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पार्टी लाइन के कारण फैसले पर नहीं कर पा रहे खुशी का इजहार

पार्टी लाइन के कारण फैसले पर नहीं कर पा रहे खुशी का इजहार555

👤10-11-2019-अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार को दिन भर लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। सामान्य दिनों की अपेक्षा, थोड़ी-भीड़ जरूर थी लेकिन अपने उत्साह को दबाए हुए नजर आई। अयोध्या में राममंदिर निर्माण के पक्ष में आए कोर्ट के फैसले के बावजूद पार्टी में पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपनी खुशी खुलकर जाहिर नहीं कर पा रहे थे। पदाधिकारी एक-दूसरे को बधाई भी धीमी आवाज में दे रहे थे। हमेशा सुर्खियों में रहने की चाहत रखने वाले प्रवक्ता भी शनिवार को बोलने से कतरा रहे थे।\r\nहालांकि, केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने आधिकारिक रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं को फैसले पर कोई खुशी जैसी  प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर रोक नहीं लगाई थी। भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल लगातार दिल्ली के संपर्क में थे। वह चाहते थे कि दिल्ली से अनुमति के बाद ही यहां भी उसी लाइन पर भाजपा प्रवक्ता बोलें। दोपहर बाद सुनील बंसल के यहां से निर्देश लेकर आए पार्टी के प्रदेश महामंत्री ने दोपहर में पार्टी के प्रवक्ताओं के साथ बैठक कर कहा कि मीडिया के बीच केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ही बयानों के आधार पर बोलें, इसके इतर कुछ न बोलें। पार्टी नेतृत्व ने फैसले पर उत्साह में आतिशबाजी करने और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाने और नारेबाजी करने पर अघोषित रूप से रोक लगा दी है। पार्टी नेतृत्व ने यह कहा कि जब ऊपर से कोई निर्देश आएगा, तभी कुछ आगे किया जाएगा।  इसलिए पदाधिकारी सार्वजनिक रूप से नहीं एक-दूसरे को कमरों में जाकर बधाई दे रहे थे। भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के यहां बधाई देने वाले पदाधिकारियों का तांता लगा हुआ था। पार्टी पदाधिकारी फैसले की बारीकियों पर एक-दूसरे से बात करते दिखे।
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार को दिन भर लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। सामान्य दिनों की अपेक्षा, थोड़ी-भीड़ जरूर...

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अयोध्या फैसला: मस्जिद के नीचे था एक मंदिर, ASI से पहले यूपी पुरातत्व विभाग ने दिए थे सुबूत

अयोध्या फैसला: मस्जिद के नीचे था एक मंदिर, ASI से पहले यूपी पुरातत्व विभाग ने दिए थे सुबूत808

👤10-11-2019-अयोध्या में विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की खुदाई से पहले उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच अपने सर्वेक्षण में यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। यही तथ्य उच्चतम न्यायालय में अहम आधार साबित हुए। उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक डॉ. राकेश तिवारी की मानें तो अयोध्या में विवादित स्थल पर वर्ष 1528 में मीर बाकी द्वारा बनाई गई बाबरी मस्जिद के निर्माण में टूटे हुए मंदिर के अवशेष लगाए गए थे। तिवारी ने राज्य का पुरातत्व निदेशक रहते हुए 1990 में उच्च न्यायालय के आदेश पर विवादित ढांचे के भीतर और बाहर के हिस्सों का दस्तावेज तैयार किया था। इस दस्तावेज में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर वहां मिले चिन्हों, अवशेषों की एक सूची बनाई थी। इसमें करीब 100 रंगीन और श्वेत-श्याम फोटोग्राफ शामिल थे। तिवारी 1989 से 2013 तक उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग में थे और वहां के निदेशक भी रहे। वर्ष 2013 में इस पद से रिटायर होने के बाद वह 2014 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक भी बने और इस पद पर उन्होंने 2017 तक कार्य किया। डॉ. तिवारी ने \'हिन्दुस्तान\' से खास बातचीत में बताया कि विवादित ढांचे के भीतर पत्थर के करीब 14 खम्भे थे। इन खम्भों पर योगासन की मुद्रा में खंडित मूर्ति, कलश व मंदिर के अन्य अवशेष लगे हुए थे। यह पूरी सामग्री उन्होंने तत्कालीन प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय को सौंपी थी। इसके बाद 1990 से 1992 के दौरान (विवादित ढांचे के विध्वसं से पूर्व) डॉ. राकेश तिवारी ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के निर्देश पर विवादित स्थल के आसपास करवाए जा रहे समतलीकरण के कार्यों को दस्तावेज़ के रूप में बनाया था।\r\nपुरातत्व विभाग की टीम को प्रदेश सरकार ने वहां जाकर दस्तावेजीकरण के आदेश दिए थे। डॉ. तिवारी बताते हैं कि दस्तावेज तैयार करने के दरम्यान वहां विवादित स्थल के आसपास समतलीकरण के दौरान की गई खुदाई में शिव की त्रिशूल वाली मूर्ति मिली, नागा शैली के मंदिर के अवशेष मिले। इनमें ‘आमलक’ मुख्य था जो मंदिर के शिखर पर लगाया जाता है और आंवले के आकार का होता है। 6 दिसम्बर 1992 को जब विवादित ढांचा ढहा दिया गया तो कारसेवक उसका मलबा उठाकर रामकथा कुंज ले गए थे।\r\nयूपी पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने बताया, \"यूपी पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। हमने हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर अवशेषों की एक सूची बनाई थी।\"
🕔 एजेंसी

