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हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा

हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा603

👤18-01-2020-
उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित किया है। इस घटना की जांच के लिए न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुर्कर की अध्यक्षता में यह आयोग गठित किया है। न्यायालय ने कहा कि यह जांच आयोग उन परिस्थितियों की जांच करेगा जिसमे चारों की मृत्यु हुयी और यह भी पता करेगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि ऐसा लगता है कि इस दौरान कोई अपराध हुआ है तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित की जाएगी।पीठ ने जांच आयोग की पहली कार्य शर्त के बारे में कहा कि यह हैदराबाद में छह दिसंबर, 2019 को चार व्यक्तियों -मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलु, जोलु शिवा और जोल्लू नवीन की मृत्यु से संबंधित कथित घटना की जांच करेगा, जिन्हें एक युवा महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और घटना के वक्त वे पुलिस हिरासत में थे।इसी तरह, आयोग की दूसरी कार्य शर्त के बारे मे न्यायालय ने कहा कि वह उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिसकी वजह से इन चार व्यक्तियों की मृत्यु हुई और यह पता लगाएगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है और यदि हां तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेगा। शीर्ष अदालत का यह आदेश हाल ही में न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आयोग के लिए पारिश्रमिक भी निर्धारित किया है। इसके तहत आयोग के अध्यक्ष को प्रति बैठक डेढ़ लाख रुपए और इसके सदस्यों को एक एक लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि जांच के अध्यक्ष और सदस्यों को शीर्ष अदालत के 12 दिसंबर, 2019 के आदेश के अनुसार अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस आयोग में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोन्दूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को इस मामले में पहली सुनवाई की तारीख से छह महीने में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी है। 
🕔 एजेंसी

18-01-2020-
उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय...

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अब ईरान के खिलाफ जंग नहीं छेड़ सकेंगे डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी सदन ने 'कतरे पर'

अब ईरान के खिलाफ जंग नहीं छेड़ सकेंगे डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी सदन ने 'कतरे पर'205

👤10-01-2020-
जनरल कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान में तनातनी जारी है। कासिम की हत्या और इराक में हवाई हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बने हुए हैं। मगर अमेरिका और ईरान के बीच जंग छेड़ने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रोकने के लिए अमेरिकी संसद ने आज प्रस्ताव पारित कर दिया। अमेरिकी संसद के निचले सदन से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के अधिकार सीमित करने का युद्ध शक्ति प्रस्ताव पारित हो गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी नीत अमेरिका की प्रतिनिधिसभा में स्थानीय समयानुसार गुरुवार को वोटिंग के दौरान 224- 194 के बहुमत से मतदान हुआ। प्रस्ताव के पक्ष में 194 वोट पड़े।  इस प्रस्ताव का मतलब है कि अब डोनाल्ड ट्रंप को ईरान के खिलाफ युद्ध का ऐलान करने से पहले कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी। हालांकि, अभी इस प्रस्ताव को ऊपरी सदन में पास होना बाकी है। सदन में इस प्रस्ताव को कांग्रेस नेता एलिसा स्लॉटकिन ने पेश किया। एलिसा इससे पहले सीआईए एनालिस्ट एक्सपर्ट के रूप में काम कर चुकी हैं और  रक्षा विभाग के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में कार्यवाहक असिसटेंट सचिव के रूप में भी सेवा दे चुकी हैं। \r\nइससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा था कि ईरान से युद्ध छेड़ने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रोकने के लिए आज अमेरिकी संसद वोटिंग करेगा। दरअसल, अमेरिकी संसद में ईरान से युद्ध के मसले पर वोटिंग ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों देशों के बीच तनाव काफी गहरा गया है। \r\nअमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के हमले के बाद अमेरिकी संसद में इस पर वोटिंग हुई और ट्रंप के युद्ध शक्तियों को सीमित करने के लिए यह प्रस्ताव पारित किया गया। क्योंकि बुधवार को ईरान ने कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर करीब दर्जन भर मिसाइलें दागी थीं। ईरान का दावा है कि उसके मिसाइल हमले में अमेरिका के करीब 80 सैनिक मारे गए हैं, मगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस दावे को खारिज कर दिया है और कहा है कि इस हमले में उनका कोई नुकसान नहीं हुआ है। \r\nबता दें कि ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी से मध्य पूर्व क्षेत्र (खाड़ी देशों) में युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। इससे खाड़ी देश में हालात बदतर होते जा रहे हैं। इस बीच दुनिया के कईं देश पक्ष-विपक्ष में बंटते नजर आ रहे हैं। अगर ईरान-अमेरिका के बीच युद्ध जैसे हालात बनते हैं तो इसके बुरे परिणाम पूरी दुनिया को देखने भुगतने पड़ सकते हैं।
🕔 एजेंसी

