसार अफगान किसी देश के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल किये जाने की अनुमति नहीं देगा। इसके बाद पाक सैन्य प्रवक्ता का यह बयान आया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा ईरान से लगती है, जिसने इराक में अमेरिकी हमले में शीर्ष सैन्य कमांडर के मारे जाने का बदला लेने का संकल्प लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि उन्होंने देश में 52 संभावित स्थानों की पहचान की है। ट्रंप ने कहा कि सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अगर ईरान अगर उनके देश पर हमला करता है तो उनका देश अबतक का सबसे भीषण हमला इस इस्लामिक देश पर करेगा। एक सवाल के उत्तर में गफूर ने क्षेत्र में जारी \'\'तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि ईरान के जनरल के मारे जाने के बाद क्षेत्रीय स्थिति में बदलाव आया है और पाकिस्तान शांति व्यवस्था में मदद करने में अपनी भूमिका निभाएगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने शुक्रवार (3 जनवरी) की सुबह बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से निकलते काफिले पर हमला किया था, जिससे इसमें ईरान के कुद्स बल के प्रमुख कासिम सुलेमानी मारे गए थे। इस हमले में इराक के सबसे तातकवर अर्द्धसैनिक बल हशद अल साबी के उप प्रमुख की भी मौत हो गयी। सुलेमानी के मारे जाने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है।

🕔 एजेंसी

06-01-2020-
इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उपजे तनाव के बीच अफगानिस्तान के बाद अब पाकिस्तान ने रविवार (5 जनवरी) को कहा...

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अगर जेएनयू कैंपस में पुलिस को समय से एंट्री मिलती तो क्या नहीं होती हिंसा?

अगर जेएनयू कैंपस में पुलिस को समय से एंट्री मिलती तो क्या नहीं होती हिंसा?218

👤06-01-2020-
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कैंपस में पुलिस को समय से एंट्री मिलती तो शायद हिंसा की घटना टाली जा सकती थी। ऐसा प्रत्यक्षदर्शियों का भी कहना है। खुद स्पेशल सीपी आर.एस. कृष्णैया का भी मानना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से लिखित अनुमति पाने के बाद ही पुलिस अंदर जा सकी। तब तक पुलिस को गेट पर इंतजार करना पड़ा। बहरहाल, जेएनयू में हिंसा क्या विश्वविद्यालय प्रशासन की ढिलाई की वजह से हुई या फिर पुलिस की, कब विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को फोन किया, कब पुलिस पहुंची और कब लिखित में अनुमति मिली। इन सब बिंदुओं पर जांच जारी है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी कमिश्नर को फोन कर रिपोर्ट तलब की है। नकाबपोश गुंडे किस संगठन से जुड़े हैं, इसकी भी तफ्तीश जारी है। सूत्रों का कहना है कि छात्रों के रजिस्ट्रेशन के आखिरी दिन रविवार को सर्वर बंद होने को लेकर दोपहर में डेढ़ बजे से ही लेफ्ट और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकतार्ओं के बीच झड़प शुरू हुई। एबीवीपी का आरोप था कि लेफ्ट विंग के छात्रों ने सर्वर रूम बंद कर दिया है जिससे रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। इस बीच लगभग 3.30 बजे एबीवीपी के कुछ कार्यकतार्ओं ने पेरियार हॉस्टल में अपने ऊपर हमले की पुलिस को सूचना दी। उन्होंने कहा कि एबीवीपी के छात्रसंघ चुनाव के प्रत्याशी रहे मनीष की बुरी तरह पिटाई हुई है। कुछ ही मिनट में वसंत कुंज थाने से पुलिस जेएनयू गेट पर पहुंच गई। इस बीच पुलिस ने कैंपस में घुसने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति मांगी। चार बजे तक पुलिस की चार से पांच गाड़ियां मेन गेट पर पहुंच गई थीं। सूत्रों का कहना है कि उधर बाहर पुलिस अनुमति के इंतजार में खड़ी रही, तब तक अंदर दर्जनों की संख्या में लाठी, डंडे और लोहे की रॉड लेकर पहुंचे नकाबपोश अराजक तत्वों ने हमला बोल दिया। यह पूरी घटना करीब पांच से छह बजे के बीच हुई। इस घटना में 6० से अधिक छात्र घायल बताए जाते हैं। लेफ्ट विंग के छात्र जहां एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगा रहे हैं तो एबीवीपी पदाधिकारी हिंसा के पीछे लेफ्ट स्टूडेंट्स का हाथ बता रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब परमीशन लेटर पाकर पुलिस अंदर पहुंची तब तक खूनी खेल को अंजाम दिया जा चुका था। स्पेशल सीपी आरएस कृष्णैया ने मीडिया से कहा, “जब हमें लिखित में अनुमति मिली तब जाकर ही पुलिस कैंपस में दाखिल हुई।”स्पेशल सीपी के इस बयान से माना जा रहा है कि पुलिस को अगर लिखित अनुमति मिलने में देरी नहीं हुई होती तो शायद कैंपस में हिंसा की घटना न होती। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन के सूत्रों का कहना है कि जब कैंपस में नकाबपोश गुंडों के घुसने की सूचना मिली थी, तभी फोन कर पुलिस बुलाई गई। किस वक्त प्रशासन ने पुलिस को फोन किया, घटना वास्तव में किस समय हुई, अभी इसको लेकर अलग-अलग बयानबाजी चल रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उन्होंने लिखित अनुमति का इंतजार इसलिए किया क्योंकि उच्चस्तर से उन्हें कई मौकों पर नसीहत जारी हो चुकी है कि बगैर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के कैंपस में न घुसें। इससे पूर्व जेएनयू सहित कुछ विश्वविद्यालयों में बगैर अनुमति के पुलिस के घुसने पर विवाद हो चुका है।

🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कैंपस में पुलिस को समय से एंट्री मिलती तो शायद हिंसा की घटना टाली जा सकती थी। ऐसा प्रत्यक्षदर्शियों का भी कहना है। खुद स्पेशल सीपी...

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जेएनयू में हिंसा पर बिफरीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती, जानिए क्या कहा

जेएनयू में हिंसा पर बिफरीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती, जानिए क्या कहा649

👤06-01-2020-
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में रविवार को छात्रों के दो गुटों के बीच हुई भिड़ंत और हिंसा के बाद जहां इसके खिलाफ मुंबई और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस घटना की राजनीतिक जगत में भी भारी आलोचना की जा रही है। उधर, दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्हें इस बारे में कई शिकायतें मिली है और वे जल्द ही एफआईआर दर्ज करेगी। इस बीच, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती जेएनयू हिंसा को \'शर्मनाक\' करार दिया। मायावती ने जेएनयू हिंसा के एक दिन बाद सोमवार की सुबह ट्वीट करते हुए कहा- “जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों के साथ हुई हिंसा अति निंदनीय और शर्मनाक है। केन्द्र सरकार को इस पूरे मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। घटना की न्यायिक जांच की जाए तो यह बेहतर रहेगा।” गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में छात्रसंघ के प्रदर्शन के बीच रविवार शाम नकाबपोशों लोगों ने छात्रों पर हमला बोल दिया। हथियारों से लैस नाकाबपोश जेएनयू परिसर में घुस गए और चार घंटे तक परिसर में बवाल मचाते रहे। अज्ञात नकाबपोशों ने साबरमती हॉस्टल, साबरमती टी-प्वाइंट सहित कई हॉस्टल में जमकर तोड़फोड़ की। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम छात्र संगठनों में हुई झड़प के बाद नकाबपोशों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इसमें इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष का सिर फट गया। कुछ प्रोफेसर समेत 20 लोग घायल हो गए। घटना को लेकर देर रात तक जेएनयू में अफरातफरी रही।

🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में रविवार को छात्रों के दो गुटों के बीच हुई भिड़ंत और हिंसा के बाद जहां इसके खिलाफ मुंबई और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हो...