10-11-2019-अयोध्या में विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की खुदाई से पहले उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच अपने सर्वेक्षण में यह तथ्य खोज निकाले...

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अयोध्या निर्णय: संयम बरतने की मिसाल बनी 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम' की नगरी

अयोध्या निर्णय: संयम बरतने की मिसाल बनी 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम' की नगरी685

👤10-11-2019-देश की शीर्ष अदालत ने शनिवार सुबह अयोध्या पर जो फैसला सुनाया उसका इंतजार तो राम की नगरी के लोगों कोजाने कब से था। बरसों बाद मनचाही मुराद पूरी होने पर उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहना भी लाजिमी था। उन्होंने अपनी खुशी जताई भी लेकिन मर्यादा में रहकर अपनी भावनाएं व्यक्त करने की मिसाल भी पेश की। ये वही अयोध्या है जहां विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना ने पूरे देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ दिया था। एक दिन पहले जैसे ही साफ हुआ कि शनिवार सुबह फैसला आ जाएगा, रामनगरी में कुछ खामोशी छाई दिखी, सुरक्षा बलों की गश्त भी बढ़ गई थी। मगर, गंगा-जमुनी तहजीब में जीती अयोध्या सुबह अपने ढर्रे पर ही चलती दिखी। मंदिरों और मठों में घंटे-घड़ियाल बज रहे थे और लोग दर्शन-पूजन में व्यस्त रहे। दुकानें भी आम दिनों की तरह ही खुली रहीं। बाहर से आएकुछ श्रद्धालु जरूर कसमकश में दिखे और अपने घरों को लौटते दिखे।\r\nफैसले के समय ओढ़ी खामोशी
ऐन फैसला आने के समय अयोध्या थोड़ी खामोशी ओढ़े नजर आई। सभी की नजरें कोर्ट पर टिकी थीं। लेकिन 11 बजते-बजते फैसले को पूरी तरह सुनने समझने के बाद लोगों ने घरों से निकलना शुरू किया। बाहर निकलने पर किसी ने न तो अति उत्साह दिखाया और न ही गुस्से का इजहार किया। नुक्कड़-चौराहों पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। इक्का-दुक्का स्थानों पर अति उत्साही युवा रामलला के जयकारे लगाते नजर आए। लेकिन कुल मिलाकर ऐसा कुछ भी करने से परहेज करते नजर आए तो अमन-चैन को बिगाड़ने वाला हो।\r\nफैसले के बाद सरयू तट पर उमड़ी भीड़
फैसले के करीब घंटे भर बाद सरयू नदी के तट पर श्रद्धालु जुटने लगे। शाम को लोगों ने यहां अपने खुशी जताने के लिएजगह-जगह भंडारे का आयोजन किया। तट पर उपस्थित तीर्थ पुरोहित जगदंबा प्रसाद पांडेय ने बताया कि एक दिन पहले रात को पुलिस ने यहां स्थानीय लोगों को छोड़कर किसी के आने पर रोक लगा दी थी।\r\nऔर सबने अपने घरों पर दीये जलाए
फैसले के बाद सरयू तट पर पहली आरती में बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों ने मंदिर बनाने के फैसले पर अपनी खुशी का इजहार किया। साथ ही अपने-अपने घरों पर दीये भी जलाए। घाट से लेकर हनुमान गढ़ी तक की हर दुकान और गली दीये की रोशनी से यूं नहा उठी, मानों अयोध्या फिर दीवाली मना रही हो। फैसले का अयोध्या में हिन्दू व मुस्लिम पक्षकारों ने खुले दिल से स्वीकार किया। विराजमान रामलला के अभिन्न मित्र त्रिलोकीनाथ पांडेय ने कहा कि यह बड़ी खुशी का दिन है।
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-देश की शीर्ष अदालत ने शनिवार सुबह अयोध्या पर जो फैसला सुनाया उसका इंतजार तो राम की नगरी के लोगों कोजाने कब से था। बरसों बाद मनचाही मुराद पूरी होने पर उनकी खुशी का कोई ठिकाना...