10-01-2020-
जनरल कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान में तनातनी जारी है। कासिम की हत्या और इराक में हवाई हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बने हुए हैं।...

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CAA, NPR पर 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने लिखा खुला खत

CAA, NPR पर 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने लिखा खुला खत63

👤10-01-2020-
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियों का उल्लेख करते हुए 106 पूर्व नौकरशाहों ने गुरुवार को लोगों को एक खुला पत्र लिखकर कहा कि एनपीआर और एनआरआईसी \'अनावश्यक और व्यर्थ की कवायद है जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को दिक्कतें होंगी।\' इन पूर्व नौकरशाहों में दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, तत्कालीन कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं। इन लोगों ने साथी नागरिकों से केंद्र सरकार से इस पर जोर देने का आग्रह किया है कि वह राष्ट्रीय पहचानपत्र से संबंधित नागरिकता कानून 1955 की प्रासंगिक धाराओं को निरस्त करे।पत्र का शीर्षक है \'भारत को सीएए..एनपीआर..एनआरआईसी की जरुरत नहीं।\' इस पत्र में लिखा है, \'सीएए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को लेकर हमारी गंभीर आपत्ति है जिसे हम नैतिक रूप से असमर्थनीय भी मानते हैं। हम इस पर जोर देना चाहेंगे कि यह कानून भारत की जनसंख्या के एक बड़े वर्ग में आशंकाएं उत्पन्न करेगा जो जानबूझकर मुस्लिम धर्म को उसके दायरे से बाहर करता है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 22 दिसम्बर को दिल्ली में एक जनसभा में दिया गया बयान कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरआईसी) एकदूसरे से जुड़े नहीं हैं, उनके गृहमंत्री (अमित शाह) द्वारा विभिन्न मंचों पर बार बार दिये गए बयानों के वितरीत है।पत्र में लिखा है, \'ऐसे समय जब देश की आर्थिक स्थिति पर देश की सरकार की ओर से गंभीर ध्यान दिये जाने की जरूरत है, भारत ऐसी स्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकता जिसमें नागरिकों और सरकार के बीच सड़कों पर टकराव हो। पत्र में लिखा है, \'ना ही ऐसी स्थिति वांछित है जिसमें बहुसंख्यक राज्य सरकारें एनपीआर या एनआरआईसी लागू करने को तैयार नहीं हैं जिससे केंद्र और राज्य के संबंधों में एक गतिरोध उत्पन्न हो...।
     
इसमें लिखा है, \'हम एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होने का खतरा महसूस करते हैं जिसमें भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सद्भावना खोने और निकट पड़ोसियों से उसके संबंध खराब हो सकते हैं जिसके उप महाद्वीप में सुरक्षा परिदृश्य के लिए प्रतिकूल परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं। सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और एनआरआईसी की कोई जरूरत नहीं है। पत्र में लिखा है, \'पूर्व नौकरशाहों के हमारे समूह का यह दृढ़ता से मानना है कि एनपीआर और एनआरआईसी \'अनावश्यक और व्यर्थ की कवायद है\' जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को दिक्कतें होंगी। इससे सार्वजनिक व्यय होगा और बेहतर होगा कि उसे गरीबों और समाज के वंचित वर्गों की लाभकारी योजनाओं पर खर्च किया जाए।
     
