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 बढ़ सकता है स्वामी का जेल से बाहर आने का इंतजार, जमानत पर सुनवाई आज

बढ़ सकता है स्वामी का जेल से बाहर आने का इंतजार, जमानत पर सुनवाई आज315

👤08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में कोई हल नहीं निकलता है तो पूर्व घोषित हड़ताल के कारण हाईकोर्ट में चिन्मयानंद की जमानत पर बहस आठ नवंबर को नहीं होगी। इस कारण जेल से बाहर आने का इंतजार और बढ़ सकता है।चिन्मयानंद केस में हर रोज कुछ न कुछ डेवलपमेंट सामने आता है। छह नवंबर को रंगदारी मांगने की आरोपी छात्रा की जमानत टल गई। अब 29 नवंबर को जमानत पर सुनवाई होगी। इसके बाद अब आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली कांड के कारण वकीलों की हड़ताल प्रस्तावित है, इस कारण जमानत पर सुनवाई न होने के चांस ज्यादा हैं। रातभर में दिल्ली मामले में कोर्ई हल निकल आया तो आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई संभव भी है। अगर आठ नवंबर को सुनवाई नहीं हुई तो चिन्मयानंद का जेल से बाहर आने का इंतजार थोड़ा और बढ़ सकता है।इधर, शाहजहांपुर में एसआईटी ने बुधवार को चिन्मयानंद से जुड़े दोनों केसों की चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके बाद से सभी पक्षों के वकीलों ने कोर्ट में सवाल डाल कर चार्र्जशीट की कॉपी लेकर उसका अध्ययन शुरू कर दिया, ताकि उसमें से पेंच निकाल कर अपने अपने पक्ष के आरोपियों की जमानत की तैयारियां की जाएं, साथ ही आगे ट्रायल के लिए भी तैयारी की जाए। बता दें कि कोर्ट परिसर में गुरुवार को भी एसआईटी के अफसरों को देखा गया। माना जा रहा है कि कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए ही वह आएं होंगे।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में...

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चिन्मयानंद केस : 4700 पन्नों में दर्ज है दो केसों की पूरी हकीकत

