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फिल्म का डायरेक्टर बन कर आया 6 लाख लेकर फरार

फिल्म का डायरेक्टर बन कर आया 6 लाख लेकर फरार782

👤15-09-2019- \r\n 
\r\nलखनऊ । यूपी पुलिस कितना भी सक्रिय हो जाए लेकिन फ्रॉड और ठगी करने वालों पर पुलिस का कोई भी खौफ नहीं है राजधानी लखनऊ में 12 नहीं आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं की ठग बाज किसी न किसी बहाने से लाखों की ठगी करके चला जाता है और उस पर ना तो पुलिस कोई कार्रवाई कर पाती है और ना ही पीड़ित कुछ कर पाता है ऐसा ही मामला राजधानी लखनऊ में एक और प्रकाश में आया है जहां पर एक हिंदी फिल्म बनाने के नाम पर डायरेक्टर ने लाखों का चूना लगाकर फरार हो गया है ना तो इसका कोई पता लग पा रहा है और ना ही कोई उससे कांटेक्ट हो पा रहा है इस पूरे मामले की तहरीर पीड़ित  रामेश्वर गिरी थाना गुडंबा में दी जिस तहरीर पर गुडंबा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है पीड़ित रामेश्वर गिरी ने बताया कि मैं एक क्षेत्रीय हिंदी फिल्म बनाने जा रहा था जिस क्रम में विक्रम सिंह नाम के एक व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई जो इस स्तर की फिल्मों में डायरेक्टर के रूप में कार्य का अनुभव बता कर मुझसे जुड़ा मैंने विक्रम सिंह को अपनी फिल्म के डायरेक्टर के रूप में जोड़ लिया। गिरी ने बताया कि विक्रम सिंह ने तीन कलाकार और फिल्म के चार गानों का जिम्मा लिया। मेरे द्वारा विक्रम सिंह  को तीन कलाकारों के लिए 185000 और चार गानों के लिए 125000 का नगद भुगतान किया गया।उन्होंने बताया कि विक्रम सिंह ने खुद के लिए ₹364500 चेक आरटीजीएस के द्वारा लिए है। अब तक विक्रम सिंह को 6,73500 दिया जा चुका है।  लेकिन बिना किसी विवाद के वाह मोटी रकम लेकर फरार हो गया है काफी दिन प्रयास करने के बाद संपर्क नहीं हो सका। उन्होंने यह भी बताया की विक्रम सिंह का असली नाम वीरेंद्र पाल सिंह निवासी 162/ 3 सिविल लाइन बरेली का निवासी बताया है। लोगों के माध्यम से यह भी पता चला है कि क्यों विक्रम सिंह लोगों को अपने झांसे में लेकर फिल्म पर पैसा लगवा कर और मोटी रकम खुद एंड लेता है जिसके बाद वह फरार हो जाता है। 
🕔tanveer ahmad

15-09-2019- \r\n 
\r\nलखनऊ । यूपी पुलिस कितना भी सक्रिय हो जाए लेकिन फ्रॉड और ठगी करने वालों पर पुलिस का कोई भी खौफ नहीं है राजधानी लखनऊ में 12 नहीं आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं...

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 4 दिन बंद रहेंगे बैंक, जानें क्यों गुस्से में हैं बैंककर्मी, क्या है हड़ताल का कारण

4 दिन बंद रहेंगे बैंक, जानें क्यों गुस्से में हैं बैंककर्मी, क्या है हड़ताल का कारण641

