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पोरबंदर एसपी बने KBC विनर रवि ने ये जवाब देकर जीते थे 1 करोड़, इस वजह से 4 साल बाद मिले थे पैसे

पोरबंदर एसपी बने KBC विनर रवि ने ये जवाब देकर जीते थे 1 करोड़, इस वजह से 4 साल बाद मिले थे पैसे568

👤30-05-2020-
नई दिल्ली। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज तक इन दिनों पोरबंदर एसपी रवि मोहन सैनी खबरों में हैं। उनके खबरों में आने की वजह है कौन बनेगा करोड़पति। जी हां, करीब 19 साल पहले रवि मोहन सैनी ने कौन बनेगा करोड़पति में हिस्सा लिया था और खास बात ये है कि उन्होंने उस दौरान एक करोड़ रुपये जीते थे। ऐसे में उनकी केबीसी के दौरान की तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं और उनके केबीसी वाले गेम को याद किया जा रहा है। हम आपको बताते हैं कि 14 साल की उम्र में रवि ने कैसे गेम खेला था..\r\nउस वक्त 10वीं में पढ़ते थे रवि\r\nजिस वक्त रवि ने केबीसी में हिस्सा लिया था, उस वक्त वो 10वीं कक्षा में पढ़ते थे और उनकी उम्र 14 साल थी। विशाखापट्टनम से आए रवि ने काफी अच्छा गेम खेला और एक करोड़ रुपये जीते थे। उस दौरान में शो में जीते जाने वाली राशि को पॉइंट्स कहा जाता था और उसके बाद इसे रुपयों में कंवर्ट किया जाता था।\r\nसाइंटिस्ट बनना चाहते थे रवि\r\nरवि अभी एसपी बन गए हैं, लेकिन वो इससे पहले डॉक्टर थे। रवि एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बने थे। उन्होंने महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर से एमबीबीएस किया। एमबीबीएस के बाद इंटर्नशिप के दौरान उनका चयन सिविल सर्विसेज़ में हो गया। हालांकि, वो कभी भी एसपी या डॉक्टर नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने शो में बताया था कि वो साइंटिस्ट बनना चाहते हैं और उससे जुड़ी चीजें पढ़ना उन्हें काफी अच्छा लगता है।\r\nपहले सवाल में लाइफलाइन ली थी\r\nउस दौरान एक करोड़ जीतने वाले रवि ने पहले सवाल में ही लाइफलाइन का इस्तेमाल कर लिया था। दरअसल, रवि ने पहले सवाल में पियानो से जुड़े एक सवाल का जवाब नहीं दे पाए थे और उसके बाद उन्होंने आगे अच्छे से गेम खेला। इसके बाद उन्होंने कई सवालों तक लाइफलाइन का इस्तेमाल नहीं किया। रवि शो से पैसे जीतने के बाद अमिताभ बच्चन के साथ मिस्र जाना चाहते थे।
🕔 एजेंसी

30-05-2020-
नई दिल्ली। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज तक इन दिनों पोरबंदर एसपी रवि मोहन सैनी खबरों में हैं। उनके खबरों में आने की वजह है कौन बनेगा करोड़पति। जी हां, करीब 19 साल पहले रवि मोहन...

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नई गाइडलाइन जारी, आठ जून से खुलेंगे धार्मिक और पूजास्थल, होटल, रेस्‍टोरेंट और मॉल

नई गाइडलाइन जारी, आठ जून से खुलेंगे धार्मिक और पूजास्थल, होटल, रेस्‍टोरेंट और मॉल31