इसमें कहा गया कि इससे नागरिकों की निजता के अधिकार का भी अतिक्रमण होगा क्योंकि इसमें काफी सूचना ली जाएगी जैसे आधार, मोबाइल नम्बर और मतदाता पहचानपत्र, जिसके दुरुपयोग की आशंका है। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों से लोगों द्वारा जरूरी जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने की जल्दबाजी करने की चिंताजनक खबरें पहले ही आ रही हैं।पत्र में लिखा गया है कि सीएए के प्रावधानों के साथ ही पिछले कुछ वर्षों से इस सरकार के उच्च स्तरों से आक्रामक बयानों ने देश के मुसलमानों के बीच गहरी बेचैनी पैदा की है, जो पहले से ही \'लव जिहाद, मवेशी तस्करी और गोमांस सेवन जैसे आरोपों से जुड़े मुद्दों को लेकर भेदभाव और हमलों का सामना कर रहे हैं।  पत्र में लिखा गया है, \'हाल के दिनों में मुस्लिम समुदाय को उन राज्यों में पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है जहां स्थानीय पुलिस केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टी द्वारा नियंत्रित है। यह इस व्यापक आशंका को और मजबूत करता है कि एनपीआर.. एनआरआईसी कवायद का इस्तेमाल विशिष्ट समुदायों और व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।\'पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने लोगों से सरकार से यह भी आग्रह करने के लिए कहा है कि वह विदेशी (न्यायाधिकरण) संशोधन आदेश, 2019 के साथ ही डिटेंशन कैंप निर्माण के सभी निर्देश वापस ले और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 को रद्द करे। पत्र में इन लोगों ने विदेशी (न्यायाधिकरण) संशोधन आदेश, 2019 के तहत विदेश न्यायाधिकरण और डिटेंशन कैंप व्यापक रूप से स्थापित किये जाने पर भी सवाल उठाया है।
🕔 एजेंसी

10-01-2020-
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियों का उल्लेख करते हुए 106 पूर्व नौकरशाहों ने गुरुवार को लोगों को एक खुला पत्र लिखकर कहा कि एनपीआर और एनआरआईसी...

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आर्टिकल 370: जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

आर्टिकल 370: जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला601

👤10-01-2020-
जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के बाद इस पूर्व राज्य में लगाये गये प्रतिबंधों के खिलाफ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनायेगा। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने इन प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 27 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद वहां लगाये गये प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था। केन्द्र ने न्यायालय में कहा था कि सरकार के एहतियाती उपायों की वजह से ही राज्य में किसी व्यक्ति की न तो जान गई और न ही एक भी गोली चलानी पड़ी।गुलाम नबी आजाद के अलावा, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य ने घाटी में संचार व्यवस्था ठप होने सहित अनेक प्रतिबंधों को चुनौती देते हुये याचिकाएं दायर की थीं।केन्द्र ने कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा का हवाला देते हुये कहा था कि कई सालों से सीमा पार से आतंकवादियों को यहां भेजा जाता था, स्थानीय उग्रवादी और अलगावादी संगठनों ने पूरे क्षेत्र को बंधक बना रखा था और ऐसी स्थिति में अगर सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिये एहतियाती कदम नहीं उठाती तो यह \'मूर्खता\' होती।दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अनेक प्रावधान खत्म कर दिये थे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त हो गया था- लद्दाख और कश्मीर। 
🕔 एजेंसी

10-01-2020-
जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के बाद इस पूर्व राज्य में लगाये गये प्रतिबंधों के खिलाफ कांग्रेस के नेता गुलाम...

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अमेरिका, ईरान के बीच जारी तनाव से गहराया संकट, तेल की कीमतों में इजाफा

