👤17-06-2022-
अवैध खनन के लिए ग्राम प्रधान क्षेत्रीय लेखपाल खनन अधिकारी प्रदूषण विभाग वन विभाग पुलिस विभाग क्षेत्रीय चुने हुए सत्ता दल के जनप्रतिनिधि सभी बराबर के जिम्मेदार
खनन माफिया पीली मिट्टी तथा गंगा की बालू का अवैध रूप से 24 घंटे कर रहे हैं खनन जिम्मेदार निभा रहे हैं अभिलेखीय की औपचारिकताएं
खनन की अनुमति पीली मिट्टी ट्रांस गंगा सिटी में आपूर्ति की 90 प्रतिशत अवैध खनन करके बेची जा रही मार्केट में
हिंदी दैनिक लखनऊ से प्रकाशित लखनऊ का अभिमान समाचार पत्र ने खनन के विरुद्ध छेड़ रखी है मुहिम पहुंचा रहा सभी जिम्मेदार अधिकारियों, नेताओं को जानकारी फिर भी सभी मौन
उन्नाव।अवैध धन के चकाचौंध में डूबे जिम्मेदार अधिकारी और नेताओं प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं ऐसा भी नहीं है कि इसका खामियाजा केवल ग्रामीण या गरीब मजबूर बेबस मध्यमवर्गीय परिवारों के लोग ही भुगतेंगे भुगतना सभी को पड़ेगा चाहे धनबली हो या बाहुबली हो या सत्तबलीय हो या कोई भी अधिकारी कर्मचारी हो क्योंकि प्रकृति का प्रकोप किसी को बताकर नही आता ना ही फिर किसी पर रहम करता है क्योंकि मानक से अधिक खनन करना हरियाली के लिए खतरा होता है हरियाली खतरे में होती तो वातावरण पर्यावरण भूगर्भ तथा अन्न उत्पाद और वायु मंडल के लिए भी खतरा है जबकि प्रदेश के सीएम लोगों को बचाने के लिए लगातार अंकुश लगाने के आदेश निर्देश जारी कर रहे है लेकिन जिम्मेदार सभी ठेंगा दिखा रहे हैं इसी लिए पीली मिट्टी के खनन की अनुमति दी गई जिससे 100 प्रतिशत मिट्टी ट्रांस गंगा सिटी में डाली जाए लेकिन 90 प्रतिशत पीली मिट्टी खनन करवाकर मार्केट में बेची जा रही हैं और सभी जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं को मालूम है फिर भी मौन साध कर बैठे हुए हैं जबकि हिंदी दैनिक लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र लखनऊ का अभिमान लगातार प्रमुखता से अवैध खनन के खेल का खुलासा करता आ रहा हैं किंतु किसी भी जिम्मेदार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रहा हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सदर तहसील कोतवाली गंगाघाट क्षेत्र के ग्राम लंगड़ा पुर के निकट तहसील प्रशासन,खनन विभाग ,वन विभाग,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग,जिला प्रशासन,से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के खनन विभाग ने ट्रांस गंगा सिटी के ठेकेदार को पीली मिट्टी खनन की अनुमति दी है लेकिन अवैध धनलोभ के चलते जनपदीय अधिकारियों और नेताओं से जुगलबंदी करके मानकों के विपरीत और मानक से अधिक रात दिन खनन माफिया वैध होकर अवैध खनन कर रहा हैं जो पीली मिट्टी खनन चौबीस घंटो में की जाती हैं उसका 90 प्रतिशत खनन की पीली मिट्टी मार्केट में अधिक दाम पर बिक्री की जा रही हैं सूत्रो की माने तो गंगा बैराज पुलिस चौकी के निकट सड़क मार्ग के किनारे पर पीडब्ल्यूडी विभाग के हाथो बेचकर गिराई जा रही और पिंडोखा चौराहे से ग्राम सहजनी की ओर जाने पर एक निजी प्लाट में भी पीली मिट्टी गिराई जा रही साथ कस्बा शुक्लागंज क्षेत्र में व उन्नाव शहर तथा औधोगिक क्षेत्र में भी बिक्री करके गिराई जा रही हैं।