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जेएनयू में हिंसा पर बिफरीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती, जानिए क्या कहा

जेएनयू में हिंसा पर बिफरीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती, जानिए क्या कहा214

👤06-01-2020-
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में रविवार को छात्रों के दो गुटों के बीच हुई भिड़ंत और हिंसा के बाद जहां इसके खिलाफ मुंबई और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस घटना की राजनीतिक जगत में भी भारी आलोचना की जा रही है। उधर, दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्हें इस बारे में कई शिकायतें मिली है और वे जल्द ही एफआईआर दर्ज करेगी। इस बीच, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती जेएनयू हिंसा को \'शर्मनाक\' करार दिया। मायावती ने जेएनयू हिंसा के एक दिन बाद सोमवार की सुबह ट्वीट करते हुए कहा- “जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों के साथ हुई हिंसा अति निंदनीय और शर्मनाक है। केन्द्र सरकार को इस पूरे मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। घटना की न्यायिक जांच की जाए तो यह बेहतर रहेगा।” गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में छात्रसंघ के प्रदर्शन के बीच रविवार शाम नकाबपोशों लोगों ने छात्रों पर हमला बोल दिया। हथियारों से लैस नाकाबपोश जेएनयू परिसर में घुस गए और चार घंटे तक परिसर में बवाल मचाते रहे। अज्ञात नकाबपोशों ने साबरमती हॉस्टल, साबरमती टी-प्वाइंट सहित कई हॉस्टल में जमकर तोड़फोड़ की। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम छात्र संगठनों में हुई झड़प के बाद नकाबपोशों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इसमें इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष का सिर फट गया। कुछ प्रोफेसर समेत 20 लोग घायल हो गए। घटना को लेकर देर रात तक जेएनयू में अफरातफरी रही।

🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में रविवार को छात्रों के दो गुटों के बीच हुई भिड़ंत और हिंसा के बाद जहां इसके खिलाफ मुंबई और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हो...

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नागरिकता कानून : हिंसा पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही यूपी पुलिस

नागरिकता कानून : हिंसा पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही यूपी पुलिस855

👤06-01-2020-
नागरिकता कानून के विरोध में पिछले दिनों राज्य में हुई हिंसक घटनाओं पर उत्तर प्रदेश पुलिस अब डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही है। यह हिंसा कैसे शुरू हुई और पुलिस ने इसे कैसे कंट्रोल किया, इसे फोटो-वीडियो के जरिये दिखाया जाएगा। मेरठ और मुजफ्फरनगर पुलिस ने रविवार को डॉक्यूमेंट्री फिल्में जारी कर दीं। अन्य जिलों में भी इन डाक्यूमेंट्री पर तेजी से काम चल रहा है। यह वीडियो सभी राज्यों की पुलिस को भेजी जाएंगी, ताकि दंगा नियंत्रण में ये फिल्में मददगार हो सकें। पिछले दिनों कर्नाटक राज्य के मैंगलुरु शहर में एक हिंसा हुई थी। हिंसा के बाद मैंगलुरु पुलिस ने डॉक्यूमेंट्री जारी की। इसे सोशल मीडिया पर काफी सराहा गया। इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश पुलिस हिंसा प्रभावित जनपदों में डॉक्यूमेंट्री फिल्में तैयार करा रही है। फिल्म बनाने का मकसद यह बताना है कि कठिन परिस्थतियों में भी उप्र पुलिस ने हिंसा को कैसे कंट्रोल किया। पिछले दिनों नागरिकता कानून को लेकर हुई हिंसा में उत्तर प्रदेश के 20 से ज्यादा जिले प्रभावित हुए थे। प्रदेश में सबसे ज्यादा छह मौतें मेरठ में हुई थीं। मेरठ पुलिस ने रविवार को 9.24 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री जारी कर दी। इस फिल्म का शीर्षक ‘सीएए के खिलाफ मेरठ युद्धग्रस्त देश जैसा\' रखा गया है। यह शांतिपूर्वक प्रदर्शन था या जानलेवा दंगे थे, इसकी सच्चाई बताई गई है। फिल्म की शुरुआत जामा मस्जिद से है, जहां जुमे की नमाज से पहले काली पट्टियां बांटी गईं। इसके बाद हिंसक प्रदर्शन हुआ और पुलिस पर पथराव कर दिया गया। मेरठ पुलिस ने आंकड़ा दिया है कि हिंसा के बाद नगर निगम ने 44 ट्रॉली पत्थर उठवाए। इसके बाद भीड़ की तरफ से फायरिंग करते हुए कुछ वीडियो दिखाए गए हैं। कुछ पत्रकारों, पुलिसकर्मियों की जुबानी बताई है, जिसमें दंगाइयों ने कैसे उन्हें बंधक बनाकर जलाने का प्रयास किया था।\r\nहिंसा प्रभावित सभी जनपदों में डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनवाई जा रही हैं। इसका उद्देश्य बताना है कि पुलिस ने किन परिस्थतियों में हिंसा पर काबू पाया। या इस तरह की हिंसा से समाज को क्या मिलता है। प्रशांत कुमार, एडीजी मेरठ जोन
 