अमेरिका, ईरान के बीच जारी तनाव से गहराया संकट, तेल की कीमतों में इजाफा30

👤08-01-2020-
ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा दर्ज किया गया है। न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार दोनों देश के बीच आई तल्खी के बाद बुधवार की सुबह कच्चे तेल की कीमतों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। \r\nइससे पहले सोमवार को बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया था। इससे पहले सितंबर में सऊदी अरामको पर हमले के बाद ब्रेंट का भाव 70 डॉलर से ऊपर उछला था।\r\nअमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से खाड़ी क्षेत्र में फौजी तनाव गहराता जा रहा है। कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं से दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। अंतरार्ष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 3.5 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है।\r\nभारतीय वायदा बाजार में कच्चे तेल के भाव में उछाल आया है। मंगलवार को कच्चा तेल 0.77 प्रतिशत गिरकर 4,503 रुपये प्रति बैरल पर आ गया। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव के मद्देनजर पिछले कारोबारी दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी थी।\r\nमल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चा तेल जनवरी डिलीवरी 35 रुपये यानी 0.77 प्रतिशत गिरकर 4,503 रुपये प्रति बैरल के भाव पर आ गया। इसमें 23,748 लॉट का कारोबार हुआ। फरवरी डिलीवरी कच्चा तेल में भी 38 रुपये यानी 0.84 प्रतिशत नरमी दर्ज की गयी और यह 4,498 रुपये प्रति बैरल पर आ गया। इसमें 922 लॉट का कारोबार हुआ।\r\nविश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिकी हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद बाजार ईरान के अगले कदम का इंतजार कर रहा है। इस हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है।
🕔 एजेंसी

08-01-2020-
ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा दर्ज किया गया है। न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार दोनों देश के बीच आई तल्खी के बाद बुधवार की सुबह कच्चे...

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अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हमला

अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हमला130

👤08-01-2020-
अमेरिका के साथ तल्खी के बीच ईरान में आज काफी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। आज यानी बुधवार की सुबह ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया और करीब 1 दर्जन मिसाइलें दागीं। इसके बाद अमेरिका ने भी इस बात की पुष्टि की है। इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरानी हमले के बाद यूक्रेन का एक प्लेन राजधानी तेहरान में क्रैश हो गया, जिसमें करीब 180 लोग सवार थे। हालांकि, अब तक न तो ईरान के हमले में किसी नुकसान की खबर आई है और न ही प्लेन क्रैश में। ईरान में इसके बाद एक और घटना देखने को मिली। ईरान में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। ईरान में 4.9 की तीव्रता से भूकंप आया। फिलहाल, टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तल्खी जारी है। तो चलिए जानते हैं आज ईरान में क्या-क्या हो रहा है....US vs Iran row LIVE UPDATES:
यूक्रे में प्लेन क्रैश:
यूक्रेन का एक विमान बुधवार को तेहरान के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 180 यात्री सवार थे। ईरानी सरकारी टीवी ने यह जानकारी दी। अभी तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। खबर के अनुसार विमान ने इमाम खमनेई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी। बताया जा रहा है कि तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटना होने की आशंका है। नागरिक उड्डयन के प्रवक्ता रजा जफरजादेह ने बताया कि तेहरान के दक्षिण-पश्चिमी इलाके में जांच दल मौजूद है।अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर ईरान का हमला:
ईरान ने इराक स्थित ऐसे कम से कम दो सैन्य अड्डों पर एक दर्जन से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी जहां अमेरिकी सेना और उसके सहयोगी बल ठहरे हुए हैं। बगदाद में अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। सुलेमानी पर हमले का आदेश शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दिया था। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रम्प को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है और वह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन ने ईरान के मिसाइल हमले की पुष्टि करते हुए कहा, \'हम युद्ध में हुए प्रारंभिक नुकसान का आकलन कर रहे हैं।\'ईरान में भूकंप:
ईरान में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। ईरान के बुशहर में 4.9 तीव्रता से भूकंप आया है। यह जानकारी संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने दी है। 
🕔 एजेंसी

08-01-2020-
अमेरिका के साथ तल्खी के बीच ईरान में आज काफी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। आज यानी बुधवार की सुबह ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया और करीब 1 दर्जन...

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निर्भया को न्याय: 7 साल 22 दिन बाद दरिंदों की मौत पर मुहर