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ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या के युवाओं की आंखें क्यों चमक उठीं

ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या के युवाओं की आंखें क्यों चमक उठीं 19

👤10-11-2019-सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से अयोध्या वासियों की आंखें चमक उठी हैं और उन्हें विकास का सपना दिखने लगा है। अधिकतर लोगों और ख़ासकर हनुमान गढ़ी के आसपास के दुकानदार कहते हैं कि अब मंदिर बनने के साथ ही यहां विकास भी बढ़ेगा। पर्यटन बढ़ जाएगा जिससे रोज़गार भी बढ़ेगा। यही 20 साल से दुकान कर रही नेहा श्रीवास्तव कहती है कि अयोध्या ने हमेशा संघर्ष ही देखा है। अब एक आधार बना है जो अयोध्या के विकास के साथ ही यहां के लोगों की जिंदगी भी बदलेगा। सब मिलकर लिखेंगे नई कहानी: फ़ैसले के पहले अयोध्या में मिले फैय्याज ने कहा कि हम लोगों के बीच कोई बैर नहीं है। हर किसी का सम्मान करना है। फ़ैसले के बाद नया घाट के पास फूल बेचने वाले राम कुमार कहते है -फ़ैसले का स्वागत है और इसे लेकर लड़ने की ज़रूरत नहीं है। अब सब लोग मिल कर नई कहानी लिखेंगे। अब दौर भी बदल चुका है । लोग अब सिर्फ़ विकास चाहते है। रज़ाई भरने वाले ज़हीर का कहना है कि फ़ैसले का सम्मान है। बस अब जो भी हो उसमें विकास ज़रूर जुड़ा रहे।होटल उद्योग बढ़े: बीटेक कर रहे गौरव सिंह कहते है कि ऐतिहासिक फ़ैसला आया है। अब उम्मीद है कि होटल उद्योग बढ़ेगा। छावनी बन गई हनुमान गढ़ी: राम नगरी में शनिवार सुबह छावनी बनी हनुमान गढ़ी में हर किसी को बेरोकटोक प्रवेश मिलता रहा पर फ़ैसला आने के दो घंटे पहले हनुमानगढ़ी पर सख़्ती बढ़ गयी।  रामजन्म भूमि मार्ग पर भी चौकसी कड़ी कर दी गई । 
सर, फ़ैसला आना शुरू हो गया: अधिकारी आपस में चर्चा कर रहे थे इसी बीच सीओ ने कहा कि सर फ़ैसला आना शुरू हो गया है बस तुरंत ही अफ़सरों ने वायरलेस पर अलग-अलग टुकड़ियों को मैसेज करना शुरू कर दिया कि सब अलर्ट रहें। हेलीकॉप्टर से भी निगरानी 
दोपहर दो बजे हेलीकॉप्टर से भी अयोध्या में भी सुरक्षा की निगरानी की गई। इसके अलावा थोड़ी थोड़ी देर पर आरएएफ़ और पुलिस पीएसी के जवान मार्च करते रहे। महिला पुलिस फ़ोर्स का भी काफ़लिा अलग से अयोध्या परिसर के आसपास निकलता रहा।  
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से अयोध्या वासियों की आंखें चमक उठी हैं और उन्हें विकास का सपना दिखने लगा है। अधिकतर लोगों और ख़ासकर हनुमान गढ़ी के आसपास के दुकानदार कहते हैं कि अब...