मेरठ : पांच दंगे और 91 मौत 12 महीना सात दिन
कफ्र्यू डॉक्यूमेंट्री के अनुसार, भूमिया पुल को मेरठ का सबसे खतरनाक स्थान बताया गया है। यहां 1982 के दंगे में 30 मौतें हुईं और तीन महीने तक कफ्र्यू रहा। 1987 के दंगे में 55 मौतें हुई और 9 महीने तक कफ्र्यू रहा। 1999 में 4 दिन और 2009 में 3 दिन तक कफ्र्यू लगा रहा। 20 दिसंबर को मेरठ में हुए दंगे का निष्कर्ष पुलिस ने 6 सिविलियन की मौत, 50 पुलिसवालों के घायल और 48 लाख की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचने के रूप में बताया है। डॉक्यूमेंट्री के सबसे अंत में मेरठ पुलिस ने पूछा है कि इन राइट्स का क्या फायदा निकला? तय करना होगा कि हम भारतीय हैं। \r\nमुजफ्फरनगर पुलिस ने पूछा क्या हमने आजादी के मायने बदले
डॉक्यूमेंट्री फिल्म की शुरुआत सड़कों पर उतरे लोगों के जुलूस से दिखाई गई है। इसके बाद डीएम-एसएसपी उन्हें समझाते हैं। इसके बावजूद भीड़ नहीं मानी और हिंसा पर उतर आई। एक अन्य स्थान की वीडियो में भीड़ पत्थरबाजी कर रही है। इसी दौरान पुलिस ने पूछा है कि क्या हमने आजादी के मायने बदल दिए हैं.? लोकतंत्र शांतिपूर्वक आंदोलन की इजाजत देता है, लेकिन हिंसा? डॉक्यूमेंट्री में महात्मा गांधी का भी चित्र है, जिसमें उनके साथ लोगों को शांतिपूर्वक आंदोलन करते दिखाया गया है।
🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
नागरिकता कानून के विरोध में पिछले दिनों राज्य में हुई हिंसक घटनाओं पर उत्तर प्रदेश पुलिस अब डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही है। यह हिंसा कैसे शुरू हुई और पुलिस ने इसे कैसे...

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यूपी बोर्ड परीक्षा 2020: केन्द्र पर जूते पहनकर दे सकेंगे परीक्षा

