000 करोड़ पहुंचा भिवाड़ी का फार्मा कारोबार, 6 कंपनियों ने नए प्लांट भी डाले By एजेंसी2021-05-13
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13-05-2021-कोरोना काल में भिवाड़ी के फार्मा उद्योगों में कारोबार दोगुना हो गया है। करीब 500 करोड़ रुपए के कुल टर्नओवर वाले यहां की फार्मा कंपनियों का कुल कारोबार 1000 करोड़ रुपए पार कर गया है। फार्मा कारोबार में आए उछाल के बाद छह बड़ी कंपनियों ने तो भिवाड़ी में ही अपने अन्य प्लांट डाल लिए हैं। भिवाड़ी का फार्मा कारोबार दुनियाभर में प्रसिद्ध है।यहां करीब 46 कंपनियों में 15 हजार से अधिक लोग काम करते हैं। कोरोनाकाल में जहां दुनियाभर के उद्योग धंधों को हानि पहुंचाई। वहीं भिवाड़ी का फार्मा उद्योग नित नए आयाम लिखता गया। दवा की बढ़ती मांग के बाद भिवाड़ी की ग्रेक्योर फॉर्मास्युटिकल, एल्कोन, अरविंदो ग्रुप की ओरोनेस्ट, मेडिकामेन, कुसुम हेल्थ केयर व अलका लेबोरेटरी ने अपने नए प्लांट डाल लिए।72 फीसदी कच्चा माल चीन से आ रहा, इसलिए कीमत बढ़ीकेंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार काफी तनातनी के बाद भी दवा उद्योग में चीन की निर्भरता कम नहीं हो पा रही है। गत वर्ष भी भारत को 72 फीसदी से अधिक कच्चा माल चीन से मंगवाना पड़ा। इतना ही नहीं पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर गौर किया जाए कच्चे माल के लिए भारत की चीन पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। सीडीएससीओ के अनुसार दुनियाभर में 80 फीसदी तक जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने वाला भारत कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है। वर्ष 2018 में 66.53, 2019 में 72.40 और साल 2020 में 72.15 फीसदी कच्चा माल चीन से आयात हुआ है।पैरासिटामोल में ढाई गुना की बढ़ोतरी
हालांकि यह भी सही है कि दवा उद्योग में भारत के बढ़ते प्रभाव के बाद अब चीन भी सकपका गया है। उसने कच्चे माल की कीमतों में भी काफी हद तक बढ़ोतरी की है। सालभर पहले तक पैरासिटामोल की गोली के लिए 320 रुपए प्रति किलोग्राम एपीआई उपलब्ध होती थी।लेकिन अब इसमें ढाई गुना तक फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। अब यह माल भारतीय कंपनियों को 700 रुपए प्रति किलोग्राम में मिल रहा है। इसके अतिरिक्त विटामिन ई ऑयल 1400 रुपए किलो से बढ़कर 2200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। प्रिंटिंग भी 570 प्रति फायल बढ़ गई है।रोजगार भी मजदूरों की संख्या भी 15 हजार से 25 हजार हुईइनके नए प्लांट डालने एवं फार्मा उद्योग के दोगुना होने के बाद इस क्षेत्र में मजदूरों की संख्या भी 15 हजार से बढ़कर 25 हजार से अधिक हो गई है। एक्सल लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड के डीजीएम रंजन मेहता ने बताया कि छह बड़ी कंपनियों के बाजार में अपना काम बढ़ाने से निश्चित तौर पर फार्मा उद्योग की हालत मजबूत होगी। अब हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं स्वास्तिक इंडस्ट्रीज की निदेशक नीना भार्गव के अनुसार फार्मा उद्योग अपनी दोगुनी रफ्तार से चल रहा है।
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