👤15-09-2019- बैंक ऑफिसर्स की चार यूनियनों ने 26 सितंबर से दो दिनी हड़ताल की घोषणा की है। यूनियन ने हड़ताल में बैँकों का विलय के विरोध के साथ ही 11वां वेतन समझौता लागू करने की मांग की है। कहीं न कहीं वेतन को लेकर बैंक अफसरों की मांग जायज भी है। मौजूदा समय में बैंक अधिकारी के रूप में जो नए लोग नियुक्त हो रहे हैं उनका वेतन प्राइमरी के शिक्षक से थोड़ा नहीं लगभग दस हजार रुपये कम है। वहीं, नए नियुक्त हो रहे क्लर्क का वेतन राज्य और केंद्र सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम है। वेतन की इस विसंगति को लेकर इस बार बैंकों के ऑफिसर्स की सभी चार ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की घोषणा की है।  कभी आईएएस अफसर से ज्यादा था बैंक अधिकारी का वेतनऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन के कार्यकारिणी सदस्य अजय सिंह ने बताया कि 1977 तक बैंक अधिकारी का वेतन 760 रुपये और आईएएस अफसर का वेतन 700 रुपये था। उस समय बैंक की नौकरी में वेतन के साथ प्रतिष्ठा भी थी। वेतन निर्धारण के लिए बनाई गई कमेटियों के चलते मौजूदा समय में बैंक कर्मचारियों-अफसरों का वेतन इस स्तर पर पहुंचा है। इसके अलावा 11वां वेतन समझौता जो कि नवंबर 2017 में लागू हो जाना था वो अभी तक नहीं लागू किया गया है। ऐसी ही मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की गई है। पांच दिन का हो हफ्ताऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन के सहायक क्षेत्रीय सचिव दुर्गेश राय ने बताया कि बैंक के कर्मचारियों-अधिकारियों की मांग है कि बैंकों में पांच दिनों का कार्यदिवस हो। आरबीआई में भी पांच दिनों का कार्यदिवस है। बैंकों में कर्मचारियों-अफसरों की कमी से अवकाश नहीं मिलता। सालभर के अवकाश बिना लिए ही खत्म हो जाते हैं। बैंकों में जहां ग्राहकों से संबंधित सभी कार्य हो रहे हैं वहां भी यह नियम लागू होना चाहिए।
🕔tanveer ahmad

15-09-2019- बैंक ऑफिसर्स की चार यूनियनों ने 26 सितंबर से दो दिनी हड़ताल की घोषणा की है। यूनियन ने हड़ताल में बैँकों का विलय के विरोध के साथ ही 11वां वेतन समझौता लागू करने की मांग की है।...

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गन्ना किसानों को मोबाइल एप पर मिलेंगी सारी सूचनाएं