चिन्मयानंद केस : 4700 पन्नों में दर्ज है दो केसों की पूरी हकीकत531

👤06-11-2019-\r\nदो मुकदमे... एक रंगदारी मांगने का... दूसरा अपहरण और धमकी देने का। दोनों मुकदमों के दर्ज होने में दो दिन का अंतर रहा। रंगदारी किसने मांगी...पता नहीं था। पर अपहरण और धमकी चिन्मयानंद ने दी थी, यह आरोप जगजाहिर हो चुका था। स्थानीय पुलिस अपने हिसाब से काम कर रही थी। पर जब एसआईटी ने छह सितंबर से विवेचना शुरू की तो एक के बाद एक खुलासे होते गए। इस केस के दो मुख्य किरदार चिन्मयानंद और छात्रा थे। दोनों ही अपनी जगह पर पीड़ित भी हैं और आरोपी भी हैं। पहले तो दो अलग अलग मुकदमे दर्ज हुए, अलग विवेचना हुई, लेकिन धीरे-धीरे सभी को यह लगने लगा कि पूरा केस एक ही है। बस सिक्के दो पहलू हैं। कोई भी एक दूसरे से कम नहीं है। किसी की कमजोरी, किसी मजबूरी, किसी की मक्कारी की कहानी जैसा पूरा मामला सबके सामने आया। इस केस में सभी ने देखा कि कमजोर दिखने वाला आदमी ताकतवर व्यक्ति को कैसे मिट्टी में मिला देता है, भले ही उसे भी अपराध के दलदल में घुसना पड़ा। अपराध के कीचड़ में अच्छे अच्छे सफेदपोश लोग गंदे दिखाई दिए।
 \r\nविद्या के मंदिर से लेकर जेल की सलाखों की इस पूरी जीवंत कहानी को सिरे से सिरा मिलाकर एसआईटी ने तैयार किया। यह कोई गढ़ी गई कहानी नहीं है, इस कहानी में सबूत, गवाह, परिस्थितिजन्य साक्ष्य सबकुछ सत्यापित किए गए हैं। दो मुकदमों की चार्जशीट को 47 सौ पन्नों में लिखा गया है। पूरी विवेचना में एसआईटी की एक बड़ी टीम को करीब 15 सौ घंटे यानी 60 दिन का वक्त लगा। एक के बाद एक सिलसिलेवार 105 लोगों को बुलाया गया, सबके बयान लिये गए, सामने कैमरा था, उसमें सब रिकार्ड किया जाता रहा। रात दिन एक कर इस बहुचर्चित चिन्मयानंद केस को उजागर कर एसआईटी ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इस दौरान एसआईटी को भी राजनीतिक दलों, आरोपियों की आलोचना झेलनी पड़ी, पर एसआईटी अपनी गति से काम करती रही, लोगों के मुंह उस वक्त सिल गए, जब कोर्ट ने एसआईटी की पहली और दूसरी प्रोगेस रिपोर्ट पर संतुष्टि जाहिर की। \r\nवैज्ञानिक तरीके से की गई विवेचना
एसआईटी ने बेहद वैज्ञानिक तरीके से विवेचना की। सबूतों को हर कसौटी पर कसा, ताकि कोर्ट में कोई पेंच ढीला न रह जाए। इसीलिए प्राप्त आडियो और वीडियो की फोरेंसिक लैब से जांच कराई, ताकि आरोपी पक्ष को यह कहने का मौका न मिले कि एसआईटी ने यह गड़बड़ की। यह बात अलग है कि अब बुधवार का चार्जशीट दाखिल की जाएगी, कानून के जानकार उनमें कोई न कोई कमी पकड़ लें, लेकिन सीबीआई की तर्ज पर एसआईटी ने विवेचना करने का दावा किया है। इलेक्ट्रानिक और डिजीटल साक्ष्य इतने मजबूत बताए जा रहे हैं कि आरोपी और पीड़ित समझौता कर भी लें तो कोर्ट की सजा से वह बच नहीं पाएंगे। फोन की लोकेशन ने सभी आरोपियों को कानून के शिकंजे में कायदे से कस दिया। यह सीडीआर बेहद महत्वपूर्ण थी, जिससे एसआईटी ने सभी आरोपियों की मैपिंग की, उनकी एक जगह पर मौजूदगी पुख्ता की। ऑन लाइन होटल बुकिंग, एटीएम कार्ड से रुपये निकालना, ऑन लाइन पेमेंट करना भी आरोपियों के खिलाफ सबूत बन गए। एफएसएल ने सबूतों को पुख्ता होने पर मुहर लगा दी। सीसीटीवी फुटेज एफएसएल ने सत्यापित किए।
 \r\nसबसे महत्वपूर्ण सबूत\r\n\r\nएसआईटी के सामने सबसे महत्वपूर्ण सबूत उस मैसेज और स्क्रीनशॉट को रिकवर करना था, जो संजय द्वारा चिन्मयानंद को भेजा गया था, चिन्मयानंद ने उसे डिलीट कर दिया था। गांधी नगर एफएसएल से वह डाटा रिकवर कर एसआईटी ने 67-ए आईटी एक्ट की धारा को पुख्ता कर लिया।\r\nजिस कैमरे वाले चश्मे से छात्रा ने चिन्मयानंद के वीडियो बनाए, उसे एसआईटी बरामद नहीं कर सकी। एसआईटी ने बताया कि जब दस अगस्त को छात्रा हास्टल से अपना सब सामान ले गई, तभी वह चश्मा भी ले गई। चश्मे को छात्रा और संजय ने ही गायब किया है, महत्वपूर्ण सबूत चश्मे को हास्टल में कोई नहीं छोड़ सकता।\r\n\r\n
छात्रा का बयान पूरी तरह से झूठा
एसआईजी के आईजी नवीन अरोरा ने कहा कि छात्रा के कमरे जब चश्मा नहीं मिला तो उसने यह आरोप लगाया कि उसका कमरा खोल कर सबूत गायब कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस दिन से हास्टल अलाट होता है, उस दिन से कमरे में ताला संबंधित अलाटी का ही पड़ता है। कमरे में ताला तो छात्रा का ही पड़ा था, इसलिए उसे कोई दूसरा कैसे खोल सकता है। छात्रा का बयान पूरी से गलत से है, उसका कमरा खोला गया। फिर पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण सबूत कोई कैसे छोड़ कर जा सकता है, यह बात हजम होने लायक नहीं है।
 \r\nचश्मा नहीं मिला तो भी धाराएं पुख्ता है
आईजी नवीन अरोरा ने बताया कि भले ही चश्मा नहीं मिल सका, लेकिन जो वीडियो मालिश करते हुए के हैं, उसमें जो कुछ दिख रहा है, उसकी मैचिंग कराई गई है। दिव्यधाम के कमरे से बर्तन, तौलिया और पर्दे से भौतिक सत्यापन होता है कि वीडियो वहीं बनाया गया है।
 \r\nगलतफहमी में थे अजीत और डीपीएस
आईजी नवीन अरोरा ने कहा कि दौंसा में छात्रा से अजीत और डीपीएस ने यह कह कर पेन ड्राइव ले ली थी, कि वह पुलिस छीन लेगी। इसके बाद डीपीएस और अजीत को यह लगने कि छात्रा और संजय के बाद इसके बाद और कोई सबूत नहीं है। तभी उन्होंने उस पेन ड्राइव में मौजूद वीडियो की कापी बना लीं। उसके बाद वह चिन्मयानंद से सौदा करने में शामिल हो गए और सवा करोड़ रुपये की डिमांड की।
 \r\nकेवल सात नहीं है और भी हो सकते हैं आरोपी
प्रत्यक्ष तौर पर दोनों में कुल पांच आरोपी हैं, जिन्हें जेल भेजा जा चुका है। दो और आरोपी डीपीएस व अजीत हैं, जिनके नाम उजागर हुए। पर ऐसा नहीं है कि यही सात आरोपी हैं। एसआईटी की चार्जशीट में और भी लोग कहीं न कहीं फंसे हुए हो सकते हैं। यह अलग बात है कि वह बहुत बड़े आरोपी न हों, लेकिन जिन लोगों को चैन की नींद आने वाली है, उन लोगों को चार्जशीट बेचैन कर सकती है। 
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06-11-2019-\r\nदो मुकदमे... एक रंगदारी मांगने का... दूसरा अपहरण और धमकी देने का। दोनों मुकदमों के दर्ज होने में दो दिन का अंतर रहा। रंगदारी किसने मांगी...पता नहीं था। पर अपहरण और धमकी चिन्मयानंद...

