लॉक डाउन में मुर्गी पालन ने किसानों को दिखाई राह, कीट-पतंगों से कर लेंती  हैं भोजन By tanveer ahmad2020-04-10

11903

10-04-2020-
 \r\nलखनऊ। जब कोविड-19 रुपी महामारी में किसानों की आजीविका बुरी तरह से प्रभावित है, वहीं इस समय \'आम\' आधारित देसी मुर्गी पालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।  केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा द्वारा दो वर्ष पूर्व शुरू किये गये फार्मर फस्ट परियोजना खूब फल-फुल रही है। इसका कारण है देसी व कड़कनाथ मुर्गी का पालन, जिसके भोजन के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है। इस संस्था से लखनऊ के निदेशक डाक्टर शैलेन्द्र राजन ने बताया कि आम बागवानों की आय बढ़ाने के लिए मलिहाबाद में दो वर्ष पूर्व आम आधारित मुर्गी पालन की शुरुआत फार्मर फ़र्स्ट परियोजना के अंतर्गत की गयी थी। किसानों को भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली से लाकर बाग में सफलतापूर्वक चलने वाली क़िस्में जैसे कारी-निर्भीक, कड़कनाथ, अशील, कारी देवेन्द्र इत्यादि दी गयी, किन्तु किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये संस्थान ने इन किसानों का एक स्वयं सहायता समूह सहभागिता बनाया, जिसमें 25 किसानों ने भागीदारी की। संस्थान द्वारा उन्हें एक सामुदायिक हैचरी दी गयी। उन्होंने बताया कि जहां एक ओर बायलर चिकन उद्योग लाकडाउन में बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। वहीं ग्रामीण मुर्गी उद्योग इससे ज़्यादा प्रभावित नहीं हुआ है। देसी मुर्ग़ी का वजन जहां धीरे—धीरे बढ़ता है। वहीं वह अपना भोजन कीटों, खरपतवार के बीजों एवं सड़े गले अनाज एवं सब्ज़ियों से प्राप्त करते हैं, जिससे किसानों पर ज़्यादा बोझ नहीं पड़ रहा है।  किसान कड़कनाथ और निर्भीक जैसी क़िस्मों के बच्चे लाक डाउन में तैयार कर रहे हैं, क्योंकि इन क़िस्मों का बाज़ार इन हालातों में बेहतर दिखाई दे रहा है। बायलर की उम्र बेहद सीमित होने के साथ इनकी खुराक का खर्च ज़्यादा आता है। साथ ही इनकी दवाइयों का खर्च भी ज़्यादा आता है। देसी मुर्ग़ियों में रोगों के प्रतिरोधत्मक क्षमता होती है। साथ ही पोषण पर खर्च कम आता है। आपदा की इस हालत में किसानों के लिए ये बेहद लाभप्रद साबित हो रही है। डाक्टर राजन ने बताया कि महामारी के इस दौर में जब बाक़ी किसान भयभीत है।  परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. मनीष मिश्र ने कार्य के समय सामाजिक दूरी के लिये प्रेरित किया। साथ ही किसानों को मास्क एवं सैनेटाइजर दिये। हैचरी प्रबंधन हेतु किसानों की एक टीम पंक्षी अनुसंधान, बरेली में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है। आज सहभागिता के किसान न केवल हैचरी को सैनेटाइज कर रहे है, बल्कि पूरी तरह से विसंकरमित अंडो को बेच रहे हैं और इस आपदाकाल में धन अर्जन कर रहे है। सहभागिता का अपना बैंक खाता है, जिसके माध्यम से ये अपना व्यापार कर रहे है। डा. राजन बताते हैं कि आने वाले समय में स्वयं सहायता समूहों और एफ़पीओ की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। आपदा के समय खेती में किसानों को समूह में जुड़ना बेहद महत्वपूर्ण होगा।

सोशल मीडिया

खबरें ज़रा हट के...

  • विश्व प्रसिद्ध देवा मेला एवं प्रदर्शनी का हुआ भव्य उदघाटन

    18-10-2024-


    डीएम की धर्मपत्नी ने फीता काटकर किया उदघाटन। 

    बाराबंकी। सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के...

    View Article
  • अभिनव ने लगाया श्वेता पर बेटे को होटल में अकेला छोड़कर केप टाउन जाने का आरोप

    08-05-2021-
    पॉपुलर रियलिटी शो खतरों के खिलाड़ी के 11वें सीजन में श्वेता तिवारी भी हिस्सा लेने वाली हैं जिसके लिए एक्ट्रेस...

    View Article
  • पोखरे में मिली युवती की नग्‍न लाश, दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका

    30-04-2021-गोरखपुर। खजनी क्षेत्र के ग्राम पंचायत मऊधरमंगल के सिगरा पोखरे में शुक्रवार को एक युवती की नग्न लाश दिखने...

    View Article
  • रितिक रोशन और दीपिका पादुकोण की फाइटर होगी बॉलिवुड की सबसे महंगी फिल्म?

    20-01-2021-रितिक रोशन के बर्थडे (10 जनवरी) पर उनकी अपकमिंग फिल्म च्फाइटरज् का 30 सेकंड का टीजर रिलीज किया गया। इस फिल्म को लेकर...

    View Article
  • नोरा फतेही ने शेयर किया ग्लैमरस फोटोशूट का वीडियो, हुआ वायरल

    03-01-2021-नई दिल्लीl फिल्म एक्ट्रेस नोरा फतेही ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया हैl यह उनके हालिया फोटोशूट का वीडियो...

    View Article