👤30-05-2020-
नई दिल्‍ली, एजेंसी।  गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन 5 के लिए नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। इसके तहत कंटेनमेंट जोन के बाहर चरणबद्ध तरीके से छूट दी जाएगी, लेकिन फिलहाल इसमें पूरी पाबंदी रहेगी। कंटेनमेंट जोन के बाहर पूरी तरह से छूट रहेगी। ये गाइडलाइन्स 1 जून से 30 जून तक के लिए जारी रहेंगी। नई गाइडलाइन के अनुसार सभी तरह के धार्मिक और पूजास्थल, होटल, रेस्ट्रॉन्ट्स, अन्य हॉस्पिटैलिटी सर्विस और मॉल 8 जून से खोले जा सकेंगे। केंद्र सरकार इसके लिए गाइडलाइन जल्द ही जारी करेगी ।\r\nनई गाइडलाइन के अनुसार मंदिर- मस्जिद - गुरुद्वारा - चर्च खोल दिए जाएंगे। स्कूल-कॉलेज जुलाई से खोले जा सकते हैं। \r\nकई राज्य के अनुसार, मॉल भी जल्‍द खोले जाएं। उन्हें चरणबद्ध तरीके से खोला जाएगा। इसके लिए शारीरिक दूरी और मास्क पहननना जरूरी होगा। स्कूल-कॉलेज दूसरे फेज में जुलाई से खोले जा सकते हैं। \r\nजारी रहेगा रात का कर्फ्यू  \r\nरात का कर्फ्यू जारी रहेगी। जो जरूरी चीजें हैं, उनके लिए कोई कर्फ्यू नहीं होगा। रात को 9 बजे से सुबह 5 बजे तक अब नाइट कर्फ्यू रहेगा। अभी तक ये शाम 7 से सुबह 7 बजे तक था। स्कूल-कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोले जाने पर फैसला सरकार बाद में लेगी। \r\nएक राज्‍य से दूसरे राज्‍य जाने पर रोक हटी \r\nएक से दूसरे राज्य में जाने का प्रतिबंध हटा लिया गया है। राज्य में भी एक जिले से दूसरे जिले में जा सकेंगे, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। कहीं आने जाने से पहले किसी की कोई इजाजत लेने की जरूरत नहीं होगी। 
🕔 एजेंसी

30-05-2020-
नई दिल्‍ली, एजेंसी।  गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन 5 के लिए नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। इसके तहत कंटेनमेंट जोन के बाहर चरणबद्ध तरीके से छूट दी जाएगी, लेकिन फिलहाल इसमें पूरी...

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अब तीन चरणों में अनलॉक होगा देश जानें कैसे शुरू होगा राहतों का दौर

अब तीन चरणों में अनलॉक होगा देश जानें कैसे शुरू होगा राहतों का दौर639

👤30-05-2020-
नई दिल्‍ली, एजेंसियां। सरकार ने एक महीने तक के लिए लॉकडाउन को बढ़ा दिया है लेकिन इसके साथ ही अनलॉक-1 की शुरुआत भी कर दी है। लॉकडाउन 5.0 के लिए सरकार की ओर से जो गाइडलाइन जारी की गई है उसके मुमताबिक, आने वाले दिनों में लॉकडाउन से तीन चरणों में धीरे धीरे ढील भी दी जाएगी। जारी गाइडलाइन के मुताबिक, पहले फेज में धार्मिक स्थल और सार्वजनिक पूजा स्थल, होटल, रेस्तरां और अन्य आतिथ्य सेवाएं और शॉपिंग मॉल्‍स 8 जून, 2020 से खोले जाएंगे लेकिन इसके साथ शर्तें भी लागू रहेंगी। जाहिर है कि लॉकडाउन-5 अब केवल कंटेनमेंट जोन में ही 30 जून तक रहेगा। जानें कैसे मिलेंगी चरणबद्ध राहतें... \r\nइसमें आठ जून के बाद धार्मिक स्थल/इबादत की जगहें, होटल, रेस्टोरेंट और हॉस्पिटैलिटी से जुड़ी सेवाएं, शॉपिंग मॉल्स खोले जाएंगे। \r\nदूसरा फेज\r\nस्कूल, कॉलेज, एजुकेशन, ट्रेनिंग और कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल सकेंगे लेकिन इनके बारे में राज्य सरकारों से सलाह लेने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।\r\nतीसरा फेज\r\nइस फेज में इंटरनेशनल फ्लाइटों, मेट्रो रेल सेवाओं, सिनेमा हॉल, जिम, स्वीमिंग पूल, एंटरटेनमेंट पार्क, थिएटर, बार, ऑडिटोरियम, असेंबली हॉल और इनके जैसी बाकी जगहों को आम लोगों के लिए खोने जाने की बात कही गई है। इसी चरण में सामाजिक, राजनीतिक रैलियां, स्पोर्ट्स इवेंट, अकादमिक और सांस्‍कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक समारोह और बाकी बड़े जमावड़े शुरू किए जाने की बात है। हालांकि इन्‍हें शुरू करने का फैसला हालात का जायजा लेने के बाद ही होगा। 
🕔tanveer ahmad

30-05-2020-
नई दिल्‍ली, एजेंसियां। सरकार ने एक महीने तक के लिए लॉकडाउन को बढ़ा दिया है लेकिन इसके साथ ही अनलॉक-1 की शुरुआत भी कर दी है। लॉकडाउन 5.0 के लिए सरकार की ओर से जो गाइडलाइन जारी...