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लखनऊ एयरपोर्ट के रनवे पर विमान के पहिए जाम, चला बड़ा हादसा

लखनऊ एयरपोर्ट के रनवे पर विमान के पहिए जाम, चला बड़ा हादसा200

👤06-11-2019-अमौसी एयरपोर्ट पर मंगलवार को बड़ा हादसा टल गया। ओमान एयर का विमान रनवे पर जैसे ही पहुंचा उसके पहियों के ब्रेक जाम हो गए। विमान की मरम्मत शाम तक जारी रही। यात्रियों को एक निजी होटल में ठहराया गया है। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों को गंतव्य भेजने के लिए व्यवस्था की जा रही है। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार ओमान एयर का विमान (डब्ल्यू वाई -262) मंगलवार को करीब 15 मिनट की देरी से चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से अपराह्न लगभग 2:45 बजे मस्कट के लिए उड़ान भरने जा रहा था। विमान उड़ान भरने के लिए तैयार था। इसी बीच उसके बाएं पहिए में खराबी आ गई। पायलट ने तुरंत इसकी सूचना एयर ट्रैफिक कंट्रोल को दी। जब इसकी जानकारी विमान में सवार यात्रियों को हुई तो सभी दहशत में आ गए। बाद में इंजीनियरों की टीम मौके पर बुलाई गई।देरी होने पर यात्रियों ने हंगामा किया 
सरोजनीनगर से हिन्दुस्तान संवाद के मुताबिक रनवे पर ही इंजीनियर काफी देर तक विमान की खराबी दूर करने में जुटे रहे। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद विमान को वापस टैक्सी वे पर लाया गया। टैक्सी वे पर भी इंजीनियरों की टीम कई घंटे तक खराबी दूर करने में जुटी रही, लेकिन उसकी खराबी दूर नहीं की जा सकी। इससे परेशान यात्रियों ने वहीं पर हंगामा करना शुरू कर दिया। बाद में एयरलाइंस अधिकारियों द्वारा उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराया गया। विमान में क्रू मेंबर सहित करीब 180 यात्री सवार थे। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि विमान में आई तकनीकी खराबी दूर करने के लिए इंजीनियरों की टीम लगी हुई है।पायलट की सूझबूझ से हादसा टला
अमौसी एयरपोर्ट के रनवे पर टेक आफ के लिए रन करने के दौरान ही ओमान एयर के पायलट को खराबी की जानकारी नहीं हो पाती, तो शायद बाद में बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन पायलट ने भनक लगते ही अपनी सूझबूझ से यह हादसा होने से बचा लिया। सूत्रों की माने तो मस्कट के लिए उड़ान भरने जा रहे ओमान एयर विमान के बाएं पहिए का ब्रेक अचानक जाम होने से उसका टायर भी फट गया था। अगर यह जानकारी विमान के पायलट को समय से ना होती तो विमान मस्कट में लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता था।
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06-11-2019-अमौसी एयरपोर्ट पर मंगलवार को बड़ा हादसा टल गया। ओमान एयर का विमान रनवे पर जैसे ही पहुंचा उसके पहियों के ब्रेक जाम हो गए। विमान की मरम्मत शाम तक जारी रही। यात्रियों को एक...