निर्भया को न्याय: 7 साल 22 दिन बाद दरिंदों की मौत पर मुहर413

👤08-01-2020-
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड में अदालत ने मंगलवार को चारों दरिंदों को डेथ वारंट यानी फांसी देने का समय तय कर दिया। सात साल पुराने मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों अक्षय सिंह, विनय कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और पवन गुप्ता को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी देने का आदेश दिया।\r\n16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली इलाके में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा ‘निर्भया’ से गैंगरेप किया गया था। 29 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। \r\nछह आरोपी हुए थे गिरफ्तार : इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक नाबालिग भी था। उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था। एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी।\r\nमां की अर्जी : पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने पीड़िता की मां और दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर यह आदेश दिया। इसमें दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी।\r\n14 दिन का वक्त : अदालत ने दोषियों को कानूनी औपचारिकताएं पूरा करने के लिए 14 दिन का वक्त दिया है। दोषियों ने जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुना।\r\n22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले  चारों दोषियों को फांसी देने का अदालत ने आदेश दिया। \r\nलंबा इंतजार
* 80 लोगों को बनाया था दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गवाह।
* 15 दिन में दिल्ली पुलिस ने तैयार कर दी थी चार्जशीट।
* 252 दिन तक निचली अदालत में चला था निर्भया दरिंदगी का मामला।
* 158 दिन तक दिल्ली उच्च न्यायालय में होती रही मामले की सुनवाई।
* 1008 दिन उच्चतम न्यायालय में भी चली थी मामले की सुनवाई।
* 07 साल 22 दिन बाद अदालत से चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी।
🕔 एजेंसी

08-01-2020-
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड में अदालत ने मंगलवार को चारों दरिंदों को डेथ वारंट यानी फांसी देने का समय तय कर दिया। सात साल पुराने मामले में पटियाला हाउस कोर्ट...

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निर्भया को न्याय: 7 साल 22 दिन बाद दरिंदों की मौत पर मुहर

निर्भया को न्याय: 7 साल 22 दिन बाद दरिंदों की मौत पर मुहर940

👤08-01-2020-
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड में अदालत ने मंगलवार को चारों दरिंदों को डेथ वारंट यानी फांसी देने का समय तय कर दिया। सात साल पुराने मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों अक्षय सिंह, विनय कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और पवन गुप्ता को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी देने का आदेश दिया।\r\n16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली इलाके में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा ‘निर्भया’ से गैंगरेप किया गया था। 29 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। \r\nछह आरोपी हुए थे गिरफ्तार : इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक नाबालिग भी था। उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था। एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी।\r\nमां की अर्जी : पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने पीड़िता की मां और दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर यह आदेश दिया। इसमें दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी।\r\n14 दिन का वक्त : अदालत ने दोषियों को कानूनी औपचारिकताएं पूरा करने के लिए 14 दिन का वक्त दिया है। दोषियों ने जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुना।\r\n22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले  चारों दोषियों को फांसी देने का अदालत ने आदेश दिया। \r\nलंबा इंतजार
* 80 लोगों को बनाया था दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गवाह।
* 15 दिन में दिल्ली पुलिस ने तैयार कर दी थी चार्जशीट।
* 252 दिन तक निचली अदालत में चला था निर्भया दरिंदगी का मामला।
* 158 दिन तक दिल्ली उच्च न्यायालय में होती रही मामले की सुनवाई।
* 1008 दिन उच्चतम न्यायालय में भी चली थी मामले की सुनवाई।
* 07 साल 22 दिन बाद अदालत से चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी।
🕔 एजेंसी

08-01-2020-
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड में अदालत ने मंगलवार को चारों दरिंदों को डेथ वारंट यानी फांसी देने का समय तय कर दिया। सात साल पुराने मामले में पटियाला हाउस कोर्ट...

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उल्टा पड़ा अमेरिका का दांव! हमले ने ईरान के इस्लामिक सहयोगियों को किया एकजुट

उल्टा पड़ा अमेरिका का दांव! हमले ने ईरान के इस्लामिक सहयोगियों को किया एकजुट579

👤07-01-2020-
अमेरिका ने पश्चिम एशिया में ईरान के प्रभाव को कम करने के मकसद से जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इस्लामी गणराज्य के सहयोगी इस घटना के बाद से और एकजुट हो गए हैं। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कुद्स फोर्स के प्रमुख के तौर पर सुलेमानी, लेबनान और इराक से सीरिया और यमन तक क्षेत्रीय सत्ता संघर्षों में तेहरान के हस्तक्षेप को देखते थे। अमेरिका को उम्मीद थी कि ड्रोन हमले में सुलेमानी के मारे जाने से ईरान और उसके प्रतिनिधियों के नेटवर्क को झटका लगेगा लेकिन उसकी यह योजना उस पर भारी पड़ती दिख रही है क्योंकि इसने ईरान के समर्थकों को एकजुट कर दिया है। इस्लामी आंदोलनों को समझने वाले लेबनान के विशेषज्ञ कासिम कासिर ने कहा, “हमले ने प्रतिरोधी बलों को एकजुट कर दिया है और अमेरिका से निपटने को प्राथमिकता बना दिया है।” कासिर ने कहा, “यह हत्याकांड एक रणनीतिक गलती थी, और इस पर प्रतिक्रिया इराक से ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र से मिलेगी।” इराक में धुर अमेरिका विरोधी सशस्त्र धड़े कताएब हिज्बुल्ला ने कहा कि यह हमला, “क्षेत्र में अमेरिकी मौजूदगी के खत्म होने की शुरुआत है।”