गन्ना किसानों को मोबाइल एप पर मिलेंगी सारी सूचनाएं165

👤15-09-2019-प्रदेश का गन्ना विकास व चीनी उद्योग विभाग अब और हाईटेक होगा। जल्द ही राज्य के गन्ना किसानों को उनके एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर एक एप के जरिये चीनी मिल में उनका गन्ना देने की पर्ची, तौल आदि की पूरी जानकारी मिलेगी। सम्बंधित किसान सिर्फ अपना कोड डालेगा और उसके फोन पर उसके गन्ने से सम्बंधित सारी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी।यह जानकारी विभाग के प्रमुख सचिव और गन्ना आयुक्त संजय आर.भूसरेड्डी ने यहां गन्ना संस्थान सभागार में आयोजित मेरठ मण्डल की गन्ना क्षेत्र आरक्षण बैठक में दी। उन्होंने बताया कि सोमवार से इसका ट्रायल शुरू होगा। जल्द ही गन्ना किसान इस मोबाइल एप का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे। इस बैठक में बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर जिलों की 16 चीनी मिलों से जुड़े किसान व उनके प्रतिनिधि शामिल हुए। इस मौके पर सरधना के विधायक संगीत सोम ने गन्ना मूल्य की बकाएदार चीनी मिलों की पैरवी करने वालों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसी मिलों को किसान अपना गन्ना देना बंद करें। श्री सोम ने गन्ना क्षेत्र आरक्षण बैठकें सम्बंधित जिलों में ही कराने की जरूरत भी जतायी। उन्होंने अनूपशहर मिल क्षेत्र के गन्ना किसानों द्वारा सहकारी चीनी मिल अनूपशहर की पेराई क्षमता विस्तार के लिए  अपनी मांग रखी। गढ़मुक्तेश्वर के विधायक कमल सिंह मलिक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। गन्ना आयुक्त श्री भूसरेड्डी ने कहा कि गन्ना मूल्य भुगतान में पारदर्शिता के लिए प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा गन्ना किसान, चीनी मिल प्रबंधन व जिला गन्ना अधिकारी की साझेदारी में खोले गये बैंक खाते यानि  एस्क्रो एकाउन्ट से गन्ना मूल्य भुगतान में काफी सहूलियत हुई है।  प्रेसमड, कोजन, बगास आदि का पैसा भी अब एस्क्रो एकाउन्ट में ही जा रहा है। गन्ना किसानों को ट्रेंच, सहफसली एवं ड्रिप सिंचाई से काफी लाभ हुआ है।उन्होंने कहा कि पर्ची निर्गमन सम्बन्धी व्यवस्था को भी सुगम कर दिया गया है। पर्ची निर्गमन के साथ ही किसानों को उनके मोबाइल नम्बर पर एसएमएस प्राप्त होगा। इसे दिखाकर भी किसान अपना गन्ना तुलवा सकते हैं। गन्ना आयुक्त ने बताया कि गन्ना क्षेत्र सर्वे के दौरान उन्होंने जिलों में भ्रमण किया और किसानों से उनके खेत पर उनकी समस्याओं के बारे में बात भी की। मेरठ मण्डल के 5 जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार गन्ना क्षेत्रफल 1.75 प्रतिशत बढ़ा है। इस मण्डल की सभी 16 मिलों की पेराई क्षमता 95,800 टन गन्ना प्रतिदिन पेरने की है। इस बार इन सभी मिलों ने अक्टूबर के अंत तक पेराई शुरू करने की बात कही है। पिछले पेराई सत्र में क्षेत्र की इन 16 मिलों ने 1427.67 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करके 160.49 लाख कुन्तल चीनी का उत्पादन किया था। 
🕔 एजेंसी

15-09-2019-प्रदेश का गन्ना विकास व चीनी उद्योग विभाग अब और हाईटेक होगा। जल्द ही राज्य के गन्ना किसानों को उनके एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर एक एप के जरिये चीनी मिल में उनका गन्ना देने की...

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बीएचयू : अश्लील हरकत में घिरे प्रोफेसर की बर्खास्तगी के लिए सड़क पर स्टूडेंट्स

बीएचयू : अश्लील हरकत में घिरे प्रोफेसर की बर्खास्तगी के लिए सड़क पर स्टूडेंट्स181