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यूपी के एक्सप्रेस-वे के नजदीक बनेंगे औद्योगिक कॉरीडोर

यूपी के एक्सप्रेस-वे के नजदीक बनेंगे औद्योगिक कॉरीडोर774

👤06-11-2019-उत्तर प्रदेश सरकार सभी मौजूदा व निर्माणाधीन एक्सप्रेस वे के निकट औद्योगिक कॉरीडोर विकसित करेगी। इसमें 50 प्रतिशत भूखंड सूक्ष्म, लघु व मध्यम (एमसएमई) उद्योगों के लिए आरक्षित होंगे। इससे ओडीओपी उत्पादों व उससे जुड़े कारीगरों को बढ़ावा मिलेगा।एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जमीन चिन्हित करने की जिम्मेदारी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को दी गई है। प्रमुख सचिव ने बताया कि लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे और राज्य के अन्य क्षेत्र में विकसित हो रहे कॉरीडोर के निकट पांच किमी के दायरे में उद्योग लगेंगे। ग्राम सभा की पांच एकड़ से अधिक जमीन एक जगह उपलब्ध होने पर इसको मिनी औद्योगिक काम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया जाएगा। यह जमीन नि:शुल्क उद्योग निदेशालय को उपलब्ध कराई जाएगी।नवनीत सहगल ने बताया कि औद्योगिक काम्प्लेक्स और मिनी औद्योगिक काम्प्लेक्स विकसित करने के लिए जमीन पुनर्ग्रहण के बारे में संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। उद्योग विभाग द्वारा विकसित हो रहे एक्सप्रेस वे के पांच किमी के दायरे में पांच एकड़ से अधिक की ग्राम समाज की अनारक्षित जमीन उपलब्ध होने पर प्रस्ताव जिलाधिकारियों को भेजा जाएगा।
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06-11-2019-उत्तर प्रदेश सरकार सभी मौजूदा व निर्माणाधीन एक्सप्रेस वे के निकट औद्योगिक कॉरीडोर विकसित करेगी। इसमें 50 प्रतिशत भूखंड सूक्ष्म, लघु व मध्यम (एमसएमई) उद्योगों के लिए आरक्षित...

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धर्मनगरी 'अयोध्या' में हर तरफ सिर्फ राम नाम की गूंज

