वाराणसी में सरकारी तो लखनऊ में निजी स्कूल ज्यादा पसंद By tanveer ahmad2020-01-15

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15-01-2020-
खुशी की पहचान सबको होती है.. बच्चों को भी...। बच्चे शब्दों की अपेक्षा चित्र के जरिए ज्यादा सहज संवाद स्थापित करते हैं। यह तथ्य सामने आया है असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) 2019 के \'अर्ली इयर\' सर्वेक्षण में। रिपोर्ट के अनुसार 4 वर्ष का होने पर लखनऊ में 33 तो वाराणसी में 26 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते जबकि सर्वेक्षण में शामिल देश के 26 जिलों में औसतन  8.7 फीसदी बच्चे ही स्कूल से बाहर हैं। सर्वे की रिपोर्ट मंगलवार को दिल्ली में जारी की गई। लखनऊ में कक्षा एक से तीन तक के 49.43 फीसद बच्चे ही सरकारी स्कूलों में जाते हैं जबकि वाराणसी में ऐसे बच्चों का प्रतिशत 54 है।इस सर्वे में 4 से 8 वर्ष तक के बच्चों को लिया गया। सर्वे में बच्चों की उम्र और नामांकन में विविधता भी दिखी। मसलन एक ही उम्र के बच्चे विभिन्न कक्षाओं में हैं। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 4 व 5 वर्ष के बच्चों को प्री प्राइमरी में पढ़ाने की सिफारिश करती है। मसलन, केरल के थ्रिशूर में 5 वर्ष के से 89.9% बच्चे प्री-प्राइमरी कक्षा में हैं और शेष सभी बच्चे कक्षा 1 में हैं। लेकिन यूपी के लखनऊ में  64.9 व वाराणसी के 67.9 फीसदी बच्चे ही प्री प्राइमरी में है। बाकी कक्षा एक में हैं।सर्वे में यह भी पाया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर 4 वर्ष के लगभग 50 फीसदी व 5 वर्ष के एक चौथाई बच्चे आंगनबाड़ियों में पंजीकृत हैं लेकिन इनमें निजी प्री स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की तुलना में संज्ञानात्मक कौशल की कमी है। हालांकि यूपी में आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चे राष्ट्रीय औसत से काफी कम हैं।  सर्वेक्षण के अनुसार लखनऊ के बच्चों को खुशी, दुख, गुस्सा व डर के चार पिक्चर कार्ड दिखाकर भावों की पहचान करवाई गई तो औसतन 75 फीसदी से ज्यादा बच्चों ने खुशी को पहचान लिया। यदि बात अंक या भाषा ज्ञान की करें तो कक्षा एक के 41.1 फीसदी बच्चे अक्षर पहचाने में नाकाम रहे। वहीं 7.4 फीसद  बच्चे ही थे, जिन्होंने शब्दों की पहचान की। कक्षा 3 के 23.6 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचान पाए। यदि बात अंकों की करें तो कक्षा 3 के 53.8 फीसदी बच्चे 11 से 99 तक के अंकों की पहचान कर लेते हैं।वाराणसी के बच्चों में भाषा, अंकों और अन्य चीजों के बीच समन्वय स्थापित करने की बात की जाए तो कक्षा 54 फीसदी बच्चे चीजें छांटने में सफल रहे। वहीं पैटर्न को पहचानने में 34.7 बच्चे अव्वल रहे। फोटो देख कर उसे बताने में भी 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे सफल रहे। चीजों को छ़ांटने में 5 वर्ष के 76 फीसदी बच्चे सफल रहे।जिलाकक्षासरकारी स्कूलनिजी स्कूललखनऊ141.958.1लखनऊ250.149.9लखनऊ356.343.8वाराणसी148.151.9वाराणसी250.649.4वाराणसी363.436.6देश भर के 26 जिलों में हुआ सर्वे
\'अर्ली इयर\' सर्वे पहली बार देश भर के 24 राज्यों के 26 जिलों में किया गया। यूपी से इसमें लखनऊ और वाराणसी के 60-60 गांवों को शामिल किया गया। सर्वे में लखनऊ के 1207 घरों के 1449 बच्चों और वाराणसी के 1201 घरों के 1615 बच्चे शामिल हुए। \'अर्ली इयर\' यानी 4 साल से 8 साल तक के बच्चों में सीखने-सिखाने का क्या पैटर्न है। इस सर्वे का उद्देश्य प्री प्राइमरी शिक्षा के लिए जमीन तैयार और इसके महत्व को रेखांकित करना है।

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