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उप्र :सेतु निगम बोर्ड में राज्यपाल की मंजूरी पर तीन निदेशक तैनात

उप्र :सेतु निगम बोर्ड में राज्यपाल की मंजूरी पर तीन निदेशक तैनात202

👤30-05-2020-
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के बाद शनिवार को सेतु निगम बोर्ड में 3 निदेशकों की तैनाती कर दी गई है। इसके बाद सेतु निगम के कार्यों में तेजी आने की संभावना है।

लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय से जारी हुए आदेश में सेतु निगम के पूर्व एमडी पीके कटियार, विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी और विभागाध्यक्ष लोक निर्माण विभाग राजीव रतन को निदेशक बनाया गया है। इसमें पूर्व एमडी पीके कटियार गैर सरकारी निदेशक होंगे। वही लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष राजीव रतन निदेशक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

30-05-2020-
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के बाद शनिवार को सेतु निगम बोर्ड में 3 निदेशकों की तैनाती कर दी गई है। इसके बाद सेतु निगम के कार्यों में तेजी आने...

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सहालग : अस्सी प्रतिशत लोगों ने टाल दी शादियां, गांव से शहर तक रोजगार पर पड़ा असर

सहालग : अस्सी प्रतिशत लोगों ने टाल दी शादियां, गांव से शहर तक रोजगार पर पड़ा असर896

👤30-05-2020-
लखनऊ। गोरखपुर के डाक्टर अतुल शाही के लड़की की शादी जून माह में होनी थी। इस महामारी के दौर में शादी टाल दी गयी। यह एक बानगी मात्र है, इस तरह से अस्सी प्रतिशत से अधिक शादियां टाल दी गयीं, जो हुईं भी, उसमें खर्च न के बराबर, इसका परिणाम रहा कि अनुमानत: यूपी में गेस्ट हाउस, टेंट, कैटरर्स, बैंड बाजा, पुरोहित आदि इससे जुड़े ढ़ाई लाख से अधिक लोगों की रोजी रोटी छिन गयी।
 14 अप्रैल के बाद शुरू हुआ सहालग 31 मई से शुक्र अस्त होने के कारण 28 मई से शादी कार्य बंद हो जायेगा। पुराेहितों के अनुसार शुक अस्त होने से तीन दिन पूर्व और तीन दिन बाद तक शादी वगैरह शुभ काम नहीं होते हैं। इस कारण यह 28 से बंद होकर आठ जून तक बंद रहेगा। इसके बाद तीस जून तक विवाह का मुहुर्त है लेकिन आगे भी कोई संभावना नहीं बन रही कि लाक डाउन हटेगा और धूम से शादी हो सकेगी। 
गांवों में बैंडबाजा वालों ने शुरू कर दी मजदूरी, शहर में ज्यादा परेशानी
गाजीपुर जिले के एक गांव खैराबारी में ही आठ से अधिक बैंड बाजा पार्टियां थीं लेकिन पूरा का पूरा कार्य बंद पड़ा है। बैंड मास्टर खलील का कहना है कि सिर्फ अप्रैल, मई और जून में ही तीस बुकिंग थी लेकिन अब सब कैंसिल हो गयी। अब तो सभी कलाकार गेहूं कटाई आदि के काम में जुटे हुए हैं। सरकार का मनरेगा भी सहारा बना हुआ है। किसी तरह साल गुजर जाय, बस यही कामना है। 
लखीमपुर के बैंड बाजा संचालक रामपति का कहना है कि इससे 70 हजार से अधिक लोगों के पास कोई काम नहीं रह गया है। एक बैंड बाजा से औसतन 30 लोगों को काम मिलता है। वहीं सुल्तानपुर शहर के रमापति का कहना है कि यहां तो अब यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि आगे करें क्या।
कैंटरर्स से जुड़े लोग लगा रहे सब्जी की फेरी
 कैटरर्स व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार के अनुसार लखनऊ में ही 2100 से अधिक टेंट कारोबारी दो माह से बेकार बैठे हैं। वर्तमान में इससे जुड़े लगभग 62,000 कामगार बेरोजगार हो गए हैं। जो कल तक कारीगर थे, वे आज सब्जी बेच रहे हैं। फेरी लगाकर रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सहालग में कम से कम घरातियों व बरातियों की संख्या 20 से बढ़ाकर दो सौ कर दी जाती है तो सब ठीक हो जाएगा। अभी तो जो शादियां भी हो रही हैं। उसमें वर-वधु पक्ष के रिश्तेदार ही शामिल नहीं हो पा रहे हैं। कैटरर्स व्यापारी राम बदन बताते हैं कि शादी समारोहों में 20 लोगों के ही शामिल होने की शर्त से कैटरिंग से जुड़े लगभग सवा लाख लोगों पर असर पड़ा है। इनमें मालिक, कारीगर, मजदूर सब शामिल हैं। मुदित के अनुसार 500 बरातियों के खाने की एक बुकिंग पर कम से कम 50 लोगों को रोजगार मिलता था, जो अब बंद है।
मैरिज लान के मालिक कहां से दें कर्मियों का वेतन
 एक गेस्ट हाउस से जुड़े शिव कुमार के अनुसार सिर्फ लखनऊ में 2500 से अधिक गेस्ट हाउस, मैरिज लॉन हैं। इनसे हजारों परिवारों की रोटी चलती है। एक गेस्ट हाउस में एक मैनेजर, 2 गार्ड, दो स्वीपर, एक केयरटेकर और एक इलेक्ट्रिशियन तो रहता ही रहता है। इस समय कोई वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होने से सबसे बड़ा संकट कर्मचारियों को वेतन देने का है। आखिर हम उन्हें वेतन कहां से देंगे।  
सबसे ज्यादा परेशानी पुरोहित की, उसे सरकारी सहायता भी नहीं
उधर शादी में पुरोहित का काम करने वाले मुनेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि गांवों की एक शादी का मतलब होता है। 10 पुरोहित सहित कम से कम 20 शिष्य (सामान वगैरह ढोने वाले नौकर) और यह सब कुछ बेकार चला गया। अधिकांश लोगों ने तो शादियां ही कुछ दिन के लिए टाल दिया। जिनकी हो भी रही है, उनके यहां कुल 20 की संख्या की लिमिट ने सबकों बेरोजगार कर दिया है। दूसरे लोग तो अन्य धंधा भी कर सकते हैं, आखिर पुराेहित कहां जाएंगे। अपनी शान के कारण दूसरी जगह मांग भी नहीं सकते। सरकार का जोर सिर्फ मजदूरों पर है। वे तो मनरेगा की मजदूरी भी कर लेंगे लेकिन पुरोहितों के पास तो अकाल जैसी स्थिति हो गयी है।
अनुमति लेना भी है कठिन काम
शादी समारोह के आयोजन की अनुमति के लिए कलेक्ट्रेट तक की दौड़ ने भी लोगों को परेशान किया है। इस कोरोना काल में सर्वाधिक परेशानी अस्पताल या उच्च अधिकारियों के यहां जाने में है और एक शादी के लिए पांच बार चक्कर लगाने पर ही अनुमति मिल पाती है। वह भी कई प्रतिबंधों के साथ। इस कारण अधिकांश लोगों ने शादियाें की तिथि टाल दी।
🕔tanveer ahmad