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भाजपा-सपा को संजीवनी, कांग्रेस को नुकसान के आसार

भाजपा-सपा को संजीवनी, कांग्रेस को नुकसान के आसार331

👤10-11-2019-अयोध्या विवाद में फैसला आने के बाद सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। सियासी जानकार इसे जहां भाजपा के लिए एक बार फिर फायदे का सौदा करार दे रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस के लिए संघर्ष की राजनीति के दिन अभी खत्म होते नहीं दिख रहे।   कुछ ऐसी ही हालत मुस्लिम मतों के लिए हाथ-पैर मारने की कवायद में जुटी बहुजन समाज पार्टी की भी है। वैसे पूरे अयोध्या प्रकरण को राजनीतिक नफा- नुकसान के नजरिए से देखा जाए तो भाजपा के लिए यह मुद्दा एक बार फिर संजीवनी बन सकता है।  इसका फायदा उसे आने वाले दिनों में मिल सकता है। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी इस मुद्दे से मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने में सफलता पाई लेकिन कांग्रेस लगातार इससे नुकसान में ही रही। सपा फैसले के बाद ऊहापोह में
भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी ही ऐसा दल रहा जिसे अयोध्या मुद्दे ने संजीवनी दी। भाजपा के आयोध्या आंदोलन के मुखर विरोध के चलते समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा मुलायम सिंह की पार्टी को चार बार सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला। फैसले के बाद अब कयास लगाया जाने लगा है कि सपा को एक बार नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी। मौजूदा वक्त में सपा पहले वर्ष 2017 में कांग्रेस और वर्ष 2019 में बसपा से गठबंधन के बाद खुद को अकेले लड़ने के लिए तैयार कर रही थी। फैसले से उसके इस प्रयास को झटका लग सकता है।
 
भाजपा को फिर फायदे की उम्मीद
जानकारों की मानें तो भाजपा के लिए एक बार फिर नफे की जमीन तैयार होती नज़र आ रही है। भाजपा इसी मुद्दे के भरोसे शून्य से शिखर तक पहुंची और केंद्र व उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। यह बात दीगर है कि वक्त के साथ उसके एजेंडे में राममंदिर मुद्दा मुखर रूप से शामिल नहीं रहा लेकिन संघ व उसके आनुषंगिक संगठन इसे जरूर मुद्दा बनाए रहे और पार्टी इसे पर सधी रणनीति अपनाए रही। अब इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर वर्ष 2022 में सत्ता तक पहुंचने की कोशिश करे तो हैरत नहीं।
 
अब तक नुकसान में रही कांग्रेस को दिखी नई उम्मीद
संयोग देखिए। ठीक 30 साल पहले आज ही के दिन 9 नवंबर 1989 को कांग्रेस ने अयोध्या में शिलान्यास कराया था और केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार का यह फैसला यूपी में कांग्रेस की विदाई का सबब बना। पूरे 30 साल से पार्टी देश के सबसे बड़े राज्य में हाशिए पर है और मौजूदा समय में भी चौथे नंबर की पार्टी है। इस प्रकरण में लगातार घाटे में रही कांग्रेस को फैसले से उम्मीद नज़र आ रही है कि अनुच्छेद - 370 के बाद अब राममंदिर मुद्दा भी भाजपा की झोली से दूर हो जाएगा। भावनाओं के ज्वार में सियासी लाभ उठाने की पहले जैसी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाएंगी और स्थानीय मुद्दों के साथ रोजगार जैसे मुद्दे प्रभावी होंगे।
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-अयोध्या विवाद में फैसला आने के बाद सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। सियासी जानकार इसे जहां भाजपा के लिए एक बार फिर फायदे का सौदा करार दे रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस...

