भूलभुलैया में नहीं बजती चुटकी, न जलती है माचिस By tanveer ahmad2019-08-18
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18-08-2019-‘163 फुट दूर बालकनी से मैं अभी माचिस की तीली जलाऊंगा और इसकी आवाज बालकनी में खड़े सभी लोगों को सुनाई देगी।’ पर्यटकों को गाइड पहले बड़े गर्व से भूलभुलैया की यह खासियत बताया करते थे। लेकिन पिछले आठ महीने से वे इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। विश्व धरोहरों में शुमार भूलभुलैया की बालकनी मरम्मत के नाम पर बंद कर दी गई है। लखनऊ की पहचान अनेक ऐतिहासिक इमारतों पर खतरा मंडरा रहा है। उलमा और हुसैनाबाद ट्रस्ट कई बार भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण को पत्र लिख चुके हैं लेकिन मरम्मत का काम शुरू नहीं हो पाया है।बड़ा इमामबाड़ा : नवाब आसफुद्दौला ने सन 1784 में बड़े इमामबाड़े का निर्माण कराया था। इसमें विश्व प्रसिद्ध भूलभुलैया भी मौजूद है। भूलभुलैया में रास्तों का ऐसा जाल है जो यहां आने वाले पर्यटकों को भ्रम में डाल देता है। भूलभुलैया के अंदर ही एक गैलरी बनी हुई है जो लकड़ी के खम्भों पर टिकी है लेकिन अब ये खम्भे जर्जर हो चुके हैं। पर्यटकों के साथ कोई हादसा न हो इसलिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने लोहे की ग्रिल लगाकर दिसंबर 2018 से इसे बंद कर दिया है। आज तक इसकी मरम्मत का काम शुरू नहीं हो सका। भूलभुलैया में रोजाना करीब 2500 पर्यटक आते हैं। गैलरी बंद होने से भूलभुलैया में दिन भर जाम की स्थिति रहती है।रौजा-ए-काजमैन : पुराने लखनऊ के रौजा-ए-काजमैन को नवाब अमजद अली शाह के करीबी जगन्नाथ अग्रवाल ने 1843 में बनवाया था। इसकी गुम्बदों पर सोना चढ़ा हुआ था जो अंग्रेजों ने बाद में लूट लिया। इमामबाड़े का निर्माण : 1784 में नवाब वाजिद अली शाह ने इसका निर्माण कराया। यहां पर विश्व प्रसिद्ध भूलभुलैया, बावली और बिना खंभे के बनी आसिफी मस्जिद है।
विशेषता : इमामबाड़े में बना गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। यह मुगल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है।कर्बला दियानुतदौला की मीनार
नवाब वाजिद अली शाह के करीबी दियानुतदौला ने 1815 में कर्बला का निर्माण कराया था। यह इराक के इमाम हुसैन के रौजे की हूबहू शबीह है। इसमें ईरानियों ने शीशे की कारीगरी की थी। इसके निर्माण के लिए मिट्टी भी कर्बला से मंगवाई गई थी। हुसैनाबाद ट्रस्ट के ओएसडी फरीद अख्तर ने कहा, \"बड़े इमामबाड़े व अन्य संरक्षित इमारतों की मरम्मत के लिए कई बार एएसआई को पत्र लिखा जा चुका है। खासकर भूल भुलैया की मरम्मत के लिए। अब तक काम शुरू नहीं हुआ है।\"
विश्व प्रसिद्ध देवा मेला एवं प्रदर्शनी का हुआ भव्य उदघाटन
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