30-05-2020-
लखनऊ। गोरखपुर के डाक्टर अतुल शाही के लड़की की शादी जून माह में होनी थी। इस महामारी के दौर में शादी टाल दी गयी। यह एक बानगी मात्र है, इस तरह से अस्सी प्रतिशत से अधिक शादियां...

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गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ है तो कोरोना संदिग्ध : डॉ. ढोल

गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ है तो कोरोना संदिग्ध : डॉ. ढोल425

👤30-05-2020-
लखनऊ। कोरोना के इस  संकटकाल में खांसी और बुखार आते ही लोग दहशत में आ जा रहे हैं। इसकी वजह कोरोना और सामान्य फ्लू के लक्षणों का आपस में मिलना है। प्रदेश सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर रोजाना आ रही सैकड़ों काल इसकी तस्दीक करती हैं।  
सवाल यह है कि दोनों में फर्क कैसे किया जाए। क्‍या खांसी और बुखार आते ही आपको कोरोना की जांच करानी चाहिए? माइक्रोबायोलाजिस्ट डॉ. टी.एन. ढोल के मुताबिक दोनों में काफी बारीक फर्क है। शुरुआती लक्षण काफी-कुछ मिलते-जुलते हैं, लेकिन पहचान करना संभव है। डॉ. ढोल एसजीपीजीआई में सीनियर माइक्रोबायोलाजिस्ट रहे हैं। इस वक्त हिन्द इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस में माइक्रोबायोलाजी विभाग के हेड हैं।  डॉ. ढोल के मुताबिक बुखार के साथ अगर सांस लेने में तकलीफ और सूखी खांसी है तो सावधान हो जाना चाहिए। इसके अलावा अगर खांसी के साथ गले में खराश हो रही है तो व्यक्ति फौरन डॉक्टर से संपर्क करे। डाक्टर कोरोना टेस्ट कराएगा और जरूरी दवाएं देगा जिससे पकड़ में आ जाएगा कि मरीज कोरोना से संक्रमित तो नहीं। उन्होंने कहा कि कोरोना में खून में आक्सीजन की कमी (40 से 50 प्रतिशत) हो जाती है। यह भी एक लक्षण है कोरोना को पहचाने का। उन्होंने कहा कि इसकी जांच पल्स आक्सीमीटर नाम की मशीन से किया जा सकता है। इस मशीन को हाथ की किसी उंगली में लगाने पर आक्सीजन लेवल पता चल जाता है जिससे झट कोरोना के बारे में पता चल सकता है।   कोरोना के लक्षण• सांस लेने में तकलीफ  • गले में खराश होने के साथ सूखी खांसी• मांसपेशियों में दर्द • बुखार सामान्य फ्लू के लक्षण   
• जुकाम (नाक बहना)• बुखार- खांसी• सिरदर्द• आंखों का लाल होना, पानी आना
🕔tanveer ahmad