धर्मनगरी 'अयोध्या' में हर तरफ सिर्फ राम नाम की गूंज215

👤06-11-2019-प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में सोमवार की आधी रात के बाद अलग ही नजारा दिखा। देश के विभिन्न हिस्सों से आए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी के चारों ओर सड़कों पर उमड़ पड़े। निर्धारित मुहूर्त मंगलवार की सुबह 06.05 बजे से करीब छह घंटे पहले ही चौदह कोसी परिक्रमा शुरू हो गई। यह परिक्रमा मंगलवार को पूरे दिन और फिर रात भर चलायमान रहेगी। आधी रात के बाद अचानक लाखों श्रद्धालुओं की ओर से नियत मुहूर्त से पहले ही परिक्रमा शुरू कर दिए जाने से प्रशासन और पुलिस महकमे की तैयारियां भी प्रभावित हुईं। परिक्रमा छह घंटे पहले ही शुरू हो जाने की सूचना मिलने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने तमाम व्यवस्थाओं को नए सिरे से प्रभावी किया।रामनगरी की चौदह कोसी परिक्रमा के साथ ही अक्षय नवमी के पर्व पर मंगलवार से यहां का प्रसिद्ध कार्तिक परिक्रमा मेला शुरू हो गया। हर वर्ष कार्तिक मेले के मौके पर चौदह कोसी और पंचकोसी परिक्रमा के साथ कार्तिक पूर्णिमा स्नान होता है। लाखों की तादात में श्रद्धालु भी आते हैं, लेकिन इस बार यह सब तब हो रहा है जब अयोध्या के राम मंदिर/बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। अयोध्या के लोगों को इस बार कम भीड़ आने का अंदेशा था। लेकिन सोमवार की आधी रात के बाद और फिर मंगलवार की सुबह से चौदह कोसी परिक्रमा में उमड़ी भीड़ देखकर  यही लगा कि लाखों श्रद्धालु किसी भी आशंका से भयभीत नहीं हैं। हर कोई अकेले या फिर अपने परिवार के साथ रामधुन में सराबोर होकर आगे बढ़ता रहा।  रामनगरी के बाजारों में पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रही। लोगों ने तमाम खरीदारी की।सरयू स्नान के साथ श्रीरामजन्मभूमि में किया दर्शन
सोमवार की आधी रात से शुरू हुई चौदह कोस की अयोध्या परिक्रमा मंगलवार को पूरे दिन जारी रही। अलग-अलग चरणों में देश भर से आए श्रद्धालुओं ने पहले सरयू स्नान किया और फिर परिक्रमा का शुभारंभ। चौदह कोस की सड़कों पर नंगे पांव युवा, बुजुर्ग, महिला, पुरुष और बच्चे, हर वर्ग के लोग श्रीराम का जयघोष करते हुए भक्तिभाव में आगे बढ़ते रहे। परिक्रमा पूरी करने के बाद श्रद्धालुओं ने श्रीरामजन्मभूमि में विराजमान रामलला, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और नागेश्वरनाथ समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। दर्शन-पूजन के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने श्रीरामजन्मभूमि कार्यशाला में जाकर मंदिर निर्माण के लिए तराशे गये पत्थरों को भी देखा। तमाम गुरु आश्रमों में भी हजारों की तादात में श्रद्धालु मौजूद रहे। परिक्रमा आए इन श्रद्धालुओं ने अपने गुरु का भी आशीर्वाद लिया। 
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06-11-2019-प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में सोमवार की आधी रात के बाद अलग ही नजारा दिखा। देश के विभिन्न हिस्सों से आए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी के चारों ओर सड़कों पर उमड़ पड़े। निर्धारित...

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अब सरकारी बैकों में भी ऑनलाइन लेनदेन होगा : योगी आदित्यनाथ

अब सरकारी बैकों में भी ऑनलाइन लेनदेन होगा : योगी आदित्यनाथ533

👤06-11-2019-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को यूपी कोआपरेटिव बैंक लि. के अपने इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम (आईएफएस) कोड का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीयकृत भुगतान प्रणाली को अंगीकार किया जाना कोआपरेटिव बैंकों के लिए बड़ी उपलब्धि है। बैंक अब अपने आईएफएस कोड के माध्यम से देश के अग्रणी बैंकों की तर्ज पर कामकाज कर सकेंगे।लोकभवन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की कृषि आधारित व्यवस्था की रीढ़ सहकारिता है। कोआपरेटिव बैंकों में आरटीजीएस और एनआईएफटी की सुविधा के लिए बैंककर्मियों को बधाई। उन्होंने कहा कि देश की खुशहाली में सहकारिता की बड़ी भूमिका है। सहकारिता के माध्यम से किसानों की आमदनी दोगुनी कर उन्हें खुशहाल करने का काम किया जाना है। किसानों की इस समृद्धि में सहकारिता की बड़ी भूमिका होगी।सहकारिता के क्षेत्र में ढाई वर्षों में हुआ अच्छा काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने सहकारिता को बर्बाद कर दिया था। आरबीआई ने तमाम बैंकों के लाइसेंस को रद्द दिया था। पिछले ढाई सालों में इस क्षेत्र में अच्छा कार्य हुआ है। सहकारिता के क्षेत्र में फिर से विश्वास का माहौल बना है। उन्होंने कहा कि तकनीक से भागने से लोग पीछे रह जाते हैं। सहकारिता टीम वर्क है। हर कड़ी का मजबूत होकर काम करना जरूरी है। सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि बहुत जल्द पैक्स स्तर पर सचिवों की कमी दूर की जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि विधायक निधि से समितियों के गोदामों को ठीक करने का अधिकार दिया जाए। इससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ डाले बगैर किसानों की मदद की जा सकती है।प्रदेश की 1287 शाखाओं को मिला अपना आईएफएस कोड
स्वागत संबोधन में प्रमुख सचिव सहकारिता एमवीएस रामीरेड्डी ने बताया कि यूपी कोआपरेटिव बैंक को अपना आईएफएस कोड यूपीसीबी 0000001 मिला है। यह कोआपरेटिव बैंक के ऑनलाइन लेनदेन का अपना प्लेटफार्म है। इस फ्लेटफार्म से आरटीजीएस और एनईएफटी के माध्यम से डिजिटल लेनदेन आसान हो गया। अभी तक यह काम कोआपरेटिव बैंक आईसीआईसीआई के आईएफएस से किराए पर कर रहा था। इसके लिए बैंक को अपना 400 करोड़ रुपये आईसीआईसीआई के पास रखना पड़ रहा था। यूपी कोआपरेटिव के 27 और 50 जिला कोआपरेटिव बैंकों की 1260 शाखाओं के ग्राहकों को डिजिटल लेनदेन में आसानी होगी। यूपी कोआपरेटिव बैंक के सभापति तेजवीर सिंह ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर आयुक्त/निबंधक सहकारिता एसबीएस रंगाराव, अपर आयुक्त बैंकिंग व एमडी सहकारी ग्राम विकास बैंक आंद्रा वामसी, यूपी कोआपरेटिव बैंक के एमडी भूपेंद्र कुमार प्रमुख रूप से मौजूद थे। 
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06-11-2019-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को यूपी कोआपरेटिव बैंक लि. के अपने इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम (आईएफएस) कोड का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया...