👤15-09-2019-बीएचयू में अश्लील हरकत के मामले में घिरे जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विज्ञान संस्थान के छात्र- छात्राओं ने शनिवार देर शाम सिंहद्वार पर धरना शुरू कर दिया। प्रो. चौबे को फिर बहाल करने का विरोध करते हुए छात्र-छात्राएं तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे। विवि प्रशासन ने उन्हें कई बार समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने। देर रात तक धरना जारी था। हमें चाहिए आजादीआधी रात के बाद छात्र-छात्राओं ने डफली थाम जेएनयू की तर्ज पर ‘हमें चाहिए आजादी ...’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। विवि प्रशासन की ओर से मामले पर पुनर्विचार का आश्वासन भी बेअसर रहा।  दोषी पाए गए थे चौबेप्रो. चौबे पर कई छात्राओं ने पिछले साल पूरी के शैक्षणिक भ्रमण के दौरान अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया था। जांच में वह दोषी पाए गए। इस पर विश्वविद्यालय ने उन्हें विद्यार्थियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल नहीं होने, प्रशासनिक पद नहीं दिए जाने और इस पेनाल्टी को सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करने की कार्रवाई कर उन्हें फिर बहाल कर दिया।‘प्रो. चौबे दोषी हैं तो फिर क्यों किया बहाल’बीएचयू के सिंहद्वार पर धरनारत छात्र-छात्राओं ने शनिवार रात विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया। कहा कि जांच समिति ने जब जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. एसके चौबे को दोषी माना है तो विवि प्रशासन ने उन्हें क्यों बहाल कर दिया? आरोपित प्रो. चौबे को बचाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आक्रोशित छात्र-छात्रा देर रात कार्रवाई की मांग पर अड़ी रहीं। शनिवार आधी रात के बाद भी छात्राओं का गुस्सा कम नहीं था। उन्होंने कहा कि प्रो. एसके चौबे का जो अपराध है, उसके आधार पर उन्हें विश्वविद्यालय में बने रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें बर्खास्त करने के साथ ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने  12 सितम्बर के अंक में ‘बचे कार्यकाल में सिर्फ पढ़ाएंगे प्रोफेसर चौबे’ शीर्षक से खबर प्रकाशित  कर मामले को प्रमुखता से उठाया था। BHU के छात्र फिर आंदोलित, लंका गेट पर जाम लगाकर प्रदर्शनPauseUnmuteCurrent Time 0:07/Duration 2:51Loaded: 5.84% Fullscreen
दोनों छोटे द्वार खुले रहेछात्राएं बीएचयू के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने धरने पर बैठी थीं। उन्होंने दोनों छोटे द्वार को आवाजाही के लिए छोड़ रखा था। छात्राओं का कहना था कि उनकी मंशा किसी आमजन को दिक्कत में डालने की नहीं है। प्रदर्शन बीएचयू प्रशासन की हीलाहवाली के विरोध में है। देर रात घट गयी छात्राओं की संख्या रात आठ बजे से शुरू धरना-प्रदर्शन देर रात तक जारी रहा। रात 12.30 बजे के बाद छात्राओं की संख्या घटने लगी थी। हालांकि छात्रों की संख्या में कमी नहीं दिखी। सितम्बर 2017 में भी हुआ था बवाल दो साल पहले कैम्पस में छात्रा से छेड़खानी की घटना के बाद उग्र आंदोलन हुआ था। उस समय भी छात्र छात्राओं ने सिंहद्वार बंद करके दो दिन धरना दिया था। बाद में उनको हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा था।
🕔tanveer ahmad

15-09-2019-बीएचयू में अश्लील हरकत के मामले में घिरे जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विज्ञान संस्थान के छात्र- छात्राओं ने शनिवार देर...

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कम हुए 'ट्रिपल तलाक' के मामले, लेकिन एक तलाक बोलने पर भी मिल रही मुकदमे की धमकियां

कम हुए 'ट्रिपल तलाक' के मामले, लेकिन एक तलाक बोलने पर भी मिल रही मुकदमे की धमकियां709