30-05-2020-
लखनऊ। कोरोना के इस  संकटकाल में खांसी और बुखार आते ही लोग दहशत में आ जा रहे हैं। इसकी वजह कोरोना और सामान्य फ्लू के लक्षणों का आपस में मिलना है। प्रदेश सरकार के हेल्पलाइन...

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विधिक कानून और समाज एक दूसरे से बराबर जुड़े हुए : प्रो. रतन सिंह

विधिक कानून और समाज एक दूसरे से बराबर जुड़े हुए : प्रो. रतन सिंह93

👤30-05-2020-
लखनऊ। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के विधि विभाग द्वारा शनिवार  को \"मेथड्स ऑफ लीगल रिसर्च\" विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज के निदेशक प्रो  रतन सिंह रहे। वेबिनार की अध्यक्षता प्रोफेसर सुदर्शन वर्मा द्वारा की गई। 
मुख्य वक्ता प्रोफेसर रतन सिंह ने बताया कि आज के समय में रिसर्च समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। वहीं विधिक कानून और समाज एक दूसरे से बराबर जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि  फील्ड वर्क रिसर्च का सबसे जरूरी भाग है। इसमें भी ऑब्जर्विंग पावर होना चाहिए।  उन्होंने आज के समय में मजदूरों के पलायन की समस्या पर चर्चा करते हुए कहा कि घर बैठकर या टीवी पर देखकर मजदूरों के किन-किन अधिकारों का हनन हो रहा है यह बताया नहीं जा सकता। फील्ड वर्क करके ही असली रिपोर्ट सामने आ सकती है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का कानून बनने से पहले लीगल रिसर्च करना महत्त्वपूर्ण ही नहीं अनिवार्य भी है। 
प्रोफेसर सुदर्शन वर्मा ने कहा कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से सभी काम ठप पड़े हुए हैं, पर शिक्षा का कार्य नहीं रुक सकता है। इस दिशा में नियमित शिक्षा के लिए वेबिनार व ऑनलाइन क्लासेस काफी मददगार रही है। ये हम सभी की मेहनत का नतीजा हैं कि आज हमने केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स को ध्यान में रखते हुए इस राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया है।इसके बाद कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सूफिया अहमद द्वारा प्रश्न उत्तर से जुड़ा सत्र आयोजित किया गया जिसमें सभी प्रतिभागियों ने अपने अपने सवाल रखे।
🕔tanveer ahmad

30-05-2020-
लखनऊ। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के विधि विभाग द्वारा शनिवार  को \"मेथड्स ऑफ लीगल रिसर्च\" विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य...

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कोरोना के खिलाफ सभी देशों को मिलकर लड़नी है लड़ाई : राज्यपाल