वैसे भी भ्रष्टाचार जीरो ट्रोलेंस कायम करने का सपना देखने वाले लोग कभी भी आईना नही देखते हैं और ना ही देखने की हिम्मत है और लोगो का भी मानना है कि कभी किसी के सपने सहकार नहीं होते जबकि जितने अधिक नियम कानून संविधान के प्रति चलने को कहा जाता है और दुसरो को जमीनी हकीकत पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं तो भ्रष्टाचार की वसूली उससे अधिक हो जाती हैं साथ रकम में भी बधोत्तरी होती हैं क्योंकि हिस्सेदार बढ़ जाते है और उनके स्वागत खाने पीने आदि की सुविधाएं उपलब्ध करानी पड़ती है साथ ही स्वयं का बीआईपी कल्चर का एहसास कराने के लिए एक दिन पहले ही पूरी डिटेल क्या करना है कहा कहा जाना है क्या क्या देखना है कितने समय किससे मिलना है अवगत कराया जाता है जो पहले से ही निर्धारित हो जाता हैं फिर ऐसे में जमीनी हकीकत पर क्या हुआ क्या हो रहा कुछ भी नजर नहीं आता है।
इनसेट
बाबा जी सपना और मंशा नहीं होते पूरे क्योंकि स्वयं आईना देखते नही जो दिखाया जाता वही देखते
यदि जमीनी हकीकत पर नजर डालनी हो तो तीन माह पहले ही तीन माह तक होने वाले कार्य विधि की जानकारी प्रदेश स्तर पर ही ले लेनी चाहिए और सिंपल वाहन से जिम्मेदार अधिकारियो को जो प्रदेशस्तरी है उनको तत्काल में बुलाकर और सभी के मोबाइल जमा करवाकर संदिग्ध कार्य स्थल पर पहुंच कर निरीक्षण करना चाहिए और आसपास के लोगों से भी इसकी बैठकर जानकारी हासिल करें और उन सभी लोगों में पीड़ितों की समस्या को गंभीरता से सुने और पूरी तरह से स्वस्थ करें कि आपके समस्या कितने समय में पूरी तरह से निस्तारित कर दी जाएगी यदि ऐसा होने लगे तो वाकई में भ्रष्टाचार जीरो ट्रोलेंस की मंशा पूरी होगी और रामराज्य की भी परिकल्पना की जा सकती हैं लेकिन यह कलयुग में कलयुगी अधिकारियों और कर्मचारियों तथा नेताओं के कारण संभव नहीं है क्योंकि अधिकारी कर्मचारी बनने के किसी ने पढ़ाई कोचिंग में अधिक खर्च किया किसी ने नौकरी के लिए लाखो रुपए किसी को दिए और नेता बनने के लिए पार्टियों से टिकट लेने से लेकर चुनाव लडने तक करोड़ों रुपए खर्च किया है तो उसकी भर पाईं कौन करेगा?? इस लिए जनता को जागरूक होना पड़ेगा एक रुपया आप लेते हैं तो पूरे पांच वर्ष तक यानी 1825 दिन एक रुपए के अनुसार ही आपको ही भरना पड़ेगा यदि आप कुल आंकलन करेंगे तो केवल पांच साल में कम से कम आप अपनी मेहनत की कमाई का 30 प्रतिशत धन चुकाना पड़ता हैं जरा गौर करके देखना तभी विश्वास होगा।
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नेता व मंत्री तथा अधिकारी सभी
वीआईपी सुविधाएं उठाते किसकी कमाई से
आप जानते है कि नेताओं मंत्रियों और अधिकारियों के वेतन से लेकर खाने पीने चलने रहने वीआईपी सुविधाएं और उनके स्वास्थ को ठीक रखने के लिए तथा उनके बच्चों के पढ़ाई लिखाई और सुख सुविधाओं आदि की भरपाई किसके धन से होती है जरा आप गौर करके देखें वह भी गरीब मजबूर बेबस मध्यमवर्गीय लोगों की मेहनत की कमाई के हिस्से से मिलता है और यही लोग देश के संविधान और नियम कानून को भी आप पर ही लागू करते है ना कि स्वयं पर ना ही किसी धनबली बाहुबली पर लागू होते हैं जय श्रीराम भाजपा का रामराज्य कायम रहे ।
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