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उत्तर प्रदेश के दस मंडलों में बने 23 नए स्टेट हाईवे

उत्तर प्रदेश के दस मंडलों में बने 23 नए स्टेट हाईवे168

👤08-11-2019-उत्तर प्रदेश के 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 2053.762 किलोमीटर लंबे 23 नए स्टेट हाईवे जल्द घोषित किए जाएंगे। इनमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। जिले के स्टेट हाईवे घोषित होने वाले मार्गों में पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं तक 123.48 किलोमीटर लंबा मार्ग भी शामिल है। इस स्टेट हाईवे को एसएच 126 के नाम से जाना जाएगा। स्टेट हाईवे घोषित होने के बाद जो मार्ग तीन या पौने चार मीटर की चौड़ाई में बने हैं, उन्हें सात मीटर करने की तैयारी है। जो मार्ग सात मीटर चौड़ाई में बने हैं, वह यथावत रहेंगे।भाजपा सरकार में प्रमुख एवं अन्य जिला मार्गों को मिलाकर स्टेट हाईवे घोषित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 23 मार्गों को स्टेट हाईवे घोषित कराने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजे गए थे। इनकी जांच के बाद सभी मार्गो को स्टेट हाईवे में परिवर्तित करने का निर्णय ले लिया गया है।इस संबंध में मुख्य अभियंता संजय कुमार गोयल मुख्यालय-1 पीडब्ल्यूडी लखनऊ द्वारा जो मार्ग तीन या पौने चार मीटर की चौड़ाई में बने है उन मार्गो को सात मीटर में तैयार कराने के लिए अलीगढ़, प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, अयोध्या, गोरखपुर, झांसी, बांदा, मध्यक्षेत्र, आगरा के चीफ इंजीनियरों से आगणन मांगा है। माना जा रहा है कि आगणन मिलने के बाद प्रस्तावित 23 स्टेट हाईवे की घोषणा कर दी जाएगी।लखनऊ-शाहजहांपुर की दूरी हो जाएगी कम
पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं स्टेट हाईवे बनने के बाद शाहजहांपुर की दूरी करीब 28 किलोमीटर कम हो जाएगी। वर्तमान में मार्ग बढ़िया न होने की वजह से लोग बरेली होकर शाहजहांपुर जाना पसंद करते हैं। बरेली होकर शाहजहांपुर की दूरी 140 किलोमीटर पड़ती है। बदायूं-दातागंज-तिलहर होकर शाहजहांपुर की दूरी 112 किलोमीटर रह जाएगी। जब सीधा स्टेट हाईवे बन जाएगा, तब लोग दातागंज होकर शाहजहांपुर लखनऊ जा सकेंगे। तिलहर से निगोही होकर पुवायां भी आसानी से पहुंच सकेंगे।दुधवा नेशनल पार्क तक पहुंना होगा आसान
पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं मार्ग स्टेट हाईवे होने के बाद दुधवा नेशनल पार्क तक पहुंचना भी आासन हो जाएगा। इधर से लोग शॉर्ट कट कम दूरी की वजह से आसानी से दुधवा तक जा सकेंगे।इन जनपदों में बनेंगे स्टेट हाईवे
एटा, फर्रुखाबाद, मथुरा, प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, उरई, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, हरदोई, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी।ये हैं होने वाले स्टेट हाईवे के मार्गों के नाम
एटा-कायमगंज-फर्रुखाबाद मार्ग, मथुरा-सादाबाद-जलेसर-अवागढ़ मार्ग, सिरसा-कोरांव-डममडगंज मार्ग, बूढ़नपुर-दीदारगंज से मेंहनाजपुर-औड़िहार मार्ग, भमौरा-शाहबाद-बिलारी मार्ग, पुवायां-निगोही-तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं, सौरिख-कुसमरा-मैनपुरी-अलीगंज-कादरगंज-पटियाली बदायूं समेत 23 मार्ग शामिल हैं।शासन स्तर से प्रदेश के 10 मंडलों में 24 जनपदों को जोड़ते हुए 23 स्टेट हाईवे घोषित किए जाएंगे। जिसमें बरेली मंडल से भमौरा शाहबाद बिलारी एवं पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं मार्ग शामिल है। दोनों मार्गो का आगणन शासन को भेजा जा रहा है। -डीके मिश्रा, एसई बरेली
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-उत्तर प्रदेश के 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 2053.762 किलोमीटर लंबे 23 नए स्टेट हाईवे जल्द घोषित किए जाएंगे। इनमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। जिले के स्टेट हाईवे घोषित...