कोरोना के खिलाफ सभी देशों को मिलकर लड़नी है लड़ाई : राज्यपाल805

👤30-05-2020-
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा आयोजित ‘स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिप्रेक्ष्य‘ इण्डो-ईरानियन वेबिनार को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना का स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। सभी देशों को मिलकर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई लड़नी है। 
उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य के दृष्टिगत सभी देशों को आपस में समन्वय कर इसके मैनेजमेन्ट, उपचार एवं वैक्सीन के शोध इत्यादि के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करना आवश्यक है। भारत और ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति एवं इससे संबंधित अन्य परिस्थितियां मिलती जुलती हैं। दोनों देश कोरोना के संबंध में जानकारी का आदान-प्रदान कर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 वायरस जनित एक महामारी है परन्तु इसने पूरे विश्व को काफी कुछ सीखने एवं सोचने को मजबूर किया है। भारत में कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत चिकित्सालयों में वेन्टीलेटर्स की संख्या को बढ़ाया गया है। नवाचार के माध्यम से नये बनने वाले वेन्टीलेटर्स पहले की अपेक्षा कम मूल्य में उपलब्ध हो रहे है। चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग हेतु पीपीई किट का पहले हम आयात करते थे तथा सीमित मात्रा में मास्क एवं गलव्स का उत्पादन देश में होता था, परन्तु आज देश में प्रतिदिन बड़ी संख्या में न केवल पीपीई किट, मास्क एवं गलव्स का उत्पादन हो रहा है, बल्कि निकट भविष्य में हम विश्व के अनेक देशों का इसका निर्यात भी करेंगे।
श्रीमती पटेल ने कहा कि दुनिया भर में कोविड-19 के उपचार के संबंध में वैक्सीन बनाने हेतु शोध जारी हैं। शोधकर्ताओं के समक्ष भी यह एक चुनौती है कि बिना विस्तृत शोध एवं क्लीनिकल ट्रायल के किसी दवा या वैक्सीन को कैसे प्रयोग में लायें। फिर भी दुनिया भर के शोधकर्ता कोविड-19 से निपटने के लिए जिस स्तर पर शोध कर रहे हैं और इसके संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण कम हो जाने के बाद भी हम सभी को बदले तरीके से ही जीना होगा।
वेबिनार में स्वामी विवेकानन्द कल्चरल सेन्टर भारतीय दूतावास तेहरान के निदेशक प्रोफेसर अभय कुमार सिंह, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, पारडीस टेक्नोलाॅजिक पार्क, वाइस प्रेसीडेंसी आफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी ईरान के डाॅ अली मम्हूरी, नेशबूर यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेस ईरान के डाॅक्टर मोहसिन आजिमी नेहद एवं डाॅक्टर नय्येरेह अमिनिसानी, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजूकेशन एण्ड रिसर्च चंडीगढ़ के पूर्व निदेशक प्रोफेसर केके तलवार, ट्रांसलेशन हेल्थ सांइस एण्ड टेक्नोलाॅजी इंस्टीट्यूट के सलाहकार प्रोफेसर एनके गांगुली, एम्स ¬ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत सहित अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण भी उपस्थित थे।


🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

30-05-2020-
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा आयोजित ‘स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिप्रेक्ष्य‘...

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उप्र में कोरोना के 2,900 सक्रिय मामले, अब तक 4,462  मरीज इलाज से हुये ठीक

उप्र में कोरोना के 2,900 सक्रिय मामले, अब तक 4,462 मरीज इलाज से हुये ठीक997

👤30-05-2020-
लखनऊ। प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या अब 75 जनपदों में 2,900 हो गई है। वहीं अब तक 4,462 लोग इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने के बाद घर भेजे जा चुके हैं। अब तक प्रदेश में इस वायरस से कुल 204 मौतें हुई हैं।