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'दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण यूपी में पराली जलाने के कारण नहीं'

'दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण यूपी में पराली जलाने के कारण नहीं'120

👤06-11-2019-उत्तर प्रदेश प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि दिल्ली में हो रहा वायु प्रदूषण उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के कारण नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र वाले जिलों नोएडा, गाजियाबाद आदि में पराली जलाने की घटनाएं नगण्य हैं।सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि आईसीएआर से प्राप्त रिमोट सेंसिंग की एक नवंबर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 46.9 फीसदी की कमी आई है। शाही ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए  प्रयासरत है। फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ \'स्ट्ररीपर विद बाइंडर\' का प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही फसल अवशेष जलाये जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक का अर्थदण्ड लगाने और पुनरावृत्ति होने पर एफआईआर भी दर्ज कराने का प्राविधान किया गया है।185 किसानों पर लगाया गया जुर्माना 
कृषि मंत्री शाही ने बताया कि अब तक कुल 586 किसानों को नोटिस जारी की गई हैं, जबकि 166 किसानों के विरुद्ध एफआईआर  व 185 किसानों पर 4,75,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अभी तक 50 किसानों से 1,30,500 रूपये की वसूली की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा जारी निर्देशों के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में एक लेखपाल को निलंबित किया गया है और एक लेखपाल के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की गई है, जबकि 7 लेखपालों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।मुख्य सचिव स्तर पर मानीटरिंग सेल
कृषि मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव स्तर पर एक मानीटरिंग सेल का भी गठन किया गया है, जहां सभी जिलों  से इस संबंध में प्रतिदिन की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्राप्त की जाती है।मोबाइल स्क्वायड गठित 
हर जिले में तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक मोबाइल स्क्वायड का गठन किया गया है। इस मोबाइल स्क्वायड का दायित्व है कि धान की कटाई से लेकर गेहूं की बुवाई होने तक लगातार क्षेत्र में भ्रमण करेगा और भ्रमण के दौरान फसल अवशेष जलने की घटना के प्रकाश में आने पर निर्देशानुसार उचित कदम उठाएगा।
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06-11-2019-उत्तर प्रदेश प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि दिल्ली में हो रहा वायु प्रदूषण उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के कारण नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय...

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से 20 फीसदी नुकसान पर किसानों के लिए मुआवजा मांगा

सीएम योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से 20 फीसदी नुकसान पर किसानों के लिए मुआवजा मांगा157