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स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत

स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत22

👤08-11-2019-यह वह वक्त था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन प्रयोग का दौर शुरू हुआ था। कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी। दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता की सीढ़ियां तो चढ़ीं, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में ऐसी दरार पड़ी कि इसकी परिणति स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में 2 जून 1995 को सामने आई।24 साल पहले आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसे खुद मायावती कभी भुला नहीं सकीं। इस घटना में मायावती की जान खतरे में थी, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा नेता लाल जी टंडन ने वहां पहुंचकर उन्हें बचाया था। उस वक्त मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे। मायावती ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनते ही उन्हें निलंबित कर दिया था।राजभवन के हस्तक्षेप के बाद सक्रिय हुई थी पुलिस
वर्ष 1993 के यूपी चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन हुआ था। जिसकी बाद में जीत हुई। मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई। इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया। घंटों ड्रामा चला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में भाजपा के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई।बसपा विधायकों का हो गया था अपहरण
बसपा सुप्रीमो वहां कमरा नंबर-1 में रुकी हुईं थीं। उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया। मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इस बीच सपा के दबंग विधायक एक-एक कर बसपा के विधायकों को उठाकर अगवा करने लगे। गेस्ट हाउस के बाहर खड़ी फोटोग्राफरों ने इसे कैमरे में कैद किया और बाद में सीबीसीआईडी ने इसे बतौर सुबूत इस्तेमाल किया। इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए। इस मामले की तफ्तीश सीबीसीआईडी को दी गई और सीबीसीआईडी ने अरोपपत्र अदालत में दाखिल किया। सरकारें आती और जाती रहीं। स्टेट गेस्ट हाउस कांड का लखनऊ से शुरू हुआ मुकदमा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-यह वह वक्त था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन प्रयोग का दौर शुरू हुआ था। कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति...

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होमगार्ड भर्ती में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी

होमगार्ड भर्ती में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी587

👤08-11-2019-होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि होमगार्ड की लंबित भर्तियों में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। शासन स्तर पर गंभीरता से इस पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन द्वारा बीते दिनों हटाए गए सभी 25 हजार होमगार्ड जवानों की ड्यूटियों को बहाल कर दिया गया है।जवानों को आधुनिक प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी दी जाएगी। खाली बैठे जवानों की ड्यूटियां मिलेंगी। गुरुवार को होमगार्ड मुख्यालय में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक लेने पहुंचे होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान को जवानों ने सलामी दी। अब जवानों को 500 रुपए दैनिक भत्ते में बढ़ोत्तरी कर 702 रुपए कर दिया गया है। रामजन्म भूमि फैसले के चलते अयोध्या में डेढ़ हजार होमगार्डों को लगाया गया है।समीक्षा बैठक में मंत्री द्वारा बताया गया कि दो माह में 229 मृतक जवानों के आश्रितों को नौकरी दी गई। इन आश्रितों को दौड़ में असफल होने पर दोबारा दौड़ में शामिल होने का मौका मिलेगा। काफी समय से लंबित पदोन्नति की कार्रवाई कर आठ अधिकारियों को एसीपी का लाभ दिया गया। 45 जिला कमाण्डेण्ट का स्थायीकरण किया गया। प्रयागराज, कानपुर, झांसी एवं आगरा तथा जिला कार्यालय हमीरपुर एवं जौनपुर के निर्माण कार्यों आखिरी चरण में है। इस मौके पर प्रमुख सचिव होमगार्ड्स अनिल कुमार, प्रमुख सचिव, विशेष सचिव सत्येन्द्र सिंह, डीजी होमगार्ड जीएल मीना, डिप्टी कमाण्डेंट रणजीत सिंह व विवेक कुमार सिंह आदि प्रदेश के अधिकारी मौजूद थे।जवानों की ड्यूटी में पारदर्शिता बरतें
मंत्री चौहान ने समीक्षा बैठक में डीजी समेत सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि होमगार्ड जवानों की ड्यूटी लगाने के नाम पर किसी भी प्रकार की शिकायतें न मिलें। यदि किसी भी जिले से शिकायत मिलती है तो जिला कमाण्डेंट की जिम्मेदारी होगी। जवानों के कल्याण एवं उनकी समस्याओं के निराकरण के अलावा ड्यूटी भत्ते का समय में भुगतान आदि का विशेष ध्यान रखा जाए।1500 होमगार्ड अयोध्या भेजे गए
अयोध्या रामजन्म भूमि प्रकरण के फैसले के मद्देनजर मंत्री चेतन चौहान ने बताया कि 1500 होमगार्ड जवानों को अयोध्या में शांति व्यवस्था एवं सुरक्षा हेतु भेजा गया है। यह जवान पुलिस व अन्य बलों के साथ जिम्मेदारी निभाएंगे। जवानों को दंगा निरोधक उपकरणों के साथ लगाया गया है।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि होमगार्ड की लंबित भर्तियों में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। शासन स्तर पर गंभीरता से इस पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा...