2,936 लोग आइसोलेशन वार्ड में भर्ती
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने शनिवार को बताया कि राज्य में इस समय 2,936 लोग आइसोलेशन वार्ड में और 9,556 लोग फैसिलिटी क्वारंटाइन में हैं। फैसिलिटी क्वारंटाइन में उन लोगों को रखा गया है जो कि कोरोना संक्रमितों के सम्पर्क में रहे हैं। हॉटस्पॉट में होने के कारण उनमें लक्षण नजर आये या जिनमें संक्रमण की सम्भावना होती है।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को 9,091 कोरोना नमूने जांच के लिए भेजे गये और 8,659 नमूनों की जांच की गई। इससे पहले गुरुवार को 9,981, बुधवार को 7,923, मंगलवार को 7,407, सोमवार को 7,725 और रविवार को कुल 7,314 कोरोना नमूनों की जांच की गई। उन्होंने बताया कि कोरोना नूमनों की जांच की संख्या लगातार बढ़ायी जा रही है। वर्तमान में 12 ऑटोमेटिक आरएनए एक्स्ट्रैक्टर आ गये हैं, जिससे टेस्टिंग कैपेसिटी में सुधार होगा। अभी तक 20 ट्रूनेट मशीन आ गई हैं, जिन्हे 20 जनपदों में भेजा जा रहा है। अगले कुछ दिन में 50 ट्रूनेट मशीन और आ जाएंगी, जिन्हे शेष जनपदों को उपलब्ध करा दिया जायेगा। इन मशीनों के जरिए एक से डेढ़ घंटे में किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने का पता लगाया जा सकता है। इनमें एक बार में दो नूमनों की जांच की जा सकती है। आपातकालीन सेवाओं में ये मशीनें बेहद मददगार साबित होती हैं। 
722 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की हुई जांच
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को 722 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 667 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। इनमें 102 पूल पॉजिटिव आये। वहीं 55 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई। इनमें 08 पूल पॉजिटिव आये।
इससे पहले गुरुवार को 989 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 918 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। वहीं 71 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई।
वहीं बुधवार को 649 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 567 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। वहीं 82 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई। मंगलवार को 676 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 589 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। वहीं 87 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई।
सोमवार को 865 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 775 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। वहीं 90 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई। रविवार को 936 पूल के जरिए विभिन्न नमूनों की जांच की गई। इनमें 736 पूल के जरिए प्रति पूल पांच-पांच नमूनों की जांच की गई। वहीं 200 पूल के जरिए प्रति पूल दस-दस नमूनों की जांच की गई।
आरोग्य सेतु एप को लेकर 44,079 लोगों को कन्ट्रोल रूम से फोन
उन्होंने बताया कि प्रदेश में \'आरोग्य सेतु\' एप डाउनलोड करने वालों के जो अलर्ट मिल रहे हैं, उन्हें सम्बन्धित जनपदों को भेजा जा रहा है। वहीं कन्ट्रोल रूम के जरिए जो लोग संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आये हैं, उन्हें फोन करके इसकी जानकारी दे रहे हैं। अभी तक 44,079 लोगों को फोन किया जा चुका है। इनमें 114 लोग संक्रमित हैं और विभिन्न कोविड चिकित्सालयों में उनका इलाज चल रहा है। 51 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं। 1,322 लोग एकांतवास केन्द्रों में हैं। 
3.87 करोड़ लोगों के बीच पहुंची स्वास्थ्य टीमें
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच पहुंचकर सर्वेश्रण कर रही हैं। अभी तक 3,572 हॉट स्पॉट और 9,651 नॉन हॉट स्पॉट क्षेत्रों को मिलाकर कुल 13,223 क्षेत्रों में 98,247 सर्विलांस टीम द्वारा 76,80,272 घरों के 3,87,14,819 लोगों का सर्वेक्षण किया गया।
अब तक 11,11,869 प्रवासी कामगारों का सर्वेश्रण 
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य ने बताया कि अब तक आशा कार्यकत्रियों द्वारा 11,11,869 प्रवासी कामगारों का सर्वेश्रण किया जा चुका है। इनमें 1,022 में कोई न कोई लक्षण मिलने पर उन्होंने इसकी सूचना दी, जिसके बाद जांच करायी जा रही है।
संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं
उन्होंने कहा कि इस संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है। बड़ी संख्या में लोग उपचारित होकर घर जा रहे हैं। 95 प्रतिशत मामलों में कोई जटिलता नहीं होती हैं, केवल 5 प्रतिशत में जटिलता तभी होती हैं, जब लोग विलम्ब से अपनी जांच करवाते हैं। अगर व्यक्ति समय से अपनी जांच और इलाज करवाए तो इस बीमारी से किसी भी प्रकार से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
वहीं शासनादेश में यह स्पष्ट है कि जिन लोगों के पास अपने घर में घरेलू एकांतवास (होम क्वारंटाइन) की व्यवस्था नहीं है, उसको सरकार के द्वारा संस्थागत एकांतवास (इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन) में रखा जाएगा। अगर किसी के पास घरेलू एकांतवास के लिए अपनी कोई व्यवस्था नहीं है तो उनके साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए, न ही गांव के लोग उन्हें कहीं बाहर रख सकते हैं। अगर किसी के साथ ऐसी कोई समस्या है तो उनके घरेलू एकांतवास की व्यवस्था किसी विद्यालय में या ग्राम पंचायत घर में होनी चाहिए और वहां सरकार द्वारा निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की जाएगी। 
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य ने कहा कि 23 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में हम बहुत हद तक कोरोना संक्रमण को रोकने में सफल रहे हैं। राज्य में इस बीमारी से मरीजों के ठीक होने की दर लगभग 59 प्रतिशत है। यह समाज और निगरानी समितियों के सहयोग से ही सम्भव हुआ है। 
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

30-05-2020-
लखनऊ। प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या अब 75 जनपदों में 2,900 हो गई है। वहीं अब तक 4,462 लोग इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने के बाद घर भेजे जा चुके हैं। अब तक प्रदेश में...