👤06-11-2019-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 फीसदी फसलों का नुकसान होने पर भी किसानों के लिए केंद्र से आपदा सहायता राशि देने की मांग की है। केंद्रीय टीम ने यूपी के बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात की।राज्य सरकार ने यूपी के बाढ़ प्रभावित जिलों के किसानों को सहायता राशि देने के लिए केंद्र से 842.53 करोड़ रुपये की मांग की है। यूपी के इस प्रस्ताव के आधार पर केंद्र की सात सदस्यीय टीम गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव रमेश के नेतृत्व में यूपी आई हुई थी। एक टीम ने पूर्वांचल के वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, भदोही और दूसरी ने बुंदेलखंड की ललितपुर, झांसी, महोबा व बांदा का दौरा किया। टीम के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उसने आश्वासन दिया है कि वह अपनी रिपोर्ट जल्द ही केंद्र सरकार को देगी।मुख्यमंत्री ने केंद्रीय टीम से प्रमुख रूप से तीन बातें कहीं। उन्होंने कहा मौजूदा समय 33 फीसदी फसल का नुकसान होने पर मुआवजा देने की व्यवस्था है, इसे घटाकर 20 फीसदी किया जाना चाहिए जिससे अधिक को फायदा मिल सके। केंद्रीय आपदा सहायता राशि का 10 फीसदी ही राज्य आपदा पर खर्च किया जा सकता है। इसे बढ़ाकर 20 फीसदी करने की मांग की है। इसी तरह केंद्रीय आपदा सहायता राशि से सड़क निर्माण नहीं किया जा सकता है। इससे सड़क बनाने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
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06-11-2019-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 फीसदी फसलों का नुकसान होने पर भी किसानों के लिए केंद्र से आपदा सहायता राशि देने की मांग की है। केंद्रीय टीम ने यूपी के बाढ़ प्रभावित जिलों...

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ओवरब्रिज पर देर रात आया प्रेमी और लड़की के साथ कर दी ऐसी हरकत

ओवरब्रिज पर देर रात आया प्रेमी और लड़की के साथ कर दी ऐसी हरकत942

👤06-11-2019-लखनऊ के चिनहट में मल्हौर स्टेशन ओवरब्रिज के पास मंगलवार देर रात प्रेमी ने 20 वर्षीय युवती पर ब्लेड व धारदार हथियार से हमला करके उसे लहूलुहान कर दिया। घटना को अंजाम देने के बाद वह युवती की स्कूटी लेकर फरार हो गया। पीड़िता की चीख-पुकार सुनकर जुटे राहगीरों ने उसे अस्पताल पहुंचाने के साथ पुलिस को सूचना दी। पुलिस के मुताबिक युवती के शरीर पर गहरे घाव हैं। मुकदमा दर्ज करके आरोपी की तलाश की जा रही है।इंस्पेक्टर चिनहट ने बताया कि लौलाई में काशीराम कालोनी निवासी युवती फैजाबाद रोड स्थित ओमेगा ग्रीन सिटी के पास एक ब्यूटी पार्लर में काम करती है। उसका दुबग्गा निवासी अरहान उर्फ रेहान नाम के युवक से प्रेम प्रसंग चल रहा है। मंगलवार रात 10 बजे युवती ब्यूटी पार्लर से घर के लिए निकली थी। रास्ते में रेहान का फोन आने पर वह मल्हौर स्टेशन ओवरब्रिज के पास उससे मिलने के लिए रुक गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दोनों काफी देर तक बातचीत करते रहे। इस बीच उनमें कहासुनी होने लगी और रेहान ने ब्लेड से उसकी गर्दन व शरीर पर कई जगह वार कर दिए। शरीर में कई घाव होने से युवती लहूलुहान हो गई। वह शोर मचाते हुए भागी। यह देख आरोपी उसकी स्कूटी लेकर फरार हो गया। राहगीरों ने उसे सीएचसी पहुंचाया जहां से उसे लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया।डॉक्टरों ने उसके गले और शरीर के अन्य हिस्सों में टांके लगाए हैं। उसकी हालत गंभीर है। इंस्पेक्टर ने बताया कि युवती की मां व रिश्तेदार अस्पताल पहुंच गए थे। युवती ने ने आरोपी का नाम बताया है। घरवालों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
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अयोध्या मामला में 1 फरवरी 1986 का दिन मील का पत्थर है