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 बढ़ सकता है स्वामी का जेल से बाहर आने का इंतजार, जमानत पर सुनवाई आज

बढ़ सकता है स्वामी का जेल से बाहर आने का इंतजार, जमानत पर सुनवाई आज419

👤08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में कोई हल नहीं निकलता है तो पूर्व घोषित हड़ताल के कारण हाईकोर्ट में चिन्मयानंद की जमानत पर बहस आठ नवंबर को नहीं होगी। इस कारण जेल से बाहर आने का इंतजार और बढ़ सकता है।चिन्मयानंद केस में हर रोज कुछ न कुछ डेवलपमेंट सामने आता है। छह नवंबर को रंगदारी मांगने की आरोपी छात्रा की जमानत टल गई। अब 29 नवंबर को जमानत पर सुनवाई होगी। इसके बाद अब आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली कांड के कारण वकीलों की हड़ताल प्रस्तावित है, इस कारण जमानत पर सुनवाई न होने के चांस ज्यादा हैं। रातभर में दिल्ली मामले में कोर्ई हल निकल आया तो आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई संभव भी है। अगर आठ नवंबर को सुनवाई नहीं हुई तो चिन्मयानंद का जेल से बाहर आने का इंतजार थोड़ा और बढ़ सकता है।इधर, शाहजहांपुर में एसआईटी ने बुधवार को चिन्मयानंद से जुड़े दोनों केसों की चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके बाद से सभी पक्षों के वकीलों ने कोर्ट में सवाल डाल कर चार्र्जशीट की कॉपी लेकर उसका अध्ययन शुरू कर दिया, ताकि उसमें से पेंच निकाल कर अपने अपने पक्ष के आरोपियों की जमानत की तैयारियां की जाएं, साथ ही आगे ट्रायल के लिए भी तैयारी की जाए। बता दें कि कोर्ट परिसर में गुरुवार को भी एसआईटी के अफसरों को देखा गया। माना जा रहा है कि कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए ही वह आएं होंगे।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में...

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👤08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में कोई हल नहीं निकलता है तो पूर्व घोषित हड़ताल के कारण हाईकोर्ट में चिन्मयानंद की जमानत पर बहस आठ नवंबर को नहीं होगी। इस कारण जेल से बाहर आने का इंतजार और बढ़ सकता है।चिन्मयानंद केस में हर रोज कुछ न कुछ डेवलपमेंट सामने आता है। छह नवंबर को रंगदारी मांगने की आरोपी छात्रा की जमानत टल गई। अब 29 नवंबर को जमानत पर सुनवाई होगी। इसके बाद अब आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली कांड के कारण वकीलों की हड़ताल प्रस्तावित है, इस कारण जमानत पर सुनवाई न होने के चांस ज्यादा हैं। रातभर में दिल्ली मामले में कोर्ई हल निकल आया तो आठ नवंबर को चिन्मयानंद की जमानत पर सुनवाई संभव भी है। अगर आठ नवंबर को सुनवाई नहीं हुई तो चिन्मयानंद का जेल से बाहर आने का इंतजार थोड़ा और बढ़ सकता है।इधर, शाहजहांपुर में एसआईटी ने बुधवार को चिन्मयानंद से जुड़े दोनों केसों की चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके बाद से सभी पक्षों के वकीलों ने कोर्ट में सवाल डाल कर चार्र्जशीट की कॉपी लेकर उसका अध्ययन शुरू कर दिया, ताकि उसमें से पेंच निकाल कर अपने अपने पक्ष के आरोपियों की जमानत की तैयारियां की जाएं, साथ ही आगे ट्रायल के लिए भी तैयारी की जाए। बता दें कि कोर्ट परिसर में गुरुवार को भी एसआईटी के अफसरों को देखा गया। माना जा रहा है कि कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए ही वह आएं होंगे।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-चिन्मयानंद की जमानत पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन दिल्ली में चल रहे वकील और पुलिस विवाद का असर उनकी जमानत पर होने वाली बहस पर पड़ रहा है। अगर दिल्ली में...

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