यूपी बोर्ड परीक्षा 2020: केन्द्र पर जूते पहनकर दे सकेंगे परीक्षा215

👤06-01-2020-
यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2020 में परीक्षार्थियों को जूत पहनकर परीक्षा कक्ष में बैठने की अनुमति मिलेगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सुझाव दिया है कि परीक्षा कक्षों में प्रवेश के पहले ही परीक्षार्थियों के जूते मोजे उतरवाकर चेक कर लिए जाएं। परीक्षा के दौरान जूते मोजे पहनने दें। इससे  न तो परीक्षार्थियों को कोई असुविधा होगी और न हो परीक्षा की पवित्रता एवं शुचिता पर कोई सवाल उठेगा। केन्द्रों पर रहेगी विशेष नजर : संवेदनशील और अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे। कंट्रोल रूम में परीक्षा की निगरानी सीसी कैमरों की मदद से की जाएगी। 15-16 केंद्रों की कंप्यूटर अथवा स्क्रीन पर निगरानी के लिए राजकीय विद्यालय के दो शिक्षक तैनात किए जाएंगे। धारा 144 होगी लागू  : बोर्ड ने साफ किया है कि परीक्षा केंद्रों पर सीसी कैमरे, राउटर और वाइस रिकार्डर अवश्य होना चाहिए। वेब कास्टिंग द्वारा पारदर्शिता पूर्ण नकल विहीन परीक्षा के लिए केंद्रों की निगरानी की जाएगी। छात्रों का सिटिंग प्लान अनुक्रमांक के आधार पर क्रमानुसार मिश्रित बनाया जाए। इसके अलावा,  केंद्रों के आस पास बाहरी लोगों को इकट्ठा न होने दिया जाए। 100 मीटर की परिधि में धारा 144 का पालन कराया जाएगा।डीआईओएस ने मांगी मिशन टॉपर की स्थिति राजधानी के होनहार छात्र-छात्राओं को यूपी मेरिट में पहुंचाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक के स्तर पर मिशन टॉपर की शुरुआत की गई थी। इसके तहत मेधावी छात्रों की पहचान करना, प्री बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन, मॉडल पेपर से तैयारी, काउंसलिंग सेशन से लेकर कमजोर बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जानी थी। डीआईओएस ने दिसम्बर के पहले सप्ताह में इसके लिए निर्देश जारी किए थे। रविवार को पत्र जारी कर डीआईओएस ने सभी स्कूलों से स्थिति का ब्योरा मांगा है। यह जानकारी 13 जनवरी तक उपलब्ध करानी होगी।
🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2020 में परीक्षार्थियों को जूत पहनकर परीक्षा कक्ष में बैठने की अनुमति मिलेगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सुझाव दिया है कि परीक्षा कक्षों...

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यूपी बोर्ड परीक्षा 2020: केन्द्र पर जूते पहनकर दे सकेंगे परीक्षा

यूपी बोर्ड परीक्षा 2020: केन्द्र पर जूते पहनकर दे सकेंगे परीक्षा179

👤06-01-2020-
यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2020 में परीक्षार्थियों को जूत पहनकर परीक्षा कक्ष में बैठने की अनुमति मिलेगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सुझाव दिया है कि परीक्षा कक्षों में प्रवेश के पहले ही परीक्षार्थियों के जूते मोजे उतरवाकर चेक कर लिए जाएं। परीक्षा के दौरान जूते मोजे पहनने दें। इससे  न तो परीक्षार्थियों को कोई असुविधा होगी और न हो परीक्षा की पवित्रता एवं शुचिता पर कोई सवाल उठेगा। केन्द्रों पर रहेगी विशेष नजर : संवेदनशील और अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे। कंट्रोल रूम में परीक्षा की निगरानी सीसी कैमरों की मदद से की जाएगी। 15-16 केंद्रों की कंप्यूटर अथवा स्क्रीन पर निगरानी के लिए राजकीय विद्यालय के दो शिक्षक तैनात किए जाएंगे। धारा 144 होगी लागू  : बोर्ड ने साफ किया है कि परीक्षा केंद्रों पर सीसी कैमरे, राउटर और वाइस रिकार्डर अवश्य होना चाहिए। वेब कास्टिंग द्वारा पारदर्शिता पूर्ण नकल विहीन परीक्षा के लिए केंद्रों की निगरानी की जाएगी। छात्रों का सिटिंग प्लान अनुक्रमांक के आधार पर क्रमानुसार मिश्रित बनाया जाए। इसके अलावा,  केंद्रों के आस पास बाहरी लोगों को इकट्ठा न होने दिया जाए। 100 मीटर की परिधि में धारा 144 का पालन कराया जाएगा।डीआईओएस ने मांगी मिशन टॉपर की स्थिति राजधानी के होनहार छात्र-छात्राओं को यूपी मेरिट में पहुंचाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक के स्तर पर मिशन टॉपर की शुरुआत की गई थी। इसके तहत मेधावी छात्रों की पहचान करना, प्री बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन, मॉडल पेपर से तैयारी, काउंसलिंग सेशन से लेकर कमजोर बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जानी थी। डीआईओएस ने दिसम्बर के पहले सप्ताह में इसके लिए निर्देश जारी किए थे। रविवार को पत्र जारी कर डीआईओएस ने सभी स्कूलों से स्थिति का ब्योरा मांगा है। यह जानकारी 13 जनवरी तक उपलब्ध करानी होगी।
🕔tanveer ahmad

06-01-2020-
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