देश की प्रगति के लिए भारतीय चिंतन आधारित आर्थिक माॅडल आवश्यक: डा. बापट By tanveer ahmad2020-04-24

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24-04-2020-
लखनऊ।  आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डा. वरदराज बापट का मानना है कि भारतीय चिंतन पर आधारित आर्थिक माॅडल से ही कोरोना के चलते खराब हुई देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि कोरोना के कारण भारत समेत पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था करीब एक साल तक प्रभावित रहेगी। डा. वरदराज बापट शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अवध प्रान्त इकाई द्वारा आयोजित आॅनलाइन संवाद कार्यक्रम में भारतीय चिंतन पर आधारित अर्थव्यवस्था पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अर्थ चिंतन और समृद्धि को बड़ा ही महत्व दिया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय चिंतन पर आधारित अर्थव्यवस्था के कारण ही प्राचीन भारत में पहली शताब्दी तक देश की विकास दर यानि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 30 प्रतिशत तक थी। बाद में सत्रहवीं शताब्दी तक यहां की जीडीपी 25 फीसदी तक बरकरार रही। उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा चैपट अंग्रेज शासकों ने किया। उन लोगों ने देश का इतना शोषण किया कि वर्ष 1947 में जब आजादी मिली उस समय भारत की जीडीपी मात्र तीन प्रतिशत रही।  डा. बापट ने बताया कि अठारवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब विश्व में औद्योगिक क्रांति आई, उस समय दुनिया के अधिकतर देशों में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था विद्यमान थी। अधिक से अधिक धन कमाना इस व्यवस्था का मूल उद्देश्य था। इसके कारण श्रमिकों और ग्राहकों का जबरदस्त शोषण हुआ। श्रमिकों को रोज 16 से 18 घंटे काम करने पड़ते थे, लेकिन वेतन बहुत कम था। साप्ताहिक अवकाश भी नहीं दिया जाता था। इस दौरान जब मजदूरों के हित की बात उठी तो माक्र्सवाद या साम्यवाद की अवधारणा ने जन्म लिया और कहा गया कि इस व्यवस्था के तहत समाज में समता लाएंगे और सभी को एक समान वेतन दिया जाएगा। दुनिया में सबसे पहले रुस में यह व्यवस्था लागू हुई। फिर धीरे-धीरे कई देशों ने इसे स्वीकार किया। लेकिन द्वितीय युद्ध के बाद यह व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई क्योंकि मानवाधिकारों का इसमें जमकर हनन हुआ। \r\nडा0 बापट ने कहा कि दुनिया में अब अर्थव्यवस्था के तीसरे विकल्प के बारे में सोचना प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंन कहा कि भारत का अर्थ चिंतन धर्म पर आधारित है। हमारे शास्त्रों में अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ बताये गये हैं, जिनमें अर्थ को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकेंद्रीकृत और सतत विकास पर आधारित है। यहां बचत को अधिक महत्व दिया जाता है। इसके अलावा हमारी कुटुम्ब व्यवस्था बहुत मजबूत है, जो आर्थिक विकास को गति देता है। \r\nसंवाद कार्यक्रम के दौरान डा0 बापट ने कार्यकर्ताओं के कुछ सवालों का भी जवाब दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना से उत्पन्न हुआ संकट भारत सहित पूरी दुनिया में करीब एक साल तक रहेगा। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहतर आर्थिक योजना के तहत काम करना होगा। ग्रामीण विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देना

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