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भारत सरकार के औद्योगिक सूचना प्रणाली में यूपीसीडा के 154 औद्योगिक क्षेत्र शामिल

भारत सरकार के औद्योगिक सूचना प्रणाली में यूपीसीडा के 154 औद्योगिक क्षेत्र शामिल338

👤30-05-2020-
लखनऊ। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने शनिवार को बताया कि नई तकनीक और पारदर्शिता के लिए यूपीसीडा ने औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ई-नीलामी का एक ढांचा विकसित किया है। इसके तहत यूपीसीडा द्वारा अब तक निवेश मित्र प्लेटफॉर्म के माध्यम से 2,500 से अधिक उद्यमियों को ऑनलाइन भूमि आवंटन और भवन योजना की मंजूरी प्रदान की गई है। महाना ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार औद्योगिक भूखंडों की ई-नीलामी की जा रही है और इससे औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 19 भूखंडों के लिए ई-नीलामी आवंटन की प्रक्रिया चल रही है और प्राधिकरण के पास हर महीने विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के लिए इसी तरह की नीलामी को अंजाम देने की योजना है। यूपीसीडा ने 154 औद्योगिक क्षेत्रों को एकीकृत करके अपनी राष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज कराते हुए औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) में इसे शामिल कराया है। उन्होंने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा तैयार कराया गया आईआईएस देश भर में सभी औद्योगिक भूमि का एक केंद्रीकृत ऑनलाइन डेटाबेस भंडार है। इसका मुख्य उद्देश्य त्वरित आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है। औद्योगिक विकास मंत्री ने बताया कि इन सुधारों का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाना और स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन करना है। यूपीएसआईडीए यूपी में पहला औद्योगिक विकास प्राधिकरण है जिसे भारत सरकार के इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पहल में सूचीबद्ध किया गया है। भारत की भौगोलिक सूचना प्रणाली अपने फोकस क्षेत्रों के साथ-साथ राज्य भर में औद्योगिक पार्कों-क्लस्टर्सशीट का विवरण प्रदान करती है। सामान्य सुविधाओं के केंद्रों, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, संपर्क मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे, बंदरगाहों और रेलवे स्टेशनों की उपलब्धता को भी दर्शाती है। इसके अलावा भूमि की बिक्री, पट्टे की कीमत, पर्यावरण मंजूरी, प्रत्येक पार्क में भूखंडों की कुल संख्या, भूखंड का औसत आकार, आवंटियों के लिए उपलब्ध भूखंडों की संख्या, कब्जे वाले भूखंडों की संख्या, शुद्ध उपलब्ध भूमि, औद्योगिक क्षेत्र, पुलिस स्टेशन का विवरण भी प्रदर्शित करता है। साथ ही बैंक, फायर स्टेशन, अस्पताल, बिजली, पानी आदि की जानकारी भी इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। महाना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में औद्योगिक इकाइयों को फिर से शुरू करने और नए उद्योगों की स्थापना के लिए निवेश आकर्षण के दृष्टिकोण के साथ उद्यमों को विभिन्न मंजूरी जारी करने में ह्यूमन इंटरफेस को कम करके कंप्यूट्रीकृत प्रणाली को अपनाए जाने विशेष बल दिया गया है। राज्य में आवश्यक आर्थिक पुनरुद्धार और रोजगार सृजन के लिए जीआईएस टैगिंग ने पोर्टल पर यूपीएसआईडी के सभी औद्योगिक क्षेत्रों के सचित्र विवरण की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। यूपीएसआईडीए के एमडी अनिल गर्ग ने जीआईएस की प्रमुख मुख्य विशेषताएं और लाभ के बारे में बताया कि उपलब्ध बुनियादी ढांचे के साथ यूपीएसआईडीए की संपूर्ण भूमि को जीआईएस प्लेटफॉर्म पर मैप किया गया है। आवंटी, निवेशक जीआईएस पोर्टल पर आसानी से भूमि का पता लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके तहत प्रदूषण श्रेणी के संदर्भ में भूखंडों की स्क्रीनिंग, निवेशक क्वेरी के समाधान की भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक संरचना के विकास के लिए यूपीएसआईडीए एक नोडल एजेंसी है, जो राज्य में औद्योगिक प्रचार की अगुवाई कर रही है। उत्तर प्रदेश में अपना औद्योगिक आधार स्थापित करने के इच्छुक उद्यमियों को उच्च श्रेणी की सेवाएं प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है। निवेशक जीआईएस मेनू पर क्लिक करके यूपीएसआईडीए लैंड बैंक की वेबसाइट (
http://www-onlineupsidc.com) देख सकते हैं। भारत सरकार, डीआईपीपीटी वेबसाइट बहुत जल्द विभिन्न राज्यों की आईआईएस आधारित सूचनाओं को लॉन्च करने जा रही है।
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

30-05-2020-
लखनऊ। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने शनिवार को बताया कि नई तकनीक और पारदर्शिता के लिए यूपीसीडा ने औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ई-नीलामी का एक ढांचा विकसित...

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