👤15-09-2019-तीन तलाक कानून बनने के बाद सामान्य रूप से होने वाले तलाक के मामले मुस्लिम समाज में कम हो गए हैं। इसके विपरीत त्वरित तलाक के मामलों की संख्या बढ़ी है लेकिन इससे जुड़े मामले शरई कोर्ट नहीं बल्कि थानों में पहुंच रहे हैं। उलमा के एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि जो मामले थाने पहुंचे उसमें 90 फीसदी से ज्यादा में प्राथमिक स्तर पर यह साबित नहीं हो पाया कि एक बार में तीन तलाक बोला गया। सामान्य रूप से कुरआन में बताए गए नियम के अनुसार तलाक तीन तोहर (तीन चरणों) में बोला जाता है। इसे विधिवत तलाक माना जाता है। इसके विपरीत एक बार में तीन तलाक (त्वरित तलाक) का नियम भी परंपरा में रहा है जिस पर सरकार ने कानून बनाकर रोक लगा दी है। यदि कोई व्यक्ति एक ही बार में तीन तलाक कहता है तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है और पति को जेल भी भेजा जा सकता है। क्यों घट रहे \'तलाक\' के मामले : शहर में छोटी-बड़ी छह शरई कोर्ट (शरई पंचायत या दारुलकजा) हैं। पिछले एक माह में यहां केवल दो प्रकरण सामान्य तलाक के आए जिसमें तीन चरणों में तलाक दी जाती है। एक मामले में पति ने पत्नी को केवल एक बार तलाक कहा था। दूसरे मामले में पति दो बार तलाक कह चुका था। पर दोनों ही मामलों में पत्नी की ओर से चेतावनी दी गई कि अगर उन्हें दूसरी या तीसरी बार तलाक कहा गया तो वह तीन तलाक का मुकदमा दर्ज करा देंगी। इस पर शरई कोर्ट में पति-पत्नी की काउंसिलिंग कर दोनों ही रिश्ते टूटने से बचा लिए गए। एक बार में तीन तलाक को हथियार बनाने के ऐसे मामलों से सामान्य तलाक में कमी आ रही है।ट्रिपल तलाक का अध्ययन जारी : शहर में तीन संस्थाएं थाने पहुंच रहे ट्रिपल तलाक के मामलों की स्वयं पड़ताल में लगी हैं। एक संस्था का कहना है कि अखबारों में प्रकाशित शहर के करीब 40 मामलों में केवल तीन या चार में प्राथमिकी दर्ज हो सकी। दूसरे मामलों में यह साबित करना मुश्किल हो रहा है कि पति ने तीन तलाक कहा। जिनमें प्राथमिकी दर्ज हुई उसकी भी हकीकत कोर्ट के फैसले के बाद ही साफ हो सकेगी। किसने क्य कहा
तलाक का बिल्कुल सही हिसाब कोई नहीं रख सकता। जरूरी नहीं है जो सामान्य तलाक दे वह किसी शरई कोर्ट या दारुल कजा को बताने आए। दारुल कजा में मामले सिर्फ विवाद की स्थिति में आते हैं। ट्रिपल तलाक पर अध्ययन करा रहे हैं इसमें ज्यादातर मामलों में सिर्फ आरोप दिख रहा है, सच्चाई कम है। - मौलाना आलम रजा नूरी, शहर काजीएक-दो मामले सामने आए हैं जिसमें पति का कहना था कि हमने एक ही बार तलाक कहा है जबकि पत्नी कह रही थी तीन तलाक दिया है। ऐसे मामलों में कोई सुनवाई नहीं हुई है। हो सकता है आपस में ही विवाद को सुलझा लिया गया हो इसलिए कोई पक्ष नहीं आया। जो मामले थानों में जा रहे हैं, उनकी स्टडी अभी नहीं कराई है लेकिन कराएंगे। -  मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी, शहर काजीमहिला शरई कोर्ट में सामान्य तलाक से जुड़ा एक भी मामला नहीं आया। इस तरह की बातें जरूर सामने आई हैं कि जब तक सामान्य तलाक के लिए सहमति न हो तब तक तलाक देना आसान नहीं रह गया है। ट्रिपल तलाक को लेकर अध्ययन चल रहा है। पूरा अध्ययन होने के बाद ही इसका खुलासा किया जाएगा। इसमें सत्यता कम है। -  हाजी मोहम्मद सलीस, प्रवक्ता, महिला दारुल कजा
🕔 एजेंसी

15-09-2019-तीन तलाक कानून बनने के बाद सामान्य रूप से होने वाले तलाक के मामले मुस्लिम समाज में कम हो गए हैं। इसके विपरीत त्वरित तलाक के मामलों की संख्या बढ़ी है लेकिन इससे जुड़े मामले...

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यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान पहली बार केंद्रों की होगी वेबकास्टिंग

यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान पहली बार केंद्रों की होगी वेबकास्टिंग382