अयोध्या मामला में 1 फरवरी 1986 का दिन मील का पत्थर है753

👤06-11-2019-\r\nराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 1 फरवरी, 1986 का दिन मील का पत्थर है। इस दिन 37 साल तक अटके विवाद में एक नया मोड़ आया। राजीव गांधी सरकार की पहल पर विवादित परिसर का ताला खुला। इसके बाद राम मंदिर निर्माण के आंदोलन ने पूरे देश में जोर पकड़ लिया। यह राजनीतिक तौर पर एक सोचा-समझा कदम था।अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद का एक महत्वपूर्ण पड़ाव वह है, जब दिनांक 1 फरवरी 1986 को फैजाबाद जिला न्यायाधीश के आदेश से विवादित स्थल का ताला खोला गया था। तब देश में राजीव गांधी की सरकार थी और उन्हीं की अनुमति से ताला खुलवाया गया था। विवाद की शुरुआत हुई 22-23 दिसंबर 1949 से, जब यहां राम दरबार से जुड़ी कुछ मूर्तियां मिलीं। तब उत्तर प्रदेश में गोविंद वल्लभ पंत मुख्यमंत्री थे। मामला अदालत पहुंचा, जिस कारण मंदिर पर ताला लगा दिया गया। मामला सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दर्ज करवाया था। 1961 में हामिद अंसारी इस मुकदमे में वादी की तरह जुड़ गए थे। बाद में एक वकील उमेश चंद्र पांडेय ने अदालत में मंदिर का ताला खुलवाने की अपील की, जिस पर 1 फरवरी 1986 को फैसला आया। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अनुमति से ताला खुलवाया गया था। राजीव गांधी आगे कुछ करते, इससे पहले ही उनकी *हत्या हो गई। कहा जाता है कि ताला खुलवाने का फैसला देने से पहले काफी तैयारी की गई थी। तत्कालीन जिला जज के.एम. पांडेय ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से बैठक की। उन्होंने फैसले से होने वाले तमाम नतीजों पर भी विमर्श किया और यह पाया कि इसका कानून-व्यवस्था पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया कि विवादित स्थल का ताला खोल दिया जाए। फैसले के 40 मिनट बाद ही ताला खुल गया था। तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव रहे माधव गोडबोले की हाल ही में आई पुस्तक ‘द बाबरी मस्जिद-राम मंदिर डिलेमा : एन एसिड टेस्ट फॉर इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन\' में इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया गया है। उन्होंने हाल ही में बयान दिया कि मंदिर का ताला खुलवाने से लेकर शिलान्यास करने तक का कार्य राजीव गांधी सरकार में हुआ था। इस तरह वह भी कारसेवक कहे जा सकते हैं। यह वह दौर था, जब शाहबानो केस में आए फैसले के बाद राजीव गांधी की छवि मुसलिम तुष्टिकरण वाली बन गई थी। माना जाता है कि इस छवि से बाहर निकलने के लिए ही यह फैसला लिया गया था। लेकिन चुनाव करीब थे, जिस कारण पूरे मुद्दे पर सियासत गहरा गई। मुस्लिम नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया और लखनऊ में एक बैठक के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने 26 जनवरी 1987 के गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का आह्वान किया। यह अलग बात है कि बाद में आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शामिल हो गया। राजीव गांधी फैसले के परिणामों के बारे में नहीं सोच पाए थे।\r\nपूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी पुस्तक ‘द टर्बुलेट ईयर्स : 1980-1996\' में लिखा है कि अयोध्या में 1 फरवरी 1986 को राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का एक गलत निर्णय साबित हुआ। इससे देश-विदेश में रहने वाले मुस्लिम समुदाय की भावनाएं बहुत आहत हुईं।\r\nराजनीति विश्लेषक जोया हसन अपनी पुस्तक ‘कांग्रेस आफ्टर इंदिरा\' में लिखती हैं, ‘राजीव गांधी सरकार में मंदिर का ताला खुलवाने के आदेश का विश्व हिन्दू परिषद ने लाभ उठाया। 1989 तक आते-आते मामला बहुत बढ़ गया। जब विहिप ने शिलान्यास के लिए पत्थर ले जाने की घोषणा की तो देश भर में माहौल गर्मा गया और कांग्रेस सरकार ने विवादित ढांचे में विहिप को शिलान्यास की अनुमति प्रदान कर दी। इस समूचे प्रकरण को लेकर राजीव गांधी ने कानूनसम्मत रुख अख्तियार किया कि राम मंदिर बनने से कोई विरोध नहीं है लेकिन मस्जिद को आंच नहीं आनी चाहिए। पार्टी को उम्मीद थी कि इससे चुनावों में उन्हें लाभ मिल सकता है लेकिन इससे पहले ही भाजपा और विहिप ने मुद्दे को अपने पक्ष में कर लिया था और हिंदुओं को यह भरोसा दिलाने का अभियान छेड़ दिया था कि शिलान्यास उनके प्रयासों का ही प्रतिफल है और उन्होंने ही उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसा करने के लिए विवश किया। इस पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस को क्षति पहुंची और खासतौर पर उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार खिसक गया।\'
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06-11-2019-\r\nराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 1 फरवरी, 1986 का दिन मील का पत्थर है। इस दिन 37 साल तक अटके विवाद में एक नया मोड़ आया। राजीव गांधी सरकार की पहल पर विवादित परिसर का ताला खुला।...

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