🕔 एजेंसी

07-01-2020-
अमेरिका ने पश्चिम एशिया में ईरान के प्रभाव को कम करने के मकसद से जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इस्लामी गणराज्य के सहयोगी इस घटना के बाद...

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'पाकिस्तान में एक तरह का ना दिखाई देने वाला मार्शल लॉ लागू है'

'पाकिस्तान में एक तरह का ना दिखाई देने वाला मार्शल लॉ लागू है'959

👤06-01-2020-विभिन्न देशों में रह रहे असंतुष्ट पाकिस्तानी नागरिकों ने वॉशिंगटन में आयोजित एक सम्मेलन में एकत्र होकर पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कम होने की स्थिति में वहां मानव अधिकारों, बहुलवादी विचारों और लोकतंत्र को समर्थन देने के विभिन्न तरीकों के बारे में चर्चा की।एक बयान में कहा गया है कि दो दिनों तक चली इस चर्चा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने की और यह सम्मेलन रविवार (5 जनवरी) को समाप्त होगा।उदारवादियों और बलोच, सिंधी, पश्तून और सेराकी सहित कई समुदाय से जुड़े प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया और पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को मार्शल लॉ लागू होने जैसा बताया।इस सम्मेलन में विद्वान, पत्रकार, ब्लॉगर्स और सोशल मीडिया में सक्रिय रहने वाले लोगों ने इस सम्मेलन में भाग लिया गया जिनमें से कई निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यह सम्मेलन पाकिस्तानियों के एक समूह साउथ एशियन्स अगेन्स्ट टेरेरिज्म एण्ड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) द्वार चौथी बार आयोजित किया गया है।सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख प्रतिभागियों में पूर्व सीनेटर अफरासियाब खट्टक, पूर्व राजदूत कामरान शफी, डेली टाइम्स के पूर्व संपादक राशिद रहमान, पत्रकार ताहा सिद्दीकी, गुल बुखारी, मारवी सर्मेड और कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल शामिल थे। इसके पहले साथ सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2016 और 2017 में लंदन में और 2018 में वाशिंगटन डीसी में किया गया था।
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06-01-2020-विभिन्न देशों में रह रहे असंतुष्ट पाकिस्तानी नागरिकों ने वॉशिंगटन में आयोजित एक सम्मेलन में एकत्र होकर पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कम होने की स्थिति में वहां...

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    18-10-2024-


    डीएम की धर्मपत्नी ने फीता काटकर किया उदघाटन। 

    बाराबंकी। सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के...

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    08-05-2021-
    पॉपुलर रियलिटी शो खतरों के खिलाड़ी के 11वें सीजन में श्वेता तिवारी भी हिस्सा लेने वाली हैं जिसके लिए एक्ट्रेस...

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    30-04-2021-गोरखपुर। खजनी क्षेत्र के ग्राम पंचायत मऊधरमंगल के सिगरा पोखरे में शुक्रवार को एक युवती की नग्न लाश दिखने...

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    20-01-2021-रितिक रोशन के बर्थडे (10 जनवरी) पर उनकी अपकमिंग फिल्म च्फाइटरज् का 30 सेकंड का टीजर रिलीज किया गया। इस फिल्म को लेकर...

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  • नोरा फतेही ने शेयर किया ग्लैमरस फोटोशूट का वीडियो, हुआ वायरल

    03-01-2021-नई दिल्लीl फिल्म एक्ट्रेस नोरा फतेही ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया हैl यह उनके हालिया फोटोशूट का वीडियो...

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