👤15-09-2019-यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 के सभी केंद्रों की वेबकास्टिंग होगी। इसके लिए हर जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में कंट्रोल रूम बनेगा, जहां से इंटरनेट की मदद से प्रत्येक केंद्र की लाइव निगरानी की जाएगी। इससे पहले 2019 की परीक्षा में बोर्ड ने प्रयोग के तौर पर अलीगढ़, बुलंदशहर और प्रयागराज के कुछ केंद्रों की वेबकास्टिंग की थी। लेकिन 2020 की परीक्षा में पहली बार सभी स्कूलों की ऑनलाइन निगरानी होगी। केंद्र निर्धारण के बाद बोर्ड की ओर से ऑनलाइन निगरानी के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी स्कूलों को भेजे जाएंगे। संवेदनशील और अति संवेदशनशील स्कूलों की खासतौर से निगरानी करवाने की तैयारी है। शिक्षा विभाग के अलावा दूसरे विभाग के अफसरों को भी कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी देने की चर्चा चल रही है] ताकि नकल करवाने के लिए किसी तरह के गठजोड़ की आशंका को सिरे से खत्म किया जा सके। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने स्कूलों से जो आधारभूत सूचनाएं मांगी है, उसमें सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकॉर्डर, वेबकास्टिंग के लिए राउटर और फोरजी इंटरनेट कनेक्शन की जानकारी भी देने को कहा गया है। जिन स्कूलों में ये सभी सुविधाएं होंगी, उन्हें केंद्र निर्धारण में प्राथमिकता दी जाएगी। कैमरे में वॉयस रिकॉर्डर लगाने के निर्देश पिछले साल ही दिए गए थे, क्योंकि बोल-बोल कर नकल करवाने की शिकायत मिल रही थी। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 17 जून को समीक्षा बैठक में केंद्रों के ऑनलाइन निर्धारण में और पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए थे। 
🕔tanveer ahmad

15-09-2019-यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 के सभी केंद्रों की वेबकास्टिंग होगी। इसके लिए हर जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में कंट्रोल रूम बनेगा, जहां से...

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आकाश के साथ समंदर की भी निगहबानी करेगा फाइटर प्लेन तेजस

आकाश के साथ समंदर की भी निगहबानी करेगा फाइटर प्लेन तेजस375

👤14-09-2019-हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना संस्करण के विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम के तहत इस विमान ने शुक्रवार को विमान वाहक पोत पर उतरने की अपनी काबिलियत प्रदर्शित की। विमानवाहक पोत पर लड़ाकू विमान को \'एरेस्टेड लैंडिंग\' के तहत उतारा जाता है। इस लैंडिंग के दौरान नीचे से लगे तारों की मदद से विमान की रफ्तार कम कर दी जाती है। स्वदेशी तकनीक से विकसित भारत के इस हल्के लड़ाकू विमान के \'एरेस्टेड लैंडिंग\' से जुड़े सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस सफल परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में पहुंच गया है जो विमानवाहक पोत पर उतरने में सक्षम जेट विमान का डिजायन तैयार करने में समर्थ है। उन्होंने कहा कि गोवा के तट पर परीक्षण केंद्र में हुआ यह परीक्षण विमान के विमानवाहक पोत पर उतरने के बाद कुछ ही दूरी पर उसके रुक जाने की क्षमता दर्शाता है। इस लैंडिंग के दौरान विमान से विमानवाहक पोत का एक तार जुड़ जाता है जिससे उसकी गति घट जाती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एयरॉनोटिकल डेवलपमेंट एजेंसी, हिंदुस्तान एयरॉनोटिक्स लिमिटेड के एयरक्रॉफ्ट रिसर्च एंड डिजायन सेंटर और सीएसआईआर के साथ मिलकर तेजस के इस नौसेना संस्करण के विकास में जुटा है। मंत्रालय ने कहा, \'\'गोवा में आईएनएस हंस पर इस परीक्षण से विमान के भारतीय नौसेना के विमानवाहक विक्रमादित्य पर उतरने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।\" इस विमान का नौसैन्य संस्करण अभी विकास के चरण में है। मंत्रालय ने कहा, \'\'यह एरेस्टेड लैंडिंग सच्ची स्वदेशी क्षमता का आगमन संकेत है और इस उल्लेखनीय उपलब्धि को अंजाम तक पहुंचाने की हमारी वैज्ञानिक बिरादरी की पेशेवर क्षमता को दर्शाता है।\" इस बीच डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि इस नौसेना हल्के लड़ाकू विमान के पहले प्रारूप (एनपी-1) ने करीब 40 मिनट तक उड़ान भरने के बाद 90 मीटर की पट्टी पर सफल लैंडिंग की। सूत्रों ने कहा, \'\'किसी भी सामान्य लड़ाकू हल्के विमान को उड़ान भरने और उतरने के लिए करीब एक किलोमीटर के रनवे की जरूरत होती है। लेकिन नौसेना संस्करण को उड़ान भरने के लिए 200 मीटर और उतरने के लिए 100 मीटर की पट्टी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार यह टेक्स्ट बुक लैंडिंग (सटीक लैंडिंग) थी।\" वायुसेना तेजस विमानों की एक खेप अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। शुरू में हिंदुस्तान एयरॉनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 40 तेजस विमानों के लिए आर्डर दिया गया था। पिछले साल वायुसेना ने 50,000 करोड़ रूपये में 83 और तेजस विमानों की खरीद के लिए एचएएल को अनुरोध प्रस्ताव दिया था।
🕔 एजेंसी

