संन्यासी बनने के लिए पति ने मांगा तीन तलाक By एजेंसी2020-02-20
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20-02-2020-महिला शरई कोर्ट में तीन तलाक के मामले भले ही आने कम हो गए हों पर जो भी आ रहे हैं वह एक से बढ़कर एक हैं। एक केस ऐसा आया है जिसे सुनकर महिला शहर काजी भी चौंक पड़ीं। गृहस्थ जिंदगी से ऊबकर एक पति ने संन्यासी बनने का इरादा किया और पत्नी से तीन तलाक की फरियाद लेकर अपील करने पहुंच गया। उसका कहना था कि अगर ऐसा हो जाए तो हम कहीं दूर चले जाएंगे और फिर कभी गृहस्थ जीवन में लौटकर नहीं आएंगे। उसने यह भी कहा कि तलाक के लिए इसके अलावा दूसरी वजह नहीं है। अब शरई कोर्ट मजहबी जानकारों से सलाह ले रही है कि ऐसे मामले में शरीयत क्या कहती है। यह मुमकिन हो सकता है या नहीं।पटकापुर निवासी 40 वर्षीय व्यक्ति ने कहा कि वह नहीं चाहता कि दुनियाबी माहौल में अपना जीवन गुजारे। रात-दिन अल्लाह से लौ लगाकर अपनी अलग दुनिया में रहना चाहता है। इसके लिए पत्नी को तलाक देना जरूरी है। इसके बदले में पत्नी को आर्थिक रूप से जो भी चाहिए वह दे देगा, पर घर लौटना नहीं चाहता।शौहर अपने हाथ से दवा नहीं खिलाता
महिला शहर काजी डॉ. हिना जहीर की शरई पंचायत में दूसरा दिलचस्प मामला भी आया। इसमें पत्नी ने तलाक के लिए इसलिए आवेदन किया है क्योंकि वह अपने हाथों से उसे दवा नहीं खिलाता है। इसके साथ ही महिला को दवा खाना भी पसंद नहीं है। हालांकि पहली ही काउंसिलिंग से उसे राहत मिल गई पर इस पर आखिरी फैसला होना बचा है।तीन तलाक के मामले कम
महिला शरई कोर्ट लंबे समय से चल रही है लेकिन काफी समय से तीन तलाक के मामले कम हो गए हैं। यदि कोई मामला तलाक से पहले आता है तो निपटारा करा दिया जाता है। इसका सफलता प्रतिशत 99 है। तमाम तीन तलाक के ऐसे मामले भी हैं जिनमें पत्नी न तो थाने जाना चाहती और न ही इसे मानने को तैयार है। इस दौरान कई तरह के आपसी विवाद को हल कराकर जो भी शरई हल निकल सकता है वह कराया जाता है। यह फैसले भी महिलाओं के हक में होते हैं।चमनगंज में भी लगी शरई कोर्ट
दूसरी महिला शहर काजी मारिया फजल ने चमनगंज स्थित सेंटर पार्क के पास शरई कोर्ट लगाई। यहां बुधवार को केस सुने जाने थे लेकिन इक्का-दुक्का मामलों की सुनवाई ही हो सकी। मारिया फजल ने कहा कि आपसी झगड़ों को सौहार्दपूर्ण वातावरण में निपटाया जाए। कोई बात हो तो घर के इंसाफ पसंद बुजुर्ग को बीच में बैठा लिया जाए। जानकारी दी गई कि कानून बनने के बाद से तीन तलाक के मामले अपवाद स्वरूप ही आ रहे हैं। छह माह में दो प्रकरण आए लेकिन हल कर लिए गए।
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