स्वास्थ महकमा सख्त पर सीएचसी मवई के विगड़ते जा रहे हालात892
👤06-06-2022-नवागत अधीक्षक सहित कई चिकित्सकों की देर से आने की बन गई फितरत
महिला चिकित्सक होने के बावजूद स्टॉफ नर्स कराती हैं प्रसव
मवई ! ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए करीब आठ वर्ष पूर्व मवई पीएचसी को सीएचसी बनाया गया।लेकिन आज भी यहां की स्थिति बदहाल है।इधर स्वास्थ्य मंत्री डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के लगातार औचक निरीक्षण से स्वास्थ्य महकमे में थोड़ा सुधार हुआ।लेकिन ये सुधार मवई सीएचसी में बिल्कुल नही देखने को मिल रहा है।यहां तैनात अधीक्षक स्वयं दस बजे तक आते है तो अन्य स्टॉफ की हालत क्या होगी।अनुमान लगाया जा सकता है।यहां दो दो महिला चिकित्सक तैनात है जो आए दिन अनुपस्थित ही रहती हैं।यहां स्टॉफ नर्स के ही सहारे गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है।ये हाल सीएचसी की है जबकि मवई क्षेत्र में स्थित पटरंगा गांव सैदपुर पूरेकामगार उमापुर पीएचसी की हालत और भी खराब हो गई है।
बताते चले 2012-2013 में मवई पीएचसी से सीएचसी में तब्दील हुई।तो कई वर्ष तक यहां स्टॉफ व संसाधनों का टोटा रहा।लंबे अंतराल के बाद महिला चिकित्सक अर्चना की नियुक्ति हुई।बर्तमान में यहां महिला चिकित्सक के रूप में शबनम व रीना मिश्रा की तैनाती हुई।जो आए दिन सीएचसी से लापता ही रहती है।लेकिन रजिस्टर पर इनकी उपस्थिति लगातार रहती है।सोमवार को भी प्रातः 9:30 बजे तक दोनों महिला चिकित्सक सीएचसी नही पहुंची थी।जिससे इनकी ओपीडी कक्ष में ताला लगा था।वही स्टॉफ नर्स दिव्या व बंदना भी रोज की भांति गायब ही रही।ये तो छोड़ो स्वयं अधीक्षक सुमंत सिंह भी अस्पताल नही पहुंचे थे।सीएचसी पर मौजूद कई मरीज व गर्भवती महिलाओं ने बताया कि शनिवार को भी महिला डॉक्टर नही मिली थी और आज भी आने की कोई सूचना नही मिल रही।मजबूरन कुछ मरीज एक ओपीडी पर मौजूद डा0 राजीव उपाध्याय व डा0 विनय सिंह से दवा लेकर चली गई।हैरत की बात तो ये है कि यहां दो दो महिला चिकित्सक तैनात होने के बावजूद प्रसव स्टॉफ नर्स द्वारा ही कराया जाता है।और मामूली दिक्कत होने पर ही उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।
चार दिन पूर्व प्रसव पीड़िता की हो चुकी मौत
महिला चिकित्सको की देखभाल में सुरक्षित प्रसव न होने से अभी चार दिन बठौली गांव की गरीब प्रसव पीड़िता सब्बू की मौत हो चुकी है।चिकित्सकों ने उसकी मौत की वजह खून की कमी होना बताया था।लेकिन यदि महिला चिकित्सक की निगरानी में प्रसव होता तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
पत्रकार के फोन पर नही बोलते अधीक्षक
किसी भी मामले की जानकारी हेतु जब क्षेत्रीय पत्रकार नवागत अधीक्षक डा0 सुमंत सिंह को फोन करते है।तब फोन तो उठ जाता है लेकिन बाद हैलो हैलो.....करके फोन काट देते है।ऐसे में किसी भी मामले की सही जानकारी नही हो पाती है।और न ही अनुपस्थित चिकित्सकों के रवैय्ये में कोई सुधार ही करते है।हालांकि अधीक्षक डा0 सुमंत सिंह ने बातचीत के दौरान बताया कि अभी मैं नया आया हूँ।हां थोड़ा लेट हो गया था।इन्होंने बताया डा0 रीना मिश्रा आज 18 जून तक अवकाश पर है और डा0 शबनम थोड़ा बिलंब से सीएचसी पर आ गई थी।
🕔tanveer ahmad
06-06-2022-
नवागत अधीक्षक सहित कई चिकित्सकों की देर से आने की बन गई फितरत
महिला चिकित्सक होने के बावजूद स्टॉफ नर्स कराती हैं प्रसव
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