14-09-2019-हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना संस्करण के विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम के तहत इस विमान ने शुक्रवार को विमान वाहक पोत पर उतरने की अपनी काबिलियत प्रदर्शित की। विमानवाहक...

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चाचा-भतीजे की पहल, गेहूं के तने से बना 'नेचुरल स्ट्रॉ' तैयार

चाचा-भतीजे की पहल, गेहूं के तने से बना 'नेचुरल स्ट्रॉ' तैयार947

👤14-09-2019-प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत अब प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ को भी छोड़ने का समय आ गया है। देश में पहली बार प्राकृतिक स्ट्रॉ का प्लांट चाचा-भतीजे ने मिलकर लगाया गया है। ये स्ट्रॉ गेंहू के तने से तैयार किए गए हैं, जो पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं। 1200 करोड़ के स्ट्रॉ बाजार में इस \'नेचुरल स्ट्रॉ\' को हाथोंहाथ लिया जा रहा है।गेंहू की बाली कटने के बाद खेत में खड़े तने भूसे में चले जाते हैं। किसानों को इनकी कीमत न के बराबर मिलती है। अब यही तने बेहद काम के हो गए हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के सलाहकार वाईएस गर्ग ने अपने भतीजे हर्ष चंद्र अग्रवाल के साथ मुरादाबाद में ऐसा प्लांट लगाया है, जहां प्लास्टिक के बजाय गेहूं के तने से स्ट्रा तैयार किए जा रहे हैं।हर्ष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि वह काफी समय से प्राकृतिक स्ट्रा का विकल्प खोज रहे थे। पहले पपीते की टहनी पर ट्रायल किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पेपर स्ट्रॉ पर काम किया, लेकिन पानी में वह अधिक देर तक नहीं ठहर पा रहा था। फिर गेहूं की बाली के नीचे तने पर ध्यान गया, जो बीच में खोखला होता है।गेहूं के स्ट्रॉ को दो दिन पानी में छोड़ दें, तब भी सेहत पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बांस का भी स्ट्रॉ तैयार किया है। इस एक स्ट्रॉ की कीमत 12 रुपए है। इस स्ट्रा को दो साल तक बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ क्लीनिंग ब्रश भी बनाया है।
🕔tanveer ahmad

14-09-2019-प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत अब प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ को भी छोड़ने का समय आ गया है। देश में पहली बार प्राकृतिक स्ट्रॉ का प्लांट चाचा-भतीजे ने मिलकर लगाया गया है। ये स्ट्रॉ...

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योगी सरकार का बड़ा ऐलान: अब सीएम, मंत्री अपनी सैलरी से भरेंगे इनकम टैक्स

योगी सरकार का बड़ा ऐलान: अब सीएम, मंत्री अपनी सैलरी से भरेंगे इनकम टैक्स83

👤14-09-2019-उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ते एवं विविध कानून 1981 जब बना था, विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस कानून ने अब तक 19 मुख्यमंत्रियों और लगभग 1000 मंत्रियों को लाभ पहुंचाया है, हालांकि कुछ मंत्रियों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है ।भाषा के अनुसार, जब से कानून लागू हुआ, विभिन्न राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह, अखिलेश यादव, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, श्रीपति मिश्र, वीर बहादुर सिंह और नारायण दत्त तिवारी को इसका लाभ हुआ।विश्वनाथ प्रताप सिंह के सहयोगी रहे कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि कानून पारित होते समय तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विधानसभा में तर्क दिया था कि राज्य सरकार को आयकर का बोझ उठाना चाहिए क्योंकि अधिकांश मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं और उनकी आय कम है।इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया ने कहा था कि फैसला सही नहीं लगता। इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब वेतन कई गुना अधिक हो चुके हैं इसलिए इस रियायत की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गयी है। इस कानून पर पुनर्विचार कर इसे समाप्त किया जाना चाहिए।पूर्व वित्त मंत्री एवं बसपा नेता लालजी वर्मा सहित कई नेताओं को इस कानून की जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि जहां तक उन्हें याद है, वह कर अदायगी करते रहे हैं। सपा के एक नेता ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी सुविधा की जानकारी नहीं है। वरिष्ठ सपा नेताओं से बात करने के बाद ही वह इस बारे में कुछ कह पाएंगे।
🕔tanveer ahmad

14-09-2019-उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ते एवं विविध कानून 1981 जब बना था, विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस कानून ने अब तक 19 मुख्यमंत्रियों और लगभग 1000 मंत्रियों को लाभ...

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शर्मनाक : बीस दिन की बेटी को 10 हजार में बेचा

शर्मनाक : बीस दिन की बेटी को 10 हजार में बेचा376

👤14-09-2019-आर्थिक रूप से कमजोर एक परिवार ने बीस दिन की बेटी को महज दस हजार रुपये में बेच दिया। परिवार में पहले से ही चार बेटियां थीं, लेकिन पांचवीं के पैदा होने पर उसका सौदा एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कर डाला। एक महिला ने ट्वीट कर मामला अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचाया। इसके बाद विजयनगर पुलिस ने नवजात बच्ची को एमएमजी (महिला) के एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) में भेजा दिया है।विहारी पुरा गाजियाबाद में रहने वाली एक महिला ने एक बेटा और चार बेटियों के बाद 24 अगस्त एक बेटी को जन्म दिया था। पांचवीं बेटी परिवार में पैदा होने पर उन्हें कोई खुशी नहीं हुई। बच्ची के मां बाप ने उसे आदर्शनगर कॉलोनी में रहने वाली एक आंगनबांडी कार्यकर्ता को बेच दिया। बेटी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने घर ले गई। क्रॉसिंग रिपब्लिक की रहने वाली आकांक्षा पांडेय ने इसकी जानकारी ट्वीट कर चाइल्ड हेल्प लाइन और बाल संरक्षण समिति को दी। इस पर चाइल्ड लाइन ने कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरु की। जांच में मामला सही पाया गया। इसके बाद चाइल्ड हेल्प लाइन की मदद से आकांक्षा ने विजयनगर थाने में मामला दर्ज कराया गया। विजयनगर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बच्ची के मां-बाप और बच्ची खरीदने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री को थाने बुलाया।पूछताछ में आंगनबाडी कार्यकत्री ने बताया कि उसने बच्ची को दस हजार रुपये में खरीदा है। महिला ने बताया कि उसके कोई संतान नहीं है इसीलिए खरीदा था। पुलिस ने आरोपी दंपत्ति के खिलाफ मानव तस्करी की धारा में मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। विजनगर थाना प्रभारी श्यामवीर सिंह ने बताया कि विहारीपुरा में रहने वाली आकांक्षा पांडेय ने पुलिस को शिकायत दी थी। शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
🕔 एजेंसी

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